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विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है?

विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है?

मोदी के गुजरात में केजरीवाल की अनहोनी!

गुजरात विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? 2022 से हिंदुओं को आगे की राजनीति का तीसमार खां मिलने वाला है। भले विधानसभा चुनाव में सीटों की संख्या में आप पार्टी उथल-पुथल नहीं कर पाए लेकिन अरविंद केजरीवाल को गुजरात से वह हल्ला मिलेगा, जिससे वे हिंदू राजनीति का मान्य दमदार चेहरा होंगे। गुजरात की हिंदू प्रयोगशाला में केजरीवाल ने यदि शहरों, शहरी सीटों में 15 से 25 प्रतिशत वोट भी पा लिया तो भाजपा को लेने के देने पड़ेंगे। इसलिए कि यदि मोदी के गुजराती हिंदुओं में केजरीवाला ब्रांड मान्य तो उत्तर भारत के हिंदू अपने आप केजरीवाल पर सोचते हुए? गुजरात के हिंदू विकल्प चाहते है यह नरेंद्र मोदी-अमित शाह द्वारा एक-तिहाई विधायकों के टिकट काटने से जाहिर हैं। खुद नरेंद्र मोदी जुमले बोलने लगे हैं विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? कि मैंने गुजरात बनाया! मतलब केजरीवाल का यहां क्या मतलब! पर केजरीवाल की घोषणाओं, रेवड़ियों के वादों में गुजरात सोचता हुआ हैं। गुजराती अपनी भूख, गरीबी जाहिर करते हुए है।

उस नाते गुजरात का चुनाव ताजा बनाम बासी कढ़ी का भी दंगल है, जिसमें नरेंद्र मोदी को अपने आपको रिइनवेंट करना पड़ रहा है। थोक में विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? नए चेहरे उतारने पड़ रहे हैं। नई तरह का घोषणापत्र बनवाना पड़ रहा है। मोदी को न केवल अकेले विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? पूरी ताकत लगानी पड़ रही है, बल्कि ऐसा संकट है जो केजरीवाल एंड पार्टी का गुजरात से ध्यान हटवाने के लिए मोदी-शाह ने दिल्ली एमसीडी के चुनाव करवाने का फैसला लिया।

केजरीवाल के मास्टरस्ट्रोक कई हैं। उनकी फ्री विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? की बिजली जैसे वादों की शहरी गरीब आबादी में चर्चा है। सोशल मीडिया और चुनावी हल्ला बोल की प्रबंधन टीम भाजपा से बीस है। आप का चुनावी विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? गाना हो या पिछड़ी जाति के मीडिया चेहरे इसुदान गढ़वी को सीएम चेहरा घोषित करना सब लोगों में हल्ला बना रहा है। लोगों में इन तस्वीरों का असर विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? निश्चित होगा कि एक तरफ मंच पर केजरीवाल, भगवंत मान और इसुदान गढ़वी तीनों बेबाक बोलते हुए, संवाद और अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए वहीं प्रदेश में अब तक सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी बोलते हुए। भाजपा में दूसरे किसी का कोई मतलब नहीं। न मुख्यमंत्री का मतलब और न अमित शाह या किसी भी दूसरे नेता का कोई वजूद!

हां, चुनाव से जाहिर हो रहा है कि पिछले 22 सालों, और खासकर सन् 2014 के बाद गुजरात में भाजपा का जो पीक था वह ढलान पर है। भाजपा व संघ खत्म तथा और सिर्फ नरेंद्र मोदी का चेहरा। नरेंद्र मोदी के दिल्ली में पीएम बनने और आनंदीबेन के राज्यपाल बनने के बाद गुजरात में सरकार, राजनीति, भाजपा और संघ सब दिल्ली में नरेंद्र मोदी के रिमोट से चलते हुए विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? हैं। गुजरात में भाजपा और दिवगंत अहमद पटेल के कारण कांग्रेस भी पूरी तरह दिल्ली के रिमोट में चली गई थी, जिसके कारण पार्टी संगठन, लोकल लीडरशीप, कार्यकर्ता-संगठन-मुद्दों सब में प्रदेश कांग्रेस खाली। इसी हकीकत को पकड़ कर ही केजरीवाल और उनकी चुनाव टीम खालीपन को भर रही है। उसके उम्मीदवार सबसे पहले घोषित। घोषणाओं और वादों का छह महीने से हल्ला और ठीक समय पर मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित। सबसे बड़ी विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? बात जो गुजरात के नैरेटिव में रत्ती भर यह हल्ला नहीं कि अरविंद केजरीवाल मुस्लिमपरस्त हैं। उलटे राष्ट्रवादी, भारत माता का जयकारा लगाने वाले लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने वाले वे सच्चे बनिये की इमेज लिए हुए है जो लक्ष्मीमां की कृपा से गुजरातियों पर पैसे की बारिश कराने का इलहाम लिए हुए हैं।

हां, गुजराती को पैसा चाहिए, फ्री की बिजली, स्कूल-चिकित्सा आदि सब चाहिए। यह हैरानी की बात है मगर सत्य की पंजाब और विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? विदेशी मुद्रा विकल्प क्या है? दिल्ली के मुकाबले गुजरात में लोग केजरीवाल की रेवड़ियों से उन्हें रियल विकल्प समझते हुए हैं। केजरीवाल और उनकी पार्टी गुजरातियों में न केवल नए हिंदू विकल्प के नाते ताजगी और स्फूर्ति बनवाते हुए है, बल्कि फ्री और हजार-दो हजार रुपए की नकदी जैसे वादों से लालच की उस मनोवृत्ति को उकेरते हुए हैं, जो पैसे के कारण गुजरातियों का सहज स्वभाव है। इसलिए इतना तय है कि शेर की मांद में, नरेंद्र मोदी के अवतारी हिंदू राजा के घर में आठ दिसंबर को केजरीवाल से कुछ तो अनहोनी होगी। मतलब केजरीवाल भाजपा के वोट तो खाएंगे ही! कितने प्रतिशत इसका जवाब आठ दिसंबर को मिलेगा।

By हरिशंकर व्यास

भारत की हिंदी पत्रकारिता में मौलिक चिंतन, बेबाक-बेधड़क लेखन का इकलौता सशक्त नाम। मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक-बहुप्रयोगी पत्रकार और संपादक। सन् 1977 से अब तक के पत्रकारीय सफर के सर्वाधिक अनुभवी और लगातार लिखने वाले संपादक। ‘जनसत्ता’ में लेखन के साथ राजनीति की अंतरकथा, खुलासे वाले ‘गपशप’ कॉलम को 1983 में लिखना शुरू किया तो ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ में लगातार कोई चालीस साल से चला आ रहा कॉलम लेखन। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम शुरू किया तो सप्ताह में पांच दिन के सिलसिले में कोई नौ साल चला! प्रोग्राम की लोकप्रियता-तटस्थ प्रतिष्ठा थी जो 2014 में चुनाव प्रचार के प्रारंभ में नरेंद्र मोदी का सर्वप्रथम इंटरव्यू सेंट्रल हॉल प्रोग्राम में था। आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों को बारीकी-बेबाकी से कवर करते हुए हर सरकार के सच्चाई से खुलासे में हरिशंकर व्यास ने नियंताओं-सत्तावानों के इंटरव्यू, विश्लेषण और विचार लेखन के अलावा राष्ट्र, समाज, धर्म, आर्थिकी, यात्रा संस्मरण, कला, फिल्म, संगीत आदि पर जो लिखा है उनके संकलन में कई पुस्तकें जल्द प्रकाश्य। संवाद परिक्रमा फीचर एजेंसी, ‘जनसत्ता’, ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, ‘राजनीति संवाद परिक्रमा’, ‘नया इंडिया’ समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नींव से निर्माण में अहम भूमिका व लेखन-संपादन का चालीस साला कर्मयोग। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में नब्बे के दशक की एटीएन, दूरदर्शन चैनलों पर ‘कारोबारनामा’, ढेरों डॉक्यूमेंटरी के बाद इंटरनेट पर हिंदी को स्थापित करने के लिए नब्बे के दशक में भारतीय भाषाओं के बहुभाषी ‘नेटजॉल.काम’ पोर्टल की परिकल्पना और लांच।

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