निवेश क्या है

Retirement Schemes: रिटायरमेंट के बाद भी मिलेंगे हर महीने 50 हजार रुपये, जानें आपके पास क्या हैं Investment ऑप्शन
Retirement Schemes: मौजूदा समय में किसी को भी भरण-पोषण के लिए प्रति माह कम से कम 50,000 रुपये की जरूरत होती है. ऐसे में जरूरी है कि आप सही समय पर निवेश करें. यहां हम आपको कुछ ऐसे निवेश क्या है ही विकल्पों के बारे में बताने जा रहे हैं.
पोस्ट रिटायरमेंट प्लान
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 29 नवंबर 2022,
- (Updated 29 नवंबर 2022, 6:37 PM IST)
हर कोई अपने रिटायरमेंट को लेकर चिंतित रहता है
सही समय पर किया जाना चाहिए निवेश
हर कोई अपने रिटायरमेंट को लेकर चिंतित रहता है. ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर आप इसके बारे में सोचना शुरू कर दें. किसी भी व्यक्ति का पोस्ट रिटायरमेंट वाला समय और उसके कमाई के जीवन का समय बराबर होता है. इसलिए किसी व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी सर्विस की शुरुआत से ही रिटायरमेंट प्लान के बारे में सोचना शुरू कर दें. ताकि बिना ज्यादा तनाव लिए एक पोस्ट रिटायरमेंट अमाउंट इकठ्ठा हो सके. इसलिए, जितनी जल्दी आप रिटायरमेंट के लिए प्लान बनाकर इन्वेस्ट करना शुरू करेंगे, उतना ही बेहतर होगा.
मौजूदा समय की बात करें तो एक व्यक्ति को अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए प्रति माह कम से कम 50,000 रुपये की जरूरत होती है. हालांकि, अगर आप कुछ साल बाद ही रिटायर होने जा रहे हैं, तो हर साल से साथ मासिक आवश्यकता बढ़ती जाएगी. चलिए देखते हैं कि अलग-अलग इन्वेस्टमेंट प्लान के तहत वर्तमान में 50,000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने के लिए आपको क्या करने की जरूरत होगी.
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)
सीनियर सिटीजन के लिए, एफडी रेट वर्तमान में प्रति वर्ष लगभग 7.5 प्रतिशत है. तो, प्रति माह 50,000 रुपये या प्रति वर्ष लगभग 6 लाख रुपये प्राप्त करने के लिए, आपको लगभग 80 लाख रुपये का निवेश करने की जरूरत है.
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) 7.4 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर वाला एक सुरक्षित विकल्प है. लेकिन आप प्रत्येक योजना में केवल 15 लाख रुपये तक ही निवेश कर सकते हैं.
हालांकि, इसमें कुछ रिस्क भी है. जैसे-जैसे एफडी की दरें बदलती रहती हैं, आपको रीइंवेस्टमेंट जोखिमों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि जब आप टेन्योर के आखिर में अपनी एफडी को रिन्यू करते हैं तो दर बदल सकती है.
पेंशन प्लान (Pension Plan)
आईआरडीएआई द्वारा विनियमित बीमा कंपनियां नियमित जीवन भर वार्षिकी योजनाएं प्रदान करती हैं जिनका उपयोग पेंशन योजनाओं के रूप में किया जा सकता है. इसके लिए
एन्युटी ऑप्शन ए के तहत, निवेश क्या है जहां वार्षिकीकर्ता को उसके निधन के बाद निवेश की गई राशि की वापसी के बजाय जीवन भर पेंशन मिलती है. एलआईसी की तत्काल वार्षिकी योजना जीवन अक्षय, वर्तमान वार्षिकी दर के अनुसार, एक 60 साल के व्यक्ति को 51,342 रुपये की मासिक पेंशन पाने के लिए 74,88,766 रुपये का निवेश करने की आवश्यकता होती है.
ऑप्शन एफ के तहत, हालांकि, एक 60 वर्षीय निवेशक को 51,974 रुपये की मासिक पेंशन प्राप्त करने के लिए 1,05,26,315 रुपये का निवेश करने की आवश्यकता होती है.
एलआईसी ऑफ इंडिया प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) योजना का भी वितरण करती है, जो वर्तमान में 15 लाख रुपये की निवेश सीमा के साथ 10 साल के लिए 7.66 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर की पेशकश कर रही है.
म्युचुअल फंड (MF)
इक्विटी और डेट सेगमेंट दोनों के तहत विभिन्न प्रकार की एमएफ योजनाएं उपलब्ध हैं. इक्विटी-ओरिएंटेड एमए स्कीम की तुलना में डेब्ट-ओरिएंटेड स्कीम के लिए रिटर्न की रेट या कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) कम है. इसलिए, रिस्क रिटर्न प्रोफाइल को संतुलित करने के लिए, योजनाओं के पोर्टफोलियो में डेब्ट और इक्विटी दोनों वाली हाइब्रिड या संतुलित योजनाओं का चयन करना बेहतर होगा. ऐसी योजनाओं को बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (BAF) या डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड (DAAF) कहा जाता है, जो आम तौर पर इक्विटी में न्यूनतम 65 प्रतिशत और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेष करते हैं.
इसलिए, प्रति माह 50,000 रुपये या प्रति वर्ष 6 लाख रुपये प्राप्त करने के लिए, आपको एक अच्छी बीएएफ या डीएएएफ योजना में 75 लाख रुपये का निवेश करना होगा.
सबसे अच्छा निवेश क्या है, इन सवालों में छुपा है सही जवाब
हाल ही में एक पारिवारिक कार्यक्रम में दूर के रिश्तेदार ने मुझसे पूछा कि बाजार में उपलब्ध निवेश के विकल्पों में से सबसे अच्छा कौन है? उनका जोर 'सबसे अच्छे' पर था। मैंने निवेश क्या है उनसे पूछा, 'आपने अच्छा सवाल किया है, लेकिन क्या आपके पास पर्याप्त बीमा सुरक्षा है? किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा इंवेस्टमेंट उसके परिवार की आर्थिक सुरक्षा के नजरिए से किया गया निवेश होता है, जो किसी दुर्घटना के वक्त उनके काम आता है। सबसे अच्छा, सबसे ज्यादा फायदेमंद, या फिर सबसे आसान निवेश विकल्प असल में लोगों के भ्रम हैं। लोगों के जेहन में यह सवाल इसलिए उठता है, क्योंकि उन्हें निवेश के विभिन्न मौजूदा विकल्पों की पूरी जानकारी नहीं होती।
अच्छी बात यह है कि बाजार में कई सारे विकल्प मौजूद हैं और उनमें निवेश करना आसान भी है। इसके लिए बस कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर कुछ क्लिक्स या टैप करने की जरूरत होती है। लोगों को केवल इनके बारे में सही जानकारी जुटाने और सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत होती है।
जोखिम उठाने की क्षमता आंकें
इस बात में कोई शक नहीं है कि आर्थिक योजना बनाना और निवेश का सही आवंटन करना मजबूत पोर्टफोलियो तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इस लिहाज से पहले अपने आर्थिक जोखिम क्षमता का आकलन करना चाहिए। इसके नतीजों के आधार पर ही निवेश करना चाहिए। यह प्रक्रिया अपनाकर आप जान पाएंगे कि मजबूत पोर्टफोलियो के लिए किन संपत्तियों/श्रेणियों में निवेश किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए 25 वर्ष की लंबी अवधि के नजरिए से निवेश की इच्छा रखने वाला एक युवा आक्रामक निवेशक की भूमिका अपना सकता है और अपने पोर्टफोलियो में 80 प्रतिशत इक्विटी, 10 प्रतिशत डेट और 10 प्रतिशत कैश रख सकता है।
निवेश की रणनीति
दरअसल, निवेश की रणनीति निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता पर भी निर्भर करती है। निवेशक चार रणनीतियों पर गौर कर सकते हैं:
1. शेयर, बॉन्ड और कैश में संपत्ति का रणनीतिक आवंटन लंबी अवधि के आर्थिक लक्ष्य हासिल करने के लिए किए जाते हैं।
2. टैक्टिकल एसेट एलोकेशन छोटी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए पोर्टफोलियो में इक्विटी के तहत 50-60 प्रतिशत स्मॉलकैप या मिडकैप (छोटी अवधि में मुनाफा पाने) के लिए रखा जा सकता है और शेष हिस्से का निवेश लार्जकैप कंपनियों में किया जा सकता है।
3. डायनेमिक एसेट एलोकेशन ऐसी रणनीति है, जिसके तहत बाजार के बदलते मिजाज के हिसाब से पोर्टफोलियो में एसेट आवंटन को नियमित रूप से संतुलित करते हुए अधिकतम रिटर्न पक्का किया जाता है। कुछ युनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान अनुकूल बाजार में अधिकतम रिटर्न के लिए यह डायनेमिक एसेट एलोकेशन मॉडल अपनाते हैं।
4. अतिरिक्त कैश का निवेश शेयर, रियल एस्टेट, कमोडिटी आदि में किया जा सकता है। जैसे-जैसे बचत बढ़ती जाए, इसे इक्विटी में लगाएं, ताकि लंबी अवधि में महंगाई को मात दिया जा सके। जब आप लक्ष्यों के करीब पहुंचें (जैसेरिटायरमेंट) तो पोर्टफोलियो में से इक्विटी की हिस्सेदारी कम करते हुए निवेश की रकम बॉन्ड्स और फिक्स्ड रिटर्न वाले सुरक्षित प्रोडक्ट में डाल दें।
रिटर्न की गारंटी बड़ा सवाल
निवेशकों को गारंटी, आंशिक गारंटी और बगैर गारंटी वाले रिटर्न के बारे में स्पष्ट जानकारी रखने की जरूरत होती है। मसलन, पीपीएफ और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) प्लान में रिटर्न की गारंटी होती है। एंडॉवमेंट प्लान में रिटर्न की आंशिक गारंटी होती है और म्युचूअल फंड (जो बाजार से जुड़े होते हैं) जैसे प्रोडक्ट में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती। बावजूद इसके निवेश पोर्टफोलियो में हर प्रोडक्ट का अपना उचित स्थान होता है। निवेशकों को अपने लक्ष्य के हिसाब से सही प्रोडक्ट का चयन करना होता है। यहां याद रखना चाहिए कि रिटर्न की गारंटी और मात्रा एक हद तक निवेश की अवधि से जुड़ा हुआ मामला है। फिर भी यदि आपको निश्चित समय में बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पूंजी जुटानी है, तो आप ऐसे प्रोडक्ट पर निर्भर नहीं रहना चाहेंगे जो रिटर्न की गारंटी नहीं देते।
टैक्स योग्य और टैक्स फ्री रिटर्न
निवेशकों के लिए टैक्स योग्य और टैक्स फ्री रिटर्न का अंतर जाननाफायदेमंद होगा। यदि आपकी आय सबसे ऊंची टैक्स श्रेणी में आती है, तो 9 फीसदी का टैक्स योग्य रिटर्न 6 फीसदी वाले टैक्स फ्री रिटर्न से बेहतर नहीं होगा। टैक्स फ्री निवेश प्रोडक्ट में बीमा भी शामिल है। सुकन्या समृद्घि योजना और पीपीएफ के अलावा, जिन्हें 'ईईई' टैक्स स्टेटस हासिल है, पर विचार करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आपका निवेश, ब्याज से होने वाली आय और अंतिम परिपक्वता रकम, सभी टैक्स से मुक्त होंगी। इसलिए आपको पूरी समझदारी से निवेश करते हुए उपलब्ध टैक्स फायदों का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। इस तरह आप अपना पैसा बचाते हुए उसका अधिकतम इस्तेमाल कर सकते हैं।
आर्थिक पिरामिड
आपकी आर्थिक योजना के सबसे निचले पायदान यानि आधार में एक शुद्घ प्रोटेक्शन प्लान होना चाहिए, जो आपकी मौजूदा संपत्ति की सुरक्षा कर सके। इसका संबंध आपके स्वास्थ्य (अपने लिए एक मेडिक्लेम और क्रिटिकल इलनेस निवेश क्या है इंश्योरेंस खरीदना), आपका जीवन (एक टर्म लाइफ इंश्योरेंस खरीदना), और फिर आपकी संपत्ति (घर एवं वाहन आदि के लिए इंश्योरेंस लेना) की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। समय-समय पर अपनी जरूरतों की समीक्षा करते रहें। जीवन में कोईअतिरिक्त जिम्मेदारी आने पर अपना टर्म इंश्योरेंस और मेडिक्लेम कवर बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। आप एक सुपर टॉपअप प्लान भी जोड़ निवेश क्या है सकते हैं। आर्थिक पिरामिड का अगला चरण होता है बचत। जब आप सुरक्षित स्थिति में आ जाएं तो जीवन के प्राथमिक उद्देश्य, जैसे कि बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट और संभवतः एक दूसरे घर के लिए भी निवेश करना चाहिए। इसके लिए ऐसे प्रोडक्ट में पैसा लगाएं, जो आपकी गैर-मौजूदगी में भी लक्ष्य पूरे करने में मदद कर सके। आपको यह पक्का करना होगा कि अपने ऊपर निर्भर आश्रितों को निवेश में नॉमिनी बनाएं। उन्हें आपकी आर्थिक संपत्तियों, दस्तावेजों और योजनाओं की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
सावधानी बरतें
नए निवेशकों के साथ-साथ अनुभवी निवेशकों को भी सलाह दी जाती है कि फैशनेबल और जटिल एसेट क्लास, मसलन आर्ट, वाइन, बिटकॉइन आदि से दूर रहें। भले ही आपको इनमें अत्यधिक रिटर्न की पेशकश दिखेगी, लेकिन अमूमन ऐसे एसेट क्लास के लिए कोई नियामक एक्सचेंज नहीं होता। इसके कारण ये काफी अधिक जोखिम भरे होते हैं। यदि आपको इनके रिटर्न आकर्षक लगते हों, लेकिन इनसे जुड़ी कंपनी के बारे में पूरीजानकारी न हो तो 'सचेत' जैसी वेबसाइट पर इसकी जांच कर सकते हैं। यहां आपको यह पता चल जाएगा कि जिस कंपनी में आप निवेश करने जा रहे हैं, वह सेबी, रिजर्व बैंक या बीमा क्षेत्र के आईआरडीएआई जैसे नियामकों के साथ पंजीकृत है या नहीं।
-अनूप पैबी एमडी एवं सीईओ, डीएचएफएल प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस
रिटायरमेंट की चिंता या बच्चे की पढ़ाई… जानिए कहां-कहां निवेश कर रहे भारतीय ?
पिछले कुछ सालों में भारतीयों के निवेश का तरीका बदला है. अब उनके लिए सबसे सिर्फ एफडी की भरोसेमंद निवेश नहीं रही, बल्कि म्यूचुअल फंड के विकल्प पर भी फोकस कर रहे हैं. जानिए भारतीयों का सेविंग प्लान क्या है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित गुप्ता
Updated on: Nov 27, 2022, 8:00 AM IST
देश में म्यूचुअल फंड पर भरोसा करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बैंक बाजार का हालिया सर्वे कहता है, देश में 57 फीसदी लोग निवेश के लिए म्यूचुअल फंड को चुन रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह भी रही है कि अब भारतीयों को निवेश के लिए सरकारी योजनाएं आकर्षित नहीं कर रहीं. आंकड़ों से समझिए किन राज्य के लोगों को म्यूचुअल फंड पर सबसे जयादा भरोसा और आखिर किस लिए भारतीय निवेश कर रहे हैं…
सर्वे रिपोर्ट कहती है, म्यूचूअल फंड के बाद अभी भी लोगों का विश्वास एफडी पर बरकरार है. निवेश के लिए 54 फीसदी लोग एफडी को चुन रहे हैं.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने में सबसे आगे पूर्वोत्तर भारत के राज्य जैसे असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर हैं. उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारतीय पीछे हैं.
सबसे ज्यादा 69 फीसदी तक भारतीयों के लिए निवेश का मकसद इमरजेंसी की स्थिति से निपटना है. वहीं, दूसरी वजह बच्चों की शिक्षा के लिए पैसा इकट्ठा करना है.
इमरजेंसी की स्थिति से निपटने के लिए सबसे ज्यादा 75 फीसदी तक 35 से 45 साल के लोग निवेश कर रहे हैं.
35 से 45 साल की उम्र वर्ग में 55 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो सिर्फ सम्पत्ति को बढ़ाने के लिए निवेश कर रहे हैं.
निवेश क्या है
लखनऊ और मुंबई के बीच फासला भले ही 1350 किलोमीटर से कुछ अधिक ही हो, पर अब महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी निवेशक झोली भरकर निवेश लाने में लगे हैं। महाराष्ट्र तो परंपरागत रूप से भारत का सबसे खास औद्योगिक राज्यों में से एक रहा है। उत्तर प्रदेश अब महाराष्ट्र का तेजी से निजी क्षेत्र के निवेश में मुकाबला कर रहा है। हालांकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य की छवि कभी महाराष्ट्र जैसी नहीं रही थी। केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट देखें तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक निजी क्षेत्र का निवेश आ रहा है। उसके बाद दिल्ली का स्थान है और फिर उत्तर प्रदेश का। उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि अप्रत्याशित ही मानी जाएगी। बेशक, उत्तर प्रदेश अपने को अब तेजी से बदल रहा है। राज्य सरकार को समझ आ गया है कि बिना निजी क्षेत्र के निवेश के राज्य का हरेक क्षेत्र में विकास मुमकिन नहीं होगा। देखिए महाराष्ट्र और दिल्ली में तो निवेशक आते ही रहे हैं। ये दोनों राज्य देशी-विदेशी निवेशकों को भी अपनी तरफ खींचते हैं। पर नोट करने लायक तथ्य यही है कि अब उत्तर प्रदेश भी निवेशकों को लुभा रहा है।
उत्तर प्रदेश के विकास का एजेंडा तय करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए बड़ी छलांग लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश लाने की युद्ध स्तर पर कोशिशें चल रही है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं सक्रिय हैं। वे बड़े निवेशकों और उद्योगपतियों से मिल रहे हैं। उन्हें बता रहे हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश करने से क्या लाभ होगा। याद नहीं आता कि उनसे पहले राज्य का कोई मुख्यमंत्री अपने राज्य में निवेश लाने को लेकर इतना एक्टिव रहा हो।
आप जानते हैं कि कोरोना काल में सब तरफ आर्थिक गतिविधियां ठप सी पड़ गई थीं। पर उत्तर प्रदेश में उस दौर में भी निवेशकों ने 66,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। दरअसल अगर आप भारत के निजी क्षेत्र के निवेश के लिहाज से सबसे पसंदीदा राज्यों की सूची में नजर डालेंगे तो आपको मोटा-मोटी महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली जैसे राज्य ही नजर आएंगे। इनमें हुई आर्थिक प्रगति ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। नब्बे के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण का लाभ उठाते हुए इन सब राज्यों ने अपनी जीडीपी को मजबूत बनाया और वर्तमान में जीडीपी के हिसाब से महाराष्ट्र देश का सबसे अग्रणी राज्य है। कर्नाटक तो देश की आई टी राजधानी बन चुका है और तमिलनाडु ऑटो सेक्टर का बडा हब। ये सब राज्य देश की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें आर्थिक प्रगति की रफ्तार लाजवाब रही है। महाराष्ट्र की जीडीपी का आकार पूरे पाकिस्तान की जीडीपी से भी अधिक है। अब इन राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश का आना सुखद है। राम और कृष्ण की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश भारत की आत्मा है। करीब 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश के विकास को छोड़कर भारत की प्रगति की कल्पना करना असंभव होगा।
एक बात तो समझनी ही होगी कि कोई भी देश और उसका राज्य अपने देश के निवेशकों पर ही निर्भर नहीं रह सकता है। उसे विदेशी निवेश भी तो खींचना ही होगा। अच्छी बात यह है ब्रिटेन, मारीशस, नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर जैसे देशों के निवेशक भी उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर गंभीर हैं। हां, निवेश तो तब ही आएगा जब सरकारें अपने यहां निवेश का माहौल पैदा करेंगी। निवेशकों को सुरक्षित जीवन का भरोसा देंगी। उत्तर प्रदेश यह भरोसा देने में हाल के दिनों में कामयाब रहा है। निवेशकों को भी उत्तर प्रदेश में निवेश करना लाभ का सौदा नजर आ रहा है। जाहिर सी बात है कि कोई भी निवेशक घाटा खाने के लिए कहीं निवेश करेगा नहीं। उत्तर प्रदेश में गौतम अडानी, कुमार मंगलम बिड़ला, निरंजन हीरानंदानी, सज्जन जिंदल जैसे उद्योगपति निवेश लेकर आ रहे हैं।
दरअसल लंबे समय तक अंधेरे में डूबा रहा उत्तर प्रदेश अपनी छवि तेजी से बदलना चाहता है। आपको आज के दिन सारे राज्य में स्तरीय सड़कें, साफ सुथरे चमकते बाजार, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूल वगैरह देखने को मिलेंगी। सरकारी दफ्तरों में भी काहिली काफी हद तक खत्म हो गई है। इस बीच, आप गौर करें कि जिन राज्यों में विकास का पहिया काफी सालों- दशकों से घूम रहा है वहां के नौजवान भी अब आंत्रप्योनर बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश के नौजवानों को भी अब नौकरी की जगह अपना कोई काम-धंधा शुरू करने के संबंध में सोचना होगा। उनके सामने ओला के फाउंडर भाविश अग्रवाल, जोमैटो के दीपेन्द्र अग्रवाल, इंफोसिस के नंदन नीलकेणी जैसे सैकड़ों पहली पीढ़ी के आंत्रप्योनर की सफल कहानियां हैं। पहली पीढ़ी के उद्यमी सफल हो रहे हैं। ये रोजगार दे रहे हैं और नौजवानों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं। देश के सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तो हजारों इस तरह के युवा एक्टिव हैं जिनके परिवारों में उनसे पहले कभी किसी ने कभी कोई बिजनेस नहीं किया था। यह समय अपना धंधा करने के लिहाज से सर्वोत्तम है। आपको बैंकों और वित्तीय संस्थानों से आसान शर्तों पर लोन भी मिल जाता है। यह स्थिति कुछ साल पहले तक नहीं थी। उस दौर में लोन के लिए बहुत धक्के खाने पड़ते थे। लेकिन, आज अगर आपके कोई बढ़िया आइडिया है तो आपकी सफलता तय है।
एक तरफ उत्तर प्रदेश में निवेश और दूसरी तरफ राज्य के युवा अपने खुद के काम-काज शुरू करें तो फिर सोने पर सुहागा ही होगा। इससे राज्य विकास की दौड़ में तेजी से लंबी छलांग लगाने लगेगा। आप खुद देख लें कि महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों के नौजवान नौकरी की तुलना में कारोबारी बनना पसंद करने लगे हैं। जिन राज्यों में निवेश नहीं आ रहा है, वहां के युवा नौकरी पाने की जुगाड़ में रहते हैं। नौकरी के लिए अपने घरों से सैकड़ों-हजारों मील दूर चले जाते हैं। मान कर चलिए कि उत्तर प्रदेश में निवेश आना जैसे-जैसे बढ़ता रहेगा, वैसे-वैसे राज्य के युवा भी बदलेंगे। वे भी कारोबारी बनने के संबंध में सोचेंगे। मतलब निवेश से राज्य का कई स्तरों पर कायाकल्प होगा।