इक्विटी फंड्स क्या हैं

सभी म्यूचुअल फंड के बारे में
स्टॉक और बॉन्ड जैसी संपत्ति हासिल करने के लिए, एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) एक म्यूचुअल फंड स्थापित करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों और फर्मों से धन एकत्र करती है। एएमसी द्वारा जमा किए गए निवेश की निगरानी के लिए फंड मैनेजरों को नियुक्त किया जाता है। संक्षेप में, म्यूचुअल फंड कई प्रतिभागियों के पैसे को बॉन्ड, इक्विटी और अन्य तुलनीय उत्पादों में निवेश करने के लिए जमा करते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेशकों को उनके द्वारा निवेश की गई राशि के आधार पर फंड यूनिट आवंटित की जाती हैं। केवल मौजूदा शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य पर ही निवेशक फंड यूनिट खरीद या बेच सकते हैं। अंतर्निहित होल्डिंग्स की अस्थिरता के जवाब में एक म्यूचुअल फंड इक्विटी फंड्स क्या हैं का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) प्रतिदिन बदलता है। म्युचुअल फंड भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा कड़ाई से नियंत्रित होते हैं और इसलिए, जोखिम मुक्त निवेश विकल्प के रूप में माना जा सकता है।
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Mutual Funds में निवेश की अवधि पर तय होता है इक्विटी फंड्स क्या हैं टैक्स, समझिए पूरा गणित
इक्विटी फंड्स को यदि आप 12 महीने तक या इससे अधिक अवधि के लिए होल्ड रखते हैं तो इसे लॉन्ग टर्म इनवमेंट माना जाता है।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 12, 2022 10:30 IST
नई दिल्ली। यदि आपने म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया है, तब आपको अपने निवेश पर लागू होने वाले टैक्स के बारे में जानना बहुत जरूरी है। म्यूचुअल फंड्स पर टैक्स होल्डिंग अवधि या निवेश अवधि पर निर्भर करता है। यहां दो प्रकार के होल्डिंग पीरियड हैं- लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म। अलग-अलग प्रकार के म्यूचुअल फंड्स के लिए लॉन्ग टर्म होल्डिंग पीरियर और शॉर्ट टर्म होल्डिंग पीरियड के लिए अलग-अलग कारक होते हैं।
शॉर्ट टर्म होल्डिंग पीरियड
इक्विटी फंड्स को 12 महीने से कम अवधि तक अपने पास रखने को शॉर्ट टर्म इनवेस्टमेंट कहते हैं। दूसरी ओर, डेट फंड्स के लिए तीन साल से कम होल्डिंग अवधि को शॉर्ट टर्म इनवेस्टमेंट कहते हैं।
लॉन्ग टर्म होल्डिंग पीरियड
इक्विटी फंड्स को 12 महीने तक या इससे अधिक अवधि तक होल्ड करते हैं तो इसे लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट माना जाएगा। वहीं दूसरी ओर डेट फंड्स के मामले में होल्डिंग पीरियर तीन साल या इससे अधिक है तो इसे लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट कहा जाता है।
म्यूचुअल फंड्स पर टैक्सेशन
म्यूचुअल फंड्स का बिक्री मूल्य यदि खरीद मूल्य से अधिक है, तब निवेशक को अपने म्यूचुअल फंड्स निवेश पर लाभ होता है। इस मुनाफे को कैपिटल गेंस (पूंजीगत लाभ) कहते हैं। इनवेस्टमेंट के होल्डिंग पीरियड के आधार पर, कैपिटल गेंस को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (एसटीसीजी) में विभाजित किया जाता है। म्यूचुअल फंड्स इनवेस्टमेंट पर टैक्स की गणना इन्ही कैपिटल गेंस के आधार पर की जाती है।
इक्विटी फंड्स: इक्विटी फंड्स पर एलटीसीजी 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से लागू होता है इस पर इनडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलता है। इक्विटी फंड्स पर एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये तक के एलटीसीजी को टैक्स से मुक्त रखा गया है। डेट फंड्स में एसटीसीजी 15 प्रतिशत वार्षिक दर से देय होता है।
डेट फंड्स: डेट फंड्स पर एलटीसीजी 20 प्रतिशत वार्षिक दर से लागू होता है और इस पर इनडेक्शन का अतिरिक्त लाभ भी मिलता है। दूसरी ओर एसटीसीजी को निवेशक के इनकट टैक्स स्लैब के आधार पर लगाया जाता है।
हाइब्रिड फंड्स: हाइब्रिड या बैलेंस्ड फंड्स पर, जिसमें 65 प्रतिशत से अधिक संपत्ति को इक्विटी या इक्विटी-रिलेटिड सिक्यूरिटीज में लगाया गया है, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की तरह टैक्स लगाया जाता है। इसी प्रकार 65 प्रतिशत से अधिक संपत्ति डेट फंड्स में निवेश करने वाले हाइब्रिड फंड्स पर टैक्स की गणना डेट म्यूचुअल फंड्स की तरह की जाती है।
सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी)
इक्विटी और इक्विटी रिलेटिड सिक्यूरिटीज पर रिडम्पशन के वक्त 0.001 प्रतिशत की दर से सिक्यूरटीज ट्रांजैक्शन टैक्स भी लगाया जाता है। निवेशकों को एसटीटी डिडक्शन के बाद फंड्स का भुगतान किया जाता है, इसलिए उन्हें इसका भुगतान अलग से करने की आवश्यकता नहीं होती है।
EQUITY MUTUAL FUND: इक्विटी म्यूचुअल फंड को फरवरी में मिला 19,705 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश
EQUITY MUTUAL FUND: इक्विटी म्यूचुअल फंड को फरवरी में 19,705 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश मिला है. म्यूचुअल फंड कंपनियों के निकाय एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, यह आंकड़ा जनवरी, 2022 में 14,888 करोड़ रुपये और दिसंबर, 2021 में 25,077 रुपये था.
Published: March 9, 2022 4:16 PM IST
EQUITY MUTUAL FUND: इक्विटी म्यूचुअल फंड (EQUITY MUTUAL FUND) में फरवरी, 2022 में 19,705 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया है. यह लगातार 12वां महीना है जब शुद्ध रूप से मासिक प्रवाह बढ़ा है वह भी शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव तथा विदेश संस्थागत निवेशकों द्वारा बिकवाली जारी रहने के बीच.
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म्यूचुअल फंड कंपनियों के निकाय एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, यह आंकड़ा जनवरी, इक्विटी फंड्स क्या हैं इक्विटी फंड्स क्या हैं 2022 में 14,888 करोड़ रुपये और दिसंबर, 2021 में 25,077 रुपये था.
इक्विटी यानी शेयर बाजार में निवेश से जुड़ी योजनाओं में शुद्ध रूप से प्रवाह मार्च, 2021 से लगातार जारी है और इस दौरान शुद्ध रूप से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का पूंजी निवेश हुआ. यह म्यूचुअल फंड की इक्विटी से जुड़ी योजनाओं के प्रति निवेशकों के सकारात्मक रुझान को दर्शाता है.
इससे पहले इस तरह की योजनाओं से लगातार आठ माह जुलाई, 2020 से फरवरी 2021 के बीच 46,791 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी.
उद्योग के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) फरवरी के अंत में घटकर 37.56 लाख करोड़ रुपये रह गईं, जो जनवरी के अंत में 38.01 लाख करोड़ रुपये थीं.
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मिड-कैप म्यूचुअल फंड में बनेगा पैसा, 1 साल में मिल सकता है 100% तक बंपर रिटर्न
Mutual Fund: मिडकैप शेयर पिछले साल के मुकाबले निवेशकों के ज्यादा पसंदीदा रहे हैं. निफ्टी मिडकैप इंडेक्स ने 71.13 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
- Harsh Chauhan
- Updated On - April 5, 2021 / 07:16 PM IST
Mutual Fund: इस बार मिडकैप शेयर पिछले साल के मुकाबले निवेशकों के ज्यादा पसंदीदा रहे हैं. निफ्टी मिडकैप इंडेक्स ने 102 प्रतिशत का इक्विटी फंड्स क्या हैं रिटर्न दिया है, जबकि इसकी तुलना में निफ्टी 50 इंडेक्स में 71.13 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन मिडकैप शेयरों में सीधे निवेश करना हर किसी के लिए नहीं है. इसके लिए स्टॉक लेने से पहले व्यावसायिक मॉडल और वित्तीय विवरणों को समझना होगा. इसके लिए अच्छी नॉलेज होना जरूरी है. अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके पास इस तरह की नॉलेज नहीं है तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है. आप अभी भी मिड-कैप इक्विटी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करके मिड-कैप स्टॉक द्वारा मिलने वाले बेहतरीन रिटर्न का फायदा उठा सकते हैं. इसके लिए आइए पहले समझते हैं कि मिड कैप इक्विटी फंड क्या हैं.
मिड कैप इक्विटी फंड
मिड-कैप फंड एक प्रकार के इक्विटी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) हैं जो मिड-साइज़ कंपनियों में निवेश करते हैं. मानदंडों के अनुसार, जिन कंपनियों को उनके बाजार पूंजीकरण के आधार पर 101 से 250 तक रैंकिंग दी इक्विटी फंड्स क्या हैं जाती है, उन्हें मिड कैप कंपनियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. मिड-कैप म्यूचुअल फंड्स, मिड-कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी-संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में अपनी कुल संपत्ति का न्यूनतम 65 प्रतिशत निवेश करते हैं.
ये फंड मिड-कैप कंपनियों में उच्च विकास क्षमता के साथ निवेश करते हैं, लेकिन इन कंपनियों इक्विटी फंड्स क्या हैं द्वारा एक निश्चित पैमाने और स्थिरता प्राप्त करने के बाद से छोटे कैप से जुड़े जोखिमों को प्रदर्शित नहीं किया जाता है. मिड कैप म्यूचुअल फंड लार्ज कैप फंड्स की तरह जोखिम भरे नहीं होते हैं और बिना बड़े कैप के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देते हैं.
जोखिमों को समझना
लार्ज-कैप फंड्स की तुलना में मिड-कैप इक्विटी फंड्स बहुत अधिक अस्थिर होते हैं. वे जोखिम उठाते हैं, हालांकि वे अच्छा फायदा भी देते हैं. अगर आपके पास उच्च जोखिम लेने की क्षमता है तो आप मिड-कैप फंड में निवेश कर सकते हैं. हालांकि निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता का मूल्यांकन जरूर कर लें. मिड कैप इक्विटी फंड में निवेश तभी करें अगर बाजार में उतार-चढ़ाव का आप पर ज्यादा असर नहीं होता है और आप लंबे समय तक निवेशित रहने की योजना बनाते हैं.
कंपाउंडिंग का मिलता है फायदा
मिड-कैप फंड निवेशकों को शानदार कंपाउंडिंग लाभ देते हैं. हालांकि, इसके लिए समय की जरूरत होती है क्योंकि ये फंड अस्थिर होते हैं और इसलिए लंबी अवधि के लिए निवेशित रहने से अच्छे रिटर्न हासिल करने में मदद मिलती है. वे मिड-कैप कंपनियों में निवेश करते हैं जो विकास के चरण में हैं, जबकि उनमें से कुछ कल की लार्ज-कैप कंपनियां होंगी. इसलिए, मिड-कैप कंपनियों में निवेश करने से मिलने वाले फायदे के लिए 5 साल से अधिक का समय का निवेश होना जरूरी है.
बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली मिडकैप स्कीम
अब जब आप समझ गए हैं कि वास्तव में मिड-कैप इक्विटी फंड व उनके साथ जुड़े जोखिम के लिए आपका एक निश्चित समय के लिए निवेश करना जरूरी है. ऐसे में अब आइए शीर्ष पांच मिड-कैप इक्विटी फंड योजनाओं को देखें:
देना होगा टैक्स
जब आप मिड कैप फंड की इकाइयों को भुनाते हैं, तो आप टैक्स योग्य पूंजीगत लाभ कमाते हैं. वहीं जिस दर पर आप पर टैक्स लगाया जाएगा वह उस अवधि पर निर्भर करता है जिसके लिए आप स्कीम में निवेश कर रहे हैं. होल्डिंग अवधि और टैक्स की दरें इस प्रकार हैं:
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) – एक वर्ष तक की होल्डिंग अवधि. एसटीसीजी पर 15% कर लगता है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) – एक वर्ष से अधिक की होल्डिंग अवधि. एलटीसीजी पर कोई टैक्स नहीं है. वहीं 1 साल में 1 लाख रुपये के ऊपर, LTCG पर इंडेक्सेशन के लाभ के बिना 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाता है.
(उपरोक्त सूची केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है. निवेश करने से पहले, कृपया अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर करें.)
बाजार में गिरावट के बीच, निवेशक का सेक्टोरल फंड्स की ओर रूझान, इक्विटी फंड्स क्या हैं जानिए इसमें निवेश को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
Mutual Fund Investment: सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में निवेशकों की ओर से अप्रैल माह में 3843 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।
सांकेतिक फोटो (Photo : Freepik)
शेयर बाजार में उथल-पुथल के बीच, रिटेल निवेशक जमकर सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स (Sectoral and Thematic Funds) में पैसा लगा रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स (Association of Mutual Funds) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में निवेशकों की ओर से अप्रैल माह में 3843 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है जो सभी नौ प्रकार की इक्विटी म्यूचुअल स्कीम में सबसे अधिक हैं। वहीं, इस बीच पैसिव फंड स्कीम्स में भी करीब 15,887 करोड़ रुपए का निवेश देखने को मिला जबकि सभी इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम्स में करीब 15,890 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है।
सेक्टोरल फंड का क्या है फंडा?: सेक्टोरल फंड को एक हाई रिस्क कैटेगरी वाला फंड माना जाता है जो शेयर मार्केट में केवल एक ही सेक्टर पर निवेश करता है यह इक्विटी फंडों से बिल्कुल अलग होता है जो एक साथ अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड करके कई सेक्टरों में निवेश करते हैं। सेक्टोरल को एक ही सेक्टर बेस्ट होते हैं जिस कारण उस सेक्टर के अच्छा करने पर यह निवेशकों को बाजार रिटर्न के मुकाबले अधिक देते हैं।
वहीं, अगर जिस सेक्टर में उस फंड का पैसा लगा हुआ है वह अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है तो निवेशकों को नुकसान भी हो सकता है। इस कारण निवेशकों को कहीं भी निवेश करने से पहले उसमें रहने वाले जोखिम को भी जांच और परख लेना चाहिए। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो सेक्टोरल फंड अक्सर छोटी अवधि में अच्छा रिटर्न देते हैं जबकि लंबी अवधि में वह औसत से कम रिटर्न देते हैं।
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मायवेल्थग्रोथडॉटकॉम के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला का कहना है कि सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स जब ही अच्छा रिटर्न देते हैं तब किसी सेक्टर का आउटलुक काफी अच्छा होता है। लेकिन ये फंड केवल सेक्टर बेस्ड होते हैं। अगर मैं सेक्टर अच्छा नहीं करता है तो आपका रिटर्न नेगेटिव भी हो सकता है। ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि निवेशक पिछले रिटर्न देखकर सेक्टोरल फंड में निवेश करते हैं लेकिन यह इन फंड्स में निवेश करने का सही तरीका नहीं है।
चेतनवाला का कहना है कि किसी भी निवेशक के लिए सेक्टोरल फंड की अपेक्षा इक्विटी फंड में निवेश करना अधिक फायदेमंद है क्योंकि वहां पर पेशेवर फंड मैनेजर होते हैं जो बाजार की रिस्क को मैनेज करते हुए एक साथ कई सेक्टरों में निवेश करते हैं। आगे उन्होंने कहा, “सेक्टोरल फंड में इक्विटी फंड के मुकाबले उतार चढ़ाव अधिक रहता है। किसी भी निवेशक का पोर्टफोलियो में अधिक निवेश इक्विटी फंड्स में होना चाहिए यदि आप सेक्टोरल फंड में निवेश ही करना चाहते हैं तो यह आपके पोर्टफोलियो का 5 से 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।”