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चलती औसत तुलना

चलती औसत तुलना

चीन में औसत आयु क्या है

चीन 1 से अधिक की आबादी वाला एक विशाल देश है. 4 अरब लोग. इस प्रकार, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन में औसत आयु अपेक्षाकृत कम है. विश्व बैंक के अनुसार, चीनी जनसंख्या की औसत आयु 37 वर्ष है. 4 साल का. इसका मतलब है कि आधी आबादी 37 साल से कम उम्र की है. 4 साल पुराना है, और दूसरा आधा पुराना है.

यह वैश्विक आबादी की औसत आयु से काफी कम है, जो लगभग 30 होने का अनुमान है. 5 वर्षीय. यह इस तथ्य के कारण है कि अधिकांश अन्य देशों की तुलना में चीन में प्रजनन दर बहुत अधिक है. वास्तव में, चीन में प्रजनन दर 1 होने का चलती औसत तुलना अनुमान है. प्रति महिला 6 बच्चे, जो वैश्विक औसत 2 से बहुत अधिक है. प्रति महिला 5 बच्चे.

चीन में औसत आयु भी इसकी उम्र बढ़ने वाली आबादी से प्रभावित होती है. चीन दुनिया के सबसे तेजी से उम्र बढ़ने वाले देशों में से एक है, जहां 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या 2050 तक लगभग 300 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।. यह कारकों के संयोजन के कारण है, जिसमें देश की एक-बाल नीति भी शामिल है, जो 1979 से 2015 तक प्रभावी थी।.

कुल मिलाकर, वैश्विक चलती औसत तुलना औसत की तुलना में चीन में औसत आयु अपेक्षाकृत कम है. हालांकि, आने वाले वर्षों में उम्र बढ़ने वाली आबादी का देश की जनसांख्यिकी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है

वृद्ध होना. आधुनिक इतिहास में पहली बार चीन की औसत आयु (38. 4 वर्ष) ने 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ दिया

हम देश के आक्रामक जनसंख्या नियंत्रण उपायों के प्रभाव को देखना शुरू कर रहे हैं, जो उन्होंने 1949 में चीन के गृह युद्ध की समाप्ति के बाद से आबादी के लिए आर्थिक कठिनाइयों को कम करने के लिए लगाए थे जो लगभग दोगुनी हो गई थी।. सबसे विशेष रूप से, सरकार ने एक-बच्चा नीति लागू की जो 2016 तक चली

ऐसा प्रतीत होता है कि चीन की 2020 की जनगणना के परिणामों ने बीजिंग की प्रजनन रणनीतियों को नाटकीय रूप से बदल दिया है. एक बच्चे की नीति, जिसे 2016 में दो बच्चों की नीति में संशोधित किया गया था, को फिर से तीन बच्चों की नीति में संशोधित किया गया, इस तथ्य के बावजूद कि चीन की कुल प्रजनन दर 1 है. 3, लगभग 2 की प्रतिस्थापन दर से काफी नीचे है. प्रति परिवार 1 बच्चा. माता-पिता पर वित्तीय दबाव को कम करने के प्रयास में चीन ने सरकारी कार्रवाई भी की जिसने अनिवार्य रूप से अपने निजी शिक्षण उद्योग को समाप्त कर दिया. कई प्रांतों ने मातृत्व अवकाश बढ़ाया है और नए माता-पिता को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया है, लेकिन कई नियोक्ता महिलाओं के साथ उनकी मातृ स्थिति के आधार पर भेदभाव करना जारी रखते हैं।

कई पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि नवीनतम कदम चीन के प्रजनन संकट के अंतर्निहित कारणों को दूर करने में विफल रहे हैं, जिसमें उच्च जीवन लागत, अस्थिर पेंशन के साथ एक सेवानिवृत्त आबादी की देखभाल की मांग, एक तेजी से प्रतिस्पर्धी कार्यबल और कार्यबल में लैंगिक असमानता शामिल है।. विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में चीन वर्तमान में 156 देशों में से 107वें स्थान पर है।

1950 से 2100 तक चीन की जनसंख्या औसत आयु

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, चीन की जनसंख्या की औसत आयु 1970 के बाद से लगातार बढ़ी है, जो 1970 में लगभग 20 वर्ष से 2020 में लगभग 37 वर्ष हो गई है।. इक्कीसवीं सदी के मध्य में औसत आयु 50 वर्ष होने पर बढ़ती प्रवृत्ति धीमी हो जाएगी, और 2100 तक लगभग 57 वर्ष रहेगी

चीन की बढ़ती आबादी

हालाँकि चीन की जनसंख्या की औसत आयु जापान जैसे कई विकसित देशों की तुलना में कम है, लेकिन तेजी से बढ़ती आबादी के परिणाम पहले से ही देश के भविष्य के लिए चिंता का विषय बन गए हैं।. दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में, चीन की बड़ी श्रम शक्ति ने हाल के दशकों में देश की आश्चर्यजनक आर्थिक वृद्धि में योगदान दिया है।. हालाँकि, उम्र बढ़ने वाली आबादी चीन की सामाजिक कल्याण प्रणाली पर बोझ बन रही है और देश की आर्थिक स्थिति को बदल सकती है

उम्र बढ़ने वाली आबादी के कारण

कई अन्य देशों की तरह, बढ़ती जीवन प्रत्याशा को जनसंख्या की उम्र बढ़ने का प्राथमिक कारण माना जाता है; . इसके अलावा, एक-बच्चा नीति के परिणामस्वरूप चीन में प्रजनन दर कम हो गई, जिससे समाज में वृद्ध लोगों की हिस्सेदारी बढ़ गई. भले ही 2016 में एक-बच्चा नीति को निरस्त कर दिया गया था, कई युवा बच्चे पैदा करने में देरी कर रहे हैं, बच्चे की परवरिश की उच्च लागत, करियर के दबाव और स्वतंत्रता की खोज के कारण

IND vs NZ 2nd ODI: टीम इंडिया के लिए दूसरा वनडे 'करो या मरो' का मुकाबला, जानिए सभी जरूरी बातें

India vs New Zealand 2nd ODI Match Preview: भारत और मेजबान न्यूजीलैंड के बीच रविवार को तीन मैचों की वनडे सीरीज का दूसरा मुकाबला हैमिल्टन में खेला जाएगा। मैच भारतीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू होगा। न्यूजीलैंड ने फिलहाल सीरीज में 1-0 की बढ़त बना रखी है। भारत को पहले वनडे में 7 विकेट से हार मिली थी।

Updated Nov 26, 2022 | 02:02 PM IST

शिखर धवन और केन विलियमसन

हैमिल्टन: भारतीय टीम जब रविवार को यहां ‘करो या मरो’ के दूसरे एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड से भिड़ेगी तो उम्मीद करेगी कि कप्तान शिखर धवन और युवा शुभमन गिल ‘पावरप्ले’ ओवरों में बेहतर रवैया अपनायें। सेडोन पार्क तीनों ओर से खुला मैदान है लेकिन न्यूजीलैंड में बल्लेबाजों के लिये सबसे मददगार मैदानों में से एक के रूप में चलती औसत तुलना मशहूर है जिसमें बल्लेबाजों को अपने शॉट के लिये उचित रन मिलेंगे।

पहले वनडे में धवन (77 गेंद में 72 रन) और गिल (65 गेंद में 50 रन) ने पहले विकेट के चलती औसत तुलना लिये 123 रन की भागीदारी निभायी थी लेकिन ईडन पार्क जैसे छोटे मैदान पर सात विकेट पर 306 रन का स्कोर कम से कम 40 रन से कम रहा। गेंदबाजों ने महज 47 ओवर में ये रन गंवा दिये जिससे जिम्मेदारी मुख्य बल्लेबाजों पर ही आ जाती है क्योंकि अगर वाशिंगटन सुंदर ने शानदार योगदान नहीं दिया होता तो भारत 300 रन के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाता।

यह काफी हद तक पहले 10 पावरप्ले ओवरों में भारतीय सलामी बल्लेबाजों के सतर्कता भरे दृष्टिकोण की बदौलत ही हुआ जिसमें जरूरत के मुताबिक रन नहीं बने। मोईन अली ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि जो टीमें पहले सफेद गेंद के क्रिकेट में आस्ट्रेलिया के तरीके को अपनाती थीं अब वे इंग्लैंड की ओर देखने लगी हैं जिसने हाल के दिनों में इस प्रारूप में शानदार प्रदर्शन किया है। भारतीय टीम इसी में पिछड़ रही है और ऑकलैंड में टीम पहले पावरप्ले ओवर में कम से कम 40 रन से पिछड़ी।

पहले वनडे में हार के बाद धवन ने बताया कब और कहां फिसला टीम इंडिया के हाथ से मैच?

19 5 23

19 चौके, 5 छक्के, लाजवाब पारीः टॉम लाथम ने 23 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा, भारतीय गेंदबाजों को किया बेहाल

एक और आंकड़े से भारतीय शीर्ष क्रम बल्लेबाजों के सीमित ओवर के प्रारूप में रवैये का पता चलता है (इसमें सिर्फ रोहित शर्मा, केएल राहुल या विराट कोहली ही शामिल नहीं हैं)। धवन ने 77 गेंद में 72 रन बनाये जिसमें 13 चौके जड़े थे। जिससे उन्होंने 13 गेंदों में चौकों से 52 रन जोड़े। जबकि बचे हुए 20 रन के लिये उन्होंने 64 गेंद खेली और इसमें से 44 ‘डॉट’ गेंद रहीं क्योंकि वह पावरप्ले में रन नहीं बना पा रहे थे। जहां कप्तान एक ओर जूझ रहा था, वहीं गिल ने एक और अर्धशतक जड़कर अपने कुल औसत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन उनकी पारी की रफ्तार भी बहस का विषय है।

उन्होंने 65 गेंद में 50 रन बनाये जिसमें तीन छक्के और एक चौका जड़ा था। मतलब चार गेंद में 22 रन बने। उन्होंने बाकी के 28 रन 61 गेंद खेलकर बनाये।

पारी की नींव तैयार करने और तेजी से रन जुटाने का काम अंत की ओर छोड़ने के इसी रवैये से भारत ने टी20 विश्व कप गंवा दिया लेकिन हैरानी की बात है कि इस श्रृंखला के लिये वनडे में खिलाड़ियों के बदलने के बावजूद बल्लेबाजी दृष्टिकोण वही पुराना वाला बना हुआ है।

IND vs NZ

IND vs NZ: कंसिस्टेंसी का दूसरा नाम श्रेयस अय्यर, वनडे में जारी है बल्ले का धमाल

Shikhar Dhawan IND vs NZ

Shikhar Dhawan, IND vs NZ: शिखर धवन की शानदार कप्तानी पारी, एक खास रिकॉर्ड भी बनाया

पारी का आगाज करने के लिये इतने सारे खिलाड़ी मशक्कत कर रहे हैं तो यह निहायत ही जरूरी है कि खिलाड़ी तेजी से रन जुटाये ताकि 50 ओवर के विश्व कप से तीन या चार महीने पहले नये चयनकर्ता पूल की 20 के करीब छंटनी करें तो रन की संख्या की अनदेखी नहीं की जा सकती। धवन निश्चित रूप से अगले महीने बांग्लादेश में रोहित के साथ पारी का आगाज करेंगे और कोई गारंटी नहीं है कि शुभमन अंतिम एकादश में अपना स्थान बरकरार रख पायेंगे क्योंकि रोहित सलामी बल्लेबाज के तौर पर वापसी करेंगे। केएल राहुल मध्यक्रम में सूर्यकुमार यादव (अगली श्रृंखला के लिये आराम दिये जाने पर) का स्थान ले सकते हैं।

टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की तुलना में वनडे में ऋषभ पंत का स्ट्राइक रेट और औसत काफी बेहतर है लेकिन इस श्रृंखला के उप कप्तान को और अधिक निरंतर रहने की जरूरत है ताकि विकेटकीपिंग के लिये संजू सैमसन और ईशान किशन से आगे रह सकें जो निश्चित रूप से उनके करीब हैं। ईडन पार्क की पिच पर भारतीय तेज गेंदबाजों ने काफी कम गेंदबाजी की है। उन्हें टॉम लैथम और केन विलियमसन से मुकाबला करने के लिये तरीका ढूंढने की जरूरत है। ये दोनों खिलाड़ी इस प्रारूप में भारत के खिलाफ काफी निरंतर रहे हैं।

उमरान मलिक 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने में प्रभावी रहे, अर्शदीप सिंह स्विंग हासिल करने की काबिलियत के बावजूद जूझते दिखे और शारदुल ठाकुर भी अच्छा नहीं कर पाये। टॉस भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा क्योंकि सेडोन पार्क पर शाम होते चलती औसत तुलना होते बल्लेबाजी करना आसान हो जाता है।

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टिम साउदी ने सूर्यकुमार को बताया भारत का सर्वश्रेष्ठ टी20 प्लेयर बनने का फॉर्मूला

अगर किसी को बुरा भी लगे, तब भी मैं. वनडे सीरीज से पहले कप्तान शिखर धवन ने दिया बेबाक बयान

अगर भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा करती है तो उनके लिये अच्छा होगा क्योंकि स्पिनरों को शाम में ओस की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

दोनों टीमें इस प्रकार हैं

भारत: शिखर धवन (कप्तान), शुभमन गिल, सूर्यकुमार यादव, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), संजू सैमसन (विकेटकीपर), दीपक हुड्डा, शाहबाज अहमद, वाशिंगटन सुंदर, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, दीपक चाहर, अर्शदीप सिंह, शार्दुल ठाकुर और उमरान मलिक।

न्यूजीलैंड: केन विलियमसन (कप्तान), फिन एलेन, डेविन कॉनवे, टॉम लाथम, डेरिल मिचेल, ग्लेन फिलिप्स, माइकल ब्रेसवेल, टिम साउदी, मैट हेनरी, एडम मिल्ने, जिमी नीशम, मिचेल सेंटनर और लॉकी फॉर्ग्यूसन।

India vs America: भारत से कितना महंगा है अमेरिका में रहना, समझिए रोटी, कपड़ा और मकान का खर्च

India vs America: भारत से कितना महंगा है अमेरिका में रहना, समझिए रोटी, कपड़ा और मकान का खर्च

डीएनए हिंदी: भारत के नागरिक अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बसने के नाम पर अमेरिका को काफी तरजीह देते हैं. पढ़ाई-लिखाई के लिए भी अमेरिका भारतीयों की पहली पसंद है. यही वजह है कि हर साल लाखों भारतीय अमेरिका जाते हैं. इनमें से बहुत सारे लोग अमेरिका में ही बस जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि रहने और नौकरी के लिहाज से भारत और अमेरिका में से कौन सा देश ज़्यादा महंगा या सस्ता है? यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अमेरिका में डॉलर चलता है और भारत में रुपया. फिलहाल, एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से भी ज़्यादा है.

बीते कई महीनों से अमेरिका समेत दुनिया के कई देश महंगाई और मंदी की दोहरी मार से जूझ रहे हैं. भारत भी इससे बच नहीं सका है. भारत में भी डीजल-पेट्रोल की कीमतें बीते कई सालों की तुलना में सबसे ज़्यादा हैं. इसके बावजूद, भारत, अमेरिका जैसे देशों की तुलना में रहने, खाने-पीने और जीवन जीने के लिए काफी सस्ता देश है. आइए आंकड़ों से समझते हैं.

खाना-पीना सस्ता या महंगा?
भारत में एक किलो चावल की औसत कीमत 31.38 रुपये है जबकि अमेरिका में इसी के लिए आपको 294.68 रुपये चुकाने पड़ते हैं. भारत में एक कप कैपुचीनो कॉफी के लिए औसतन 203.15 रुपये खर्च करने पड़ते हैं जबकि अमेरिका में इसी कॉफी के लिए आपको 439.06 रुपये देने पड़ेगे. इन दो चीजों की तुलना से आप समझ सकते हैं कि रुपये में देखा जाए तो खाना-पीना भारत की तुलना में कई गुना महंगा है.

इसके अलावा, भारत में सामान्य तौर पर पानी, बिजली, कूड़े वाला का बिल लगभग 3621 रुपये महीने हो जाता है, जबकि अमेरिका में इसी काम के लिए आपको 13,855 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं. दूसरी तरफ, भारत में गैस का एक गैलन 418.18 रुपये का है जबकि अमेरिका में इसके लिए 398.54 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसकी वजह यह है कि अमेरिका पेट्रोलियम का उत्पादन खुद करता है और भारत को इसका आयात करना पड़ता है.

अन्य चीजों पर कितना खर्च होता है?
भारत में टैक्सी के लिए प्रति किलोमीटर औसतन खर्च 40.23 रुपये है जबकि अमेरिका में यही खर्च 244.56 रुपये है. भारत में मोबाइल टैरिफ का एक मिनट का खर्च 0.93 पैसे और अमेरिका में यही खर्च 8.48 रुपये है. भारत में मूवी टिकट 350 रुपये तो अमेरिका में यही टिकट 1470.42 रुपये है. अमेरिका में बच्चों के स्कूल की पढ़ाई पर हर महीने औसतन दो लाख रुपये का खर्च आता है जबकि भारत में यही खर्च 9,081 रुपये है.

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IND vs NZ: श्रृंखला बचाने के लिये भारतीय बल्लेबाजी को बदलना होगा 'पावरप्ले' में खेलने का रवैया

हैमिल्टन। भारतीय टीम जब रविवार को यहां 'करो या मरो' के दूसरे एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में न्यूजीलैंड से भिड़ेगी तो उम्मीद करेगी कि कप्तान शिखर धवन और युवा शुभमन गिल 'पावरप्ले' ओवरों में बेहतर रवैया अपनायें.

सेडोन पार्क तीनों ओर से खुला मैदान है लेकिन न्यूजीलैंउ में बल्लेबाजों के लिये सबसे मददगार मैदानों में से एक के रूप में मशहूर है जिसमें बल्लेबाजों को अपने शॉट के लिये उचित रन मिलेंगे. पहले वनडे में धवन (77 गेंद में 72 रन) और गिल (65 गेंद में 50 रन) ने पहले विकेट के लिये 123 रन की भागीदारी निभायी थी लेकिन ईडन पार्क जैसे छोटे मैदान पर सात विकेट पर 306 रन का स्कोर कम से कम 40 रन से कम रहा.

गेंदबाजों ने महज 47 ओवर में ये रन गंवा दिये जिससे जिम्मेदारी मुख्य बल्लेबाजों पर ही आ जाती है क्योंकि अगर वाशिंगटन सुंदर ने शानदार योगदान नहीं दिया होता तो भारत 300 रन के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाता. यह काफी हद तक पहले 10 पावरप्ले ओवरों में भारतीय सलामी बल्लेबाजों के सतर्कता भरे दृष्टिकोण की बदौलत ही हुआ जिसमें जरूरत के मुताबिक रन नहीं बने.

मोईन अली ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि जो टीमें पहले सफेद गेंद के क्रिकेट में आस्ट्रेलिया के तरीके को अपनाती थीं अब वे इंग्लैंड की ओर देखने लगी हैं जिसने हाल के दिनों में इस प्रारूप में शानदार प्रदर्शन किया है. भारतीय टीम इसी में पिछड़ रही है और ऑकलैंड में टीम पहले पावरप्ले ओवर में कम से कम 40 रन से पिछड़ी.

एक और आंकड़े से भारतीय शीर्ष क्रम बल्लेबाजों के सीमित ओवर के प्रारूप में रवैये का पता चलता है (इसमें सिर्फ रोहित शर्मा, केएल राहुल या विराट कोहली ही शामिल नहीं हैं). धवन ने 77 गेंद में 72 रन बनाये जिसमें 13 चौके जड़े थे. जिससे उन्होंने 13 गेंदों में चौकों से 52 रन जोड़े. जबकि बचे हुए 20 रन के लिये उन्होंने 64 गेंद खेली और इसमें से 44 'डॉट' गेंद रहीं क्योंकि वह पावरप्ले में रन नहीं बना पा रहे थे.

जहां कप्तान एक ओर जूझ रहा था, वहीं गिल ने एक और अर्धशतक जड़कर अपने कुल औसत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन उनकी पारी की रफ्तार भी बहस का विषय है. उन्होंने 65 गेंद में 50 रन बनाये जिसमें तीन छक्के और एक चौका जड़ा था. मतलब चार गेंद में 22 रन बने. उन्होंने बाकी के 28 रन 61 गेंद खेलकर बनाये. पारी की नींव तैयार करने और तेजी से रन जुटाने का काम अंत की ओर छोड़ने के इसी रवैये से भारत ने टी20 विश्व कप गंवा दिया लेकिन हैरानी की बात है कि इस श्रृंखला के लिये वनडे में खिलाड़ियों के बदलने के बावजूद बल्लेबाजी दृष्टिकोण वही पुराना वाला बना हुआ है.

पारी का आगाज करने के लिये इतने सारे खिलाड़ी मशक्कत कर रहे हैं तो यह निहायत ही जरूरी है कि खिलाड़ी तेजी से रन जुटाये ताकि 50 ओवर के विश्व कप से तीन या चार महीने पहले नये चयनकर्ता पूल की 20 के करीब छंटनी करें तो रन की संख्या की अनदेखी नहीं की जा सकती. धवन निश्चित रूप से अगले महीने बांग्लादेश में रोहित के साथ पारी का आगाज करेंगे और कोई गारंटी नहीं है कि शुभमन अंतिम एकादश में अपना स्थान बरकरार रख पायेंगे क्योंकि रोहित सलामी बल्लेबाज के तौर पर वापसी करेंगे. केएल राहुल मध्यक्रम में सूर्यकुमार यादव (अगली श्रृंखला के लिये आराम दिये जाने पर) का स्थान ले सकते हैं.

टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों की तुलना में वनडे में ऋषभ पंत का स्ट्राइक रेट और औसत काफी बेहतर है लेकिन इस श्रृंखला के उप कप्तान को और अधिक निरंतर रहने की जरूरत है ताकि विकेटकीपिंग के लिये संजू सैमसन और ईशान किशन से आगे रह सकें जो निश्चित रूप से उनके करीब हैं. ईडन पार्क की पिच पर भारतीय तेज गेंदबाजों ने काफी कम गेंदबाजी की है. उन्हें टॉम लैथम और केन विलियमसन से मुकाबला करने के लिये तरीका ढूंढने की जरूरत है. ये दोनों खिलाड़ी इस प्रारूप में भारत के खिलाफ काफी निरंतर रहे हैं.

उमरान मलिक 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने में प्रभावी रहे, अर्शदीप सिंह स्विंग हासिल करने की काबिलियत के बावजूद जूझते दिखे और शारदुल ठाकुर भी अच्छा नहीं कर पाये. टॉस भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा क्योंकि सेडोन पार्क पर शाम होते होते बल्लेबाजी करना आसान हो जाता है. अगर भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा करती है तो उनके लिये अच्छा होगा क्योंकि स्पिनरों को शाम में ओस की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा. देखना होगा कि युजवेंद्र चहल की जगह कुलदीप यादव को आजमाया जाता है या नहीं.

भारत:- शिखर धवन (कप्तान), शुभमन गिल, सूर्यकुमार यादव, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), संजू सैमसन (विकेटकीपर), दीपक हुड्डा, शाहबाज अहमद, वाशिंगटन सुंदर, कुलदीप यादव, युजवेंद्र चहल, दीपक चाहर, अर्शदीप सिंह, शार्दुल ठाकुर और उमरान मलिक.

न्यूजीलैंड:- केन विलियमसन (कप्तान), फिन एलेन, डेविन कॉनवे, टॉम लैथम, डेरिल मिशेल, ग्लेन फिलिप्स, माइकल ब्रेसवेल, टिम साउदी, मैट हेनरी, एडम मिल्ने, जिमी नीशाम, मिशेल सैंटनर और लॉकी फर्ग्यूसन.

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