वैकल्पिक सिक्के क्या हैं

मुद्रा पूर्ति की अवधारणा | Mudra purti ki avdharna | Concept of Money Supply in hindi
किसी देश की मुद्रा आपूर्ति अथवा मुद्रा पूर्ति का अभिप्राय (mudra purti ka abhipray) होता है, किसी समय विशेष पर चलन की कुल मुद्रा का स्टॉक। मुद्रा आपूर्ति, मुद्रा स्टॉक के केवल उस भाग को सम्मिलित करती है जो जनता द्वारा नकद के रूप में रखी जाती है।
केंद्र सरकार, केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंकों को इसमें शामिल नहीं किया जाता। क्योंकि ये स्वतः मुद्रा सृजित करने वाली एजेंसियां होती है। केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय बैंक कोषाग्रह में रखे गए नकद कोष को भी मुद्रा पूर्ति (mudra purti) में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह चलन में नहीं होती है। अर्थात हम कह सकते हैं कि,
"किसी समय विशेष पर मुद्रा की पूर्ति (supply of money) कुल मुद्रा की वह मात्रा होती है जो उस समय विशेष पर चलन में होती है। यह लोगों के पास नकद मुद्रा (नोट व सिक्के) के रूप में होती है। इसमें व्यापारिक बैंकों के पास चालू खातों में मांग जमा राशि भी सम्मिलित की जाती है।
मुद्रा की पूर्ति की परिभाषा सरल शब्दों में- "एक निश्चित समय में लोगों में संचरण करने वाली कुल मुद्रा को मुद्रा की पूर्ति (mudra ki purti) कहते हैं।"
मुद्रा पूर्ति की माप | मुद्रा आपूर्ति का मापन | भारत के मुद्रा स्टॉक की माप
मुद्रा पूर्ति पर 'रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया गणित द्वितीय कार्यदल' की सिफ़ारिशों के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मुद्रा की पूर्ति के वैकल्पिक मापों को 4 रूपों में स्वीकार किया गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा अप्रैल 1977 से मुद्रा आपूर्ति के घटक (मुद्रा पूर्ति के घटक) निम्नलिखित हैं -
मुद्रा पूर्ति के उपरोक्त घटकों को उनकी तरलता के रूप में देखें तो ये तरलता के घटते क्रम में होते हैं। M 1 में तरलता सबसे अधिक होती है। और M 4 में तरलता सबसे कम होती है।
M1 और M2 संकुचित (संकीर्ण) मुद्रा कहलाती हैं। M 3 और M 4 व्यापक मुद्रा कहलाती हैं। M 3 मुद्रा की पूर्ति की माप सबसे साधारण है। इसे समस्त मौद्रिक संसाधन के नाम से भी जाना जाता है।
भारत में रिज़र्व बैंक द्वारा जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं उनमें M 3 का विशेष महत्व है। M 1 एक संकुचित मुद्रा है। जबकि M 3 विस्तृत मुद्रा कहलाती है। अतः M 3 को हो समष्टि आर्थिक उद्देश्यों का निर्माण करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
M 1 जहां एक प्रवाह को प्रदर्शित करता है, वहीं M 3 एक स्टॉक को प्रदर्शित करता है। इन्हें इसी दृष्टि से क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion) -
तरलता के क्रम में हमने जाना कि जनता के पास करेंसी सबसे अधिक तरल, बैंकों में मांग जमाएं उससे कम तरल, डाकघरों में बचत जमाएं उससे कम तरल होती है क्योंकि इनमें नोटिस देकर मुद्रा को परिवर्तित किया जा सकता है। बैंकों में आवधिक (वैकल्पिक सिक्के क्या हैं सावधि) जमाएं उससे कम तरल होती है क्योंकि इनमें एक निश्चित अवधि के बिना और बिना मुद्रा की हानि के, मुद्रा को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।इन्हें मुद्रा न कहकर अर्ध मुद्रा या निकर मुद्रा कहा जाता है।
मुद्रा की पूर्ति के अन्तर्गत लोगों के पास कुल चलार्थ (currency) तथा लोगो की बैंकों में कुल मांग जमा राशियों (demand deposits) को शामिल किया जाता है। केंद्रीय सरकार अथवा केंद्रीय बैंक द्वारा चलाई गई मुद्रा काग़ज़ी नोट एवं धातु सिक्कों के रूप में होती है। जो कि वैकल्पिक सिक्के क्या हैं विधिग्राह (legal tender) मुद्रा होती है।
जिन देशों में बैंकिंग व्यवस्था पर्याप्त रूप से विकसित है उनमें बैंकों कि मांग जमा, मुद्रा की पूर्ति का एक महत्वपूर्ण घटक होती है। क्योंकि इन्हें बिना कोई सूचना दिए कभी भी निकला जा सकता है। प्रकार या नकद मुद्रा के समान ही तरल होती है। इसलिए इसे कुल मुद्रा पूर्ति का एक अंग समझा जाता है।
इसके विपरीत बैंकों में लोगों की मियादी या समय जमाओं को मुद्रा की पूर्ति (mudra ki purti) में शामिल नही किया जाता क्योंकि इन्हें कुछ विशेष दशाओं को छोड़कर समय पूरा होने पर ही निकाला जा सकता है। इस प्रकार जनता के पास मुद्रा पूर्ति के अन्तर्गत दो तत्व होते हैं - करेंसी (काग़ज़ी नोट व सिक्के) तथा बैंकों की मांग जमाएं, जो जब चाहे तब निकाली जा सकती है।
1. तरलता किसे कहते हैं?
उत्तर - कोई भी साधन जिसका मूल्य देश में प्रचलित मूल्य मापक इकाई के रूप में व्यक्त किया जाता है। साथ ही आवश्यकतानुसार बिना किसी विलंब, असुविधा अथवा हानि के व्यय करने योग्य (विनिमय करने योग्य) बनाया जा सकता है। तरल साधन कहलाता है। और उसके इस गुण को तरलता (liquidity) कहा जाता है।
2. मुद्रा पूर्ति एवं मुद्रा स्टॉक में क्या अंतर है?
उत्तर - मुद्रा पूर्ति में केवल उस मुद्रा को शामिल किया जाता है जो समय विशेष पर चलन में होती है। जबकि मुद्रा के स्टॉक में मुद्रा की इस पूर्ति के अतिरिक्त मुद्रा सृजित करने वाली एजेंसियों (जैसे- केंद्रीय बैंक, व्यापारिक बैंक या कोषागार) की मुद्राओं को भी शामिल किया जाता है।
3. उच्च शक्ति मुद्रा (high powered money) किसे कहते हैं?
उत्तर - उच्च शक्ति मुद्रा वह मुद्रा है जो व्यापारिक बैंकों के पास आरक्षितों और जनता के पास करेंसी (नोट व सिक्कों) के रूप में विद्यमान रहती है।
मांग जमा (DD) के निर्माण की गुणन प्रक्रिया का आधार होने के कारण H को आधार मुद्रा (adhar mudra) भी कहा जाता है।
4. मुद्रा की प्रभावकारी पूर्ति (effective supply) क्या है?
उत्तर - मुद्रा की प्रभावी आपूर्ति से अभिप्राय मुद्रा की उस मात्रा से है जो किसी समय विशेष पर चलन में होती है। मुद्रा की प्रभावकारी पूर्ति ज्ञात करने के लिए मुद्रा की कुल पूर्ति अथवा मात्रा में से धात्विक व पत्र मुद्रा की वह मात्रा निकाल दी जाती है जो सरकार, केंद्रीय बैंक अथवा व्यापारिक बैंकों के कोषों में आधार अथवा आरक्षित मुद्रा के रूप में पड़ी रहती है।
5. मुद्रा का प्रचलन वेग किसे कहते हैं?
उत्तर - मुद्रा की विभिन्न इकाइयां विनिमय की क्रिया में कई हाथों से बार बार गुजरती रहती है। और हर बार मुद्रा का कार्य करती रहती है। एक निश्चित अवधि में मुद्रा की एक इकाई। औसतन जितने बार भुगतान करने के लिए प्रयोग की जाती है, उसे मुद्रा का प्रचलन वेग (velocity of money) कहते हैं।
निम्नलिखित में से कौन - सा वैकल्पिक धन का उदाहरण है -
NimnLikhit Me Se Kaun - Saa Vaikalpik Dhan Ka Udaharan Hai -
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वैकल्पिक रोजगार मिले तो छोड़ देंगे अवैध हथियार बनाने का धंधा'
-अवैध हथियार निर्माण और तस्करी के लिए कुख्यात ग्राम उमर्टी पहुंचे कलेक्टर बड़वानी। ब्यूरो हमारे पूर्वज मारवाड़-राजस्थान के थे और लोहारी का काम करते थे। काम करने के लिए वे कहीं भी जाकर बस जाते थे। लोहारी में पारंगत होने के कारण राजा-महाराजाओं के यहां तलवार, फरसे और अन्य हथियार बनाने लगे। हमारे लोगों की विशेषता रही है कि जिस हि
-अवैध हथियार निर्माण और तस्करी के लिए कुख्यात ग्राम उमर्टी पहुंचे कलेक्टर
हमारे पूर्वज मारवाड़-राजस्थान के थे और लोहारी का काम करते थे। काम करने के लिए वे कहीं भी जाकर बस जाते थे। लोहारी में पारंगत होने के कारण राजा-महाराजाओं के यहां तलवार, फरसे और अन्य हथियार बनाने लगे। हमारे लोगों की विशेषता रही है कि जिस हथियार को देख लें वैसा ही हथियार बना सकते हैं। जिले में सिकलीगर समाज 7 गांवों में बसा है। सर्वाधिक जनसंख्या उमर्टी में है। समय के साथ काम में बदलाव आता गया और खेती की जमीन या अन्य रोजगार न होने पर हमारे लोग अवैध हथियार निर्माण के कार्य से जुड़ गए, लेकिन आज हम अधिकांश लोग इस काम से परेशान हो चुके हैं। वैकल्पिक रोजगार न होने के कारण मजबूरी में कुछ लोग अब भी इससे जुड़े हैं। अब बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है। वैकल्पिक रोजगार मिले तो हमारे सारे युवा इस काम को छोड़ने को तैयार हैं।
ये बातें देशभर में अवैध हथियार निर्माण व तस्करी के लिए कुख्यात ग्राम उमर्टी में शनिवार को पहुंचे कलेक्टर तेजस्वी एस नायक द्वारा सिकलीगर समाज का इतिहास पूछने पर समाज के वरिष्ठजनों ने बताईं। इस पर कलेक्टर ने समाजजनों को बताया कि मेरी जानकारी के अनुसार सिकलीगर समाज पहले लोहे के सिक्के बनाने का कार्य करता वैकल्पिक सिक्के क्या हैं था। मुगलों के शासनकाल में वे तीर से लगाकर तोप तक बनाने लगे। कलेक्टर ने उमर्टी के गुरुद्वारे में सिकलीगर समाजजनों से सीधा संवाद किया और बेहतर भविष्य बनाने के प्रयास में दोनों ओर से विश्वास करने की बात कही। संवाद से पूर्व वैकल्पिक सिक्के क्या हैं कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों ने गुरुद्वारे में पहुंच मत्था टेका।
स्वरोजगार के लिए ऋण देने से मना करती है बैंक
संवाद के दौरान महाप्रबंधक उद्योग एसएस मंडलोई ने विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। इस पर सिकलीगर समाज के एक युवा ने कहा कि स्वरोजगार के लिए नियमानुसार आवेदन किया था, लेकिन बैंक ने ऋण देने से इनकार कर दिया। इस पर कलेक्टर ने इसका कुछ हल निकालने की बात कही। वहीं समूह बनाकर लोहारी से संबंधित ही कोई उद्योग शुरू करने की बात पर कलेक्टर ने समहति जताते हुए इसके लिए प्रयास करने की बात कही। इस दौरान जिपं सीईओ बी. कार्तिकेयन, आयकर अधिकारी शेरसिंह गिन्नारे, सेंधवा एसडीएम एमएल कनेल आदि उपस्थित थे।
स्वास्थ्य व शिक्षा प्राथमिकता में
कलेक्टर ने सिकलीगर समाजजनों को बताया कि स्वास्थ्य व शिक्षा हमारी प्राथमिकताओं में है। कलेक्टर ने ग्राम पंचायत सचिव को किसानों के स्वाइल हेल्थ कार्ड बनाने, ढाई एकड़ से कम खेती वाले अजजा किसानों को मोटर के लिए निशुल्क कनेक्शन दिलवाने और प्रत्येक घर में शौचालय बनवाने व चिन्हांकित हितग्राहियों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन देने के निर्देश दिए। इस दौरान सिकलीगरों ने ग्राम की मीडिल स्कूल को हाईस्कूल तक करने व आवास के पट्टे जारी करने की भी मांग की। कलेक्टर ने उचित निराकरण का आश्वासन दिया।
Cryptocurrency: युवा निवेशक क्रिप्टो में जमकर लगा रहे है पैसा
आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वैकल्पिक सिक्के क्या हैं वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं।
आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं। जयपुर में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट को लेकर होड़ सी मची है। यहीं कारण है वर्तमान में अब तक जयपुर में करीब एक लाख लोगों क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके है और यह आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बात अगर पूरे भारत की करें तो करीब 2 करोड़ लोग भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके है। जयपुर के एक लाख लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में करीब 150 करोड़ का निवेश कर रखा है।
युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो
करोड़पति युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो बन चुका है, अमेरिका में अधिकांश युवा करोड़पति अपना पैसा, क्रिप्टो करेंसी में ही लगा रहे हैं, दुनिया के कई और देशों में भी इसी तरह का चलन देखने को मिल रहा है, लेकिन कुछ देश इसे कानूनी मान्यता भी दे चुके हैं, जबकि भारत में अभी तक क्रिप्टो का भविष्य साफ नहीं है, बावजूद इसके, लोग इसमें बिना डर पैसा लगा रहे हैं।
क्रिप्टो के विरोध में आरबीआई हमेशा से
वैकल्पिक मुद्राओं को मान्यता देने के विरोध में आरबीआई हमेशा से अडिग रहा है। हालांकि केंद्रीय बैंक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध को वापस लेने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इसने क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी राय नहीं बदली है।
क्यों बना हुआ डर.
इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी इसे जारी नहीं करती है। इसके अलावा टैक्स, मनी लॉन्ड्रिंग, इनसोल्वेंसिंग कोड, पेमेंट सिस्टम, निजता और डाटा प्रोटेक्शन भी बड़ी चुनौतियां होंगी।
घोटालों की संख्या बढ़कर 3300 हुई
साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में सक्रिय वित्तीय घोटालों की संख्या वैकल्पिक सिक्के क्या हैं 2020 के 2052 के आंकड़े से बढ़कर 3300 हो गई है। दुनिया की लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम और बिटकॉइन के मूल्य में वैकल्पिक सिक्के क्या हैं वृद्धि के साथ इनमें निवेश करने वाले निवेशकों के साथ घोटाले होने की वारदातों में भी इजाफा हुआ है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके जरिए व्यापार होता है।
क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने के लिए कुछ नियम बनाने होंगे। इनकी प्रतियोगिता की कोई जरूरत नहीं है। क्रिप्टो करेंसी के सार्वजनिक और केंद्रीय बैंक साथ-साथ चल सकते हैं। पूरी दूनिया में इसका चलन बढ़ रहा है। अगर भारत में इसपर बैन लगता है, तो हम एक बार फिर डिजिटल रूप में दूनिया से पीछड़ जाएंगे।
आयुष अग्रवाल, एडवाइजर, क्रिप्टो
क्रिप्टो एक्सचेंज पॉइंट नो यॉर कस्टमर (केवाईसी) इक_ा करके इसकी लेन-देन सिर्फ बैंक अकाउंट के जरिए कर सकते हैं। इस तरीके से कुछ बुरे तत्व इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे, क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक में यह सार्वजनिक पारदर्शिता की व्यवस्था कर पाएगा।
अशोक जालान, विशेषज्ञ, इक्विटी बाजार