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रियल एस्‍टेट को बजट से उम्‍मीद, वस्तु एवं सेवा की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ दे सरकार

रियल स्‍टेट को बजट 2021 से उम्‍मीदें। फाइल फोटो

Real Estate Business Ranchi बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया झारखंड प्रांत के अध्‍यक्ष रोहित अग्रवाल ने कहा कि आनेवाले बजट में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जाय ताकि घरों की डिमांड में बढ़ोत्तरी हो। प्रधानमंत्री आवास के लिए सब्सिडी स्‍कीम को बढ़ाया जा सकता है।

रांची, जासं। Real Estate Business Ranchi आम बजट में वर्क्स कांट्रैक्टस व रियल एस्टेट सेक्टर्स को राहत देने के लिए बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआइ) झारखंड सेंटर्स द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया कि सरकार को कमर्शियल लीजिंग या किराये के लिए वस्तु एवं सेवा की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देना चाहिए। इससे वर्क्स कांट्रैक्टस व रियल एस्टेट डेवलपर्स को कोविड के कारण उपजे कठिन हालात में राहत मिलेगी। बीएआइ के अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में किराये की आय पर जीएसटी चुकाना होता है, जबकि इसके निर्माण के वक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) की सुविधा नहीं दी जाती है।

उन्होंने यह भी कहा कि आनेवाले बजट में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जाए ताकि घरों की डिमांड में बढ़ोत्तरी हो। इसके साथ ही 80सी के तहत होम लोन चुकाने में प्रिंसिपल पर मिलने वाली टैक्स छूट को भी बढ़ाया जाए। अभी 80सी में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है। इसमें होम लोन लीजिंग और क्रेडिट के प्रिंसिपल का भुगतान भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि महानगरीय शहरों में 60 वर्गमीटर और गैर महानगरीय क्षेत्रों में 90 वर्गमीटर में किफायती आवास बनाने की लिमिट तय की गई है।

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इसकी कीमत 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। बीएआइ द्वारा दिए गये सुझाव में कहा गया कि अंडर कंस्ट्रक्शन घरों में जीएसटी दरें भी घटाई जानी चाहिए। वर्तमान में इसपर 5 फीसद जीएसटी लगता है। इसे कुछ महीनों के लिए शून्य प्रतिशत कर देना चाहिए। अभी अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट पर एक फीसदी और नॉन अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट पर 5 फीसद टैक्स लगता है। यह भी कहा गया कि अभी मीडियम इनकम ग्रुप श्रेणी के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की क्रेडिट सब्सिडी स्कीम की समय सीमा मार्च 2021 है। इस सब्सिडी स्कीम को अगले साल मार्च 2022 तक बढ़ाया जा सकता है।

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संस्थान की तरफ से सुझाया गया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194एन से इंफ्रा उद्योग क्षेत्र को कम से कम 5 वर्षों के लिए छूट दी जाए ताकि उनके नकदी प्रवाह की कमी को दूर किया जा सके और परियोजनाओं को बिना किसी बाधा के समय पर पूरा किया जा सके। सभी के लिए आवास के लिए सरकार के मिशन को प्राप्त करने के लिए उच्चकालीन क्षेत्र मानदंड का विस्तार करके पहले घर के मालिकों को लाभ देने के लिए धारा 80आइबीए की किफायती आवास परियोजनाओं को लागू किया जाना चाहिए।

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रोहित अग्रवाल ने लीजिंग और क्रेडिट कहा कि वर्क्स कांट्रैक्टर्स का एक मुख्य खर्च वाहनों और मशीनरी के रख-रखाव के लिए पेट्रोल-डीजल आदि की खरीद से संबंधित है। जीएसटी रेजीम के तहत इन उत्पादों को शामिल नहीं करने से इन उत्पादों पर वैट के भुगतान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होता। जीएसटी के दायरे में पेट्रोल, डीजल एवं अन्य पेट्रोलियम उत्पादों का समावेश किया जाय। साथ ही उन्होंने रियल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने की मांग की।

Budget 2021: कई उद्योग संगठनों ने सरकार के पास भेजा सुझाव, किए टैक्स कटौती की मांग

Budget 2021: बजट पेश किए जाने से पूर्व कई उद्योग संगठनों ने सरकार के पास सुझाव भेजा है, जिसमें टैक्स में कटौती करने की मांग की गई है.

Updated: January 18, 2021 1:53 PM IST

Budget 2021: कई उद्योग संगठनों ने सरकार के पास भेजा सुझाव, किए टैक्स कटौती की मांग

Budget 2021: वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में कई उद्योग संगठनों ने सरकार से टैक्स कम करने की मांग की है. रियल एस्टेट सेक्टर की तरफ से अपने सुझाव में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) ने कहा कि सरकार को कॉमर्शियल लीजिंग या किराये के लिए वस्तु एवं सेवा की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ देना चाहिए.

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इससे रियल एस्टेट डेवलपर्स को कोरोना के कारण उपजे कठिन हालात लीजिंग और क्रेडिट में राहत मिलेगी. इससे रियल एस्टेट उद्योग दोहरे कराधान से बचेगा.

टाटा रियल्टी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के एमडी व सीईओ संजय दत्त ने कहा कि वर्तमान में किराये की आय पर जीएसटी चुकाना होता है, जबकि इसके निर्माण के वक्त आइटीसी की सुविधा नहीं दी जाती है.

लक्जरी कार निर्माता कंपनियों ने भी की टैक्स में कटौती की मांग

लक्जरी कार निर्माता कंपनियों ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मौजूदा टैक्स में कटौती करने की मांग की है. मर्सीडीज-बेंज, ऑडी एवं लेंबोर्गिनी जैसी कंपनियों ने कहा कि लग्जरी कारों पर टैक्स बढ़ाने से इनकी मांग व कारोबार पर गहरा असर पड़ेगा. लक्जरी कार उद्योग ने भी कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियों पर पड़े दुष्प्रभाव को ग्रोथ की राह में बड़ी अड़चन बताया.

उधर, यूएस इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम (यूएसआइएसपीएफ) ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह वस्तु एवं सेवा के आयात पर लगने वाले शुल्क को घटाने की दिशा में आगे बढ़े. यूएसआइएसपीएफ के प्रेसिडेंट मुकेश आघी ने कहा कि इससे अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते और मजबूत होंगे.

1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी बजट

1 फरवरी को पेश किया जाने वाला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा. इस बार के बजट से कई सारी उम्मीदें और संभावनाएं हैं. देशभर के आम लोगों, निवेशकों और कारोबारियों की निगाहें इस बजट पर लगी हुई हैं. अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी के प्रभाव से जल्द से जल्द बाहर निकालने की दिशा में बजट 2021 में कुछ प्रावधान आ सकते हैं.

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विश्लेषण: आरबीआई के नए क्रेडिट कार्ड नियम क्या हैं?

क्रेडिट कार्ड अक्सर बैंकों द्वारा तब भी भेजे जाते हैं जब ग्राहकों द्वारा मांग नहीं की जाती है। इसके अलावा, उन्हें छूट के साथ क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

रिजर्व बैंक ने उपभोक्ताओं के हित में 1 जुलाई 2022 से क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड को लेकर नए नियम लागू करने का फैसला किया है। क्रेडिट कार्ड उपभोक्ताओं के लिए अनुचित शुल्क का एक प्रमुख स्रोत हैं। यह अब रिजर्व बैंक के रडार पर है और क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंकों को ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड जारी करते समय अधिक सावधान रहना होगा।

आरबीआई ने बैंकों या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियों को ग्राहकों की स्पष्ट सहमति के बिना म्यूचुअल क्रेडिट कार्ड जारी नहीं करने और मौजूदा कार्डों को अधिक लाभ देने के नाम पर संशोधित कार्ड जारी नहीं करने का निर्देश दिया है। क्रेडिट कार्ड अक्सर बैंकों द्वारा तब भी भेजे जाते हैं जब ग्राहकों द्वारा मांग नहीं की जाती है। इसके अलावा, उन्हें छूट के साथ क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हालांकि, उपभोक्ताओं को नियमों की जानकारी नहीं होती है और यदि नियमों का उल्लंघन किया जाता है, तो बड़ा जुर्माना लगाया जाता है। नतीजतन, आरबीआई ने ग्राहकों की स्पष्ट सहमति के बिना क्रेडिट कार्ड जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यदि बैंक द्वारा क्रेडिट कार्ड नि:शुल्क जारी किया जाता है, तो उस पर कोई छुपा शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

बैंकों को ग्राहक को प्रतिदिन 500 रुपये देने होंगे।

क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियों को ग्राहकों को अपने क्रेडिट कार्ड बंद करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। बैंक हेल्पलाइन नंबर, ईमेल आईडी, सीधा लिंक जो वेबसाइट, मोबाइल ऐप आदि पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे। इनमें से किसी भी माध्यम से ग्राहक क्रेडिट कार्ड बंद करने के लिए बैंक में आवेदन कर सकता है। ग्राहक द्वारा क्रेडिट कार्ड बंद करने का अनुरोध करने के बाद बैंक को सात दिनों के भीतर क्रेडिट कार्ड बंद करने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर कार्ड जारी करने वाले बैंक को प्रतिदिन 500 रुपये का जुर्माना देना होगा। यदि बैंक निर्धारित समय के भीतर क्रेडिट कार्ड को बंद नहीं करता है, तो बैंक को उसके बंद होने तक जुर्माना देना होगा। हालांकि, जिन ग्राहकों ने क्रेडिट कार्ड बंद करने का अनुरोध किया है, उन्हें अपने खाते की शेष राशि का पूरा भुगतान करना होगा।

बल या कदाचार द्वारा बकाया की वसूली का दबाव

आरबीआई ने कार्ड जारी करने वाले बैंकों को तीसरे पक्ष या तीसरे पक्ष के एजेंटों के माध्यम से ग्राहकों को धमकाने या परेशान करके बकाया राशि की वसूली करने से भी रोक दिया है। क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक अक्सर वसूली के लिए लीजिंग एजेंसी या एजेंट चुनते हैं। आरबीआई ने एक सर्कुलर में कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा दिए गए निर्देशों के उल्लंघन के मामले में, कार्ड जारी करने वाले बैंक से भुगतान की राशि का दोगुना शुल्क लिया जाएगा। साथ ही, कार्डधारक ग्राहक के साथ किए गए अन्याय के मामले में, व्यक्ति आरबीआई के शिकायत निवारण अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायत में तथ्य पाए जाने पर लोकपाल योजना के प्रावधानों के अनुसार ग्राहक को लीजिंग और क्रेडिट मुआवजे का मामला शामिल है। कार्ड जारी करने वाले बैंक या कंपनी को यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए कि ग्राहक को गलत तरीके से बिल नहीं किया गया है। यदि कार्डधारक किसी भुगतान का विरोध करता है, तो कार्ड जारी करने वाले बैंक को शिकायत की तारीख से अधिकतम 30 दिनों के भीतर कार्डधारक को दस्तावेजी साक्ष्य प्रदान करते हुए एक विस्तृत स्पष्टीकरण देना होगा। विवाद का समाधान होने तक कार्डधारक द्वारा धोखाधड़ी के रूप में विवादित लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

समय-समय पर ब्याज दरों और शुल्कों में बदलाव की रिपोर्ट करना महत्वपूर्ण है।

क्रेडिट कार्ड कंपनियां शुल्क में बदलाव के मामले में ग्राहकों को कम से कम एक महीने का नोटिस देकर संभावित बदलाव करने की अनुमति देती हैं। यदि कोई कार्डधारक फीस में बदलाव के कारण क्रेडिट कार्ड बंद करना चाहता है, तो कार्डधारक कंपनी के सभी ऋणों का भुगतान करने में सक्षम होगा। लीजिंग और क्रेडिट साथ ही कार्ड जारी करने वाली कंपनी को निर्देश दिया गया है कि वह ग्राहक से कार्ड बंद करने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क न लें। कार्ड जारी करने वाले बैंकों के लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वे ग्राहक को क्रेडिट कार्ड बकाया पर ब्याज दर के बारे में सूचित करें। इसके अलावा, रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करके ही एरियर का शुल्क लिया जा सकता है।

क्या गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों को अनुमति की आवश्यकता है?

गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों को रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना क्रेडिट कार्ड व्यवसाय करने की अनुमति नहीं होगी। इसलिए, गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों को डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, चार्ज कार्ड या ऐसे अन्य बैंकिंग उत्पादों को भौतिक रूप से जारी करने से पहले रिजर्व बैंक से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। साथ ही, आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले वाणिज्यिक बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड व्यवसाय स्वतंत्र रूप से या अन्य कार्ड जारी करने वाले बैंकों या गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों के साथ किया जा सकता है। क्षेत्रीय ग्रामीण लीजिंग और क्रेडिट बैंकों को भी अपने प्रायोजक बैंकों या अन्य बैंकों के सहयोग से क्रेडिट कार्ड जारी करने की अनुमति है।

नए नियम कब से लागू किए गए हैं?

आरबीआई ने कहा कि नए क्रेडिट और डेबिट कार्ड दिशा निर्देश 1 जुलाई, 2022 से लागू होंगे।

[फंडिंग अलर्ट] Leaf Round ने प्री-सीड फंडिंग में 300k डॉलर जुटाए

Leaf Round

Leaf Round के को-फाउन्डर निश्चय नाथ ने कहा कि हम भारतीय निवेशक के लिए रियल एस्टेट रेंटल की एक सामान्य अवधारणा को लेकर और इसे उन संपत्तियों तक विस्तारित करके संपत्ति बनाना आसान बना रहे हैं जिनकी कंपनियों को आवश्यकता होती है। हमारा लक्ष्य निवेश के अवसर लीजिंग और क्रेडिट के रूप में 345 बिलियन डॉलर के एमएसएमई क्रेडिट गैप को लक्षित करना है, जिसे लीजिंग का उपयोग करके पूरा किया जा सकता है।, इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं और इस फंडिंग राउंड की सफलता से हमें अपने उत्पाद के लक्ष्यों को प्राप्त करने और भारतीय निवेशक पर प्रभाव डालने के लिए आवश्यक बढ़ावा मिलता है।

अपस्पार्क्स के फाउन्डर भागीदार मोहम्मद फ़राज़ ने कहा कि “Leaf Round के फाउन्डर्स के पास निजी इक्विटी, परामर्श और प्रौद्योगिकी पृष्ठभूमि में असाधारण विशेषज्ञता है और वित्त और प्रौद्योगिकी की दुनिया में विलय करने का समृद्ध अनुभव है। आंशिक निवेश भारत में एक आला क्षेत्र है जिसमें देश में आर्थिक विकास को गति देने की बहुत गुंजाइश है। Leaf Round जिस तरह का ज्ञान और तकनीकी क्षमता लाता है वह उत्कृष्ट है और औसत भारतीय उपभोक्ता के लिए निवेश प्रक्रिया को सरल बना सकता है।

एडोब के वरिष्ठ निदेशक इंजीनियरिंग विनीत शर्मा ने कहा कि “Leaf Round टीम द्वारा किया गया काम अविश्वसनीय है। सॉफ्टवेयर उत्पाद स्पष्ट, सहज और उत्तरदायी है, समर्थन शीर्ष पायदान पर है और परिसंपत्ति समर्थित सौदे खुदरा निवेशकों के लिए नई जमीन तोड़ रहे हैं।”

Leaf Round के बारे में:

Leaf Round लीजिंग के लिए एक बाज़ार है जो निवेशकों को संपत्ति खरीदने और व्यवसायों को किराए पर लेने का विकल्प प्रदान करता है। वे खोजकर्ताओं और नवोन्मेषकों का एक समूह हैं जो एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं जिसमें उच्च रिटर्न-कम जोखिम वाले निवेश उत्पाद हों, लेकिन मौलिक रूप से मजबूत और समझने में आसान हो। पहले सिद्धांतों और एक अनुभवी टीम में दृढ़ विश्वास के साथ उन्होंने किसी अन्य की तरह एक निवेश उत्पाद बनाया है।

सख्ती: नियमों का पालन नहीं करने पर आरबीआई ने 14 एनबीएफसी का लीजिंग और क्रेडिट लाइसेंस रद्द किया, 9 एनबीएफसी ने खुद सरेंडर किया

तय मानक के अनुसार कार्य नहीं करने पर आरबीआई समय-समय पर विभिन्न वित्तीय संस्थानों पर कार्रवाई करता रहता है - Dainik Bhaskar

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को 14 नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (एनबीएफसी) का लाइसेंस रद्द कर दिया। आरबीआई की ओर से जारी बयान के मुताबिक इन एनबीएफसी का लाइसेंस आरबीआई एक्ट-1934 की धारा 45-I के सेक्शन-ए के नियमों के अनुसार काम नहीं करने पर रद्द किया गया है। इसके अलावा 9 एनबीएफसी ने खुद अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। यह कंपनियां भी आरबीआई एक्ट-1934 के अनुरूप कार्य नहीं कर पा रही थीं।

इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया

  • जयभारत क्रेडिट लिमिटेड, मुंबई
  • दानी लीजिंग लिमिटेड, भोगल दिल्ली
  • होनहार इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, कालकाजी एक्सटेंशन दिल्ली
  • प्रोफिशिएंट लीजिंग एंड फाइनेंस लिमिटेड इलाहाबाद
  • प्राइमस कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता
  • आशुतोष सिक्युरिटीज प्राइवेट लिमिटेड, मानक विहार दिल्ली
  • भारत फाइनेंस एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड कोलकाता
  • आंचल लीजिंग और क्रेडिट लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड मायापुरी दिल्ली
  • सिग्नेचर फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम हरियाणा
  • डी बी लीजिंग एंड हायर पर्चेज प्राइवेट लिमिटेड, जालंधर
  • जिंदल फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड, नाभा पंजाब
  • बीएलएस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता
  • हेल्प फाइनेंस लिमिटेड, अमृतसर
  • एजकोट एडवांसेज लिमिटेड, लुधियाना

इन कंपनियों ने किया सरेंडर

  • डिस्ट्रीब्यूटर्स (बॉम्बे) प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई
  • निशी सिक्युरिटीज प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद
  • पेनरोज मर्केंटाइल्स लिमिटेड, कोलकाता
  • रिलायंस नेट लिमिटेड, मुंबई
  • आरएनजी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड, राजकोट
  • मनोहर फाइनेंस इंडिया लिमिटेड, जीटीबी नगर दिल्ली
  • निश्चया फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु
  • सांघी हायर पर्चेज लिमिटेड, हिसार हरियाणा

वित्त वर्ष 2019 में 1851 एनबीएफसी का लाइसेंस रद्द हुआ था

तय मानक के अनुसार कार्य नहीं करने पर आरबीआई समय-समय पर विभिन्न वित्तीय संस्थानों पर कार्रवाई करता रहता है। वित्त वर्ष 2019 में आरबीआई ने 1851 एनबीएफसी का लाइसेंस रद्द किया था। इससे पहले वित्त वर्ष 2018 में 224 और वित्त वर्ष 2017 में 169 एनबीएफसी का लाइसेंस रद्द किया गया था। इस तरह से हर साल एनबीएफसी का लाइसेंस रद्द होने की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

बढ़ सकती है लाइसेंस सरेंडर करने वाली एनबीएफसी की संख्या

जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन में एनबीएफसी लीजिंग और क्रेडिट के सामने बड़ी समस्या हो गई है। आरबीआई ने कर्जदारों को मोराटोरियम की सुविधा दे रखी है जिसके आगे बढ़ने की संभावना है। बाजार में उधारी की मांग नहीं है। ऐसे में छोटी-मोटी एनबीएफसी का टिकना मुश्किल है। आने वाले दिनों में लाइसेंस सरेंडर करने वाली एनबीएफसी की संख्या बढ़ सकती है।

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