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रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार

रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार
कैसे संभलती है स्थिति?

इन सवाल-जवाब में रुपए के कमजोर होने से जुड़ा वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं

डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य मुद्रा का मूल्य घटे तो इसे उस मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रीशिएशन। ऐसा ही कुछ तीन दिन पहले रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार 28 जून को रुपए के साथ हुआ है। डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा अब तक के सबसे निचले स्तर पर रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार जा पहुंची। एक डॉलर का मूल्य 69.10 रुपए हो गया। पहली बार डॉलर का रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार भाव 69 रुपए से अधिक हुआ। वैसे, रुपए ने इससे पहले अपना सबसे निचला स्तर नवंबर 2016 में देखा था। तब डॉलर के मुकाबले रुपए का मूल्य 68.80 हो गया था।

आखिर कौन तय करता है रुपए का मूल्य?
हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा की चाल तय होती है। अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर है तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं, जिसे भारत ने 1975 से अपनाया है।

लगातार कमजोर हो रहे रुपए के बीच विदेशी मुद्रा भंडार घटा, दो वर्षों के न्यूनतम स्तर पर

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रुपये की कीमत तेज़ी से गिर रही है, इसी वजह से 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर दो साल के निचले स्तर 528.367 अरब डॉलर पर आ गया, जो पिछले सप्ताह की तुलना में 4.5 अरब डॉलर कम है।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार पिछले सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 532.868 बिलियन अमरीकी डालर था।

केंद्रीय बैंक के अनुसार भारत की विदेशी मुद्रा रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार संपत्ति (फॉरेन करेंसी असेट्स) जो कि विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है, बीते सप्ताह के दौरान 2.828 बिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 468.668 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया है।

RBI बैठक और विधानसभा चुनाव नतीजों पर रहेगी बाजार की नजर

RBI, 04 दिसंबर (वार्ता): अमेरिकी फेड रिजर्व के ब्याज दर में बढ़ोतरी की गति धीमी रखने के संकेत और चीन में विरोध के बाद कोविड प्रतिबंधों में ढील दिये जाने की उम्मीद में 63 हजार अंक के नये शिखर पर पहुंचा घरेलू शेयर बाजार मुनाफावसूली का शिकार होने के बावजूद बीते सप्ताह 0.92 प्रतिशत की तेजी हासिल करने में कामयाब रहा और अगले सप्ताह रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा के साथ ही विधानसभा चुनाव के नतीजों पर उसकी नजर रहेगी।

बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 574.86 अंक यानी 0.92 प्रतिशत की तेजी लेकर सप्ताहांत पर रुपये का मूल्य और विदेशी मुद्रा भंडार 62868.50 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 183.35 अंक अर्थात 0.99 प्रतिशत की छलांग लगाकर 18696.10 अंक पर रहा। समीक्षाधीन सप्ताह बीएसई की दिग्गज कंपनियों से कहीं अधिक मझौली और छोटी कंपनियों में तेजी रही, जिससे बाजार को बल मिला।

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