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जब शेयर मार्केट गिरता है

जब शेयर मार्केट गिरता है
जब समुद्र की लहरें तेज़ होती हैं तब आप जानते हैं कि कौन नंगा नहा रहा है. लहर के साथ सवारी करना आसान है, लेकिन इसका सामना करना मुश्किल है.

जब शेयर बाजार गिरता है तो कहां चला जाता है आपका पैसा, जानें इसका फंडा

बीएसई पर पिछले सात कारोबारी दिनों में कंपनियों का मूल्‍यांकन 17 लाख करोड़ से ज्‍यादा घट गया है.

बीएसई पर पिछले सात कारोबारी दिनों में कंपनियों का मूल्‍यांकन 17 लाख करोड़ से ज्‍यादा घट गया है.

शेयर बाजार में वास्‍तविक तौर पर कोई पैसा नहीं होता, बल्कि यह कंपनियों के मूल्‍यांकन के लिहाजा से तय होता है. अगर किसी क . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : January 27, 2022, 15:31 IST

नई दिल्‍ली. अक्‍सर हमारे सामने ऐसी खबरें आती हैं कि शेयर बाजार में गिरावट से निवेशकों के लाखों करोड़ डूबे. पर आपने सोचा है कि डूबकर ये पैसे किसके पास जाते हैं. क्‍या आपको होने वाला नुकसान किसी और के पास मुनाफे के रूप में जाता है. जवाब है नहीं, ये पैसा गायब हो जाता है. जी, सही पढ़ा आपने और यह खबर आपको बाजार के पर्दे के पीछे की पूरी कहानी बताएगी.

दरअसल, किसी शेयर का मूल्‍य उसकी कंपनी के प्रदर्शन और घाटे-मुनाफे के आकलन पर टिका होता है. अगर निवेशकों और बाजार विश्‍लेषकों को लगता है कि भविष्‍य में कोई कंपनी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, तो उसके शेयरों की खरीदारी में तेजी आ जाती है और बाजार में उसकी मांग भी बढ़ने लगती है. इसी तरह, अगर किसी कंपनी के बारे में यह अनुमान लगे कि भविष्‍य में उसका मुनाफा कम होगा या कारोबार में सुस्‍ती आएगी तो उसके शेयरों का खेल बिगड़ जाता है और कम कीमत पर बिकवाली शुरू हो जाती है. चूंकि, बाजार डिमांड और सप्‍लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है.

इसे दूसरे तरीके से समझें
बाजार में वास्‍तविक तौर पर कोई पैसा नहीं होता और किसी स्‍टॉक की कीमत महज उसका मूल्‍यांकन (Valuation) होती है. अगर आज आप कोई स्‍टॉक 100 रुपये के भाव में खरीद रहे हैं और दूसरे दिन कंपनी को लेकर आकलन बदल गया जिससे शेयर का मूल्‍यांकन घटकर 80 रुपये पर आ गया. अब ये शेयर बेचने पर आपको तो 20 रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन इसे खरीदने वाले को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं होगा. हां, अगर उस शेयर का मूल्‍यांकन दोबारा बढ़कर 100 रुपये पहुंच जाए तो उसे बेचने पर 20 रुपये का लाभ जरूर हो जाएगा.

कैसे काम करती है बाजार धारणा
कहते हैं कि शेयर बाजार सेंटिमेंट का खेल है. मतलब, निवेशकों के सेंटिमेंट से शेयर की कीमत तय हो जाती है. उदाहरण के लिए- अगर किसी कंपनी ने कैंसर की दवा बनाने का पेटेंट हासिल कर लिया है तो निवेशकों को लगता है कि भविष्‍य में उसका कारोबार और कमाई भी जरूर बढ़ेगी. बस इसी धारणा के बूते वह कंपनी के शेयर खरीदने लगता है. बाजार में उसकी मांग बढ़ते ही कीमतों में तेजी आनी शुरू हो जाती है. यानी कंपनी के बारे में एक धारणा ने उसके मूल्‍यांकन को अचानक बढ़ा दिया. इसे Implicit Value कहते हैं, जबकि कंपनी का वास्‍तवकि मूल्‍य उसकी कुल पूंजी में से देनदारियां घटाकर पता की जाती है. इसे Explicit Value कहा जाता है.

7 दिन में डूब गए 17.23 लाख करोड़ रुपये, इसका मतलब?
बाजार में जारी गिरावट की वजह से पिछले 7 कारोबारी दिनों में निवेशकों ने 17.23 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए. मतलब ये है कि यह पैसा किसी की जेब में जाने के बजाए कंपनियों का मूल्‍यांकन घटने से हवा में गायब हो गया. 17 जनवरी को बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार मूल्‍यांकन 280.02 लाख करोड़ रुपये था, जो 25 जनवरी को घटकर 262.78 लाख करोड़ पर आ गया.

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक जब शेयर मार्केट गिरता है घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर जब शेयर मार्केट गिरता है मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.

कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

कैसे काम करता है शेयर बाजार

मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.

शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.

निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?

इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.

इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.

Stock Market Outlook: लड़खड़ाकर गिरेगा बाजार या अब आएगी तेजी? पैसा लगाने से पहले आपके लिए जानना बेहद जरूरी

Stock Market Outlook: अगर हम पिछले 20 वर्षों के आंकड़े देखें, तो 2008 और 2020 के इवेंट बेस्ड मार्केट क्रैश (Market Crash) के अलावा अन्य गिरावट के मौकों पर निफ्टी में गिरावट का जब शेयर मार्केट गिरता है स्तर 25 फीसद के करीब रहा है। इस ऐतिहासिक आंकड़ों के अनुसार, बाजार में अभी गिरावट की और गुंजाइश है। इसके अलावा, एसएंडपी 500 (S&P 500) निफ्टी से भी अधिक टूटा है।

Stock Market Outlook

जानिए अगले हफ्ते कैसा रहेगा शेयर बाजार


इस हफ्ते के बड़े इवेंट
इस सप्ताह के दौरान भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) सुर्खियों में थी, जो 7.79% के साथ 8 साल के उच्च स्तर पर आ गई। यह पिछले महीने के आंकड़े 6.95% से काफी अधिक थी। आरबीआई ने Q1FY23 मुद्रास्फीति को 6.3% पर अनुमानित किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से आगामी जून एमपीसी बैठक में संशोधन होगा। इस मुद्रास्फीति को देखते हुए, रेपो दर में काफी वृद्धि की गुंजाइश है।

1.5 से 2 फीसद तक बढ़ सकती हैं ब्याज दरें

आरबीआई ने पहले ही एक आश्चर्यजनक घोषणा में रेपो दरों (Repo Rates) में 40 बीपीएस की बढ़ोतरी की है और यह भी संकेत दिया है कि वे रेपो दर को पूर्व-कोविड स्तरों पर वापस लाने का इरादा रखते हैं। यह संकेत देता है कि लगभग 75 बीपीएस की एक और बढ़ोतरी तय है। इसके अलावा, यूएस फेड (US Fed) सहित अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने प्रमुख ब्याज दर में लगभग 2% से 2.5% की वृद्धि का संकेत दिया है। इसलिए समानता के लिए, हमारे रेपो को 6% -6.5% के बीच कहीं होना चाहिए। इस प्रकार अगले 12 से 18 महीनों में लगभग 150-200 बीपीएस की अतिरिक्त दर वृद्धि की आवश्यकता है। इसलिए जून की बैठक में रेपो में न्यूनतम 25 बीपीएस की बढ़ोतरी की जाएगी।

टेक्निकल आउटलुक

निफ्टी-50 इस सप्ताह जोरदार गिरावट के साथ बंद हुआ और भारतीय बाजार के साथ ही प्रमुख वैश्विक सूचकांक शॉर्ट टर्म में ओवरसोल्ड (Oversold) हो गए। निफ्टी वर्तमान में 15,700 के मजबूत सपोर्ट जोन (Support Zone) के आसपास ट्रेड कर रहा है, जो नीचे की ओर झुके हुए चैनल का निचला सिरा है। बैंक निफ्टी इंडेक्स (Bank Nifty index) भी मार्च 2020 के निचले स्तर से बढ़ते ट्रेंड लाइन सपोर्ट के आसपास ट्रेड कर रहा है। इसलिए निफ्टी और बैंक निफ्टी में तत्काल उछाल से इंकार नहीं किया जा सकता है। अत्यधिक आक्रामक ट्रेडर्स 15,700 के ठीक नीचे एक सख्त स्टॉप लॉस (Stop Loss) बनाए रखते हुए लॉन्ग पोजीशन ले सकते हैं। निफ्टी के लिए तत्काल प्रतिरोध अब 16,600 पर रखा गया है।

इस सप्ताह के लिए उम्मीदें

नतीजों का सीजन (Quarterly Results) अपने आखिरी चरण के करीब है, इसलिए दलाल स्ट्रीट अपनी दिशा निर्धारित करने के लिए वैश्विक संकेतों पर ध्यान केंद्रित करेगा। भारत में, WPI के आंकड़े जारी होने की उम्मीद है और बहुप्रतीक्षित LIC IPO को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जाएगा। मौजूदा बाजार परिदृश्य को देखते हुए, यह संभावना है कि एलआईसी डिस्काउंट पर या अपने ऊपरी बैंड के करीब लिस्ट हो। इसके अलावा, अगर अगले सप्ताह कोई सकारात्मक उत्प्रेरक नहीं होता है, तो सूचकांक के दबाव में रहने का अनुमान है, क्योंकि बाजारों ने 'सेल ऑन राइज' मानसिकता को अपनाया है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे साइडलाइन रहें, क्योंकि ऐसे कठिन समय में नीचे मछली पकड़ने के बजाय तूफान खत्म होने का इंतजार करना बेहतर होता है।

गिरते हुए शेयर बाजार के दौरान इन 5 बातों को याद रखें

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स्टॉक मार्केट दुनिया में सबसे गतिशील चीज है और सदियों से नाटकीय रूप से बदले हैं. हालांकि, अंतर्निहित यांत्रिकी और बुनियादी निवेश दर्शनशास्त्र समय की परीक्षा में खड़े हैं. लोकप्रिय पीटर लिंच ने कहा, “जानें कि आप क्या हैं, और जानें कि आप इसके स्वामी क्यों हैं.” जब आपका निवेश वर्तमान में नीचे आता है तो यह उद्धरण सबसे उपयोगी होता है. यहां उन 5 चीजों के बारे में बताया जा रहा है जिसे आपको याद रखना चाहिए जब शेयर बाजार गिर रहा हो:

शेयर बाजार और व्यापार एक चीज़ नहीं है

क्या जीवन में कुछ भी रिश्ता, व्यापार या नौकरी है जो 100 फीसदी हो जैसा कि आप चाहते हैं? मैं तुम्हारे बारे में नहीं जानता, लेकिन मुझे यकीन है कि ऐसा नहीं है. प्रगति कभी एक समान रेखा नहीं होती है क्योंकि रास्ते में कई हिचकी, पस्टॉप, विपत्तियां और जीत आती हैं. यह निवेश सहित सभी चीजों के लिए सच है. कई नौसिखिए निवेशक उम्मीद करते हैं कि बाजार एक ही दिशा में आगे बढ़ेगा और वे पैसे कमाएंगे. यह मानसिकता आपको कल्पना के किसी भी हिस्से से अमीर नहीं बनाती है. इसलिए, आपको इस तथ्य को मान लेना चाहिए कि आपके स्टॉक हमेशा उतार-चढ़ाव करेंगे और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप इससे जब शेयर मार्केट गिरता है निपटने के लिए क्या कर रहे हैं.

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बीज को फल बनने में वक्त लगता है

जब कभी आप कोई स्टॉक खरीदते हैं आप उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाते हैं. जिस कीमत पर आप इसे लगभग हमेशा खरीदते हैं, वह कमाई, परिसंपत्तियों का मूल्यांकन आदि जैसी अंतर्निहित वास्तविकताओं को दर्शाता है. इसलिए, स्टॉक खरीदने का आपका निर्णय जब शेयर मार्केट गिरता है उम्मीद के साथ है कि भविष्य में कंपनी का कारोबार बढ़ने जा रहा है और नतीजतन, स्टॉक की कीमत काफी बढ़ जाएगी. यह वैसा ही है जब आप जब शेयर मार्केट गिरता है एक बीज लगाने और उस पौधे के बड़े होने का इंतजार करते हैं फिर एक पेड़ और अंततः फल देता है. सिर्फ इसलिए कि बाजार थोड़ा नीचे चला जाता है, इसका मतलब यह नहीं है कि उम्मीद बदलनी चाहिए.

गिरने का मतलब खत्म होना नहीं होता

स्टॉक की कीमतें कई कारणों से नीचे जा सकती हैं जो आंतरिक (ऋण, कोई वृद्धि, विकास, उत्पाद विफलताओं, खराब रणनीति इत्यादि), बाहरी (मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें, ऋणात्मक धन प्रवाह, समाचार, मुद्रा में गिरावट इत्यादि) हो सकती हैं या फिर दोनों के संयोजन के कारण. सिर्फ इसलिए कि अस्थायी हेडविंड हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि कंपनी बंद हो जाएगी या दिवालिया हो जाएगी. आपके द्वारा जब शेयर मार्केट गिरता है निवेश की जाने वाली कंपनियों की वित्तीय स्थिति से अवगत होना महत्वपूर्ण है ताकि आप अपने दिमाग में संदेह को न पालें. निकट अवधि के झटके को दीर्घकालिक आपदाओं के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. जिस तरह से कंपनी ऐसी विपत्तियों से निपटती है, वह भविष्य की ताकत का निर्धारण करेगी.

भावनाओं से नहीं तर्क से सोचें

अनगिनत निवेशक हैं जो अपने द्वारा निवेश किए जाने वाले शेयरों के बारे में विस्तृत और विस्तृत शोध करते हैं. वे रातभर जागकर कंपनी के मामलों के बारे में सभी संभावित विवरण प्राप्त करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही निर्णय ले रहे हैं. लेकिन जब शेयर बाजार नीचे जाते हैं, तो जब शेयर मार्केट गिरता है वे वास्तव में डर जाएंगे और अपने सभी सावधानीपूर्वक शोध किए गए निवेशों को बेचना शुरू कर देंगे. क्यों?

हालांकि वे जानते हैं कि कंपनी की संभावनाएं अच्छी हैं, वे अनिश्चितता के विचार को संभाल नहीं सकते हैं. लेकिन इसके बारे में सोचने के लिए, कुछ हद तक सब कुछ अनिश्चित है, यह सिर्फ इतना है कि शेयर बाजार दिन के हर पल के दौरान संख्याओं में इसे मापते हैं. निवेश करते समय भावनात्मक रूप से सुस्त होना महत्वपूर्ण है, अगर आप इसे संभाल नहीं सकते हैं, तो ऐसा न करें. यदि आप कर सकते हैं, तो याद रखें कि अनगिनत धन आपका होगा.

धैर्य बनाएं रखें

सबसे अच्छे और सबसे धैर्यवान निवेशक बाजार के नीचे होने पर तूफान का अधिकतम लाभ उठाएंगे और इस तरह तूफान का सामना करने में सक्षम होंगे. यह या तो धैर्यपूर्वक इंतजार करके, अधिक निवेश और अपनी लागत का औसत करके पूरा किया जा सकता है या आय उत्पन्न करने के लिए विकल्प रणनीतियों को शामिल करके और इस प्रकार आगे के नुकसान के खिलाफ खुद को तैयार किया जा सकता है. हर किसी के पास विपदा से निपटने का साहस नहीं होता है. वॉरेन बफे कहते हैं, “जब समुद्र की लहरें तेज़ होती हैं तब आप जानते हैं कि कौन नंगा नहा रहा है.” लहर के साथ सवारी करना आसान है, लेकिन इसका सामना करना मुश्किल है, जो दूर तैर सकता है.

इसके लेखक तेजस खोडे, FYERS के फाउंडर और सीईओ हैं.

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