कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं?

कैसे डिविडेंड्स कैलकुलेट करें (Calculate Dividends)
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जब कोई कंपनी पैसा बनाती है, तो उसके पास आमतौर पर दो सामान्य विकल्प होते हैं। एक तरफ, अपने ख़ुद के कामकाज का विस्तार करना, नए उपकरण खरीदना, कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? आदि करने में कंपनी इन पैसों को पुनर्निवेश (re-invest) कर सकती है। (इस तरह खर्च किये गए पैसों को “प्रतिधारित कमाई या retained earnings” कहा जाता है)। दूसरी ओर, कंपनी अपने इन्वेस्टर्स (निवेशकों) को भुगतान करने के लिए इस अपने मुनाफे का उपयोग कर सकती है। इस तरह से इन्वेस्टर्स को दिया जाने वाला पैसा "डिविडेंड (यानि लाभांश)" कहलाता है। एक कंपनी द्वारा अपने शेयरधारक को कितना डिविडेंड देय है, यह कैलकुलेट करना आमतौर पर काफ़ी आसान होता है; dividend per share या DPS (यानी प्रति शेयर जितना डिविडेंड देय है) को बस आपके पास मौजूद शेयर्स की संख्या से मल्टिप्लाय कर दीजिये। DPS को price per share (यानि, प्रति शेयर की कीमत) से डिवाइड करके "डिविडेंड यील्ड या लाभांश उपज" (आपकी इन्वेस्टमेंट का उतना परसेंट जो आपकी स्टॉक होल्डिंग्स आपको डिविडेंड के रूप में कमाकर देगी) का पता लगाना भी संभव है। [१] X रिसर्च सोर्स
आपके पास स्टॉक के कितने शेयर्स हैं इसका पता लगाएं. यदि आपके पास इस बात की जानकारी पहले से उपलब्ध नहीं है कि कंपनी के कितने शेयर्स आपके पास हैं, तो उसका पता लगाएं। आप आमतौर पर यह जानकारी अपने ब्रोकर या इन्वेस्टमेंट एजेंसी से संपर्क करके या कंपनी द्वारा अपने इन्वेस्टर्स को डाक या ईमेल द्वारा नियमित रूप से भेजे जाने वाले स्टेटमेंट्स की जांच करके, प्राप्त कर सकते हैं।
क्या होते हैं डिविडेंड यील्ड फंड, कोविड वाले साल में दिया 80 फीसदी रिटर्न
Mutual Funds: कोरोना के उथल-पुथल वाले मार्केट में भी इन फंड्स ने 60-80% से ज्यादा के रिटर्न कमाकर दिए हैं. वहीं 5 साल की अवधि में भी इनका CAGR 11-18% के बीच रहा है.
- खुशबू तिवारी
- Publish Date - May 7, 2021 / 07:42 PM IST
image: pixabay: एसेट एलोकेशन आपके पैसे को बेहतरीन तरीके से काम करने की एक प्रक्रिया है. शब्द "एसेट एलोकेशन फंड" एक ऐसे फंड को दर्शाता है, जो कई प्रकार के एसेट टाइप्स में निवेश करते हैं.
Mutual Funds: कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था के लिए अनिश्चितता पैदा हो गई है. इस वक्त निवेश की सुरक्षा के साथ ही बढ़ रही महंगाई से बेहतर रिटर्न कमाना भी जरूरी है. इक्विटी बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा है और यहां निवेश की सुरक्षा को लेकर चिंता रही है, लेकिन बतौर एसेट क्लास यही कैटेगरी है जिसने महंगाई को लंबे समय में बड़े मार्जिन से मात दी है.
इस कैटेगरी में डिविडेंड यील्ड फंड अच्छे रिटर्न के साथ आपको बड़ी कमाई का मौका दे सकते हैं.
क्या होते हैं डिविडेंड यील्ड फंड?
ये म्यूचुअल फंड्स की वो कैटेगरी है जो उन कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं जो अच्छा डिविडेंड देती हैं. ये वो कंपनियां हैं जिन्होंने अपनी वैल्यू को लगातार साबित किया है. ये कंपनियां शेयर धारकों को मोटे डिविडेंड देकर भी बेहतरीन कमाई कराती हैं.
अगर सीधे शेयर बाजार में निवेश ना कर आप ऐसे बड़े डिविडेंड देने वाली कंपनियों के बास्केट में निवेश करना चाहते हैं तो डिविडेंड यील्ड फंड ही आपके काम आएंगे. क्योंकि ये कंपनियां अपना प्रदर्शन साबित कर चुकी है, इनमें अक्सर अच्छे रिटर्न की उम्मीद रहती है.
कोरोना वाले साल में कैसा रहा प्रदर्शन?
कोरोना के उथल-पुथल वाले मार्केट में भी इन फंड्स ने 60 फीसदी के ऊपर के रिटर्न दिए हैं. वहीं 5 साल की अवधि में भी इनका CAGR 11 से 18 फीसदी के बीच रहा है.
मान लीजिए आपने आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल के डिविडेंड यील्ड फंड में एक साल पहले 10 हजार की SIP शुरू की होती तो आपकी ये रकम अब तक 1.54 लाख रुपये हो जाती. इसी तरह 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश 1.75 लाख रुपये हो चुका होता.
इनके अलावा, HDFC म्यूचुअल फंड ने भी दिसंबर 2020 में ही डिविडेंड यील्ड फंड लॉन्च किया है. इस फंड ने लॉन्च से अब तक 11.14 फीसदी का रिटर्न दिया है. इसका एक्सपेंस रेश्यो 0.37 फीसदी है. एक्सपेंस रेश्यो वो चार्ज है जो फंड हाउस आपसे मैनेजमेंट फीस के तौर पर लेता है.
Source: Value Research
पोर्टफोलियो में कौन सी कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? कंपनियां कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? शामिल?
इन फंड्स में वो शेयर हैं जिन्होंने अच्छे डिविडेंड दिए हैं. मसलन, HDFC डिविडेंड यील्ड फंड का 5.81 फीसदी निवेश HUL में है और 5.44 फीसदी इंफोसिस में है. इस फंड का ITC में 4.46 फीसदी एक्सपोजर है, जबकि TCS में 4.38 फीसदी निवेश है.
इनमें से HUL ने चौथी तिमाही के नतीजों के साथ ही 17 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड का ऐलान किया है. वहीं, इंफोसिस और TCS दोनों ने 15 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड का ऐलान किया है.
डिविडेंड यील्ड वाले इस NFO में भी लगा सकते हैं पैसे
पहले से लॉन्च होकर अपना प्रदर्शन दिखा चुके फंड्स आप चुन सकते हैं. हालांकि, इसी कैटेगरी का एक NFO भी अभी खुला हुआ है. फिलहाल टाटा डिविडेंड यील्ड का न्यू फंड ऑफर चल रहा है. ये NFO 17 मई तक खुला है.
इस NFO में न्यूनतम निवेश 5,000 रुपये का है. NFO के बाद लॉन्च होने के बाद फंड की NAV तय होगी. इस फंड के मैनेजर शैलेश जैन रहेंगे.
फंड की फैक्टशीट में दी गई जानकारी के मुताबिक ये फंड REITs, InvITs और विदेशी बाजार में भी निवेश कर सकता है.
क्या इनमें निवेश करना चाहिए?
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर पंकज मलाडे मानते हैं कि इन फंड्स में जोखिम सीमित है क्योंकि इन्होंने उन्हीं कंपनियों में निवेश किया है जिन्होंने अपना प्रदर्शन और वैल्यू साबित की है.
उनका कहना है कि बाजार में SEBI के नियमों के बाद अभी कई तरह की कैटेगरी आ गई हैं. हालांकि ये भी किसी अन्य आम इक्विटी स्कीम जैसे ही है. निवेशक चाहें तो अपने लिए डायवर्सिफाइड और लार्जकैप फंड चुन सकते हैं.
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स इक्विटी फंड्स में लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने की सलाह देते हैं.
(Disclaimer: म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले जोखिम जरूर समझें, अपने एडवाइजर से सलाह लेने के बाद ही निवेश करें.)
Dividend KYA HOTA HAI
लाभांश शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है लाभ + अंश , लाभ का अंश,
इसको अगर हम Simple Language में समझे तो
किसी बिजनेस के मुनाफे को अपने हिस्सेदारो के बीच में शेयर करना
लेकिन जब कोई बिजनेस डिविडेंड देता है तो पूरे के पूरे मुनाफे को हिस्सेदारो के साथ में शेयर नहीं करता मुनाफे के एक छोटे से हिस्से को शेयर करता है अगर बिजनेस अपने पूरे के पूरे मुनाफे को हिस्सेदारों के साथ में शेयर कर देगा तो बिजनेस के पास खुद में री इन्वेस्ट करने के लिए कुछ नहीं बचेगा इसलिए मुनाफे के एक छोटे से हिस्से को ही हिस्सेदारो के साथ में शेयर किया जाता है
मान लो कि आपकी कोई कंपनी हो और आप अपने हिस्सेदारों के साथ में मुनाफे को शेयर करना चाहते हैं तो आप के के एक छोटे से हिस्से को ही शेयर करेंगे
जिसको कहा जाता है डिविडेंड,
उम्मीद है कि अब तक आप समझ चुके होंगे कि डिविडेंड क्या होता है अब हम सीखेंगे स्टॉक मार्केट की भाषा में डिविडेंड क्या होता है जब कोई कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाती है तो उसके बहुत सारे हिस्से मतलब शेयर बन जाते हैं कंपनी को लिस्ट कराया जाता है ताकि कोई भी आम आदमी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी खरीद सके और कंपनी का Part Owner बन सके
ओर कम्पनी को अपने BUSINESS को बढ़ाने के लिए पैसा मिल सके
आप किसी कंपनी के स्टॉक खरीदते हैं और कंपनी अच्छा मुनाफा कमाती है अपने मुनाफे में से कुछ पैसे को शेरहोल्डर्स में बाटती है जिस को कहा जाता है डिविडेंड
अब डिविडेंड के साथ में एक नया कांसेप्ट और आ जाता है डिविडेंड यील्ड का इसलिए समझते हैं इसको भी आसान भाषा में कि डिविडेंड यील्ड होता क्या है
तो दोस्तों इसका मतलब होता है कि कंपनी के शेयर प्राइस का कितने परसेंट डिविडेंड कंपनी देती है,
मान लो कि किसी कंपनी के शेयर का प्राइस है ₹100 और कंपनी पर शेयर डिविडेंड देती है ₹5 का तो कंपनी का डिविडेंड यील्ड होगा 5% का,
मतलब कंपनी ने शेयर प्राइस का जितना परसेंट डिविडेंड दिया उसको कहा जाता है डिविडेंड यील्ड
चलिए इसको एक EXAMPLE से समझते हैं मान लो कि आपने ITC कंपनी के 100 शेयर लिए और कंपनी ने मुनाफा कमाया 100 करोड़ का और मुनाफे में से 10 करोड़ को कंपनी ने शेयर होल्डर्स को बांट दिया डिविडेंड के रूप में और कंपनी के टोटल शेयर हो एक करोड़ तो जो डिविडेंड होगा वह होगा ₹10 पर शेयर अब अगर आपके पास में कंपनी के 100 शेयर हैं आप को मिलेंगे ₹1000
और कंपनी का डिविडेंड यील्ड हुआ 10 परसेंट का
डिविडेंड इन्वेस्टर्स के लिए एक बहुत अच्छी इनकम होती है
इसके बेस पर आप फाइनेंसियल फ्री भी हो सकते हैं वह कैसे चलिए बताता हूं आपको
मान लो कि आपका साल का खर्च हो ₹100000
तो अब आपको साल में ₹100000 के डिविडेंड की जरूरत कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? होगी अब आप कर यह सकते हैं कि आप किसी अच्छा डिविडेंड देने वाली कंपनी के स्टॉक खरीदना स्टार्ट कर सकते हैं और कंपनी के स्टॉक खरीदते चले जाएंगे धीरे-धीरे कंपनी अपने स्टॉक का प्राइस भी बढ़ाएगी अगर कंपनी अच्छी है तो डिविडेंड यील्ड भी बढ़ाएगी शेयर खरीदने से आपको डिविडेंड के अलावा भी कई फायदे होते हैं जब आप के शेयर का प्राइस बढ़ेगा तो आपकी वेल्थ भी बढ़ेगी बशर्ते आपने किसी अच्छी कंपनी के शेयर को भी खरीदा हो अगर आप किसी ऐसी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं जो कंपनी घाटे में चल रही है तो कोई भी फायदा नहीं होने वाला अगर कंपनी घाटे में चल रही है तो कंपनी कितना भी डिविडेंड दे लेकिन जितना डिविडेंड देगी उससे ज्यादा स्टॉक का प्राइस कम हो जाएगा इसलिए डिविडेंड के चक्कर में कंपनी को एनालाइज करना मत भूलये
लेकिन अगर आप किसी अच्छी कंपनी के स्टाफ को खरीदते हैं तो कंपनी के शेयर का प्राइस भी बढ़ेगा और डिविडेंड यील्ड भी बढ़ेगा कंपनी जितना ज्यादा मुनाफा बनाएगी उतना ही ज्यादा आपको फायदा होगा इसलिए आपको कभी भी केवल डिविडेंड के चक्कर में आकर किसी कंपनी के स्टाक को नहीं खरीदना चाहिए
आपको सारी की सारी चीजों को एनालाइज करना चाहिए
जैसे कि कंपनी कितने सालों से लगातार मुनाफा बना रही है और क्या आगे भी ऐसे ही बनाती रहेगी अगर बनाती रहेगी समझ लीजिए कि कंपनी आपके लिए एक जैकपोट है और डिविडेंड भी भर भर कर देगी ,
और डिविडेंड इन्वेस्टिंग करने से पहले एक बात का ख्याल जरूर रखिए कि जो ग्रोथ कंपनियां होती है वो कम डिविडेंड पे करती है एक इस्टैबलिश्ड कंपनी के कंपैरिजन में
इसलिए अगर आप डिविडेंड इन्वेस्टिंग करना चाहते हैं तो आपको ब्लूचिप कंपनियों के साथ में जाना चाहिए क्योंकि ब्लू चिप कंपनियां इस्टैबलिश्ड कंपनियां होती है
यह आपको डिविडेंड भी अच्छा देती हैं इनके स्टॉक का प्राइस भी धीरे-धीरे बढ़ता रहता है आपको डिविडेंड से अलग भी करीब 12 से 15% का रिटर्न हर साल यह कंपनियां देती रहती है
तो दोस्तों यह थी डिविडेंड की परिभाषा उम्मीद है कि अब आपको clarity भी हो गई होगी की डिविडेंड क्या होता है
अगर आप सीखना चाहते हैं स्टॉक मार्केट के सारे कांसेप्ट बिल्कुल सिंपल लैंग्वेज में और बेसिक से तो आप सब्सक्राइब कर सकते हैं हमारे यूट्यूब चैनल Trade Booster को जहां पर हम सिखाते हैं स्टॉक मार्केट में पैसा कैसे बनाएं
और जुड़ सकते हैं आप हमारे टेलीग्राम चैनल से
जहां हम एनालाइज करते हैं कंपनियों कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? को कि कौन सी कंपनी डिविडेंड पेइंग कंपनी है और कौन सी कंपनी एक ग्रोथ कंपनी है तो दोस्तों इस पोस्ट को पढ़ने के लिए
आपका धन्यवाद
Adani Port Protests: केरल में अडानी सी पोर्ट का विरोध क्यों कर रहे हैं मछुआरे? बंदरगाह पर क्यों बढ़ रहा विवाद, पूरी डिटेल
अडानी समूह (Adani Group) केरल में साल 2015 से एक मेगा पोर्ट का निर्माण कर रहा है। इसका नाम विझिनजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह (Vizhinjam International Seaport) है। इसे लेकर स्थानीय निवासियों और मछुआरों की ओर से विरोध किया जा रहा है। मछुआरों और स्थानीय लोगों का मानना है कि इस बंदरगाह के बनने से उनकी जीविका पर असर पड़ेगा और पोर्ट के निर्माण की वजह से उत्तर की तरफ़ तट को नुक़सान भी हो रहा है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि पोर्ट (Vizhinjam International Seaport) के निर्माण की वजह से समंदर को हो रहे नुक़सान के बारे में गहन वैज्ञानिक अध्ययन हो। पिछले 120 दिनों से ज्यादा समय से इस बंदरगाह के विरोध में लोगों का प्रदर्शन जारी है। आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला और इस बंदरगाह को लेकर क्यों बढ़ता जा रहा है विवाद।
दो गुटों के बीच हुई थी झड़प
अडानी समूह (Gautam Adani) की ओर से बनाए जा रहे विझिनजम बंदरगाह (Vizhinjam International Seaport) का विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। विरोध कर रहे लोगों के समूह ने बीते रविवार को बंदरगाह पर निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों को रोक दिया था। इस दौरान झड़प हो गई। पुलिस के मुताबिक, बंदरगाह परियोजना का एक समूह समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा विरोध। इसके चलते दो गुटों के बीच झड़प हुई थी। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, बताया जा रहा है कि लैटिन कैथोलिक चर्च के नेतृत्व में भीड़ ने रविवार रात विझिंजम पुलिस थाने पर हमला कर दिया था। इसमें कम से कम 29 कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? पुलिसकर्मी कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? घायल हो गए थे और पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया था। भीड़ ने डंडों और ईंटों से पुलिस स्टेशन को भी निशाना बनाया कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? था।
करोड़ों की लागत से हो रहा निर्माण
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बंदरगाह का निर्माण 75 हजार करोड़ रुपयों की लागत से हो रहा है। इस बंदरगाह का प्रस्ताव कांग्रेस और यूडीएफ़ के गठबंधन की सरकार के दौरान आया था। तब ओमन चांडी केरल के मुख्यमंत्री थे, उस समय भारत में डीप वॉटर पोर्ट भी नहीं था। इस समय बड़े कंटेनर जहाज़ दुबई, सिंगापुर और कोलंबो में ठहरते हैं। ये सभी भारत से आने-जाने वाला सामान के हब भी हैं।
इस वजह से विरोध कर रहे मछुआरे
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मछुआरे और स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार निर्माण कार्य पर रोक लगाकर बंदरगाह की वजह से मरीन इकोसिस्टम पर पड़ने वाले असर का स्वतंत्र ढंग से अध्ययन कराए। हालांकि, अ डानी समूह कौन सी कंपनियां डिविडेंड देती हैं? का दावा है कि उनकी ये परियोजना पूरी तरह नियमबद्ध है और आईआईटी जैसी बड़ी संस्थाओं ने इसकी वजह से तटीय क्षरण होने की बात को नकारा है। इस मामले में हाई कोर्ट की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद अडानी समूह ने निर्माण कार्य शुरू करने की कोशिश की थी। बंदरगाह का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अभी पोर्ट का 30 फीसदी काम ही पूरा हुआ है और इसका दुष्प्रभाव दिखने लगा है। इनकी मांगे हैं कि तट के क्षरण का स्थायी समाधान किया जाए, तटीय क्षरण की वजह से जिन लोगों के घर गए हैं और ज़मीन गई है उन्हें अस्थायी रूप से कहीं और बसाना। वहीं घर और ज़मीन गंवाने वाले लोगों के लिए व्यावहारिक परियोजनाएं लागू करना है।