हमें एक द्वितीयक बाजार की आवश्यकता क्यों है?

बेशक पौधे लगाना नेक काम है। लेकिन सिर्फ़ पौधा लगाना ही काफ़ी नहीं है। पौधे की समुचित देखभाल भी की जानी चाहिए, ताकि वे वृक्ष बन सकें। इतना ही नहीं स्वयं पौधे लगाने के साथ-साथ हमें अन्य लोगों को भी पौधारोपण के लिए जागरूक करना चाहिए।
नहीं बनना है हमें महाशक्ति
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सद्गुरु भावी भारत वर्ष की दशा और दिशा पर अपनी दृष्टि साझा करते हैं.
आज हर देश अपने को महाशक्ति बनाने की होड़ में है, लेकिन कितनी सही है ये सोच यह नहीं सोचा जा रहा। सद्गुरु कहते हैं कि हमें अपने देश को महाशक्ति नहीं बनाना चाहिए। लेकिन क्यों?
सद्गुरु:
जेआरडी टाटा, जिनके परिवार ने एक तरह से भारतीय उद्योग की बुनियाद खड़ी की, से एक बार पूछा गया कि क्या वह चाहते हैं कि भारत एक आर्थिक महाशक्ति बने। उन्होंने जवाब दिया, “नहीं, मैं भारत को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में नहीं देखना चाहता। मैं चाहता हूं कि भारत एक खुशहाल देश बने।” दरअसल मैं नहीं चाहता कि भारत एक महाशक्ति बने। मैं किसी भी देश को महाशक्ति के रूप में नहीं देखना चाहता। मैं चाहता हूं कि कोई भी देश महाशक्ति बनने की बजाय महाखुशहाल बने, एक ऐसा पावरहाउस बने जिससे वहां के लोगों के लिए खुशहाली पैदा हो।
मैंने आपके सिर पर बंदूक तान रखी है और आपने मेरे सिर पर- और दोनों गोली नहीं चला रहे, यह तो शांति नहीं है, यह पागलपन है। अभी हम लोग दुनिया में इसी तरह शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं। किसी दिन कोई गोली चला ही देगा।
अपने देश को महाशक्ति बनाने की चाह बहुत ही मूर्खतापूर्ण और बचकानी है। इस चाहत ने इस धरती को बहुत नुकसान पहुंचाया है। आज दुनिया में यह तर्क दिया जा रहा है कि परमाणु हथियारों के बिना शांति कायम नहीं होगी, जो दुर्भाग्यवश आज की स्थिति में सच भी है। मैंने आपके सिर पर बंदूक तान रखी है और आपने मेरे सिर पर- और दोनों गोली नहीं चला रहे, यह तो शांति नहीं है, यह पागलपन है। अभी हम लोग दुनिया में इसी तरह शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं। किसी दिन कोई गोली चला ही देगा। वे जरा से लापरवाह हुए और ट्रिगर दबा दिया, तो पूरी हमें एक द्वितीयक बाजार की आवश्यकता क्यों है? दुनिया तबाह हो जाएगी। जरूरी नहीं कि ऐसा किसी इरादे से ही हो, यह यूं भी हो सकता है।
महा-शक्ति नहीं महा-खुशहाल बने भारत
इसलिए महाशक्ति बनने की यह लालसा खत्म होनी चाहिए। किसी भी देश को महाशक्ति बनने की लालसा नहीं रखनी चाहिए। हर देश को अपने निवासियों की खुशहाली की कामना और कोशिश करनी चाहिए। सुख के लिए संसाधन और बाकी चीजों की थोड़ी कमी हो सकती है, इसलिए थोड़ी प्रतिस्पर्धा जरूर होगी। थोड़ी खींच-तान भी होगी, लेकिन कोई बात नहीं। यह इंसानों के बीच होगा लेकिन इसके लिए आपको अपनी बंदूक नहीं निकालनी होगी। किसी और को बड़ी बंदूक रखने और महाशक्ति बनने की जरूरत नहीं होगी।
दुर्भाग्य से दुनिया फिलहाल ऐसे ही चल रही है। मेरे ख्याल से अमेरिका के पास इतने परमाणु हथियार हैं कि वह पूरी धरती को तीन बार पूरी तरह तबाह कर सकता है। इसलिए अगर आपके पास इस धरती को छह बार तबाह करने लायक परमाणु हथियार हों, बल्कि आप दूसरे ग्रहों को भी नष्ट कर पाने सक्षम हों, तो आप उनसे बड़ी महाशक्ति बन सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि किसी भी देश को ऐसी लालसा रखनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि भारत भी इसी दिशा में जाए। काश, बाकी देश भी अपने दिमाग से यह बात निकाल दें। काश, सभी महाशक्तियों की थोड़ी सी धार कम कर दी जाए, उनके जहरीले दांत निकाल दिए जाएं और वे सब सिर्फ अच्छे देश बन कर रहें। महाशक्ति खतरनाक और अपने आप में मगरूर होते हैं। हमें ऐसा नहीं बनना चाहिए। मैं नहीं चाहता कि भारत एक महाशक्ति बने। मैं चाहता हूं कि भारत खुशहाल देश बने, जहां खुशहाली का मानक महज धन-दौलत या दूसरों पर विजय पाना न हो। विजय और लूट अलग-अलग चीजें नहीं हैं। अगर कोई एक इंसान करे, तो वह लूट कहलाती है। अगर कोई गैंग ऐसा करे तो उसे डकैती कहते हैं। और कोई देश ऐसा करे तो इसे विजय या सत्ता परिवर्तन कहते हैं।
नहीं बनना है हमें महाशक्ति
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सद्गुरु भावी भारत वर्ष की दशा और दिशा पर अपनी दृष्टि साझा करते हैं.
आज हर देश अपने को महाशक्ति बनाने की होड़ में है, लेकिन कितनी सही है ये सोच यह नहीं सोचा जा रहा। सद्गुरु कहते हैं कि हमें अपने देश को महाशक्ति नहीं बनाना चाहिए। लेकिन क्यों?
सद्गुरु:
जेआरडी टाटा, जिनके परिवार ने एक तरह से भारतीय उद्योग की बुनियाद हमें एक द्वितीयक बाजार की आवश्यकता क्यों है? खड़ी की, से एक बार पूछा गया कि क्या वह चाहते हैं कि भारत एक आर्थिक महाशक्ति बने। उन्होंने जवाब दिया, “नहीं, मैं भारत को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में नहीं देखना चाहता। मैं चाहता हूं कि भारत एक खुशहाल देश बने।” दरअसल मैं नहीं चाहता कि भारत एक महाशक्ति बने। मैं किसी भी देश को महाशक्ति के रूप में नहीं देखना चाहता। मैं चाहता हूं कि कोई भी देश महाशक्ति बनने की बजाय महाखुशहाल बने, एक ऐसा पावरहाउस बने जिससे वहां के लोगों के लिए खुशहाली पैदा हो।
मैंने आपके सिर पर बंदूक तान रखी है और आपने मेरे सिर पर- और दोनों गोली नहीं चला हमें एक द्वितीयक बाजार की आवश्यकता क्यों है? रहे, यह तो शांति नहीं है, यह पागलपन है। अभी हम लोग दुनिया में इसी तरह शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं। किसी दिन कोई गोली चला ही देगा।
अपने देश को महाशक्ति बनाने की चाह बहुत ही मूर्खतापूर्ण और बचकानी है। इस चाहत ने इस धरती को बहुत नुकसान पहुंचाया है। आज दुनिया में यह तर्क दिया जा रहा है कि परमाणु हथियारों के बिना शांति कायम नहीं होगी, जो दुर्भाग्यवश आज की स्थिति में सच भी है। मैंने आपके सिर पर बंदूक तान रखी है और आपने मेरे सिर पर- और दोनों गोली नहीं चला रहे, यह तो शांति नहीं है, यह पागलपन है। अभी हम लोग दुनिया में इसी तरह शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं। किसी दिन कोई गोली चला ही देगा। वे जरा हमें एक द्वितीयक बाजार की आवश्यकता क्यों है? से लापरवाह हुए और ट्रिगर दबा दिया, तो पूरी दुनिया तबाह हो जाएगी। जरूरी नहीं कि ऐसा किसी इरादे से ही हो, यह यूं भी हो सकता है।
महा-शक्ति नहीं महा-खुशहाल बने भारत
इसलिए महाशक्ति बनने की यह लालसा खत्म होनी चाहिए। किसी भी देश को महाशक्ति बनने की लालसा नहीं रखनी चाहिए। हर देश को अपने निवासियों की खुशहाली की कामना और कोशिश करनी चाहिए। सुख के लिए संसाधन और बाकी चीजों की थोड़ी कमी हो सकती है, इसलिए थोड़ी प्रतिस्पर्धा जरूर होगी। थोड़ी खींच-तान भी होगी, लेकिन कोई बात नहीं। यह इंसानों के बीच होगा लेकिन इसके लिए आपको अपनी बंदूक नहीं निकालनी होगी। किसी और को बड़ी बंदूक रखने और महाशक्ति बनने की जरूरत नहीं होगी।
दुर्भाग्य से दुनिया फिलहाल ऐसे ही चल रही है। मेरे ख्याल से अमेरिका के पास इतने परमाणु हथियार हैं कि वह पूरी धरती को तीन बार पूरी तरह तबाह कर सकता है। इसलिए अगर आपके पास इस धरती को छह बार तबाह करने लायक परमाणु हथियार हों, बल्कि आप दूसरे ग्रहों को भी नष्ट कर पाने सक्षम हों, तो आप उनसे बड़ी महाशक्ति बन सकते हैं। मुझे नहीं लगता कि किसी भी देश को ऐसी लालसा रखनी चाहिए। मैं नहीं चाहता कि भारत भी इसी दिशा में जाए। काश, बाकी देश भी अपने दिमाग से यह बात निकाल दें। काश, सभी महाशक्तियों की थोड़ी सी धार कम कर दी जाए, उनके जहरीले दांत निकाल दिए जाएं और वे सब सिर्फ अच्छे देश बन कर रहें। महाशक्ति खतरनाक और अपने आप में मगरूर होते हैं। हमें ऐसा नहीं बनना चाहिए। मैं नहीं चाहता कि भारत एक महाशक्ति बने। मैं चाहता हूं कि भारत खुशहाल देश बने, जहां खुशहाली का मानक महज धन-दौलत या दूसरों पर विजय पाना न हो। विजय और लूट अलग-अलग चीजें नहीं हैं। अगर कोई एक इंसान करे, तो वह लूट कहलाती है। अगर कोई गैंग ऐसा करे तो उसे डकैती कहते हैं। और कोई देश ऐसा करे तो इसे विजय या सत्ता परिवर्तन कहते हैं।
पौधारोपण एक आवश्यकता निबंध
दोस्तों, हमें बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा पेड़ों को लगाना चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों है? पेड़ों को लगाने की आवश्यकता क्यों है? आज इन्हीं सवालों के जवाब आपको हमारे निबंध के माध्यम से मिलने वाले हैं। हमारे निबंध का विषय है, “पौधारोपण एक आवश्यकता निबंध”।
तो चलिए जानते हैं, “पौधारोपण एक आवश्यकता” विषय पर निबंध….
प्रस्तावना
पौधारोपण की आवश्यता हमारी धरती पर आदिकाल से रही है। हमारे समाज में बड़े बड़े ऋषियों, मुनियों के आश्रम, गुरुकुल इत्यादि में लगने वाले वृक्ष पौधारोपण के माध्यम से ही फलते फूलते थे। महाकवि कालिदास ने ‘अभिज्ञान-शाकुन्तलम्’ के अन्तर्गत महर्षि कण्व के शिष्यों के द्वारा वृक्षारोपण किए जाने का उल्लेख किया गया है। शकुन्तला की विदाई के समय वृक्ष के पत्तो के गिरने और उनमें नए नए फूलों के आने का उल्लेख महाकवि ने शकुन्तला से सम्बन्धित करते हुए महर्षि कण्व के द्वारा वृक्षारोपण के महत्व की ओर संकेत किया गया है। इस प्रकार से हम देखते हैं कि वृक्षारोपण की आवश्यकता प्राचीन काल से ही समझी जाती रही है। इसी के चलते आज भी इसकी आवश्यकता ज्यों की त्यों बनी हुई है।
पेड़ पौधे हमारे जीवन को स्वच्छ तथा सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। पेड़ पौधे के माध्यम से ही हमारा पर्यावरण साफ व स्वच्छ दिखाई देता है। इतना ही नहीं पौधों के माध्यम से हमे कई आयुर्वेदिक औषधियां प्राप्त होती है। जिनका प्रयोग आप अपने इस्तेमाल के लिए कर सकते हैं। पौधारोपण पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन में सहायक साबित होता है।
पौधारोपण की आवश्यकता
भारतीय समाज में आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजा जाता है। विभिन्न वृक्षों में विभिन्न देवताओं का वास माना जाता है। पीपल, विष्णु और कृष्ण का, वट का वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु और कुबेर का माना जाता है, जबकि तुलसी का पौधा लक्ष्मी और विष्णु, सोम चंद्रमा का, बेल शिव का, अशोक इंद्र का, आम लक्ष्मी का, कदंब कृष्ण का, नीम शीतला और मंसा का, पलाश ब्रह्मा और गंधर्व का, गूलर विष्णू रूद्र का और तमाल कृष्ण का माना जाता है। इसके अलावा अनेक पौधे ऐसे हैं, जो पूजा-पाठ में काम आते हैं, जिनमें महुआ और सेमल आदि शामिल हैं।
धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए पौधारोपण आवश्यक है। किसानों हो या कोई सामान्य व्यक्ति हर किसी को स्वच्छ पर्यावरण की जरूरत है और यह जरूरत केवल पौधारोपण के माध्यम से ही पूरी होती है।
वर्तमान हमें एक द्वितीयक बाजार की आवश्यकता क्यों है? समाज में पौधारोपण
वर्तमान समाज में पौधारोपण की आवश्यकता को लोग भूलते जा रहे हैं। अपने कच्ची जमीनों को हासिल करने के लिए लोग पौधों को पेड़ बनने से पहले ही काट देते हैं और कहीं-कहीं तो हरे भरे खिलते पेड़ों को भी काट दिया जाता है। वर्तमान समाज में लोग अपने स्वार्थ में इतना लिप्त हो चुके हैं कि पौधारोपण की आवश्यकता को महत्व नहीं देते।
परंतु वास्तविकता यही है कि यदि आप अपना जीवन स्वच्छ व सुरक्षित चाहते हैं तो पौधारोपण जरूर करें। विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले पौधे हमारे जीवन के लिए बेहद आवश्यक है। पशुओं के लिए चारा और खेती के औज़ारों के लिए अच्छी लकड़ी भी मिल सके, इसलिए भी पौधे लगाने चाहिए।
बबूल, शीशम, नीम, रोहिड़ा, ढाक, बांस, महुआ, जामुन, कटहल, इमली, शहतूत, अर्जुन, खेजड़ी, अशोक, पोपलर, सागौन और देसी फलों आदि के वृक्ष लगाए जा सकते हैं।
हमें चुनाव की आवश्यकता क्यों होती है
Question Which statement is true about the part of the electromagnetic spectrum that is divided into seven ranges of wavelengths? It is the only part … visible to the human eye. It is one of three parts visible to the human eye.. It is one of two parts visible to the human eye. It cannot be seen by the human eye unless it rains. 19 points.
Question When light rays appear to be coming from behind a mirror, what type of image has been formed? Responses imaginary plane virtual real
Which components of the atom are found outside of the nucleus? A. protons B. All are found in the nucleus. C. electrons D. neutrons Pls help! Only 1 c … orrect option! 12 points
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है
➲ हमें संविधान की आवश्यकता इसलिये होती है, क्योंकि संविधान ही लोकतांत्रिक राज्य को चलाने के लिए एक आवश्यक आधारभूत आवश्यकता होती है। संविधान की लोकतंत्र की मूल आत्मा होती है, जिसके आधार पर ही लोकतांत्रिक राज्य का संचालन होता है।
व्याख्या ⦂
✎. किसी भी राज्य में शासन प्रणाली को चलाने के लिए नियमों की आवश्यकता होती है, और यह नियम संविधान ही प्रस्तुत करता है। जब तक किसी राज्य का कोई संविधान नहीं होगा, उस राज्य का कुशलता पूर्वक संचालन करना कठिन होता है। विशेषकर किसी स्वस्थ लोकतंत्र में संविधान लोकतंत्र की मूल आत्मा के समान होता है। बिना संविधान के कोई लोकतंत्र सही मायनों में लोकतंत्र नहीं रह सकता। लोकतंत्र में समानता का व्यवहार लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है, जहाँ पर शासक एवं नागरिक के बीच कोई अंतर नहीं होता। संविधान राज्य के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है, इसलिए संविधान के बिना राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती।