बाज़ार बेचना

मारुति सुज़ुकी भारत के मार्केटिंग और सेल्स के सीनियर एग्ज़ेक्यूटिव डायरेक्टर शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ हमारे लिए ग्रामीण क्षेत्र में 50 लाख यूनिट्स के सेल्स आंकड़े तक पहुंचना बड़े ही गर्व की बात है। ग्रामीण बाज़ार हमारे बिज़नेस का एक प्रमुख केंद्र है। इसे देखते हुए हमने ‘गो लोकल’ सिद्धांत के साथ 12,500 ट्रेन्ड व अनुभवी आरडीएसई को तैयार किया है, जिससें ग्रामीण क्षेत्रों की मांग व ज़रूरतों को जाना जा सके। इसके अलावा हमारी कंपनी ‘हर घर में मारुति’ का लक्ष्य भी लेकर चल रही बाज़ार बेचना है।’’
दुःख का अधिकार - यशपाल
व्यक्ति के सुख-दुःख में समाज नकारात्मक भूमिका अपनाता है। वह व्यक्ति के दुःख को भली-भाँति समझने की बजाय उसे पीड़ा पहुँचाने का काम करता है। वह दुश्मनों जैसा व्यवहार करता है। एक बिलखती हुई स्त्री का दुःख पूछने की बजाय उसे तरह-तरह के व्यंग्य बाणों से घायल किया जाता है। उस पर ताने कसे जाते हैं। उसके साथ अन्याय पूर्ण व्यवहार किया बाज़ार बेचना जाता है। ऐसा व्यवहार कोई शत्रु ही कर सकता है। इसलिए हम कह सकते है कि इस संदर्भ में समाज की भूमिका नकारात्मक होती है।
(क) पाठ-दुःख का अधिकार, लेखक-यशपाल।
(ख) बुढ़िया की स्थिति से अनजान लोगों ने उसे पत्थर दिल कहा। लोगों को इतना ही पता था कि एक दिन पहले बुढ़िया का जवान बेटा मरा है। और अगले दिन वह खरबूजे बेचने आ गई है। उसे लागों ने कठोर माँ समझा। परन्तु वे उसकी मज़बूरी न समझ सके। बुढ़िया इसलिए रो रही थी क्योंकि उसका जवान बेटा मर गया था।
(ग) संभ्रात महिला पुत्र-शोक से मूर्च्छित हो गई। उसे पन्द्रह-पन्द्रह मिनट बाद मूर्छा आ जाती थी। इस प्रकार पुत्र वियोग बाज़ार बेचना के कारण उसने ढाई मास पलंग पर बिता दिए।
(घ) संभ्रांत महिला के दुःख को कम करने के लिए अनेक डॉक्टर बुलाए गए। दो-दो डॉक्टर हमेशा उसके सिरहाने बैठे रहते थे। उसके सिर पर हमेशा बर्फ रखी जा रही थी। इस प्रकार उसे प्रयत्न करके सँभाला जा रहा था।
(ङ) लेखक ने समाज के प्रत्येक दुखी व्यक्ति को अपना दुःख मनाने का अवसर देने की माँग की है। इस प्रकार शौक मनाने की सुविधा मिलने से उसके मन पर पड़ा दुःख का भार कम हो जाएगा। जैसे रोने से मन हल्का हो जाता है वैसे ही शोक मनाने से दुःख दूर हो जाता है।
बाज़ार बेचना
बाज़ार ऐसी जगह को कहते हैं जहाँ पर किसी भी चीज़ का व्यापार होता है। आम बाज़ार और ख़ास चीज़ों के बाज़ार दोनों तरह के बाज़ार अस्तित्व में हैं। बाज़ार में कई बेचने वाले एक जगह पर होतें हैं ताकि जो उन चीज़ों को खरीदना चाहें वे उन्हें आसानी से ढूँढ सकें। बाजार जहां पर वस्तुओं और सेवाओं का क्रय व विक्रय होता है उसे बाजार कहते हैं .
सामान्यतः बाजार का अर्थ उस स्थान से लगाया जाता है, जहाँ भौतिक रूप से उपस्थित क्रेताओं द्वारा वस्तुओं को खरीदा तथा बेचा जाता है| उदाहरण के लिए: सर्राफा बाजार में बाज़ार बेचना सोने-चाँदी का क्रय-विक्रय होता है,अनाज मण्डी में खाद्धान्नों का क्रय-विक्रय होता है तथा वस्त्र बाजार में वस्त्रों का क्रय-विक्रय होता है| अर्थशास्त्र के अंतर्गत बाजार शब्द से अभिप्राय उस समस्त छेत्र से है, जहाँ किसी वस्तु के क्रेता-विक्रेता आपस में स्वतन्त्रतापूर्वक प्रतिस्पर्द्धा करते है.
मारुति सुज़ुकी ग्रामीण बाज़ार में 50 लाख यूनिट्स बेचने में रही कामयाब
मारुति सुज़ुकी ‘गो लोकल’ सिद्धांत के तहत ग्रामीण बाज़ार में 50 लाख यूनिट्स सेल्स करने की ख़ुशियां मना रहा है। देश के ग्रामीण क्षेत्र में मारुति सुज़ुकी के 1,700 शोरूम्स उपलब्ध है, जिससे मौजूदा समय में कंपनी की कुल बिक्री में क़रीब 40 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण बाज़ार का है।
ग्रामीण बाज़ार को बेहतर करने के लिए कंपनी ने ‘हर घर में मारुति’ के लक्ष्य को लेकर कई योजनाएं तैयार की हैं। इसके अंतर्गत ग्रामीण नेटवर्क का विस्तार कर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीण ग्राहकों के लिए शोरूम स्थापित करना, स्थानीय ग्राहकों व मार्केट को समझने के लिए 12,500 ट्रेन्ड व अनुभवी रेजिडेंट डीलर सेल्स एग्ज़ेक्यूटिव (आरडीएसई) को तैनात करना और बाज़ार बेचना ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण महोत्सव, मनोरंजन, कॉम्पिटिशन, नए मॉडल की जानकारी, बाज़ार बेचना प्रॉडक्ट को डिस्प्ले करने के अलावा कई तरह के सांस्कृतिक अभियान का आयोजन इस उपलब्धी का मुख्य कारण है।
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बाजार में बेचने को मास्क, चेहरे खुले हुए
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : अनलॉक-4 में सबसे अधिक छूट बाजारों को मिली है और शहर के बाजार खोलते हुए सभी दुकानदारों ने मास्क व सैनिटाइजर का उपयोग करने का आश्वासन प्रशासनिक अधिकारियों को दिया था, लेकिन आश्वासन सिर्फ देने तक ही बनकर रह गया। जब जागरण टीम ने शहर के मुख्य बाजार के विभिन्न स्थानों व दुकानों पर जाकर धरातल पर रिपोर्ट जानी तो तस्वीर कुछ ओर मिली। बाजार में मात्र 40 फीसदी ही लोग मास्क व कोविड-19 की नियमों की पालना करते मिले। इनमें से भी जो मास्क लगा रहे हैं। वे शारीरिक दूरी का पालना नहीं कर पा रहे हैं। वहीं अधिकतर लोग लापरवाही दिखाते हुए ना तो मास्क और ना ही शारीरिक दूरी दोनों में से किसी को भी नहीं अपना रहे हैं।