सौदा दर्ज करने के नियम

सौदा दर्ज करने के नियम
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, विशेषकर छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों को निजी इक्विटी निवेश आकर्षित करने के लिए बाजार नियामक सेबी के नए प्रस्ताव का पालन करना होगा। सेबी ने अपने नए प्रस्ताव में खुली पेशकश की सीमा को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर
दिया है।
जानकारों का कहना है कि खुली पेशकश की सीमा 15 फीसदी होने के कारण कुछ वैश्विक दिग्गज पीई कंपनियां सौदे से बाहर हो जाती थीं। ये पीई कंपनियां सूचीबद्ध कंपनियों में लगभग 20 से 25 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करना चाहती थी। सेबी के नए प्रस्ताव से सूचीबद्ध कंपनियों में पीई निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, विशेषज्ञों का मानना है कि नए प्रस्ताव सौदा दर्ज करने के नियम से सौदे के आकार में लगभग 70 फीसदी तक वृद्धि होगी। ्बेन ऐंड कंपनी की ताजा अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल सार्वजनिक कंपनियों में निजी निवेश (पीआईपीई) में 10 फीसदी तक गिरावट आई है। पूंजी बाजार में कर्ज महंगा होने और पीई निवेशकों के सतर्क रुख के कारण पीआईपीई में गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, 'सार्वजनिक क्षेत्र नियामकीय बाधाओं के कारण भी पीई निवेशक सार्वजनिक कंपनियों में निवेश से हिचकते थे।Ó एजेडबी ऐंड पार्टनर्स के वरिष्ठï साझेदार व सीईओ अभिजीत जोशी ने कहा, 'खुली पेशकश की सीमा को 25 फीसदी तक बढ़ाए जाने से यह कारोबार और सुदृढ़ होगा। बाजार नियामक सेबी के इस फैसले से निजी इक्विटी गतिविधियों में तेजी आएगी।Ó एवेंडस कैपिटल के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक गौरव दीपक ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, 'हालांकि निजी कंपनियों के लिए पीई के माध्यम से कोष जुटाना अधिक कठिन नहीं है, लेकिन खुली पेशकश की सीमा 15 फीसदी होने के कारण सार्वजनिक कंपनियों को इसके लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। नए प्रस्ताव के लागू होने पर सूचीबद्ध कंपनियों के क्षेत्र में पीई सौदों में वृद्धि होगी।Ó
सूचीबद्ध कंपनियों का आकार बढऩे के साथ ही पिछले 4 वर्षों में कई पीआईपीई सौदे हुए हैं। वीसीसीएज के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में 45.7 करोड़ डॉलर के कुल 23 पीआईपीई सौदे हुए। जबकि, 2007 में 3 अरब डॉलर आकार के कुल 47 सौदे संपन्न हुए थे। वर्ष 2008 में लगभग 14 पीआईपीई सौदे हुए और इनका कुल आकार लगभग 30 करोड़ डॉलर था। वहीं, 2009 में 72 करोड़ डॉलर आकार के कुल 26 पीआईपीई सौदे संपन्न हुए।
आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक 46 करोड़ डॉलर आकार के 15 पीआईपीई सौदे हो चुके हैं। वर्ष 2011 में एक सबसे बड़ा पीआईपीई सौदा संपन्न हुआ।
बगैर अनुमति बेच दी थी पट्टे की जमीन, सौदा रद्द, जमीन भी सरकारी घोषित
खेती के लिए दिए पट्टे को बगैर अनुमति दूसरे को बेचने के मामले में राजस्व न्यायालय (एडीएम) ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। सोनकच्छ के गांव डेहरिया पेठ की आधा हेक्टेयर जमीन का रजिस्टर्ड विक्रय पत्र रद्द कर दिया गया। आदेश में कहा कि मप्र राजस्व संहिता 1959 के विपरीत बिना अंतरण की अनुमति लिए यह बिक्री की गई जो पट्टा शर्त का उल्लंघन है। इस सौदे को रद्द कर पट्टा भी निरस्त कर दिया गया है और जमीन को सरकारी घोषित की है। तहसीलदार को कब्जा लेने के आदेश भी दिए।
खरीदार और विक्रेता के तर्क
सुनवाई में खरीदार पक्ष का कहना था कि संहिता के अनुसार 10 साल के लिए किसी भी किसान को जमीन का पट्टा दिया जाता है तो उसके 10 वर्ष बाद भूमि स्वामी को जमीन बेचने के लिए कलेक्टर की अनुमति की जरूरत नहीं होती। विक्रेता को रजिस्ट्री की जानकारी होने के बाद भी उसने आज तक आपत्ति या रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए वाद प्रस्तुत नहीं किया है, न सौदा दर्ज करने के नियम ही कोई कथन दर्ज कराए। इसलिए खरीदार को जारी सूचना पत्र रद्द कर उसे भूमि स्वामी माना जाए।
पट्टाधारी की ओर से कहा गया है कि उसे सरकारी जमीन खेती के लिए पट्टे पर मिली थी। पट्टाधारी अनपढ़ है और अंगूठा लगाता है। विक्रेता से उक्त भूमि दो वर्ष के लिए चार हजार रु. में क्रेता के पास गिरवी रखी थी लेकिन खरीदार ने उक्त भूमि की रजिस्ट्री अपने नाम से करा ली। विक्रेता अजा सदस्य है और भूमिहीन होने से ही सरकार ने पट्टे पर जमीन दी थी जो हस्तांतरणीय है।
ये है मामला
वर्ष 1975 में मोहन रावतिया को गांव देहरिया पेठ में सरकारी भूमि सर्वे नं. 159/2 रकबा 0.502 हेक्टेयर पट्टे पर दी गई थी। यह जमीन उसे खेती करने के मकसद से उपलब्ध कराई गई थी। मोहन ने बिना अंतरण की अनुमति लिए इस जमीन को गांव के ही सजनसिंह करणसिंह सैंधव को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से वर्ष 1995 में बेच दी। पट्टे पर मिली जमीन को इस तरह बेचा नहीं जा सकता है। इसके खिलाफ तहसीलदार और एसडीएम सोनकच्छ ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था जिसे एडीएम न्यायालय ने भी सही ठहराया है।
मालिकाना हक के दस्तावेज पेश नहीं कर पाया बाइक सवार
देवास | जेएमएफसी कोर्ट ने बेइमानीपूर्वक हासिल की गई गाड़ी चलाने के आरोपी को छह माह की सजा सुनाई है। एक हजार रुपए जुर्माना किया गया। आरोपी के खिलाफ धारा 403 का दोष सिद्ध पाया गया। फैसला जेएमएफसी पूनम डामेचा ने दिया। अभियोजन उपसंचालक एएस भंवर ने बताया 26 नवंबर 2012 को मक्सी बायपास चौराहा पर आरोपी राजेश रामगुरु कंजर नि. सिखेड़ी नाका-भौंरासा (47) को बीएनपी पुलिस ने बाइक के साथ पकड़ा था। पूछताछ करने पर आरोपी राजेश उक्त गाड़ी के मालिकाना हक के संबंध में दस्तावेज पेश नहीं कर पाया। यह भी नहीं बताया कि बाइक किसकी है। बेइमानीपूर्वक अन्य की गाड़ी हासिल कर उपयोग करने के आरोप में राजेश को छह माह की सजा व एक हजार सौदा दर्ज करने के नियम रु. अर्थदंड किया गया। गाड़ी असल में किसकी थी, यह खुलासा नहीं हुआ। न उक्त वाहन के चोरी होने संबंधी कोई रिकॉर्ड मिले थे। शासन की ओर से पैरवी एडीपीओ अशोक यादव ने की।
विरोध के बाद ट्रस्टियों ने बुलाई साधारण सभा, बहुमत से होगा निर्णय
- मामला पोरवाल समाज की बेशकीमती जमीन का सौदा करने का नागदा जंक्शन। पोरवाल समाज की बेशकीमती भूमि के विनिमयकरण को लेकर ट्रस्टियों के निर्णय का समाजजन ने विरोध किया था। समाज के युवाओं ने रैली निकालकर एसडीएम को ज्ञापन देकर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद ट्रस्ट मंडल ने जो भी प्रक्रिया की थी, उसे निरस्त कर साधारण सभा बुलाकर बहुमत
- मामला पोरवाल समाज की बेशकीमती जमीन का सौदा करने का
नागदा जंक्शन। पोरवाल समाज की बेशकीमती भूमि के विनिमयकरण को लेकर ट्रस्टियों के निर्णय का समाजजन ने विरोध किया था। समाज के युवाओं ने रैली निकालकर एसडीएम को ज्ञापन देकर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद ट्रस्ट मंडल ने जो भी प्रक्रिया की थी, उसे निरस्त कर साधारण सभा बुलाकर बहुमत के आधार पर निर्णय करने के लिए एजेंडा जारी किया है। इधर, उक्त भूमि ट्रस्ट में दर्ज नहीं होने के कारण ट्रस्टियों का उस पर कोई अधिकार नहीं है। ट्रस्ट नागदा एसडीएम कार्यालय में दर्ज नहीं है। प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद आपत्तियों की सुनवाई का निर्णय एसडीएम करेंगे। इसमें लंबा समय लग सकता है। तब तक मामला स्थगित रहेगा।
पोरवाल समाज की महिदपुर रोड गीताश्री गार्डन के आगे लगभग डेढ़ बीघा बेशकीमती भूमि है। समाज की जमीन के मामले में निर्णय करने के लिए पांच ट्रस्टियों की कमेटी बनाई थी। ट्रस्टियों द्वारा इस भूमि को एक व्यापारी को देकर इसके बदले तालाब किनारे अटल गार्डन के पीछे 33 हजार 400 वर्गफीट जमीन बायपास रोड पर लेने का सौदा तय कर लिया गया था। तीन ट्रस्टियों ने इसका विरोध किया। अन्य ट्रस्टियों ने उनसे चर्चा कर समझाकर सहमति पत्र लिखवा लिया। दूसरे ही दिन तीनों ट्रस्टियों ने इसका विरोध इसलिए किया कि समाज के युवा विनिमयकरण का विरोध कर रहे थे। लगभग डेढ़ माह से पोरवाल समाज के वाट्सएप ग्रुप में जमीन विनिमयकरण का विरोध करते हुए ट्रस्टियों पर कई आरोप भी लगाए गए। ट्रस्टियों द्वारा विरोध कर रहे समाजजनों को संतुष्ट नहीं कर पाने के बाद शुक्रवार को युवाओं का आक्रोश फूट गया। बद्रीविशाल मंदिर से युवाओं ने वाहन रैली पूरे शहर में निकालकर एसडीएम कार्यालय पर पहुंचकर जमीन विनिमयकरण पर आपत्ति दर्ज कराते हुए समाज की भूमि की नपती व ट्रस्ट भंग करने की मांग की। विरोध को देखते हुए ट्रस्ट मंडल ने पूरे समाज की सर्वसाधारण बैठक बुलाने के लिए एजेंडा जारी कर दिया। बैठक में बहुमत के आधार पर भूमि विनिमयकरण का निर्णय किया जाएगा।
संपत्ति ट्रस्ट में दर्ज ही नहीं
पोरवाल समाज ट्रस्ट का पंजीयन लगभग 1976 में खाचरौद में हुआ था। भूमि सर्वे क्रमांक 677/1/3, 33 हजार स्क्वेयर फीट की रजिस्ट्री समाज के पदेन अध्यक्ष स्व. रणछोड़लाल पोरवाल व सौदा दर्ज करने के नियम राधेश्याम कामरिया के नाम से हुई है। नियमानुसार ट्रस्ट द्वारा कोई भी संपत्ति खरीदी जाती है तो उसे ट्रस्ट में दर्ज कराना होता है। दर्ज होने के बाद ही वह ट्रस्ट की संपत्ति होती है। यह भूमि ट्रस्ट में दर्ज नहीं कराई गई। नियमानुसार उक्त भूमि पर ट्रस्ट का कोई अधिकार नहीं है। भूमि मालिक स्व. रणछोड़लाल पोरवाल के परिजन व राधेश्याम कामरिया हैं।
न्यायालय की अनुमति के बाद एसडीएम कार्यालय में दर्ज होगा ट्रस्ट
एसडीएम कार्यालय सूत्रों के अनुसार पोरवाल समाज के ट्रस्ट के प्रतिवर्ष नियम का पालन नहीं करते हुए दस्तावेज एसडीएम कार्यालय में पेश नहीं हुए सौदा दर्ज करने के नियम हैं। ट्रस्ट अभी भी खाचरौद एसडीएम कार्यालय में दर्ज है। इसकी सुनवाई फिलहाल खाचरौद में ही हो सकती है। जब तक ट्रस्ट नागदा एसडीएम कार्यालय में दर्ज नहीं होगा, तब तक एसडीएम (रजिस्ट्रार) को ट्रस्ट के कोई भी मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। ट्रस्ट में दर्ज कराने के लिए सिविल न्यायालय में धारा 27 में याचिका लगाने के बाद आदेश के बाद दर्ज होगा। इसके बाद एसडीएम को सुनवाई करने का अधिकार होगा। इस प्रक्रिया में लगभग एक वर्ष से भी अधिक का समय लग सकता है। तब तक मामला ठंडे बस्ते में ही रहेगा।
समाज की भूमि विनिमयकरण के लिए ट्रस्ट मंडल द्वारा अभी तक जो भी कार्रवाई की गई है, उसे निरस्त कर समाज की सर्व साधारण सभा बुलाकर बहुमत के आधार पर निर्णय किया जाएगा।
-अशोक पोरवाल, सचिव, पोरवाल समाज नागदा
ट्रस्ट मंडल के दस्तावेज कार्यालय में आए हैं। सिविल न्यायालय के आदेश के बाद ट्रस्ट दर्ज कर सुनवाई की जा सकती है। 120 आपत्तियां आई हैं। इसका निर्णय व अन्य निर्णय ट्रस्ट दर्ज होने के बाद ही किया जा सकता है।
मकान का सौदा दर्ज करने के नियम सौदा कर लाखों रुपए ठगे
इंदौर। कनाडिय़ा पुलिस ने ठगी का केस दर्ज किया है। आरोपी महिला ने मकान का सौदा किया और रुपए भी ले लिए, लेकिन इसके बाद उसकी रजिस्ट्री नहीं कराई। जांच में पता चला कि आरोपी ने उस मकान पर लोन ले लिया है। इतना ही नहीं फरियादी को गुमराह करके उस पर लोन का टॉपअप भी ले लिया।
शक्ति पलहैया पिता कमल कुमार निवासी राजनगर की शिकायत पर ज्योति परिहार पति हेमंत परिहार निवासी न्यू देवास रोड, मालवा मिल के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरोपी से फरियादी ने श्रीजी वैली बिचौली मर्दाना के मकान सौदा किया था। आरोपी से 26 लाख के करीब सौदा तय हुआ और आरोपी ने मकान के रुपए भी ले लिए। इसके बाद उसकी रजिस्ट्री नहीं की है। जब फरियादी ने पता किया तो जानकारी मिली है। उस पर पहले से ही लोन चल रहा है। इतना ही नहीं फरियादी को उलझाने के बाद महिला ने उस पर पांच लाख का और टॉपअप भी ले लिया। इस तरह से महिला ठगी कर रही थी।
फर्जी एग्रीमेंट बनाया
फरियादी को रजिस्ट्री के लिए उलझा रखा था। इसी दौरान महिला ने एक 67 लाख रुपए का एग्रीमेंट बना लिया। मूल सौदे के एग्रीेमेंट से उसे बदल लिया। फरियादी का कहना है कि उस पर जो साइन है वह उसके नहीं है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने बैंक से जानकारी निकाली और इसी आधार पर केस दर्ज किया गया है और कार्रवाई की जा रही है।
बेटमा टीआइ को लाइन भेजा
बेटमा टीआइ संजय शर्मा को लाइन भेज दिया गया है। उनके स्थान पर गौतमपुरा टीआइ को बेटमा भेजा गया है। गौतमपुरा में जल्द ही नए टीआइ की नियुक्ति कर दी जाएगी। एसपी भगवतङ्क्षसह ने बताया कि संजय को पारिवारिक कारणों से लाइन में भेजा गया है। मीना कर्णावत को उनके स्थान पर भेजा गया है। मीना के स्थान पर नए टीआइ की नियुक्ति की जा रही है।