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अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए

अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए

अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए

इस समय निवेशकों को भारतीय शेयरों की ओर आकर्षित कर पाना अत्यंत कष्टïसाध्य काम बना हुआ है। इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाल रहे हैं आकाश प्रकाश
विकर्षण किसी भी बाजार में मंदी का अंतिम चरण होता है जब व्यक्तिगत स्तर पर निवेश करने वाले निवेशकों का किसी खास परिसंपत्ति से मोह भंग हो जाता है और वे उस विशेष परिसंपत्ति की जो भी थोड़ी बहुत हिस्सेदारी उनके पास होती है उसकी बिक्री करना आरंभ कर देते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वक्त लग सकता है और जो बाजार प्रतिभागियों को बहुत भारी बीत सकती है। क्योंकि संबंधित परिसंपत्ति का मूल्य दिन प्रति दिन नीचे गिरता रह सकता है। ऐसे में निवेशक लगातार बिक्री करते रह सकते हैं, आखिर में जब वे मूल्यांकन को अत्यंत निचले स्तर पर ले जाते हैं तो उस खास परिसंपत्ति के लिए निचला आधार तय हो सकता है। मेरे ख्याल से देश के शेयर बाजार में घरेलू निवेशकों और मिड कैप शेयरों के लिए हम परिसपंत्ति चक्र के विकर्षण दौर में प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि अभी तक हम वहां पहुंचे नहीं हैं लेकिन अगर चीजें इसी तरीके से घटित होती रहीं तो हम बहुत जल्दी वहां पहुंच जाएंगे।

इस वर्ष भारतीय शेयर बाजार एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बाजार हैं। इस अवधि में प्रमुख सूचकांक में 8 फीसदी गिरावट आई जबकि मिड कैप सूचकांक में 15 फीसदी की गिरावट है। अनेक शेयरों में तो 20 फीसदी तक की गिरावट आई। मिड कैप शेयरों में जमकर गिरावट आई और अब बिना घाटे के बाजार से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन हो गया है। अगर भारतीय शेयर बाजार के प्रदर्शन का क्षेत्रवार आकलन किया जाए तो भी भारतीय अर्थव्यवस्था और रुपये के प्रदर्शन को लेकर उनका भय और उनकी आशंका साफ नजर आते हैं। वे लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर शंकालु नजर आते हैं।

घरेलू निवेशकों की बात की जाए तो उनमें भी शेयरों को लेकर रुचि का सख्त अभाव नजर आता है। पिछले 12 महीनों के दौरान स्थानीय निवेशकों ने भी बिकवाली ही की है। सितंबर की तेजी के बाद इसमें और गति ही आई। शेयरों की खरीद के बाद उन्हें अपने पास कुछ समय तक रखने की परंपरा मृतप्राय नजर आ रही है। बाजार में किसी भी किस्म की तेजी को बिकवाली में ही परिवर्तित होना है। खुदरा और धनाढ्य निवेशकों को भी यही नजरिया दिख रहा है कि वह तेजी सौभाग्यवश आई थी। विदेशी निवेशकों की बात की जाए तो पांच साल तक कोई प्रतिफल हासिल नहीं होने के बाद वे भारतीय बाजार से बाहर निकलने में ही भलाई समझ रहे हैं। तकरीबन 45 लाख इक्विटी पोर्टफोलियो वर्ष 2012-13 के दौरान बंद हुए। जाहिर है निवेशक बाजार से दूरी बना रहे हैं।

घरेलू निवेशक विकर्षण के चरण के करीब हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनको यह यकीन हो चला है कि संपत्ति, सोना तथा तयशुदा आय वाली योजनाएं निवेश के लिए शेयरों के मुकाबले बेहतर हैं। इन निवेशकों को शेयर में निवेश के लिए रिझा पाना खासा मुश्किल कर रहा है। वे किसी भी कीमत पर शेयरों की बिक्री में ही प्रसन्न नजर आ रहे हैं। वे किसी भी तरह यहां से बाहर निकलना चाहते हैं। ऐसे में जबकि पिछले पांच सालों के दौरान प्रॉपर्टी में दो अंकों में प्रतिफल हासिल हो रहा हो तो शेयरों में निवेश के लिए कोई भी दलील कमजोर नजर आनी स्वाभाविक है। आगे भी इसमें कोई कमी आने की संभावना नहीं नजर आती।

घरेलू निवेशकों का मोहभंग होने की कई वजहें हैं। सबसे पहले, बात करते हैं पांच साल की अवधि में शेयरों तथा अन्य परिसंपत्तियों के मूल्यांकन की। पांच साल लंबी अवधि के दौरान किसी परिसंपत्ति के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक लंबा वक्त होता है। अब घरेलू निवेशक भी यह महसूस करने लगे हैं कि देश के विकास संबंधी कारकों को कितनी चोट पहुंची है। अब हमारे जल्दी 9 फीसदी की विकास दर पर वापस पहुंचने की संभावना नहीं है। यह कोई चक्रीय मंदी नहीं है। हां हम वर्ष 2013-14 तक 6 या 6.5 फीसदी की गति जरूर हासिल कर सकते हैं लेकिन इससे अधिक की विकास दर हासिल करना वास्तव में बड़ी चुृनौती होगी। जाहिर है इस वक्त प्रशासन, नियमन, सरकारी समन्वय आदि में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता है लेकिन दुर्र्भाग्यवश इसका कोई संकेत नहीं नजर आ रहा है।

ऐसा लगता है कि खराब बैलेंस शीट तथा अतीत की गलतियों के बीच अब देश के उद्योगपतियों को भी लगने लगा है कि भविष्य के लिए कोई ऊर्जा बची ही नहीं है। उनमें देश में कारोबार को लेकर उत्साह की भावना नहीं नजर आ रही है। जब हमने लगातार एक दशक तक 9 फीसदी की विकास दर की उम्मीद की थी तो उस वक्त लोगों को लगा था कि कुछ परेशानियों के बावजूद भारत में कारोबार किया जा सकता है लेकिन 5 फीसदी विकास दर के साथ तथा अनेक औद्योगिक घरानों द्वारा परियोजनाओं को स्थगित कर देने के बाद ऐसा लग रहा है कि देश में कारोबार करना आसान नहीं रह गया है।

पिछले कुछ सालों के दौरान नीतिगत कदमों की कमी, विकृत पूंजीवाद तथा लोकलुभावन कदमों को भी अप्रत्याशित माना जा रहा है। एक ओर जहां वित्त मंत्री पी चिदंबरम माहौल को बदलने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं वहीं ऐसा लग रहा है कि उनको सरकार में अपने साथियों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है। ऐसा लग रहा है कि सरकार में किसी को आर्थिक हालात की गंभीरता का कोई अंदाजा ही नहीं है।

ऐसा लगता है कि शेयरों से निवेशकों के मोहभंग का क्रम जारी रहेगा। स्थानीय निवेशक खासतौर पर मिडकैप शेयरों की बिक्री करेंगे क्योंकि उनका प्रदर्शन ज्यादा कमजोर है। इस तरह शेयरों की बिक्री में लगातार बढ़ोतरी ही होगी। अगर इस क्रम में बदलाव नहीं आया तो हमारे बाजार पूरी तरह विदेशी निवेशकों के रहमोकरम पर आ जाएंगे। बड़ा सवाल यह है कि अगर देश में बुनियादी ढांचा क्षेत्र के डेवलपर शेयरों से एक रुपये की आय भी नहीं अर्जित कर पाएंगे तो फिर बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास के लिए 500 अरब डॉलर का निजी निवेश कहां से आएगा?

अगर हालात इतने ज्यादा खराब हैं तो विदेशी निवेशक भारत में निवेश करना क्यों जारी रखेंगे? वे भारत में ऐसा क्या देख रहे हैं जो विदेशी निवेशकों की नजर से दूर है। मेरे लिए सबसे बड़ा रहस्य यही है कि विदेशी पूंजी आखिर किस वजह से आ रही है। विदेशी निवेशकों को कैसे यह भरोसा है कि भारत इस स्थिति से उबरने में कामयाब हो जाएगा। लेकिन हमें यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि उनके पास असीमिति धैर्य नहीं है।

विदेशी निवेशकों के निवेश के लिहाज से देखें तो हम एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं। अगर वर्ष 2014 के आम चुनाव से पहले हमें प्रशासन और निर्णय प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला तो विदेशी निवेशकों का धैर्य भी समाप्त हो जाएगा। हमें अपने चालू खाता घाटे की भरपाई के लिए प्रति वर्ष 75 से 100 अरब डॉलर की राशि चाहिए। इस अंतर को पाटने के लिए कोई भी यही अनुमान लगाएगा कि 25 अरब डॉलर की राशि हर वर्ष संस्थागत विदेशी निवेशकों से आएगी। अगर हम निवेश के माहौल में सुधार नहीं लाते और लंबी अवधि के लिए जरूरी बदलाव नहीं करते तो यह राशि हासिल कर पाना आसान नहीं होगा।

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.

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अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.

क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?

इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.

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कौन कर सकता है ट्रेडिंग?

ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.

यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?

यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.

अमेरिकी डॉलर ने अभी अपना अगला शिकार पाया है

अमेरिकी डॉलर सूचकांक फिर से आगे बढ़ रहा है और अपने हाल के उच्च स्तर पर जाने के करीब पहुंच रहा है। ऐसा लगता है कि डॉलर को मजबूत करने के लिए एक नई मुद्रा मिल गई है, और इस बार यह चीनी युआन के मुकाबले है।

2022 में डॉलर की अधिकांश मजबूती यूरो और येन के मुकाबले आई है। यूरो बनाम डॉलर का गिरता मूल्य कमजोर यूरोपीय अर्थव्यवस्था और एक यूरोपीय सेंट्रल बैंक के कारण है जो अधिक आक्रामक फेडरल रिजर्व से पिछड़ गया है। इस बीच, बैंक ऑफ जापान की दरों को कम रखने की प्रतिज्ञा ने डॉलर को येन के मुकाबले रैली करने की अनुमति दी है।

US Dollar Daily

चीनी अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने, प्रोत्साहन के नए दौर और यहां तक ​​कि दरों में कटौती के साथ, डॉलर युआन के मुकाबले अधिक बढ़ गया है। अप्रैल और मई के बीच युआन के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई है, लगभग 6.35 से बढ़कर लगभग 6.75 हो गया लेकिन रुक गया।

यह सब पिछले सप्ताह में बदल गया, क्योंकि कमजोर आर्थिक डेटा और PBOC ने अपनी एक साल की दर में 10 आधार अंकों की कटौती करके 2.75% कर दिया। इससे युआन के मुकाबले डॉलर को 6.74 से 6.80 के आसपास मजबूत करने में मदद मिली। यह इस बिंदु पर एक बड़ा कदम नहीं है, लेकिन अगर चीनी अर्थव्यवस्था कमजोर रहती है और इसका केंद्रीय बैंक दरों में और कटौती करने के लिए आगे बढ़ता है, तो यह युआन के मुकाबले डॉलर को और भी मजबूत कर सकता है।

बेशक, डॉलर को युआन के मुकाबले मजबूत करना शुरू करना चाहिए, यह चीन में कारोबार करने वाली कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक और एफएक्स हेडविंड बना सकता है। यह संभावित रूप से इन व्यवसायों के लिए राजस्व और आय पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा, संभावित रूप से उन कंपनियों पर और तनाव जोड़ देगा जो इस साल पहले ही एफएक्स हिट देख चुके हैं।

USD/CNH Daily

चूंकि चीन अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है, इसलिए एक मजबूत डॉलर भी कई कंपनियों को बहुत लाभ पहुंचा सकता है। युआन के मुकाबले डॉलर जितना मजबूत होगा, चीन से आयात उतना ही सस्ता होगा। इससे अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए कुछ कंपनियों को अमेरिका में मुद्रास्फीति के दबाव को दूर करने में मदद मिल सकती है।

बेशक, डॉलर सभी मुद्राओं के मुकाबले जितना मजबूत होता है, पूरे शेयर बाजार के लिए उतना ही बड़ा हिट होता है। एक मजबूत डॉलर व्यापक सूचकांक के लिए आय और बिक्री अनुमानों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा। इस साल कई कंपनियों के लिए यह पहले से ही एक मुद्दा रहा है, लेकिन अगर डॉलर की मजबूती का रुझान जारी रहता है, अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए तो हेडविंड उतना ही महत्वपूर्ण है।

फेड अभी भी कुछ समय के लिए दरें बढ़ाने की राह पर है, जबकि यूरोप और चीन की अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष करती हैं। उस पृष्ठभूमि को देखते हुए, ऐसा लगता है कि डॉलर कॉर्पोरेट आय और शेयर बाजारों के लिए निकट भविष्य में एक हेडविंड बना रहेगा, भले ही यह यूरो और येन के मुकाबले क्षणिक रूप से रुक गया हो।

अभी के लिए, डॉलर पर नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि यह बाजारों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा।

अस्वीकरण: ब्लूमबर्ग फाइनेंस एलपी की अनुमति से उपयोग किए गए चार्ट। इस रिपोर्ट में केवल सूचनात्मक और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली स्वतंत्र टिप्पणी है। माइकल क्रेमर मॉट कैपिटल मैनेजमेंट के साथ एक सदस्य और निवेश सलाहकार प्रतिनिधि हैं। मिस्टर क्रेमर इस कंपनी से संबद्ध नहीं हैं और इस स्टॉक को जारी करने वाली किसी भी संबंधित कंपनी के बोर्ड में काम नहीं करते हैं। इस विश्लेषण या बाजार रिपोर्ट में माइकल क्रेमर द्वारा प्रस्तुत सभी राय और विश्लेषण पूरी तरह से माइकल क्रेमर के विचार हैं। पाठकों को माइकल क्रेमर द्वारा व्यक्त की गई किसी भी राय, दृष्टिकोण या भविष्यवाणी को किसी विशेष सुरक्षा को खरीदने या बेचने या किसी विशेष रणनीति का पालन करने के लिए एक विशिष्ट आग्रह या सिफारिश के रूप में नहीं मानना ​​​​चाहिए। माइकल क्रेमर के विश्लेषण सूचना और स्वतंत्र शोध पर आधारित हैं जिसे वह विश्वसनीय मानते हैं, लेकिन न तो माइकल क्रेमर और न ही मॉट कैपिटल मैनेजमेंट इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी देता है, और इस पर इस तरह भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। माइकल क्रेमर अपने विश्लेषणों में प्रस्तुत किसी भी जानकारी को अद्यतन या सही करने के लिए बाध्य नहीं है। श्री क्रेमर के बयान, मार्गदर्शन और राय बिना किसी सूचना के परिवर्तन के अधीन हैं। पूर्व प्रदर्शन भविष्य के परिणाम का संकेत नहीं है। न तो माइकल क्रेमर और न ही मॉट कैपिटल मैनेजमेंट किसी विशिष्ट परिणाम या लाभ की गारंटी देता है। इस विश्लेषण में प्रस्तुत किसी भी रणनीति या निवेश कमेंट्री का पालन करने में आपको नुकसान के वास्तविक जोखिम के बारे में पता होना चाहिए। चर्चा की गई रणनीतियां या निवेश मूल्य या मूल्य में उतार-चढ़ाव कर सकते हैं। इस विश्लेषण में उल्लिखित निवेश या रणनीतियाँ आपके लिए उपयुक्त नहीं हो सकती हैं। यह सामग्री आपके विशेष निवेश उद्देश्यों, वित्तीय स्थिति या जरूरतों पर विचार नहीं करती है और यह आपके लिए उपयुक्त अनुशंसा के रूप में अभिप्रेत नहीं है। आपको इस विश्लेषण में निवेश या रणनीतियों के संबंध में एक स्वतंत्र निर्णय लेना चाहिए। अनुरोध पर, सलाहकार अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए पिछले बारह महीनों के दौरान की गई सभी सिफारिशों की एक सूची प्रदान करेगा। इस विश्लेषण में जानकारी पर कार्रवाई करने से पहले, आपको यह विचार करना चाहिए कि क्या यह आपकी परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है और किसी भी निवेश की उपयुक्तता का निर्धारण करने के लिए अपने स्वयं के वित्तीय या निवेश सलाहकार से सलाह लेने पर दृढ़ता से विचार करना चाहिए।

Bitcoin में टेस्ला का निवेश किसी आर्थिक जलजले की शुरुआत तो नहीं?

Bitcoin में टेस्ला, ट्विटर और एपल जैसी कंपनियां अगर आती हैं तो जिस दिन तेजी की लहर ऊपर से नीचे आएगी, उस दिन शायद 2008 की आर्थिक सुनामी से भी बड़ी तबाही आ सकती है

भुवन भास्कर

क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में पिछले दिनों ऑटो कंपनी टेस्ला ने 1.5 अरब डॉलर निवेश की घोषणा की। इतना ही नहीं कंपनी ने यह भी कहा कि वह आने वाले कुछ समय में अपनी कारों की कीमत के तौर पर बिटकॉइन स्वीकार करने की योजना बना रही है। इस घोषणा के कई पहलू हैं। इनमें सबसे बड़ा है बिटकॉइन को मिलने वाली मान्यता। अभी साल भर पहले तक दुनिया भर में बिटकॉइन को प्रतिबंधित करने की मांग हो रही थी और भारत में तो अब भी ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार इसे प्रतिबंधित करने के लिए कानून लाने जा रही है। ऐसे वक्त टेस्ला का बिटकॉइन में भरोसा जताना ऐसी खबर है, जिसने इस क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों को अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए उत्साह से भर दिया है।

इस उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टेस्ला की घोषणा के 24 घंटे के भीतर बिटकॉइन की कीमत 39,400 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 48,000 अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर तक पहुंच गई। यद्यपि यह साफ नहीं है कि टेस्ला ने किस भाव पर बिटकॉइन खरीदा है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक उसे अपने इस निवेश पर महज़ कुछ दिनों में 50 करोड़ डॉलर का मुनाफ़ा हो अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए चुका है। इस रकम का महत्व इस तथ्य से समझा जा सकता है 2020 में जब पहली बार टेस्ला को सालाना मुनाफा हुआ, तब वह 70 करोड़ डॉलर था। लेकिन यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। दूसरा पहलू क्या है, इसकी चर्चा हम लेख में आगे करेंगे।

उससे पहले यह समझना ज़रूरी है कि टेस्ला के इस फैसले का कारण क्या है और क्या यह कोई अलग-थलग घटना है या किसी घटनाक्रम की कड़ी भर है? दरअसल कंपनियों का बॉन्ड में या शेयर में या अन्य परिसंपत्तियों (एसेट क्लास) में निवेश करना सामान्य घटना है। जब भी किसी कंपनी के पास कैश कंपोनेंट बहुत ज़्यादा हो जाता है, तो वह उसे कहीं न कहीं निवेश करती है।

ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया पिछले कई वर्षों से आर्थिक सुस्ती की शिकार है, जो कि 2020 में अपने चरम पर पहुंच चुकी है, कंपनियां निवेश से परहेज कर रही हैं। इसके कारण उनके पास नकदी की मात्रा काफी बढ़ गई है, जिसे यदि वे निवेश न करें, तो उनकी आमदनी घटेगी और इसके कारण उनकी आय प्रति शेयर और फिर शेयर का बाजार भाव गिरेगा।

लेकिन समस्या यह है कि पूरी दुनिया में ब्याज दरें अपने न्यूनतम स्तर पर चल रही हैं। अमेरिका और जापान में तो यह शून्य के करीब है। दूसरे देशों में भी यह कई वर्षों के निचले स्तर पर है, और इसमें आने वाले 3-4 वर्षों तक सुधार की कोई संभावना नहीं दिख रही। ऐसे में कंपनियां निवेश के लिए नए ठिकाने खोजने लगी हैं। टेस्ला ने अपने कुल कैश रिजर्व का 8% बिटकॉइन में निवेश किया है। लेकिन कई दूसरी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी लाइन में हैं।

ट्विटर के फाइनेंस डायरेक्टर नेड सेगल ने भी संकेत दिए हैं कि उनकी कंपनी बिटकॉइन में निवेश पर विचार कर रही है, वहीं रॉयल बैंक ऑफ कनाडा के एक रिसर्च नोट में बताया गया है कि ऐसा करना किस तरह एपल के लिए फायदेमंद हो सकता है।

यह कहानी नई नहीं है। आधुनिक अर्थव्यवस्था ने किसी एक एसेट क्लास के लिए निवेशकों का पागलपन कई बार देखा है और इतिहास गवाह है कि ऐसे हर पागलपन का अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए अंत विनाश से ही हुआ है, चाहे वह शेयर बाजार में 2000 का डॉट कॉम बूम हो, अमेरिका में 2008 का सब-प्राइम संकट या फिर भारत में रियल एस्टेट बाजार। बिटकॉइन पर चल रही मौजूदा चर्चा में यदि किसी को इसमें कोई संदेह हो, तो उसे बिटकॉइन के भाव का इतिहास देखना चाहिए।

बिटकॉइन की शुरुआत 2009 में हुई। अप्रैल 2011 में बिटकॉइन की कीमत 1 डॉलर थी। तीन महीने बाद जून 2011 में एक बिटकॉइन की कीमत 32 डॉलर पहुंच गई, यानी 3 महीने में 3100% का उछाल। नवंबर 2011 में यह एक बार फिर 2 डॉलर पर था। वर्ष 2013 के एक ही साल में बिटकॉइन में दो-दो बूम-बर्स्ट साइकल दिख गया। जहां साल की शुरुआत 13.40 डॉलर से हुई, लेकिन अप्रैल आते-आते यह वैल्यू बढ़कर 220 डॉलर पहुंच गई। फिर महीने भर बाद ही अप्रैल के मध्य तक यह 70 डॉलर पर था।

इसी साल अक्टूबर की शुरुआत में यह 123 डॉलर पर था और दिसंबर तक इसकी कीमत 1150 डॉलर तक पहुंच गई थी। महज़ तीन दिनों में यह 1156 डॉलर के उच्चतम स्तर से फिसल कर 760 डॉलर आया और 2015 की शुरुआत तक एक बार फिर यह 315 डॉलर पर था। यह कहानी 2020 होते हुए 2021 तक इसी तरह चल रही है, जब मार्च 2020 में एक बिटॉइन के बदले 4000 डॉलर मिल रहे थे और आज यह 48000 डॉलर तक पहुंच चुका अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए है।

किसी भी एसेट क्लास की क्लासिकल बूम स्टोरी की ही तरह बिटकॉइन के विशेषज्ञ भी अब 2021 के आखिर तक इसके 1 लाख और 2 लाख डॉलर तक पहुंचने की भविष्यवाणी करने लगे हैं। लेकिन निवेश की दुनिया का अगर डॉलर गिरता है तो मुझे क्या निवेश करना चाहिए एक अटल नियम है – जो चढ़ता है, वह गिरता है। और यही उस कहानी का दूसरा पहलू है, जिसकी चर्चा लेख की शुरुआत में की गई है। जब तक बूम और बर्स्ट की लहरों पर व्यक्ति सवार होते हैं, तब तक तो बरबादी सिर्फ परिवारों तक सीमित होती है। लेकिन जब इसमें संस्थाओं, कंपनियों और बैंकों के जहाज सवार होने लगते हैं, तब वो किसी बड़ी तबाही की आहट होती है।

बिटकॉइन में टेस्ला, ट्विटर और एपल जैसी कंपनियां यदि आती हैं तो जिस दिन यह लहर ऊपर से नीचे आएगी, उस दिन शायद 2008 की आर्थिक सुनामी से भी बड़ी तबाही आ सकती है। इसलिए आवश्यक है कि दुनिया भर की सरकारें और रेगुलेटर जल्दी से जल्दी बिटकॉइन और दूसरी क्रिप्टोकरेंसी पर एक साथ आकर एक वैश्विक नीति तैयार करें और इससे पहले कि चीजें हाथ से निकल जाएं, दुनिया को एक और भीषण आर्थिक संकट के चपेट में आने से बचाएं।

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