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वित्तीय चालें

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मुंबई चावलों को पुनर्विकास के लिए और इंतजार करना होगा

बंबई विकास निदेशालय के चावलों के पुनर्विकास को लागू करने में दीर्घावधि देरी काफी खराब थी। इससे भी ज्यादा, क्योंकि यह योजना मध्य मुंबई के कई क्षेत्रों में सदी-पुरानी चालों को सुधारने में शामिल थी, जो लगभग 16,000 लोगों के लिए घर है। वित्तीय चालें सभी रिसाव और जीर्ण, कम कीमत वाले घरों में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक नुकसान हो रहा है। हालांकि, पिछले साल के अंत में, जब महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने पुनर्विकास योजना के लिए एक आकृति देने के लिए आर्किटेक्ट्स को काम पर रखने शुरू कर दिया था, तो कई लोगों ने सोचा कि सभी बाधाओं को ध्यान में रखा गया था, प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। हालांकि, यह होना नहीं था पुनर्विकास योजना शुरू होने से पहले, "पीड़ित" पुलिसकर्मियों के एक समूह ने बॉम्बे हाईकोर्ट से संपर्क किया, कोर्ट से कहा कि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी किरायेदारों को स्वामित्व अधिकार देने पर विचार करें। उनके बचाव में, पुलिसकर्मियों ने 1 99 4 के शासन का हवाला दिया जिसमें सरकार ने अन्य सरकारी कर्मचारियों और अतिक्रमियों के टेंपेमेंट्स को नियमित करने का निर्णय लिया। तथ्य की बात के रूप में, इन चावलों में सरकारी कर्मचारियों के परिवार होते हैं और उनमें से ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं इस मुद्दे पर वित्तीय चालें कई सुनवाई के बाद राज्य ने अपनी पिछली योजना का बचाव किया और हाल ही में इसे बदलने का प्रस्ताव दिया। अधिकारियों ने एचसी को बताया कि वे पुनर्विकास के लिए विकास नियंत्रण नियमों के तहत एक अलग नियम बनाने की योजना बना रहे थे, जो लगभग छह महीने लग सकता है देरी से आगे बढ़ने के कारण "निवासियों को अस्वस्थ स्थितियों में रहते हैं और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा होता है", एचसी बेंच ने कहा: "ऐसा लगता है कि घड़ी पीछे की ओर बढ़ रही है।" यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस साल फरवरी में, एचसी ने राज्य को निर्देश दिया था कि वह म्हाडा को विकास कार्य पूरा करने के लिए सुनिश्चित करें ताकि निजी डेवलपर्स केंद्रीय इलाकों में फैले 19-एकड़ उच्च मूल्य वाले रियल एस्टेट के विकास में अनावश्यक मुनाफा न पड़े। वरली, नायगांव और एनएम जोशी मार्ग यह भारत की वित्तीय राजधानी में अचल संपत्ति को कैसे प्रभावित करता है? मुंबई के प्रधान स्थान झूठ बोल रहे हैं। इन संपत्तियों के लिए रहने वाले किराए का किराया प्रति माह 100 रूपये है। दूसरी ओर, वरली में एक स्क्वायर फ़ुट के लिए, आपको कम से कम रुपये 41,512 को बाहर करना होगा मध्य स्थान और यहां रियल एस्टेट के मूल्य भी शहर परिधि में बेहतर घरों में रहने वित्तीय चालें की जगह रहने वालों के पीछे महत्वपूर्ण कारण हैं। पुनर्विकास योजना के प्रारंभिक कार्यान्वयन से शहर को भारी राजस्व उत्पन्न करने में मदद मिलेगी और शहर में महंगी अचल संपत्ति का अनलॉक कर सकता है जो कि भौगोलिक सीमाओं के कारण बड़ी जगह की कमी का सामना कर रहा है। पुनर्विकास में केवल प्रमुख क्षेत्रों में महंगा अचल संपत्ति पर नकद नहीं होगा, इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी ट्रिगर निर्माण गतिविधि होगी। जिन लोगों को बाहर जाना होगा उन्हें सभी के बाद नए घरों की आवश्यकता होगी। इसने मुंबई संपत्ति बाजार को धक्का दिया होगा, जो हाल के दिनों में गिरावट के अधीन रहा है। अचल संपत्ति पर नियमित अपडेट के लिए, यहां क्लिक करें

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FM Nirmala Sitharaman: बजट में टैक्सपेयर्स को म‍िलेगी बड़ी राहत, इस मीट‍िंंग से हुआ वित्‍त मंत्री के प्‍लान का खुलासा!

FY 2023-24: वित्त मंत्री ने अगले व‍ित्‍तीय वर्ष के बजट की तैयारियों को लेकर विभिन्न पक्षों के साथ मीट‍िंग्‍स पूरी कर ली हैं. व‍ित्‍त मंत्रालय की तरफ से यद‍ि इन सुझावों को लागू क‍िया जाता है तो सबसे ज्‍यादा फायदा नौकरीपेशा को होगा.

Budget 2023: व‍ित्‍त वर्ष 2023-24 के ल‍िए 1 फरवरी 2023 को पेश होने वाले आम बजट की तैयार‍ियां जोर-शोर से चल रही हैं. खुद व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) बजट पर मंथन को लेकर अबतक आठ दौर की चर्चा में शामिल हुई हैं. वित्त मंत्री ने अगले व‍ित्‍तीय वर्ष के बजट की तैयारियों को लेकर विभिन्न पक्षों के साथ मीट‍िंग्‍स पूरी कर ली हैं. व‍ित्‍त मंत्रालय की तरफ से यद‍ि इन सुझावों को लागू क‍िया जाता है तो सबसे ज्‍यादा फायदा नौकरीपेशा को होगा.

बजट को लेकर अलग-अलग सुझाव द‍िये गए

बजट को लेकर द‍िए गए सुझावों में पर्सनल इनकम टैक्‍स (Personal Income Tax) में कटौती, रोजगार सृजन के लिये कार्यक्रम तैयार करने, इकोनॉमी को बूस्‍ट करने के ल‍िए खर्च बढ़ाने और कुछ उद्योगों को बढ़ावा देने जैसे सजेशन म‍िले हैं. बजट पर मंथन की शुरुआत 21 नवंबर से उद्योग जगत के साथ बैठक से हुई. अर्थशास्त्रियों के साथ विचार- विमर्श के साथ ही 28 नवंबर को इसका समापन हुआ. फाइनेंश‍ियल ईयर 2023-24 का बजट संसद में 1 फरवरी को पेश किया जाएगा.

इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्‍स कम करने का सुझाव

वित्त मंत्रालय की जानकारी के अनुसार अलग-अलग प्रतिनिधियों ने बजट को लेकर कई सुझाव द‍िए. इसमें रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम लाने, एमएसएमई (MSME) की सहायता के लिये ग्रीन सर्ट‍िफ‍िकेशन की व्यवस्था और आयकर को युक्तिसंगत बनाने के सुझाव शामिल हैं. इसके अलावा घरेलू स्तर पर आपूर्ति व्यवस्था में सुधार लाने की योजना, इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्‍स कम करने, हरित हाइड्रोजन के लिये भारत को एक केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के उपाय शाम‍िल हैं.

विभिन्न पक्षों के 110 से ज्‍यादा प्रतिनिधि शामिल

इसके अलावा बच्चों के लिये सामाजिक लाभ से जुड़ी योजना, ईएसआईसी (ESIC) के दायरे में असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को लाने जैसे सुझाव भी दिये गये. विभिन्न पक्षों ने सार्वजनिक व्यय जारी रखने, राजकोषीय मजबूती और सीमा शुल्क में कमी जैसे सुझाव भी दिये. मंत्रालय ने कहा, 'आठ बैठकों में सात विभिन्न पक्षों के 110 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए.' सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 का बजट बनाते समय सुझावों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाएगा. (इनपुट एजेंसी से भी)

BLOG: अगला घाटा पाटने के लिए सरकार के पास बेचने को क्या बचेगा?

भारत आज 1 अरब 20 करोड़ लोगों वाली और तीन खरब डॉलर की वैश्विक अर्थव्यवस्था है जिसमें सार्वजनिक और निजी कंपनियों की बड़ी भूमिका है. इस अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए निवेश का अनुकूल आर्थिक-सामाजिक माहौल और आर्थिक वृद्धि के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच संतुलन बनाए रखना किसी भी सरकार का बुनियादी दायित्व है. लेकिन आज समाज, प्रशासन और उद्योग जगत में आशंकाओं का माहौल व्याप्त है. सूरते हाल यह है कि पिछले 15 सालों में अर्थव्यवस्था की विकास दर सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, बेरोजगारी बढ़ने की दर बीते 45 सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर है, आम नागरिक के खर्च करने और खरीदने की क्षमता 40 सालों में सबसे निचले स्तर पर आ गई है. खुदरा महंगाई दर लगातार बढ़ रही है. भारतीयों को अधिकाधिक नौकरियां और रोजगार देने वाले विनिर्माण, ऑटोमोबाइल, खनन और सर्विस सेक्टर लहूलुहान हो चुके हैं. रियल इस्टेट सेक्टर पहले ही वीरान पड़ा हुआ है. औद्योगिक उत्पादन में गिरावट बीते आठ सालों की सीमा तोड़ चुकी है. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग बीते 40 साल के न्यूनतम स्तर पर चली गई है. भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल देखते हुए मूडीज जैसी अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत की विकास दर का अनुमान पहले ही घटा चुकी हैं.

इन पीएसयू का हो सकता है निजीकरण

बैंकों के एनपीए से लेकर बिजली उत्पादन की वृद्धि दर तक हर मोर्चे से जुड़ा आंकड़ा चिंताजनक है. उससे भी चिंताजनक बात यह है कि कई महत्वपूर्ण आंकड़ों के पब्लिक डोमेन में आने पर पहरे लगा दिए गए हैं और प्रमुख सूचकांकों की वृद्धि दर या गिरावट मापने के पैमाने तक बदल दिए गए हैं. आरोप हैं कि भारत सरकार विकास दर और राजस्व घाटे का जो डेटा दिखाती है वह असली नहीं है. ऐसा आरोप मोदी सरकार के आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यम भी लगा चुके हैं. रसातल में जाती अर्थव्यवस्था वित्तीय चालें को उबारने के लिए बीएचईएल, बीपीसीएल, जीएआईएल, एचपीसीएल, आईओसी, एमटीएनएल, एनटीपीसी, ओएनजीसी और सेल जैसी नवरत्न कंपनियों को विनिवेशित कर देने का चौतरफा दबाव है. कभी इनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशाल उद्यमों के रूप में उभरने की क्षमता थी. पिछले दशक में नवरत्न का दर्जा प्राप्त सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या 23 तक पहुंच गई थी. लेकिन अब तो केंद्र सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, हिंदुस्‍तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और एयर इंडिया का निजीकरण करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है.

विनिवेश प्रक्रिया निवेश वित्तीय चालें से उल्टी होती है. यहां निजीकरण और विनिवेश के अंतर को भी समझना जरूरी है. निजीकरण में सरकार अपने 51 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेच देती है जबकि विनिवेश की प्रक्रिया में वह अपना कुछ हिस्सा निकालती है लेकिन उसकी मिल्कियत बनी रहती है लेकिन अब ''रणनीतिक विनिवेश'' में मिल्कियत भी नहीं बचेगी. चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के माध्यम से सरकार ने 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. इतना ही नहीं, यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार अपनी बड़ी हिस्सेदारी के साथ-साथ प्रबंधन पर नियंत्रण भी पूरी तरह से छोड़ने को तैयार है. निजीकरण होने पर सरकार से कंपनी की मिल्कियत निजी हाथों में चली जाती है जिसके कारण कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा पैदा हो जाता है. टेकओवर के बाद निजी कंपनियों की दिलचस्पी कर्मचारियों के कल्याण में नहीं बल्कि केवल लाभ कमाने में होती है.

पीएसयू में सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे लाने की तैयारी

‘व्यापार करना सरकार का काम नहीं है’ वाली टैगलाइन की आड़ में मोदी सरकार सार्वजनिक कंपनियों का स्वास्थ्य सुधारने की बजाए उन्हें निजी हाथों में सौंपने को ही उनके उद्धार का एकमात्र उपाय समझ रही है. जल्द 12 सरकारी कंपनियों (पीएसयूज) में सरकारी हिस्सेदारी घटाने की योजना है. अभी एनटीपीसी में सरकार की हिस्सेदारी 56.41 फीसदी, पावर फाइनांस कॉरपोरेशन में 59.05 फीसदी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन में 55.37 फीसदी, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) में 52.64 फीसदी, बीपीसीएल में 53.29 फीसदी और इंडियन ऑयल में 52.18 फीसदी है. नेल्को, कॉनकोर, बीईएल औऱ एमओआईएल में भी सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसदी से नीचे लाने की तैयारी है.

ऐसा भी नहीं कि अधिकांश पीएसयू घाटे में चल रहे हैं. निजी क्षेत्र की कंपनियां पहले ही इनके साथ प्रतिस्पर्धा में थीं, तो वे लगातार चालें चल रही थीं कि किसी प्रकार सरकारी कंपनियां बर्बाद हों और उनका एकछत्र राज कायम हो जाए. उन्होंने मंत्रालयों मे जासूसी कांड तक करवाए. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (डीओटी) ने सार्वजनिक क्षेत्र की टेलीकॉम कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल की वित्तीय हालत सुधारने के लिए 74 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया था, जिसे केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया. अब वित्त मंत्रालय इन दोनों टेलीकॉम कंपनियों को बंद करने की सिफारिश कर चुका है. बीपीसीएल जैसी लाभ कमाने वाली और डिवीडेंड देने वाली कंपनी को बेच देने से भला सरकार को क्या लाभ होगा? सार्वजनिक उपक्रमों-कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर), नीपको और टीएचडीसी इंडिया में नियंत्रक हिस्सेदारी की बिक्री के संबंध में सलाहकारों को अनुबंधित करने के लिए बोलियां आमंत्रित की जा चुकी हैं.

5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना मोदी सरकार का लक्ष्य

हमारी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को 5 खरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. वास्तविकता यह है कि यह लक्ष्य पाने के लिए भारत को अगले 5 साल तक हर साल 9 प्रतिशत की दर से विकास करना होगा. इस दर से वित्तीय वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 3.3 खरब डॉलर, 2022 में 3.6 खरब डॉलर, 2023 में 4.1 खरब डॉलर, 2024 में 4.5 खरब डॉलर और 2025 में 5 खरब डॉलर की बन सकती है. इसके उलट सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर लगातार गिरती जा रही है और यह फिलहाल 5 प्रतिशत पर है. तो क्या तमाम पीएसयूज का विनिवेश करके या उन्हें बेच कर यह लक्ष्य पाने की योजना है? यह सही है कि राजकोषीय घाटा पाटने और कल्याणकारी योजनाएं चलाने के लिए सरकार को अकूत धन की जरूरत होती है, लेकिन लाभ कमाने वाली पीएसयूज को निजी हाथों में बेचकर आप एक बार ही धन जुटा सकते हैं. यह कुछ-कुछ ऐसा ही है जैसे कोई अपना घर संभालने के लिए अपनी आमदनी बढ़ाने की जगह पुरखों की जमीन, घर के जेवर और बरतन बेच देता है. अगला घाटा पाटने के लिए सरकार के पास बेचने को क्या बचेगा?

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC

Published at : 21 Nov 2019 06:43 PM (IST) Tags: bsnl disinvestment psu हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

हक के लिए पूरे प्रदेश में लड़ाई लड़ेंगे

ओबीसी सम्मेलन हजारों की तादात में एकत्रित समाज के लोग फोटो,, पनागर। अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के तत्वावधान में विराट सम्मेलन रिलाइंस पेट्रोल पंप के सामने संपन्न हुआ। जिसमें संपूर्ण नगर एवं ग्रामीणजन व पूरे जिले से ओबीसी बंधु उपस्थित हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ललित गौर ने कहा कि अब ओबीसी जाग चुका है। प्रदेश देश के ओबीसी बंधुओं के

हक के लिए पूरे प्रदेश में लड़ाई लड़ेंगे

ओबीसी सम्मेलन हजारों की तादात में एकत्रित समाज के लोग

पनागर। अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के तत्वावधान में विराट सम्मेलन रिलाइंस पेट्रोल पंप के सामने संपन्न हुआ। जिसमें संपूर्ण नगर एवं ग्रामीणजन व पूरे जिले से ओबीसी बंधु उपस्थित हुए।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ललित गौर ने कहा कि अब ओबीसी जाग चुका है। प्रदेश देश के ओबीसी बंधुओं के विकास के लिए उनके हक के लिये यह लड़ाई पनागर से शुरू होकर पूरे प्रदेश और देश में चलेगी। शिक्षा, व्यवसाय, राजनीतिक क्षेत्र में जिस तरीके से सोची समझी रणनीति के तहत हमें छला जा रहा है। अब हम इन चालों को सफल नहीं होने देंगे। अध्यक्षता भारत सिंह यादव ने की। कार्यक्रम में आयोजक इंद्र कुमार पटैल, वीरेन्द्र पटैल, अनूप कुमार, रविन्द्र साहू, रामसिंह, संदीप खेरवार, बैजनाथ कुशवाहा,गिरधर कुमार, जगदीश यादव,ताराचंद साहू, कोक सिंह नरवरिया, संदीप रजक, सुभाष वर्मा, सुरेन्द्र गिरि, कृष्णकांत चौरसिया, बाबू लाल बर्मन, अमर लोधी, ताराचंद राय, गंगाराम प्रजापति, राजेश सोनी, शिवप्रसाद विश्वकर्मा आदि उपस्थित रहे।

तहसील के पीछे लगे हरे भरे पेड़ो को काटा

पनागर। मेन रोड तहसील पनागर के पीछे तिवारी खेड़ा रोड पर सड़क से सरकारी भूमि पर लगे आम के चार घने वृक्षों को दिनदहाड़े कांटा गया। रविवार के दिन तहसील की छुट्टी होती है। इसी का फायदा उठाकर पेड़ों को काट दिया। लोगों आरोप लगाया कि माफियाओं ने दंबगई करते हुए इन छायादार और फलदार पेड़ों को कटवा दिया। यह मामला पनागर पुलिस में संज्ञान में भी आया। लेकिन प्रशासन का एक भी अधिकारी ना ही पुलिसकर्मी स्थल पर निरीक्षण के लिए नहीं पहुंचा और न ही कोई कार्रवाई की। सीएमओ जयश्री चौहान ने कहा कि हमसे ऐसी कोई अनुमति नहीं ली गई। हरेभरे पेड़ों को काटना अपराध है।इसकी जांचकर कार्रवाई की जाएगी।

बालकृष्ण कुशवाहा को पीएचडी

पनागर। रानी दुर्गावती विवि द्वारा डॉ.ऑफ फिलासफी की उपाधि बालकृष्ण कुशवाहा को प्रदान की गई। आपके शोध विषय मप्र में दुग्ध उद्योग की वित्तीय संरचना एवं लाभार्जन क्षमता का मूल्यांकन रहा है।

सचिन भाजपा खेल प्रकोष्ठ के मंडल संयोजक नियुक्त

पनागर। भाजपा खेल प्रकोष्ठ के जिला संयोजक राजेश सेन और नगर मंडल अध्यक्ष सर्वेश मिश्रा की सहमति से सचिन पटैल को भाजपा खेल प्रकोष्ठ नगर मंडल पनागर संयोजक नियुक्त किया गया।

कल प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना प्रकोष्ठ की बैठक

पनागर। प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना प्रकोष्ठ जबलपुर जिला ग्रामीण की बैठक 6 फरवरी को दोपहर 2 बजे भेड़ाघाट बायपास स्थित भाजपा कार्यालय में आयोजित है। बैठक में जिला ग्रामीण के अध्यक्ष शिव पटैल एवं अन्य प्रदेश पदाधिकारियों का मार्गदर्शन तथा आगामी कार्य योजना के संदर्भ में विचार विमर्श होगा।

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