Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है

पोस्टेशनल ट्रेडिंग – शेयर बाजार में, पोस्टियन ट्रेडिंग आज एक स्टॉक खरीद रहा है और इसे बेचने से पहले एक से तीन महीने तक रखता है।
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नमस्ते दोस्तों। आज हम समझने वाले है की rsi indicator in hindi में क्या होता है। और इसका ट्रेडिंग में का महत्त्व है। क्या हम rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग में अच्छे खासे पैसे कमा सकते है। और आखिर rsi इंडिकेटर का इस्तेमाल करते कैसे है। इन सब के बारे में हम आज विस्तार में जानने वाले है।
rsi indicator एक leading indicator है। जो की स्टॉक के ट्रेंड चेंज Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है होने के पहले ही सिग्नल दे देता है। की स्टॉक ऊपर जानेवाला है या फिर निचे। इसीलिए इसे लीडिंग इंडिकेटर भी बोलते है। अगर आपको leading indicators के बारे में नहीं पता तो आप हमारी पिछली पोस्ट पढ़ सकते है। उसमे हमने leading indicators के बारे में विस्तार में बताया है।
rsi indicator in hindi / rsi indicator kya hota hai
rsi का full फॉर्म होता है relative strength index .यानि की ये इंडिकेटर स्टॉक की strength यानि की ताकद बताता है। की स्टॉक ऊपर जा सकता है की निचे। अगर interday trading में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंडिकेटर हे तो वो rsi indicator है।
rsi indicator स्टॉक्स के चार्ट में होने वाले मोमेंटम का ट्रेंड को दर्शाता है। और इसे oscillator भी कहा जाता है। क्युकी ये इंडिकेटर ० ते १०० के बिच में घूमता रहता है। और स्टॉक overbought हे या फिर oversold है। ये दर्शाने का काम rsi indicator करता है।
स्टॉक में उसके टाइम फ्रेम के हिसाब से मार्केट में strength हे या weakness है। ये rsi indicator दर्शाता है। उसेही rsi indicator कहा जाता है ,अभी हमने जाना की rsi indicator क्या होता है (rsi indicator in hindi).अभी हम जानेंगे की rsi indicator काम कैसे करता है।
rsi indicator कैसे काम करता है
rsi indicator ० ते १०० के बिच में ट्रेंड दिखने के कारन ये कभी ० के निचे और १०० के ऊपर नही जाता। इसके में तीन स्तर होते है। जैसे की ३०,५०,और ७० ये इसके महत्वपूर्ण स्तर है। इनका मतलब होता है की। अगर rsi अगर ५० से १०० के बिच है मतलब स्टॉक का मोमेंटम अभी पॉजिटिव यानि की बुलिश है। और अगर rsi का स्तर ० से लेकर ५० के बिच होता है तो इसका मतलब स्टॉक का मोमेंटम नेगेटिव यानि की बेयरिश है।
rsi indicaor १४ दिनों का average निकाल के आपको स्टॉक की strength बताता है। हलाकि हम उसका average चेंज भी कर सकते है। जाइए की हम 20 दिनों का भी average निकल सकते है। Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है या आप अपने हिसाब से इसका average निकल सकते है। लेकिन डिफ़ॉल्ट १४ दिनों का average निकलने ये सही होता है। ये इंडिकेटर ज्यादातर technical analysis में इस्तेमाल किया जाता है।
अगर rsi ५० के ऊपर जा रहा है इसका मतलब शेयर में तेजी आने की संभवना होती है। या स्टॉक की प्राइज भी ऊपर जाने लगाती है। लेकिन अगर rsi ५०के निचे अपना ट्रेंड बना रहा होता है ,यानि की शेयर में बिकवाली होना शुरू हुआ है ,यानि स्टॉक निचे जाने की संभावना होती है।
RSI indicator के फायदे
ये एक मोमेंटम indicator होने के कारन ये आपको स्टॉक के चार्ट का मोमेंटम बताता है। और अगर मार्केटover bought (औसत से ज्यादा खरीद ) हे तो ये आपको outbought का सिग्नल पहले ही दे देता है। इससे आप पहल की स्टॉक का रिवर्सल पता करके के स्टॉक में short selling भी कर सकते है। आपको अच्छ मुनाफा कमाने का मौका ये इंडिकेटर देता है।
और अगर मार्केट over sold यानि की औसत से ज्यादा बिकवाली स्टॉक में है तो ये इंडिकेटर आपको over sold का सिग्नल पहले ही दे देता है। और ऐसा मन जाता है की स्टॉक जब भी over bought होता है। या फिर over sold होता है। तो मार्केट में रिवर्सल जरूर आता है। तो इसी रिवर्सल को पहलेही पहनके आप इसमें अच्छा मुनाफा काम सकते है।
निष्कर्ष
rsi indicator एक ऐसा इंडिकेटर हे जो आपको मार्किट की ताकत बुलिश है या फिर बेयरिश है ये दर्शाता है। फिर उसके हिसाब से आप अपना ट्रेड ले सकते है। लेकिन इसे समझने के लिए आपको इसे candle stick chart पर लगाना जरुरी है। उससे ही आपको इसका अंदाजा हो जायेगा की ये काम कैसे करता है।
Technical Analysis क्या है – What Is Technical Analysis In Hindi
किसी स्टॉक की Past Price History को देखकर भविष्य के Price की अनुमान लगाना टेक्निकल एनालिसिस कहलाता है टेक्निकल एनालिसिस में किसी शेयर की प्राइस मूवमेंट को देखकर यह अंदाज़ा लगाया जाता है की शेयर ऊपर जायेगा या नीचे, इसमें शेयर की प्राइस और वॉल्यूम पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है
Technical Analysis में Open Price, Close, High, Low, Volume, Support, Resistance, Demand, Supply, Past Price History, All Time High, All Time Low आदि का एनालिसिस किया जाता है।
टेक्निकल एनालिसिस कैसे उपयोगी है (How Technical Analysis Is Useful)
Technical Analysis का उपयोग Short Term में Price Prediction के लिये किया जाता है टेक्निकल एनालिसिस के हिसाब से कोई भी शेयर महंगा या सस्ता नहीं होता है बल्कि मार्किट ने उसे जो प्राइस दिया वही उसका सही प्राइस है
History अपने आप को रिपीट करती है और Stock Price हमेशा एक ट्रेंड में बदलती है इसी रिपीट होने वाले ट्रेंड को Technical Analysis के द्वारा समझा जाता है जिससे स्टॉक को सही प्राइस पर खरीद कर बेचा जा सके।
टेक्निकल एनालिसिस कैसे करे? How To Do Technical Analysis
कुछ Tools है जिनका इस्तेमाल Technical Analysis करने के लिए किया जाता है जिनमें से कुछ इस प्रकार है
Chart (चार्ट): टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट का उपयोग करके स्टॉक की Past Price Movement का एनालिसिस किया जाता है चार्ट्स किसी कंपनी का शेयर ऊपर की तरफ जाने वाला है या नीचे की तरफ इसे पिक्चर के माध्यम से बताते है चार्ट भी कई प्रकार के होते है जैसे: Candlestick Chart , Heikin Ashi Chart, Line Chart etc.
Chart Pattern (चार्ट पैटर्न): किसी स्टॉक की प्राइस एक सीधी रेखा में आगे नहीं बढ़ती है बल्कि वो समय के साथ ऊपर-नीचे होती रहती है जिसकी वजह से स्टॉक के चार्ट के अंदर कई छोटे-बड़े पैटर्न बन जाते है चार्ट पैटर्न का Technical Analysis में बहुत बड़ा योगदान होता है चार्ट पैटर्न किसी स्टॉक को कब खरीदना है और कब बेचना है उसका सिग्नल देते है।
टेक्निकल एनालिसिस की सीमाएं (Limitations Of Technical Analysis)
टेक्निकल एनालिसिस में यह माना जाता है की History खुद को Repeat करती है जिसका अर्थ है की जो घटना पास्ट में घट चुकी है वह भविष्य में भी घटेगी और यही Technical Analysis की सबसे बड़ी सीमा (Limitation) है
टेक्निकल एनालिसिस में कंपनी का एनालिसिस नहीं किया जाता है सिर्फ Share Price का Analysis किया जाता है और कई बार किसी फंडामेंटल न्यूज़ की वजह से शेयर बहुत ज्यादा बढ़ या गिर जाता है और इस बदलाव को टेक्निकल एनालिसिस की मदद से समझा नहीं जा सकता है और नुकसान संभव है।
टेक्निकल एनालिसिस सिर्फ संभावनाओं का खेल है और संभावनाएं गलत भी हो सकती है इसलिए ख़रीदे हुये Stock से Exit Strategy बनाना भी जरूरी है इसलिए Target और Stoploss जरूर लगाये
कोई भी एक ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी हमेशा लाभदायक नहीं होती है इसलिए मार्किट को लगातार सीखते रहना, Money Management और Emotional Discipline बहुत जरूरी है।(टेक्निकल एनालिसिस क्या है – What Is Technical Analysis In Hindi)
बार के साथ ग्राफ
एक बार चार्ट का उपयोग किसी विशिष्ट समय पर स्टॉक या स्टॉक की गति को निर्धारित करने के लिए किया जाता है; यह एक विशिष्ट समय अवधि (15 मिनट, 1 घंटा, 1 दिन, आदि) के लिए स्टॉक, कमोडिटी या एफएक्स शेयर का उद्घाटन, उच्च और निम्न है।
मुझे पता था, मैंने ले लिया, और मैंने सौदा बंद कर दिया। तकनीकी विश्लेषण स्टॉक की कीमत, बार चार्ट या चार्ट की किसी अन्य शैली, जैसे कैंडलस्टिक या लाइन चार्ट की गति को प्रदर्शित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
एक पंक्ति में ग्राफ
एक लाइन चार्ट बार चार्ट या कैंडलस्टिक चार्ट से अलग होता है। स्टॉक की कीमत की गति को मापने में आपकी सहायता करने के लिए लाइन चार्ट पर एक लाइन को दर्शाया गया है, जैसा कि नाम में है। बार और कैंडलस्टिक चार्ट की तुलना में लाइन चार्ट को समझना अधिक कठिन होता है।
बार चार्ट की तरह, कैंडलस्टिक चार्ट मूल्य परिवर्तन दर्शाते हैं। यह एक निश्चित अवधि (15 मिनट, 1 घंटा, 4 घंटे आदि) के लिए स्टॉक, कमोडिटी या फॉरेक्स शेयर के ओपनिंग, हाई, लो और क्लोज (OHLC) को निर्धारित करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
बार चार्ट में स्टॉक को बार द्वारा दर्शाया जाता है। कैंडलस्टिक चार्ट में, शेयर की कीमत को मोमबत्तियों द्वारा दर्शाया जाता है। कैंडलस्टिक चार्ट बार चार्ट, लाइन चार्ट और अन्य प्रकार के चार्ट की तुलना में व्याख्या करना आसान होता है। एक तेजी के बाजार में, मोमबत्तियां हरी होती हैं, जबकि एक नकारात्मक बाजार में, मोमबत्तियां लाल होती हैं।
अंक और अंकों के साथ आरेख (Diagram with points and figures)
अंक और आंकड़ों के साथ आरेख बार चार्ट, जैसे कैंडलस्टिक चार्ट, स्टॉक मूल्य में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ग्राफिक का एक प्रकार है। 1898 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “हॉयल” में लेखक “हॉयल” ने इस तकनीक का परिचय दिया। नतीजतन, इसका उपयोग पुरानी चार्टिंग तकनीक में किया जाता है।
इस चार्ट दृष्टिकोण में, दो प्रकार के आंकड़े हैं: शून्य और क्रॉस। शून्य संख्या का उपयोग Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है लाल बाजार, यानी मंदी के बाजार को दर्शाने के लिए किया गया है। क्रॉस को हरे रंग के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जो एक तेजी से बाजार का संकेत देता है।
तकनीकी विश्लेषण बुनियादी शब्दावली
Bear Market – बैल शब्द का तात्पर्य किसी ऐसे व्यक्ति से है जो बुलिश हो। बुल एक शब्द है जिसका इस्तेमाल शेयर बाजार में एक ऊपर की ओर प्रवृत्ति की दिशा में शेयर बाजार की गति का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
(Bear Market) एक ऐसा शब्द है जिसका अर्थ है “मंदी”। शेयर बाजार के शब्दजाल में, मंदी का मतलब है कि शेयर बाजार का रुझान नीचे जा रहा है।
इंट्राडे – डे ट्रेडर्स को इंट्राडे ट्रेडर्स के रूप में भी जाना जाता है। इस रणनीति में भाग लेने के लिए आपको बाजार खुलने के बाद शेयर खरीदना चाहिए और बाजार बंद होने से पहले शेयर बेचना चाहिए। शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब एक ही दिन में एक ही स्टॉक को खरीदना और बेचना है।
स्विंग ट्रेडिंग को आज एक स्टॉक खरीदने और इसे बेचने से पहले एक सप्ताह से अधिक समय तक रखने के रूप में परिभाषित किया गया है।
टेक्निकल या फंडामेंटल विश्लेषण, दोनों में किस पर करें भरोसा?
यह बताना मुश्किल है कि दोनों में से कौन बेहतर है. सफल निवेशकों दोनों ही विश्लेषणों Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है का प्रयोग करते हैं.
1. फंडामेंटल विश्लेषण क्या है?
किसी शेयर के संभावित भविष्य का आंकलन कई व्यापक संकेतों के आधार पर किया जाता है. इसमें देश का जीडीपी, महंगाई दर, ब्याज दर के साथ-साथ कंपनी की बिक्री, मुनाफा क्षमता, रिटर्न ऑन इक्विटी, नकद स्थिति और लाइबिलिटी शामिल होते हैं.
2. क्या है तकनीकी विश्लेषण?
तकनीकी विश्लेषण में बाजार के एतिहासिक आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव, वॉल्यूम, ओपन इंट्रेस्ट आदि शामिल हैं. इसके आधार पर यह बताया जाता है कि भविष्य में शेयर की दिशा क्या होगी.
टेक्निकल या फंडामेंटल विश्लेषण, दोनों में किस पर करें भरोसा?
यह बताना मुश्किल है कि दोनों में से कौन बेहतर है. सफल निवेशकों दोनों ही विश्लेषणों का प्रयोग करते हैं.
1. फंडामेंटल विश्लेषण क्या है?
किसी शेयर के संभावित भविष्य का आंकलन कई व्यापक संकेतों के आधार पर किया जाता है. इसमें देश का जीडीपी, महंगाई दर, ब्याज दर के साथ-साथ कंपनी की बिक्री, मुनाफा क्षमता, रिटर्न ऑन इक्विटी, नकद स्थिति और लाइबिलिटी शामिल होते हैं.
2. क्या है तकनीकी विश्लेषण?
तकनीकी विश्लेषण में बाजार के एतिहासिक आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव, वॉल्यूम, ओपन इंट्रेस्ट आदि शामिल हैं. इसके आधार पर यह बताया जाता है कि भविष्य में शेयर की दिशा क्या होगी.