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भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें

भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से आम लोगों को होगा कितना फायदा

Business News Today May 12 Highlights: शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद, 1100 अंकों से ज्यादा टूटा सेंसेक्स

Business News Today May 12 Highlights: शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद, 1100 अंकों से ज्यादा टूटा सेंसेक्स

यह Jagran.com का व्यापार से जुड़ा लाइव ब्लॉग है। यहां आपको व्यापार क्षेत्र से जुड़े तमाम अपडेट मिलेंगे। हमारी कोशिश रहेगी कि आपको सबसे पहले जानकारी दी जाए। इसीलिए, हमारे साथ जुड़े रहें और हमेशा खबरों से अपडेट रहें।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। समाचार एजेंसी पीटीआइ ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि अगले महीने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रिजर्व बैंक अपना मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ा सकता है। इसके साथ ही, मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए दरों में बढ़ोतरी पर भी विचार करेगा। इसके अलावा, अगर शेयर बाजार की बात करें तो शेयर बाजार में अस्थिरता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में व्यापार क्षेत्र की हर लेटेस्ट जानकारी (Business News Today May 12) आपको यहां मिलेगी। यह Jagran.com का व्यापार से जुड़ा लाइव ब्लॉग है। यहां आपको व्यापार क्षेत्र से जुड़े तमाम अपडेट मिलेंगे।

06:46 PM, 12 May 2022

भारत का औद्योगिक उत्‍पादन मार्च में बढ़ा, जानिए कितनी हुई बढ़ोतरी

भारत का औद्योगिक उत्‍पादन मार्च में 1.9 फीसद बढ़ा है। गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2022 भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें में भारत के औद्योगिक उत्पादन में इतनी बढ़ोतरी दर्ज की गई। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2022 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन (manufacturing sectors output) 0.9 प्रतिशत बढ़ा।

05:56 PM, 12 May 2022

अप्रैल में खुदरा महंगाई बढ़ी

खुदरा महंगाई अप्रैल में बढ़कर 7.79 फीसदी हुई, जो मार्च में 6.95 फीसदी थी।

05:48 PM, 12 May 2022

फोर्ड इंडिया ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की योजना रद्द की, कर्मचारी हैरान

फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अपने दो प्लांट में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की योजना को खत्म कर रही है। यह अपने कर्मचारियों के साथ मुआवजे की बातचीत फिर से शुरू करेगी।

05:13 PM, 12 May 2022

AC-Fridge हो सकते हैं महंगे, जानिए कब और कितनी बढ़ सकती हैं कीमतें

रुपये की गिरावट का असर अब घरेलू उपकरणों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतों पर पड़ने वाला है। बाजार के जानकारों की मानें तो टीवी, वाशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर की कीमत बढ़ सकती है। मई के अंत या जून के पहले सप्ताह से इनमें 3 से 5 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। ऐसा इसलिए होगा क्‍योंकि मैन्‍युफैक्‍चरर्र बढ़ती लागत का असर खरीदारों पर डाल सकते हैं।

04:49 PM, 12 May 2022

फिर कभी ट्विटर का सीईओ नहीं बनूंगा : जैक डोरसी

टेस्ला के सीईओ एलन मस्क द्वारा 44 बिलियन डॉलर के अधिग्रहण के बाद माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Twitter से उनके फिर से जुड़ने की खबरों के सामने आने के बाद जैक डोरसी ने साफ कहा है कि वह फिर कभी उसके सीईओ नहीं बनेंगे।

04:40 PM, 12 May 2022

सुंदर पिचाई भारत जैसे देशों के लिए अहम तकनीकी सफलताएं लेकर आए

गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने भारत जैसे देशों के लिए कंप्यूटर विज्ञान के कुछ सबसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में नई सफलताएं हासिल की हैं, जिनकी देश को सबसे ज्यादा जरूरत है।

04:07 PM, 12 May 2022

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले फिर कमजोर हुआ रुपया

भारतीय रुपया गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.59 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में भारतीय रुपया, एक डॉलर के मुकाबले 77.56 पर खुला। यह सुबह के कारोबार में 77.59 के निचले स्तर पर आ गई जबकि इससे पहले बुधवार को रुपया 77.23 पर बंद हुआ था।

03:50 PM, 12 May 2022

शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुआ

शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुआ है। सेंसेक्स 1158.08 अंक या 2.14% गिरकर 52,930.31 अंक पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 359.10 अंक या 2.22% की गिरावट के साथ 15,808.00 अंक पर बंद हुआ।

03:08 PM, 12 May 2022

वित्त वर्ष 2023 में तांबे की कीमत गिरकर 720 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती है: क्रिसिल

क्रिसिल ने गुरुवार को कहा कि घरेलू तांबे की कीमतें, जो पिछले एक साल में तेजी से बढ़ी थीं, 2022-23 में धीरे-धीरे गिरकर औसतन 720-725 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती हैं।

02:45 PM, 12 May 2022

पढ़ें पूरी खबर

02:27 PM, 12 May 2022

शेयर बाजार

सेंसेक्स 52,895.71 अंक
गिरावट- 1192.68 अंक या 2.21%

निफ्टी (15,788.35 अंक)
गिरावट- 378.75 अंक या 2.34%

02:26 PM, 12 May 2022

मांग कम होने से कच्चा तेल वायदा कीमतों में गिरावट

गुरुवार को कच्चा तेल वायदा 1.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ 8,027 रुपये प्रति बैरल पर आ गया क्योंकि मांग कम हुई है।

02:09 PM, 12 May 2022

फर्स्टमेरिडियन बिजनेस सर्विसेज कर रही आईपीओ लाने की तैयारी

फर्स्टमेरिडियन बिजनेस सर्विसेज ने सेबी में 800 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए दस्तावेज दाखिल किए हैं।

01:41 PM, 12 May 2022

Google Wallet ऐप जल्द होगा लॉन्च, बदल जाएगी ऑनलाइन पेमेंट की दुनिया, दिखेंगे ये बदलाव

Google Wallet App: दिग्गज टेक कंपनी गूगल (Google) की तरफ से जल्द गूगल वॉलेट (Google Wallet) पेश किया जाएगा, जिसकी एक झलक Google I/O 2022 इवेंट में देखने को मिली है। इसे डिजिटल वॉलेट (Digital Wallet) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जा रहा है कि डिजिटल वॉलेट आपकी पुरानी वालेट यानी पर्स को रिप्लेस कर देगी। गूगल वॉलेट (Google Wallet) एक ऐप होगा, जिसे गूगल की तरफ से जल्द लॉन्च किया जाएगा। इस ऐप को एंड्रॉइड और iOS दोनों यूजर्स के लिए लॉन्च किया जाएगा। इससे ऑनलॉइन पेमेंट की दुनिया में बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।

कच्चा तेल बढ़ाएगा संकट

महंगाई की मौजूदा तकलीफ वैसे ही कम नहीं हो रही। कच्चा तेल अब इसमें नई तकलीफ जोड़ने वाला है। यह नई तकलीफ आमजन तक सीमित नहीं रहने वाली, यह अर्थव्यवस्था को भी कमजोर करेगी।

कच्चा तेल बढ़ाएगा संकट

सरोज कुमार

पहले से सुस्त अर्थव्यवस्था का यह एक नया चरण होगा। ऊंची महंगाई दर और बेरोजगारी के बीच समाज का आचरण भी बदलेगा। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि भविष्य की तस्वीर कैसे संकट लिए होगी। महामारी के हालात सुधरने के बाद आर्थिक गतिविधियां शुरू ही हुई थीं कि रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ गया। आपूर्ति शृंखला एक बार फिर बाधित हुई। यूरोप, अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में महंगाई आसमान पर पहुंच गई। इसी बीच पश्चिमी देशों ने रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए।

रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। इसलिए कच्चे तेल की कीमतें चढ़ती गईं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय हिस्से की जो कीमत अप्रैल 2022 में 102.97 डालर प्रति बैरल थी, वह जून 2022 आते-आते 116.01 डालर प्रति बैरल पहुंच गई। अमेरिका में महंगाई पर लगाम लगाने फेडरल रिजर्व मैदान में उतरा। उसने ब्याज दर बढ़ानी शुरू की।

मार्च 2022 से अब तक फेड की ब्याज दर छह बार में 3.50 फीसद बढ़ कर चार फीसद तक हो चुकी है। यह सिलसिला हाल-फिलहाल थमने वाला नहीं। दिसंबर 2022 में एक और वृद्धि का संकेत है। फेड की ब्याज दर बढ़ने से जहां डालर मजबूत होता गया, वहीं भारत सहित अन्य देशों की मुद्राएं कमजोर होती गईं। डालर में भुगतान के कारण आयात महंगा होता गया। इससे महंगाई बढ़ती गई।

ईंधन अर्थव्यवस्था का एक अनिवार्य अवयव है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और अपनी जरूरत का पिच्यासी फीसद कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि सीधे तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। आयात महंगा होगा तो निश्चित तौर पर महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ेगी तो अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।

भारत के लिए अच्छी बात यह रही कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से अपनी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए रूस सस्ते दर पर कच्चा तेल बेचने को राजी हो गया। भारत ने इसका लाभ भी उठाया। अप्रैल 2022 से अगस्त 2022 के दौरान रूस से कच्चे तेल का आयात पिछले साल की तुलना में पांच गुना बढ़ कर कुल आयात का लगभग सोलह फीसद हो गया। सितंबर 2022 में हालांकि इसमें दो फीसद की गिरावट आई, फिर भी मौजूदा समय में भारत रूसी कच्चे तेल का चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खरीददार है। रूसी तेल ने आयात बिल में काफी राहत दी।

इसी दौरान दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक देश चीन में महामारी से बचाव के सख्त उपायों के कारण आर्थिक गतिविधियां थम गर्इं और कच्चे तेल की मांग घट गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत नीचे आने लगी।

भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की औसत कीमत भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें जुलाई 2022 में घट कर 105.49 डालर प्रति बैरल हो गई, अगस्त में 97.40 डालर, सितंबर में 90.71 डालर और अक्तूबर में औसत कीमत 91.70 डालर प्रति बैरल पर आ गई। लेकिन सरकार ने आम जनता को इसका कोई लाभ नहीं दिया। जून 2022 से अब तक पेट्रोल, डीजल की घरेलू कीमतें यथावत बनी हुई हैं।

दुनिया में मंदी की आहट के बीच कच्चे तेल की कीमत और नीचे आने की उम्मीद थी। यदि ऐसा होता तो कम से कम सरकार को राजस्व के मोर्चे पर राहत मिलती। क्योंकि भारत अभी भी कच्चे तेल का सबसे ज्यादा आयात इराक से और उसके बाद सऊदी अरब से करता है। लेकिन तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक प्लस को सस्ता तेल बेचना मंजूर नहीं था।

दुनिया में कच्चे तेल की आपूर्ति में करीब अस्सी फीसद से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाले तेईस देशों के इस समूह ने मांग घटने के साथ ही उत्पादन घटाने का निर्णय ले लिया, ताकि कच्चे तेल की कीमत नीचे न आने पाए। ओपेक प्लस के प्रतिनिधियों की चार अक्तूबर को वियना में हुई बैठक में नवंबर 2022 से उत्पादन बीस लाख बैरल प्रतिदिन घटाने का निर्णय लिया गया और अगले ही दिन नवंबर के लिए कच्चे तेल का वायदा 0.15 फीसद बढ़ गया।

मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर संचालित बाजार में आपूर्ति कम होगी तो कीमत हर हाल में बढ़ेगी। ऐसे में मजबूत डालर और महंगा तेल महंगाई को किस ऊंचाई तक ले जाएंगे, उसे देखने के लिए हमें गर्दन ऊंचा करने का अभ्यास अभी से शुरू कर देना चाहिए। सरकार ने सस्ते तेल का लाभ आमजन के साथ भले साझा नहीं किया हो, लेकिन महंगे तेल का बोझ वह हर हाल में साझा करना चाहेगी।

महंगाई की मौजूदा मार ही आम आदमी की कमर तोड़ रही है। जेब में पैसे नहीं तो भला बाजार कौन, क्यों और कैसे जाए! जब मांग घटेगी तो विनिर्माण को नीचे आना ही है। सितंबर 2022 में विनिर्माण का पीएमआइ (पर्चेजिंग मैनेजर इंडेक्स) अगस्त के 56.2 से घट कर 55.1 पर आ गया।

अक्तूबर में हालांकि इसमें सुधार हुआ और यह 55.3 पर दर्ज किया गया। लेकिन इसी महीने बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.77 फीसद हो गई। इससे इस संभावना को बल मिलता है कि अक्तूबर का विनिर्माण पीएमआइ त्योहारी मांग का परिणाम था। इसकी असल परीक्षा नवंबर के आंकड़े से हो जाएगी।

ऐसा नहीं कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) महंगाई को लेकर चिंतित नहीं हैं। लेकिन उनकी चिंता का कोई परिणाम निकल रहा हो, ऐसा भी नहीं है। महंगाई पर नियंत्रण के लिए आरबीआइ मई 2022 से लेकर अब तक अपनी नीतिगत ब्याज दर में 190 आधार अंकों की वृद्धि कर चुका है। लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात।

लगातार तीन तिमाहियों यानी नौ महीनों से महंगाई दर आरबीआइ की लक्षित अधिकतम सीमा छह फीसद से ऊपर बनी हुई है। नतीजा यह हुआ कि केंद्रीय बैंक को आरबीआइ अधिनियम,1934 की धारा 45 जेडएन और आरबीआइ एमपीसी एवं मौद्रिक नीति प्रक्रिया अधिनियम,2016 के नियम 7 के तहत एमपीसी की एक विशेष बैठक बुलानी पड़ी और सरकार को रपट भेजनी पड़ी।

रपट में क्या है, फिलहाल खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन नियम कहता है, यदि महंगाई दर तीन तिमाहियों तक लक्षित अधिकतम सीमा के ऊपर बनी रहती है तो आरबीआइ को अपनी विफलता के कारण और उसके निवारण के उपाय सरकार को लिखित में बताने होंगे।

आरबीआइ की इस रपट पर सरकार क्या कुछ कदम उठाती है, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल समझने वाली बात यह है कि सरकार के पास महंगाई पर लगाम लगाने के लिए राजकोषीय उपाय के अलावा कोई रास्ता है नहीं। और राजकोष की क्या हालत है?

इबारत साफ लिखी हुई है। कई वस्तुओं पर जीएसटी दर बढ़ाने और खाने-पीने के सामान पर भी जीएसटी लगाने के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष (2022-23) भारत में कच्चे तेल का वायदा व्यापार कैसे करें की प्रथम छमाही का राजकोषीय घाटा 6.20 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया है। जबकि साल भर पहले इसी अवधि का राजकोषीय घाटा 5.27 लाख करोड़ रुपए था। आर्थिक अस्थिरता के मौजूदा दौर में विनिवेश के जरिए राजस्व जुटाना सरकार के लिए कितना कठिन है, वह अच्छी तरह समझ चुकी है।

कारपोरेट कर बढ़ाने का उसका कोई इरादा नहीं है। ऐसे में सरकार का सारा जोर अप्रत्यक्ष कर वसूली पर है। महंगाई के रूप में सरकार को कर भुगतान आमजन की मजबूरी है। महंगा कच्चा तेल इस महंगाई में आग लगाएगा। इस अग्नि-परीक्षा में कौन खरा उतरेगा? इस सवाल का जवाब समय देगा। फिलहाल सरकार को अपनी भूमिका तय करनी है कि वह इस आग पर पेट्रोल डालना चाहती है, या पानी।

चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में व्यापार घाटा दोगुना बढ़ गया, आगे कैसी रहेगी स्थिति?

भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है.

भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है.

भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है. एक साल पहले के इसी अवधि में . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 17, 2022, 07:48 IST

हाइलाइट्स

चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है.
व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है.
प्रवासी भारतीयों द्वारा धन प्राप्त करने के मामले में भारत अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है.

मुंबई. भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है. बीते वित्त वर्ष में यह 1.2 प्रतिशत पर था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार को जारी ताजा बुलेटिन में यह अनुमान जताया गया है.

भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है. एक साल पहले के इसी अवधि में यह 54 अरब डॉलर था. ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल की वायदा कीमतों में नरमी आई है. वनस्पति तेलों और उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी पहले की तुलना में अधिक नरम दिख रही हैं.

निर्यात बढ़ने का अनुमान

लेख में कहा गया है कि एक और अच्छी बात यह है कि अगस्त में पेट्रोलियम पदार्थों के निर्यात में भी सालाना आधार पर सुधार आया है. लेख के अनुसार, कुल मिलाकर 2022-23 के लिए वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 750 अरब डॉलर के लक्ष्य को हासिल कर सकता है.

प्रवासी भारतीयों से आने वाला पैसा और बढ़ेगा

इसके अलावा, प्रवासी भारतीयों द्वारा धन प्राप्त करने के मामले में भारत दुनिया में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है. देश में पिछले वित्त वर्ष के दौरान प्रवासी भारतीयो से रिकॉर्ड 90 अरब डॉलर का धन आया था. चालू वित्त वर्ष में इसके रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है.

यह भी पढ़ें- वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- MSME के बकाए का जल्‍द भुगतान कराना चाहती है सरकार

चालू खाते का घाटा बढ़ेगा

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली एक टीम के लिखे लेख में कहा गया, ‘‘कुल मिलकार चालू खाते के घाटा का जीडीपी के तीन प्रतिशत के भीतर रहने का अनुमान है.’’ विदेशी निवेशकों की लिवाली और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मजबूत रहने से घाटे का वित्तपोषण हो सकता है.’’ केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त की गई राय लेखकों की हैं और रिजर्व बैंक के विचारों का नहीं दर्शाती है.

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कच्चे तेल की कीमत शून्य हो जाने से उपभोक्ताओं को कितना फायदा होगा? जानें- क्या है बाजार का गणित

अब तमाम देशों के पास कच्चे तेल को स्टोरेज करने तक की जगह नहीं है और अंत में खरीददार न मिलने के चलते कीमतें इस स्तर तक गिरी हैं। हालांकि इन सबके बावजूद भारत समेत दुनिया भर में पेट्रोल और डीजल आम नागरिकों को पहले के रेट पर ही मिल रहे हैं।

कच्चे तेल की कीमत शून्य हो जाने से उपभोक्ताओं को कितना फायदा होगा? जानें- क्या है बाजार का गणित

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से आम लोगों को होगा कितना फायदा

बीते कई महीनों से गिरावट झेल रहे कच्चे तेल की कीमतों में कोरोना के बाद भीषण मंदी देखने को मिली है। हालात यहां तक हो गए कि सोमवार को वायदा कारोबार में कच्चे तेल की कीमत शून्य से भी नीचे गिरते हुए -40 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंची। इस गिरावट की वजह तमाम देशों में कोरोना से निपटने के लिए हुआ लॉकडाउन है। एक तरफ गाड़ियों से लेकर प्लेन तक थम गए हैं तो दूसरी तरफ क्रूड का उत्पादन पहले की तरह ही जारी था। यहां तक कि अब तमाम देशों के पास कच्चे तेल को स्टोरेज करने तक की जगह नहीं है और अंत में खरीददार न मिलने के चलते कीमतें इस स्तर तक गिरी हैं। हालांकि इन सबके बावजूद भारत समेत दुनिया भर में पेट्रोल और डीजल आम नागरिकों को पहले के रेट पर ही मिल रहे हैं। आइए जानते हैं, इस गिरावट से ग्राहकों को फायदा होगा या नहीं…

जानें, उपभोक्ताओं को होगा कितना फायदा: ऑयल प्राइस इन्फॉर्मेशन सर्विस से जुड़े टॉम क्लोजा ने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि उपभोक्ताओं को इससे कोई लाभ मिलना तय है। उन्होंने कहा कि इससे पेट्रोल, डीजल या फिर गैस की कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं है। खासतौर पर जो भी गिरावट होगी, वह मई तक ही होने की आशंका है और इसके बाद फिर से क्रूड ऑयल के दाम निचले स्तर से ऊपर आने शुरू हो सकते हैं। इसके अलावा बड़ी बात यह भी है कि भारत समेत ज्यादातर सरकारें कच्चे तेल में इस गिरावट का फायदा उठाते हुए अपने रणनीतिक भंडारों को भरने में जुटी हैं ताकि भविष्य में इसका लाभ लिया जा सके।

भारत सरकार पहले ही टैक्स से कमाने की तैयारी में: भारत की ही बात करें तो सरकार कोरोना फंड में खर्च होने वाली राशि कच्चे तेल में आई गिरावट के जरिए निकालने के प्लान में है। सरकार की ओर से पहले ही संसद में कानून में बदलाव कर दिया गया है और सरकार ने कीमतों में इजाफे का अधिकार हासिल कर लिया है। अब सरकार पेट्रोल में टैक्स के तौर पर 18 रुपये और डीजल पर 12 रुपये की वसूली कर सकती है।

Side Effect of Raisins: इन 3 बीमारियों में जहर जैसा काम करता है किशमिश, डॉक्टर से जानें- किशमिश भिगोकर खाएं या सूखा

कब बढ़ेंगी क्रूड ऑयल की कीमतें: ऑयल मार्केट के एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना संकट के गुजर जाने के बाद भी कच्चे तेल की मांग में इजाफा नहीं होगा क्योंकि अभी जो मौजूदा स्टॉक जमा किया है, उसे खर्च होने में वक्त लगेगा। ऐसे कई महीनों तक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के हालात बने रह सकते हैं।

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