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रोजाना 6000 रु आएंगे जेब में

रोजाना 6000 रु आएंगे जेब में

नया स्मार्टफोन लेने की सोच रहे है तो, 15,000 रुपये से कम कीमत में बेस्ट फ़ोन आपके लिए | Best smartphone Under 15000 In India In 2021

दरअसल भारत में 15,000 रुपये की कीमत के आस पास वाले स्मार्टफोन की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। इस साल 2021 की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च) के आंकड़ों की बात करें, तो इस दौरान Xiaomi और relme जैसे ब्रांड के बजट स्मार्टफोन काफी पसंद किए गए है। खास बात यह है कि इन सभी स्मार्टफोन में रोजाना के इस्तेमाल के लिए बड़ी बैटरी के साथ पावरफुल परफॉर्मेंस वाला प्रोसेसर और दमदार फोटोग्राफी के लिए एक अच्छा कैमरा सेटअप मिल जाता है। जो युवा बर्ग को काफी आकर्षित करता है। आइए नजर डालते है 15,000 रुपये या इससे कम कीमत वाले भारत के टॉप-5 स्मार्टफोन जो बहुत पसंद किये गये है।

प्रधान संपादक की कलम से

मनरेगा के तहत रोजाना का पारिश्रमिक 182 रु. से बढ़ाकर 202 रु. कर दिया गया है. इस योजना केतहत अधिकतर काम कृषि क्षेत्र के हैं, यह योजना अपने पूरे स्वरूप में चले तो 13 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया करा सकती है.

चुनावी फसल

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2020,
  • (अपडेटेड 28 अप्रैल 2020, 7:50 PM IST)

अरुण पुरी

धरती के हाल के इतिहास में ऐसे वक्त की कल्पना भी मुश्किल है. दुनिया भर में नॉवेल कोरोना वायरस महामारी अब तक 1,90,000 लोगों की जान ले चुकी है और करीब 27 लाख लोगों को संक्रमण का शिकार बना चुकी है. उसकी वजह से द्वितीय विश्व युद्घ के बाद सबसे बड़ा औद्योगिक लॉकडाउन हो चुका है. फैक्टरियां बंद हैं, हवाई जहाज जमीन पकड़े हुए हैं और सरहदें सील की जा चुकी हैं. तेल की कीमतें गोता लगा चुकी हैं, खासकर अमेरिका में तो तेल उत्पादक वितरकों से अतिरिक्त तेल लेने के लिए पैसे देने की पेशकश कर रहे हैं क्योंकि उनके पास भंडारण की क्षमता नहीं है.

यह 'महा लॉकडाउन' मंदी है, जैसा कि आइएमएफ ने कहा है और इस दौरान विकसित देश करीब 6 फीसद की नकारात्मक वृद्घि दर पर पहुंच जा सकते हैं जबकि भारत मामूली-सी वृद्घि या उससे भी बदतर हालत में जा सकता है.

यह दुनिया में 1930 के दशक की महामंदी से भी बुरा दौर हो सकता है. फिर, बदतर यह कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के इस महीने के आकलन के मुताबिक, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 2020 के अंत तक 26.5 करोड़ लोग भुखमरी झेल सकते हैं. यह सब 21वीं सदी में होना वाकई भयावह त्रासदी और पूरी दुनिया के लिए शर्मनाक होगी, जब टेक्नोलॉजी और कनेक्टिविटी पूरी तरह हमारे काबू में है.

भारत में कोविड-19 से अभी तक 686 जानें ही गई हैं लेकिन 40 दिनों के लॉकडाउन के बावजूद हम वायरस पर काबू पाने के लिए जूझ रहे हैं. टेस्ट की दर बढ़कर प्रति दस लाख 367 हो गई है लेकिन यह अब भी अफसोसनाक ढंग से नाकाफी और दुनिया में सबसे कम है. हमें समस्या को ही ठीक से जानने के लिए ही लंबी दूरी तय करनी है. लॉकडाउन से हमें इस महामारी के लिए स्वास्थ्य ढांचा तैयार करने की मोहलत मिली है.

हालांकि, दूसरी तरफ, हर हफ्ते अर्थव्यवस्था को 2 लाख करोड़ रु. की चपत लग रही है और गरीब गहरी गरीबी में धंसते जा रहे हैं. अर्थव्यवस्था के तीन बड़े इंजनों में दो—सेवा और उत्पादन क्षेत्र—बंद पड़े हैं. इन दोनों की जीडीपी में हिस्सेदारी 70.6 फीसद और इनमें कुल श्रम बल का 43.9 फीसद रोजगार पाता है. यह बीमारी देश के आर्थिक रूप से अहम शहरी क्षेत्रों पर भारी मार कर रही है, जिसमें 35 फीसद खासकर राज्यों की राजधानियों की देश की जीडीपी में 20 फीसद हिस्सेदारी है.

खुशकिस्मती से हमारी अर्थव्यवस्था का तीसरा इंजन कृषि में कुछ उम्मीद दिख रही है. खेती-बाड़ी में देश का लगभग आधा श्रम बल लगता है लेकिन जीडीपी में इसकी 17 फीसद की सबसे छोटी हिस्सेदारी है. इसकी वृद्घि दर भी मामूली 2.8 फीसद सालाना है.

इस साल जाड़ा कुछ लंबा खिंचा और अनुकूल बारिश हुई तो गेहूं की पैदावार रिकॉर्ड 10.6 करोड़ टन होने वाली है. सरकार के गोदाम 3 करोड़ अनाज से भरे पड़े हैं जो साल भर के लिए काफी है. भारत गेहूं, चावल, गन्ना, मूंगफली, सब्जियां, फल और कपास का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक रोजाना 6000 रु आएंगे जेब में है. दूध और दलहन का तो सबसे बड़ा उत्पादक है. देश बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. यही वजह है कि हम डब्ल्यूएफपी की भुखमरी की आशंका रोजाना 6000 रु आएंगे जेब में वाले देशों की सूची में नहीं हैं.

खुशी की बात यह है कि इस साल की पैदावार पिछले साल के मुकाबले कम से कम 6 फीसद ज्यादा होगी. इस पैदावार—गेहूं, चना, दालें और सरसों—का बड़ा हिस्सा उत्तरी और पश्चिमी राज्यों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार में होता है. इस मुश्किल वक्त में इस साल की फसल वरदान जैसी है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में 8 लाख करोड़ रु. या जीडीपी का 4 फीसद आ जाने की उम्मीद है. इससे लोगों की जेब में पैसा आएगा, और उम्मीद है, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में जान लौटेगी.

सरकार इससे वाकिफ है. उसने 24 मार्च को 15,841 करोड़ रु. जारी किए, ताकि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के सालाना 6,000 रु. की राशि की पहली किस्त 2000 रु. दिए जा सकें. इसका लक्ष्य12 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना है. मनरेगा के तहत रोजाना का पारिश्रमिक 182 रु. से बढ़ाकर 202 रु. कर दिया गया है. इस योजना केतहत अधिकतर काम कृषि क्षेत्र के हैं, यह योजना अपने पूरे स्वरूप में चले तो 13 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया करा सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल को मजदूरों की समस्या से जूझ रहे किसानों की मदद के लिए उच्चस्तरीय कैबिनेट बैठक बुलाई. गृह मंत्रालय ने 20 अप्रैल को फसल की कटाई के लिए मजदूरों और कृषि उपकरणों की जिलों के बीच आवाजाही को मंजूरी दे दी. पंजाब और बिहार जैसे राज्य भी अपने स्तर पर फसल की कटाई सहज बनाने के उपाय कर रहे हैं. सरकारें इस संकट में किसानों और उपज का डेटा भी तैयार कर रही हैं. बिहार सरकार पंचायत स्तर पर खरीद और खरीफ के बीज मुहैया कराने की योजना बना रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रकों के लिए भी उबर और ओला जैसे एग्रीगेटर ऐप बनाने का विचार सामने रखा है, ताकि ट्रकों की तलाश सहज हो सके.

हमारी आवरण कथा 'उम्मीदों की फसल' मौजूदा मायूसी के दौर में कुछ खुशी की वजह है. कंसल्टिंग एडिटर अजीत कुमार झा, सीनियर एडिटर अनिलेश एस. महाजन और देश भर के हमारे ब्यूरो ने इस साल के बंपर फसल की वजहों को तलाशा और यह भी कि क्यों यह इस दुर्दिन में राहत बन सकती है.

आज सरकार फसल को बचाने के लिए नए रोजाना 6000 रु आएंगे जेब में तरीके तलाश रही है तो संभव है वह सत्ता में आने के बाद पहली दफा कृषि पर अधिक ध्यान दे. इस संकट में कुछ स्वागतयोग्य बदलाव भी आ रहा है. अब कृषि गतिविधि और ई-नैम के जरिए मार्केटिंग के डिजिटलीकरण पर जोर बढ़ सकता है. अगर सरकार कोरोना के बाद के दौर में इस ओर रुख करती है तो इससे कृषि की उत्पादकता में भारी वृद्धि होगी. इस बीच, आइए अपनी तन्हाई में हम अर्थव्यवस्था के खुलने का जश्न मनाएं. सुरक्षित रहें, हौसला और उम्मीद रखें.

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कभी दिमाग से भी सोच लिया करो टिकैत तुम्हें डकैत दिखता है और जो लोग रोजाना तुम्हारी जेब काट रहे हैं उनको क्या बोलोगे?

-\-\ तुम्हारी बैंक में रखा पैसा मिनिमम बैलेंस मैक्सिमम बैलेंस के नाम पर काट लिया जाता है।
-\-\ ₹65 में मिलने वाला पेट्रोल ₹95 में डलवाते हो वहां डकैती नहीं दिखती
-\-\ ₹60 वाला डीजल ₹85 -101 रु/लीटर में डाला रहे हो
-\-\ ₹370 में मिलने वाली रसोई गैस ₹725 में ला रहे हो
-\-\ ₹70 में मिलने वाला सोयाबीन का तेल ₹130 किलो ला रहे हो
-\-\ 62000 की एक्टिवा 98000 में ला रहे हो
-\-\ 65000 की मोटरसाइकिल 95000 में ला रहे हो
-\-\ ₹210 की सीमेंट की थैली ₹350 में ला रहे हो
-\-\ 3600 रुपए वाला लोहे का सरिया 6000 में ला रहे हो
-\-\ 1600 की बालू रेत की ट्राली 4000 में।
-\-\ ₹200 किलो में मिलने वाली चाय की पत्ती ₹350 किलो में ला रहे हो
-\-\ यही हाल कृषि में उपयोग होने वाले मोटर पंप पाइप का है, जो सुबह से लेकर शाम तक आपके जेब कटती है
जो राकेश टिकैत तुम्हारे लिए तुम्हारी फसल के लिए तुम्हारी नस्ल के लिए लड़ रहा है वह तुम्हें डकैत दिख रहा है और जो कारपोरेट जगत के भले के लिए लिए जिद पर अड़ा है, वह तुम्हें देशभक्त दिख रहा है। एक बात ध्यान रखना तुम तब तक ही देशभक्त हो जब तक मोदी भक्त हो किसी दिन तुम्हारे हक अधिकार मांग लेना तो देशद्रोही होते देर नहीं लगेगी।

मांग के देख लेना एक बार पता चल जाएगा
कभी कभी खुद के दिमाग से भी सोच लिया करो
-\-\ शपथ ग्रहण के पहले ही दिन काले धन के लिए कमेटी बनी। क्या काला धन आया?
-\-\ तुम्हारा गेहूं चावल संतरा पानी के भाव बिक रहा है।
-\-\ दूध ₹25 लीटर बिसलेरी के पानी की कीमत के बराबर।
-\-\ पशु आहार खामगांव की थैली जो 12 सौ रुपए में मिलती थी वह ₹2300 में एक की थैली। ₹1000 ज्यादा दे रहे हो छोटे से छोटा किसान साल भर में 12 पशु आहार खिलाता है यानी साल भर में कम से कम 12000 तो पशु आहार पर ही दे देते हो।
बाकी सुबह से शाम तक जीएसटी हजारों रुपए आपसे लूटने के बाद आपको दो 2000 की तीन किस्त किसान सम्मान निधि में डालकर आपको अंधभक्त बनाया जाता है।
-\-\ कितने लोगों को रोजगार दिया है तुम्हारे गांव में तुम्हारे मोहल्ले में एक बार नजर दौड़ा कर देखना।
-\-\ देशभक्त बनो व्यक्तिभक्त नहीं। कभी कभी खुद के दिमाग से भी सोच लिया करो।
-\-\ लोग मुझे फोन लगा लगा कर कह रहे हैं की आप को गुमराह किया जा रहा है और आंदोलन के लिए विदेश से फंडिंग आ रही है।

*कभी अपना दिमाग भी लगाओ..*
-\-\ गुरुद्वारे में सालों साल से लंगर चल रहा है,
-\-\ कोविड-19 में उन्होंने लोगों को घर ले जा जाकर खिलाया।
ऐसे देश भक्तों पर तुम फंडिंग का आरोप लगाते हो? 😞
इसलिए कि तुम्हें तुम्हारे दिमाग से सोचने नहीं नहीं दिया जाता।
-\-\ गुर्जर अपने हकों के लिए आंदोलन करें तो वे डकैत हो गये,
-\-\ यादव बोलें तो चारा चोर हो गये,
-\-\ जाट अपने हकों के लिए आंदोलन करें तो वे बलात्कारी हो गये,
-\-\ सिक्ख किसान अपने हकों के लिए आंदोलन करें तो वे खालिस्तानी हो गये,
-\-\ दलित अपनी बात बोलें तो वे भीमटे हो गये,
-\-\ किसान बोलें तो वो आँतकवादी हो गये,
-\-\ मुस्लिमों को तो जन्मजात गद्दार का सर्टिफिकेट दे ही रखा है,

तो फिर इस देश में राष्ट्रवादी है कौन.

नोट: पोस्ट किसकी है मुझे पता नही लेकिन जिसने भी लिखी है एक एक बात सही लिखी है आप सहमत है कि नही?? # घोरकलजुग

PM Kisan: अब किसानों को 2000 रुपये किस्‍त के साथ मिलेगी 3000 की गारंटीड मासिक पेंशन, जानिए प्रोसेस

PM Kisan Maan Dhan Pension Scheme: इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है. इसमें 18 साल से 40 साल तक का कोई भी किसान निवेश कर सकता है. इसके तहत किसान को 3000 रुपये तक की मासिक पेंशन मिलती है.

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PM Kisan: अब किसानों को 2000 रुपये किस्‍त के साथ मिलेगी 3000 की गारंटीड मासिक पेंशन, जानिए प्रोसेस

PM kisan maandhan pension scheme: केंद्र सरकार लगातार किसानों के आर्थिक लाभ के लिए प्रयासरत है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि (PM Kisan) के तहत सरकार किसानों के खाते में 2000 रुपये की 3 किस्त यानी सालाना 6000 रुपये की आर्थिक मदद देती है. अब तक किसानों के खाते में 9 किस्त यानी 18,000 रुपये आ चुके हैं. किसानों की आर्थिक मदद के लिए और बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने पेंशन की सुविधा 'पीएम किसान मानधन योजना' (PM kisan maandhan pension scheme) भी शुरू की है.

किसानों को मिलेगी गारंटीड पेंशन

पीएम किसान मानधन योजना के तहत किसानों को 60 साल के बाद पेंशन दिया जएगा. खास बात यह है कि अगर आप पीएम किसान में अकाउंट होल्‍डर हैं, तो आपको किसी कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होगी. आपका डायरेक्‍ट रजिस्ट्रेशन पीएम किसान मानधन स्‍कीम में भी हो जाएगा. इस स्कीम के कई बेहतरीन फीचर और बेनिफिट्स हैं.

पीएम किसान मानधन योजना क्या है

पीएम किसान मानधन स्‍कीम की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है. यानी सरकार किसानों के बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के लिए इसकी शुरुआत की है. इस स्‍कीम में 18 साल से 40 साल तक का कोई भी किसान निवेश कर सकता है. इसके तहत किसान को 3000 रुपये तक की मासिक पेंशन मिलती है.

मानधन योजना के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स

1. आधार कार्ड
2. पहचान पत्र
3. आयु प्रमाण पत्र
4. आय प्रमाण पत्र
5. खेत की खसरा खतौनी
6. बैंक खाते की पासबुक
7. मोबाइल नंबर
8. पासपोर्ट साइज फोटो

फैमिली पेंशन का भी प्रावधान

इस स्‍कीम में रजिस्‍टर्ड किसान को उम्र के हिसाब से मंथली निवेश करने पर 60 की उम्र के बाद मिनिमम 3000 रुपये मंथली या 36,000 रुपये सालाना गारंटीड पेंशन मिलेगी. इसके लिए किसानों को 55 रुपये से 200 रुपये तक मंथली निवेश करना होगा. पीएम किसान मानधन में फैमिली पेंशन का भी प्रावधान है. खाताधारक की मौत हो जाने पर उसके जीवनसाथी को 50 फीसदी पेंशन मिलेगी. फैमिली पेंशन में सिर्फ पति/पत्‍नी ही शामिल हैं.

PM Kisan लाभार्थी को कैसे होगा फायदा

पीएम किसान स्‍कीम के तहत सरकार पात्र किसानों को हर साल 2000 रुपये की 3 किस्त यानी 6000 रुपये की आर्थिक मदद देती है. ये रकम किसान के खाते में सीधा जारी की जाती है. इसके खाताधारक अगर पेंशन स्कीम पीएम किसान मानधन में भाग लेते हैं, तो उनका रजिस्‍ट्रेशन आसानी से हो जाएगा. साथ ही अगर किसान ये विकल्प चुनें तो पेंशन स्कीम में हर महीने कटने वाला कंट्रीब्‍यूशन भी इन्हीं रोजाना 6000 रु आएंगे जेब में 3 किस्त में मिलने वाली रकम से कट जाएगा. यानी, इसके लिए पीएम किसान खाताधारक को जेब से पैसे नहीं लगाने पड़ेंगे.

PM Kisan: अब किसानों को 2000 रुपये किस्‍त के साथ मिलेगी 3000 की गारंटीड मासिक पेंशन, जानिए प्रोसेस

PM Kisan Maan Dhan Pension Scheme: इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है. इसमें 18 साल से 40 साल तक का कोई भी किसान निवेश कर सकता है. इसके तहत किसान को 3000 रुपये तक की मासिक पेंशन मिलती है.

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किसानों को मिलेगी गारंटीड पेंशन

पीएम किसान मानधन योजना के तहत किसानों को 60 साल के बाद पेंशन दिया जएगा. खास बात यह है कि अगर आप पीएम किसान में अकाउंट होल्‍डर हैं, तो आपको किसी कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होगी. आपका रोजाना 6000 रु आएंगे जेब में डायरेक्‍ट रजिस्ट्रेशन पीएम किसान मानधन स्‍कीम में भी हो जाएगा. इस स्कीम के कई बेहतरीन फीचर और बेनिफिट्स हैं.

पीएम किसान मानधन योजना क्या है

पीएम किसान मानधन स्‍कीम की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत 60 साल की उम्र के बाद पेंशन का प्रावधान है. यानी सरकार किसानों के बुढ़ापे को सुरक्षित रखने के लिए इसकी शुरुआत की है. इस स्‍कीम में 18 साल से 40 साल तक का कोई भी किसान निवेश कर सकता है. इसके तहत किसान को 3000 रुपये तक की मासिक पेंशन मिलती है.

मानधन योजना के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स

1. आधार कार्ड
2. पहचान पत्र
3. आयु प्रमाण पत्र
4. आय प्रमाण पत्र
5. खेत की खसरा खतौनी
6. बैंक खाते की पासबुक
7. मोबाइल नंबर
8. पासपोर्ट साइज फोटो

फैमिली पेंशन का भी प्रावधान

इस स्‍कीम में रजिस्‍टर्ड किसान को उम्र के हिसाब से मंथली निवेश करने पर 60 की उम्र के बाद मिनिमम 3000 रुपये मंथली या 36,000 रुपये सालाना गारंटीड पेंशन मिलेगी. इसके लिए किसानों को 55 रुपये से 200 रुपये तक मंथली निवेश करना होगा. पीएम किसान मानधन में फैमिली पेंशन का भी प्रावधान है. खाताधारक की मौत हो जाने पर उसके जीवनसाथी को 50 फीसदी पेंशन मिलेगी. फैमिली पेंशन में सिर्फ पति/पत्‍नी ही शामिल हैं.

PM Kisan लाभार्थी को कैसे होगा फायदा

पीएम किसान स्‍कीम के तहत सरकार पात्र किसानों को हर साल 2000 रुपये की 3 किस्त यानी 6000 रुपये की आर्थिक मदद देती है. ये रकम किसान के खाते में सीधा जारी की जाती है. इसके खाताधारक अगर पेंशन स्कीम पीएम किसान मानधन में भाग लेते हैं, तो उनका रजिस्‍ट्रेशन आसानी से हो जाएगा. साथ ही अगर किसान ये विकल्प चुनें तो पेंशन स्कीम में हर महीने कटने वाला कंट्रीब्‍यूशन भी इन्हीं 3 किस्त में मिलने वाली रकम से कट जाएगा. यानी, इसके लिए पीएम किसान खाताधारक को जेब से पैसे नहीं लगाने पड़ेंगे.

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