रुझान संकेतक

कमजोर आबादी और पारिस्थितिक तंत्र की लचीलापन बढ़ाने के लिए सूखे के प्रभावों को कम करने, अनुकूलित करने और प्रबंधित करना।
सीखने के संकेतक क्या है?
इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार सीखने के संकेतक से अभिप्रायः ऐसे प्रतिमानों, सूचकों से है, जो सीखी गई बात अथवा कार्य की ओर इशारा करे । दूसरे शब्दों में, सीखने के संकेतक शिक्षण अधिगम (सिखाने- सीखने) प्रणाली एवं सीखने की प्रक्रिया में आई प्रगति के चिह्न रूप हैं । होता है । विषय-वस्तु, अध्यापक केवल मार्ग-दर्शन अथवा सहायक का कार्य करते हैं ।
इसे सुनेंरोकेंजो पूरे देश में लिखी , पढ़ी और समझी जाती हो। जिसमें उच्च स्तर का साहित्य हो , श्रेष्ठतम शब्द समूह हो , देश को भावनात्मक एकता से बांधने की क्षमता हो। एक मात्र हिंदी में ही वह लचीलापन है , लाघव है , सम्पे्रष्णीयता है , सार्मथ्य है , जो कि राष्ट्रभाषा के लिए अपेक्षित है।
इसे सुनेंरोकेंसंकेतक हमें यह बताते हैं कि बच्चे ने अभी तक कितना ज्ञान व कौशल अर्जित किया है। साथ ही संकेतक हमें यह भी बताते हैं कि बच्चे की प्रगति की दिशा क्या है। साथ ही ये आकलन के प्रति शिक्षक व विद्यालय का नज़रिया प्रस्तुत करते हैं। यह नज़रिया स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार अपने मानदण्डों के निर्धारण को दर्शाता है।
भाषा सीखने में संदर्भ का विशेष महत्व होता रुझान संकेतक है क्योंकि इससे बच्चों को मदद मिलती है?
इसे सुनेंरोकें10- भाषा सीखने में संदर्भ का विशेष महत्व होता है क्योंकि इससे बच्चों को मदद मिलती है। उत्तर- किसी शब्द विशेष के अर्थ को समझने में। 13- एक शिक्षक को अपने छात्रों को ध्वनि विज्ञान का परिचय देना चाहिए । उत्तर- उस समय जब बच्चे भाषा के यांत्रिक पहलू को सीखने के लिए तैयार हो।
शिक्षा में गुणवत्ता से संबंधित प्रमुख संकेतक कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए जरूरी हैं कि शिक्षा के उद्देश्यों के निर्माण भौतिक , सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक पर्यावरण के आधार पर किया जाए। सीखने के लिए उचित पर्यावरण का होना बहुत आवश्यक हैं और उसके लिए छात्रों के आस-पास का वातावरण अधिगम एवं शिक्षा के लिए अनुकूल बनाने अति आवश्यक हैं।
भाषा शिक्षण में संदर्भ सामग्री क्या होती है इसके स्त्रोत लिखिए?
यूएनसीसीडी और 2018–2030 रणनीतिक ढांचा
1992 के रियो अर्थ समिट के दौरान जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के साथ मरुस्थलीकरण को सतत् विकास के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में पहचाना गया। संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) 1994 में अपनाया गया और 1996 में लागू हुआ और पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता बन गया। कन्वेंशन विशेष रूप से शुष्क, अर्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे (डीएलडीडी) के मुद्दे को संबोधित करता है, जहां पर दुनिया के कुछ सबसे कमजोर समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्रों का वास है। कन्वेंशन के 197 सदस्य देश शुष्क भूमि में लोगों के रहने की स्थिति में सुधार करने, भूमि और मिट्टी की उत्पादकता को बनाए रखने और बहाल करने और सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए मिलकर काम करते हैं। यूएनसीसीडी सचिवालय विकसित और विकासशील देशों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, विशेष रूप से यह स्थायी भूमि रुझान संकेतक प्रबंधन के लिए ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए काम करता है। 2018-2030 के रणनीतिक ढांचे को यूएनसीसीडी के सदस्य देशों के सम्मेलन के तेरहवें सत्र में अपनाया गया, जो कन्वेंशन के अधिक केंद्रित, लक्षित, प्रभावी और कुशल कार्यान्वयन एवं कन्वेंशन के कार्यान्वयन में प्रगति की व्यवस्थित निगरानी और मूल्यांकन में योगदान देता है। यह रणनीतिक ढांचा “भूमि क्षरण तटस्थता” प्राप्त करने के लिए सबसे व्यापक वैश्विक प्रतिबद्धता है ताकि परती भूमि के विशाल विस्तार की उत्पादकता को बहाल किया जा सके, 1.3 अरब से अधिक लोगों की आजीविका में सुधार किया जा सके और कमजोर आबादी पर सूखे के प्रभाव को कम किया जा सके।
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां कौन कौन सी है?
वायु प्रदूषण से हो सकती हैं ये 5 गंभीर बीमारियां, ऐसे करें बचाव
- नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है।
- अस्थमा
- लंग कैंसर
- तीव्र श्वसन संक्रमण
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
वायु प्रदूषण क्या है इसके कारण एवं प्रभाव?
इसे सुनेंरोकेंइसके पीछे सबसे बड़ा कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग होना है। पहले यह समस्या शहरों तक ही सिमित थी, लेकिन अब यह समस्या गाँव-देहात तक बढ़ रही है। बढ़ती आबादी के कारण औद्योगीकरण में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। लोगों को रोजगार मुहैया कराने की वजह से इंडस्ट्री से निकलने वाली जहरीली हवा ने वायु को दूषित कर दिया है।
द्वितीयक प्रदूषक क्या है?
प्राथमिक और द्वितीयक वायु प्रदूषक क्या है?
इसे सुनेंरोकेंप्राथमिक प्रदूषक वे तत्व हैं जो सीधे एक प्रक्रिया से उत्सर्जित हुए हैं जैसे ज्वालामुखी विस्फोट से राख, मोटर गाड़ी से कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस। द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), दहन से उत्सर्जित एक ग्रीनहाउस गैस है।
कौन वायु प्रदूषक नहीं है?
इसे सुनेंरोकें∴ नाइट्रोजन वायु प्रदूषक नहीं है।
निम्नलिखित में कौन नाइट्रोजन का ऑक्साइड वायु प्रदूषक नहीं है?
इसे सुनेंरोकेंनाइट्रस ऑक्साइड (N2D2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) तथा नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) सामान्य प्रदूषक है, जो । वातावरण में उपस्थित होते हैं। N2O5 पर्यावरण में प्राकृतिक रूप एवं मानव क्रियाओं दोनों से प्राप्त होता है, रुझान संकेतक परन्तु यह साधारण (सामान्य) प्रदूषक नहीं है।
प्रॉपर्टी बाजार में रिकवरी के संकेत, पहली छमाही में घरों की बिक्री में बढ़त
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 10, 2021 19:06 IST
Photo:FILE
घरों की बिक्री में बढ़त दर्ज
नई दिल्ली। केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों के नीतिगत समर्थन तथा आवास कर्ज पर ब्याज दर में कमी का समर्थन पाकर देश के सात प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री वर्ष 2021 की पहली छमाई में सालाना आधार पर 75 प्रतिशत बढी है। रियल एस्टेट क्षेत्र की प्रमुख सलाहकार कंपनी की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लि.की भारत में आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र पर तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार मकानों की बिक्री में वृद्धि का यह रुझान आने वाली कुछ और तिमाहियों में भी जारी रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 की पहली छमाही (जनवरी से जून 2021) के दौरान सात प्रमुख शहरों में आवासीय फ्लैट की कुल बिक्री में पुणे 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रहा है। मुंबई की इसमें 19 प्रतिशत हिस्सेदारी रही, वही हैदराबाद की 18 प्रतिशत और दिल्ली-एनसीआर का कुल बिक्री में 17 प्रतिशत तक हिस्सा रहा।
पर्यावरण संकेतक
पर्यावरण संकेतक सरल उपाय हैं जो हमें बताते हैं कि पर्यावरण में क्या हो रहा है । चूंकि पर्यावरण बहुत जटिल है, संकेतक पर्यावरण की स्थिति को ट्रैक करने के लिए एक अधिक व्यावहारिक और किफायती तरीका प्रदान करते हैं, अगर हम पर्यावरण में हर संभावित चर को रिकॉर्ड करने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, समय के साथ ट्रैक किए गए वातावरण में ओजोन क्षयकारी पदार्थों (ओडीएस) की सांद्रता, समतापमंडलीय ओजोन रिक्तीकरण के पर्यावरणीय मुद्दे के संबंध में एक अच्छा संकेतक है ।
पर्यावरण संकेतकों को अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया गया है लेकिन सामान्य विषय मौजूद हैं।
"एक पर्यावरण संकेतक एक संख्यात्मक मूल्य है जो पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य की स्थिति में अंतर्दृष्टि प्रदान करने में मदद करता है। संकेतक मात्रात्मक माप या पर्यावरणीय स्थिति के आंकड़ों के आधार पर विकसित किए जाते हैं जिन्हें समय के साथ ट्रैक किया जाता है। पर्यावरणीय संकेतकों को स्थानीय से लेकर क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विभिन्न प्रकार के भौगोलिक पैमानों पर विकसित और उपयोग किया जा सकता है। ” [1]