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खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?

खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?

संघ प्रोटोजोआ (Protozoa):परिचय एवं परिभाषा, लक्षण, वर्गीकरण|hindi

प्रोटोजोआ (PROTOZOA)

परिचय एवं परिभाषा (Introduction and Definition)
प्रोटोजोआ संघ के जीव एककोशिकीय (Unicellular) होते हैं तथा इनका पूरा शरीर एक सुकेन्द्रकीय कोशिका के समान होता है। सरलतम् रचना और निम्नतम् कोटि के,“प्रथम जन्तु" हुए भी ये सुगठित बहुकोशिकीय जन्तुओं के समान सभी प्रमुख जैव-क्रियाएँ करते हैं। इसीलिए इन्हें अकोशिकीय (noncellular or acellular) जन्तु भी कहते हैं। इनकी लगभग 64,000 जातियाँ (लगभग 32,000 विद्यमान और 32,000 विलुप्त) ज्ञात हैं। प्रकृति में प्रोटोजोअन जन्तुओं की कुल संख्या किसी भी अन्य संघ के सदस्यों की कुल संख्या से कहीं अधिक है।

संक्षिप्त इतिहास (Brief History)
प्रोटोजोआ का प्रथम अध्ययन लुइवेनहॉक (Leeuwenhoek, 1677) ने अपने सूक्ष्मदर्शी (microscope) की सहायता से किया।
गोल्डफस (Goldfuss, 1817) ने इस संघ खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? को 'प्रोटोजोआ' का नाम दिया। इनके अध्ययन को प्रोटोजोआ विज्ञान (Protozoology) कहते हैं। Smith ने बताया था कि प्रोटोजोआ संघ के सभी जंतु एक कोशिकीय होते हैं।


लक्षण (Characters)
प्रोटोजोआ संघ के जंतु विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाते हैं जिनका विवरण इस प्रकार हैं-

  1. इस संघ के जंतु जल, गीली मिट्टी, सड़ी-गली कार्बनिक वस्तुओं, आदि में स्वाश्रयी अर्थात स्वतंत्र रूप से(free living) तथा अन्य जन्तुओं एवं पौधों के शरीर में सहजीवी (symbiotic), सहयोजी (commensal) या परजीवी (parasitic) के खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? रूप में रहते हैं। एकाकी या संघीय ।
  2. इस संघ के जंतुओं का शरीर अतिसूक्ष्म लगभग(0.001 - 3.00 मिमी) तक होता है जिसे हम खुली आंखों से इन्हें नहीं देख सकते हैं। इन्हें प्रायः सूक्ष्मदर्शी की सहायता से ही देखा जा सकता हैं।
  3. इनके शरीर की आकृति विविध प्रकार की होती है। जो प्रायः जाति के अनुसार स्थाई, कुछ वातावरणीय दशाओं में तथा कुछ आयु या गमन की आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तनशील होते रहते हैं।
  4. इनका शरीर नग्न या महीन झिल्ली द्वारा ढका रहता है जिसे पेलिकल कहते हैं। जबकि कुछ जंतुओं में उनका शरीर कठोर खोल में बन्द रहता है।
  5. इनके एककोशिकीय शरीर में जटिल यौगिकों के अणुओं से बनी तथा विभिन्न कार्यों को करने के लिए विविध प्रकार की विशिष्ट रचनाएँ होती है जिन्हें अंग (organs) न कहकर अंगक (खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? organelles) कहते हैं। ये अन्तःकोशिकीय (intracellular) “श्रम विभाजन (division of labour)” प्रदर्शित करते हैं। इसीलिए प्रोटोजोआ को “जीवद्रव्य के स्तर पर गठित (protoplasmic level of body organization) जन्तु" कहते हैं।
  6. ऐसे संघ के जंतुओं में गमन के लिए पादाभ (pseudopodia), कशाभिकाएँ (flagella), या रोमाभ (cilia) होते हैं जिसके द्वारा यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा पाते हैं।
  7. इन जंतुओं में एक, दो या कई समान केन्द्रक (nuclei) होते हैं जबकि कुछ में केन्द्रक दो प्रकार के भी होते खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? हैं।
  8. इन जंतुओं में पोषण की विधियां क्रमशः प्राणिसम (holozoic), पादपसम (holophytic) व मृतोपजीवी (saprophytic or saprozoic) होती है तथा कुछ जंतु परजीवी (parasitic) भी होते हैं। कई जीव ऐसे भी होते हैं जिनमें एक से अधिक पोषण विधियाँ (मिश्रपोषी-mixotrophic) होती है। प्राणिसम सदस्यों में पाचन खाद्य-धानियों (food-vacuoles) में होता है।
  9. इनमें गैसीय विनिमय तथा उत्सर्जन के लिए कोई विशेष अंग नहीं होते हैं। यह शरीर की सतह से सामान्य विसरण (diffusion) द्वारा पूरी होती है।
  10. आवश्यकता पड़ने पर शरीर में जल की मात्रा के नियन्त्रण (परासरण नियन्त्रण osmoregulation) के लिए एक या अधिक संकुचनशील रिक्तिकाएँ (contractile vacuoles) बनने लगती हैं। जिसके द्वारा यह अपने शरीर में जल की मात्रा को नियंत्रित करते हैं।
  11. वातावरणीय परिवर्तनों, अर्थात् उद्दीपनों (stimuli) के अनुसार इनकी प्रतिक्रियाशीलता (responsivity) अत्यधिक सरल होती है।
  12. इनमें जनन, अलैंगिक (asexual) अथवा लैंगिक (sexual) दोनों विधियों द्वारा होता है। जनन के लिए या प्रतिकूल वातावरणीय दशाओं में सुरक्षा के लिए, परिकोष्ठन (encystment) की व्यापक क्षमता का विकास होता है।
  1. उपसंघ सार्कोमैस्टिगोफोरा (Subphylum Sarcomastigophora)
  2. उपसंघ स्पोरोजोआ (Subphylum Sporozoa)
  3. उपसंघ निडोस्पोरा (Subphylum Cnidospora)
  4. उपसंघ सिलियोफोरा (Subphylum Ciliophora)
  • उपसंघ सार्कोमैस्टिगोफोरा (Subphylum Sarcomastigophora)

इन्हें तीन वर्गों में बाँटा गया है-

1. वर्ग मैस्टिगोफोरा या फ्लैजेलैटा (Class Mastigophora or Flagellata) : इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
(i) गमनांगक एक या अधिक महीन धागे सदृश कशाभिकाएँ (flagella)
(ii) अनेक सदस्य पादपों की भाँति पर्णहरिमयुक्त अर्थात् क्लोरोफिलयुक्त। उदाहरण- यूग्लीना (Euglena)। परजीवी ट्रिपैनोसोमा (Trypanosoma) जिसके संक्रमण से अफ्रीकी निद्रारोग (sleeping sickness) हो जाता है। इसे ग्लोसाइना पाल्पैलिस (Glossina palpalis) नामक जाति का कीट फैलाता है।

2. वर्ग सारकोडिना या हाईजोपोडा (Class Sarcodina or Rhizopoda) : इस वर्ग के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
(i) गमनांगक पादाभ पाए जाते हैं।
(ii) शरीर की आकृति प्रायः परिवर्तनशील रहती है। उदाहरण- अमीबा (Amoeba), परजीवी एन्टअमीबा (Entamoeba)।

3. वर्ग ओपैलाइनैटा (Class Opalinata) : इस वर्ग के जंतुओं के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
(i) इस वर्ग के सभी जंतु चपटे होते हैं जो ऐम्फीबिया खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? वर्ग के जीवो की आँत के परजीवी के रूप में पाए जाते हैं।
(ii) कोशिकामुख (cytostome) अनुपस्थित रहते हैं।
(iii) गमनांगक अनेक रोमाभसदृश छोटी-छोटी कशाभिकाओं द्वारा होता है।
(iv) केन्द्रक दो या अधिक, सब समान।
(v) जनन संयुग्मन (conjugation) द्वारा नहीं होता है। उदाहरण- ओपैलाइना (Opalina)।

  • उपसंघ स्पोरोजोआ (Subphylum Sporozoa)

स्पोरोजोआ को बीजाणुओं की उपस्थिति अनुपस्थिति के आधार पर दो वर्गों में बाँटा गया हैं-

1. वर्ग टीलोस्पोरिया (Class Telosporea) : बीजाणुक (sporo zoites) लम्बवत् और प्रायः बीजा णुओं में । उदाहरण–प्लाज्मोडियम (Plasmodium); मोनोसिस्टिस (Monocystis)।

2. वर्ग पाइरोप्लाज्मिया (Class Piroplasmea) : पशुओं के लाल रुधिराणुओं के अतिसूक्ष्म परजीवी जिनमें बीजाणु नहीं बनते, अर्थात् खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? बीजाणुक नग्न होते हैं। इनसे पशुओं में टेक्सास ज्वर (Texas cattle fever) नामक रोग होता है। उदाहरण बैबेसिया (Babesia)।

  • उपसंघ निडोस्पोरा (Subphylum Cnidospora)

निडोस्पोरा को भी, बीजाणुओं के विकास की विधि के आधार पर, दो वर्गों में बाँटा गया है

1. वर्ग मिक्सोस्पोरिया (Class Mixosporea) : इस वर्ग के जंतुओं के बीजाणुओं का विकास कई केन्द्रकों से होता है। इनके बीजाणु-खोल दो या तीन कपाटों (valves) के बने होते हैं। उदाहरण-सीरैटोमिक्सा (Ceratomyxa) ।

  • उपसंघ सिलियोफोरा (Subphylum Ciliophora)

इसके सारे सदस्य एक ही वर्ग में,वर्ग सिलिएटा (Class Ciliata) में आते हैं, उदाहरण- पैरामीशियम (Paramecium)।

Nipat (Particle)-निपात

संसार की विभिन्न भाषाओं में अनेक दृष्टियों से शब्दों का वर्गीकरण किया गया है। भारतवर्ष में शब्दों का प्राचीनतम वैज्ञानिक वर्गीकरण यास्क मुनि का माना जाता है। इसके अनुसार शब्द चार प्रकार के खातों में खतियाये गये हैं।
'चत्वारि पदजातानि नमाख्याते चोपसर्गनिपातश्च'
नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात। आजतक जितने भी शब्द-वर्गीकरण किये गये हैं उनमें इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है।

''भाषा में दो तरह के शब्द प्रमुख है- नाम और आख्यात- संज्ञाएँ और क्रियाएँ। दूसरे दर्ज पर हैं उपसर्ग और निपात (या अव्यय)। नाम और आख्यात स्वतंत्र चलते हैं और उपसर्ग, निपात इनकी सेवा में रहते हैं।''- ''हिन्दी शब्दानुशासन'' श्री किशोरीदास वाजपेयी''

निपात ऐसा सहायक शब्द भेद है जिसमें वे शब्द आते हैं खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? जिनके प्रायः अपने शब्दावलोसंबंधी तथा वस्तुपरक अर्थ नहीं होते हैं।'' यथा- तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश।

अन्य शब्द भेदों से निपात खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? का इस बात में अन्तर है कि अन्य शब्द भेदों का अर्थात संज्ञाओं, विशेषणों, सर्वनामों, क्रिया-विशेषणों आदि का अपना अर्थ होता है किन्तु निपातों का नहीं। वाक्य को अतिरिक्त भावार्थ प्रदान करने के लिए निपातों का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूरे वाक्य में होता है।

ये सहायक शब्द होते हुए भी निश्चित वाक्य नहीं हो सकते। वाक्य में इनके प्रयोग से उस वाक्य का अर्थ प्रभावित होता है। निपात वाक्य में निम्नलिखित कार्य करते हैं।

निपात के प्रमुख कार्य

प्रश्न- जैसे- क्या वह विद्यालय गया था ?
अस्वीकृति- जैसे-वह घर पर नहीं है।
विस्मयादिबोधक- जैसे- कैसी सुहावनी रात है।
किसी शब्द पर बल देना- जैसे- मुझे भी इसका पता है।

यास्क ने निपात के तीन भेद माने है-
(1) उपमार्थक निपात : यथा- इव, न, चित्, नुः
(2) कर्मोपसंग्रहार्थक निपात : यथा- न, आ, वा, ह;
(3) पदपूरणार्थक निपात : यथा- नूनम्, खलु, हि, अथ।

निपात के प्रकार

निपात के नौ प्रकार होते हैं-
(1) स्वीकारात्मक निपात- हाँ, जी, जी हाँ। ये सब निपात स्वीकृति खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? को व्यक्त करते हैं तथा सदैव स्वीकारार्थक उत्तर के आरम्भ में आते हैं।
प्रश्न- तुम विद्यालय जाते हो ?
उत्तर- जी।
प्रश्न- आप घर जा रहे हैं ?
उत्तर- जी हाँ।
जी तथा जी हाँ निपात विशेष आदरसूचक स्वीकारार्थक उत्तर के समय प्रयुक्त होते हैं।

(2) नकारात्मक निपात- नहीं, जी नहीं।
प्रश्न: तुम्हारे पास यह कलम है ?
उत्तर- नहीं।

(3) निषेधात्मक निपात- मत।
मत- आज आप मत जाइए। मुझे अपना मुँह मत दिखाना।

(4) आदरार्थक निपात- क्या, न।
क्या- तुम्हें वहाँ क्या मिलता है ?
न- तुम अँगरेजी पढ़ना नहीं जानते हो न ?

(5) तुलनात्मक- सा।
सा- इस लड़के सा पढ़ना कठिन है।

(6) विस्मयार्थक निपात- क्या, काश।
क्या- क्या सुन्दर लड़की है !
काश- काश ! वह न गया होता !

(7) बलार्थक या परिसीमक निपात- तक, भर, केवल, मात्र, सिर्फ, तो, भी, ही।
तक- मैंने उसे देखा तक नहीं। हमने उसका, नाम तक नहीं सुना।
भर- मेरे पास पुस्तक भर है। उसको अपनी कॉपी भर दे दो।
केवल- वह केवल सजाकर रखने की वस्तु है।
मात्र- वह मात्र सुन्दर थी, शिक्षित तो नहीं थी।
ही- उसका मरना ही था कि घर-का-घर बर्बाद हो गया।
भी- मैं भी यहीं रहता हूँ।

(8) अवधारणबोधक निपात- ठीक, लगभग, करीब।
ठीक- ठीक समय पर पहुँचा। ठीक पाँच हजार रुपये उसने दिये।
लगभग- लगभग पाँच लाख विद्यार्थी इस वर्ष प्रवेशिका की परीक्षा दे चुके हैं।
करीब- इस समय करीब पाँच बजे हैं।

(9) आदरसूचक निपात- जी।
जी- यह निपात व्यक्तिवाचक या जातिवाचक नाम, उपाधि तथा पद आदि सूचित करने वाले संज्ञा शब्दों के बाद प्रयुक्त होता है। जैसे- इन्दिरा जी, गुरुजी, डॉक्टर जी, वर्माजी।

कंप्यूटरों का वर्गीकरण | Classification Of Computers - TadkaBright.Com

Computer Ka Vargikaran (Classification Of Computers)

TadkaBright || दोस्तों क्या आपने कभी डिजिटल कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, माइक्रो कंप्यूटर, एनालॉग कंप्यूटर और भी कही वर्गों के कंप्यूटरों का नाम सुना है तो अच्छी बात है अगर नहीं सुना तो कोई बात नही क्योंकि आज हम इस लेख के माध्यम से सभी वर्गो के कंप्यूटरों की जानकारी देने वाले हैं, यानि की "कंप्यूटरों का वर्गीकरण" करने वाले है। तो पोस्ट को खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? आप अंत तक जरुर पढ़े ताकि आपको कंप्यूटर के वर्गीकरण के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सके।

कंप्यूटर का वर्गीकरण डाटा प्रोसेसिंग क्षमता के आधार पर कर सकते है। कंप्यूटर उनके डाटा को सँभालने की क्षमता, उद्देश्य, कार्य करने की क्षमता, आकार, स्टोरेज क्षमता और परफॉरमेंस के हिसाब से वर्गीकरण किये गए है।

ऑपरेटिंग सिद्धांतों के आधार पर कंप्यूटरों का वर्गीकरण (Classification Of Computers Based On Operating Principles)

ऑपरेटिंग सिद्धांतों के आधार पर और डाटा को सँभालने की क्षमता के आधार पर खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? कम्प्यूटरों का वर्गीकरण तीन भागों में किया गया है - एनालॉग कंप्यूटर, डिजिटल कंप्यूटर और हाइब्रिड कंप्यूटर। तो आइये इन तीनो को विस्तार से जानते है -

एनालॉग कंप्यूटर मापन के सिद्धांतों पर काम करता है, और जो भी मापन प्राप्त होता है उसे डेटा में परिवर्तित कर देता है। एनालॉग कंप्यूटर सीधे नंबरों पर ऑपरेट नहीं करते है। एनालॉग कंप्यूटर का उपयोग वॉल्टेज, करंट और तापमान को मापने के लिए किया जाता है।

डिजिटल कम्प्यूटर्स इंफॉर्मेशंस के डिजिटल फॉर्म में कार्य करते है। डिजिटल कंप्यूटर ज्यादा तेज गति से और शुद्धता से ऑपरेट करते है। ये कंप्यूटर गिनती से काम (ऑपरेट) करते है। डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग सामान्य प्रयोजन अनुप्रयोगों और डाटा की विशाल मात्रा को प्रोसेस करने के लिए करते है।

हाइब्रिड कंप्यूटर एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर, दोनों ही कम्प्यूटरों के फीचर को दिखाता (प्रद्रशित) है। हाइब्रिड कंप्यूटर सिस्टम सेटअप एक लागत प्रभावी जटिल सिमुलेशन को प्रद्रशित करने का तरीका प्रदान करता है। हाइब्रिड कंप्यूटर एक कंट्रोलर के समान काम करते है और लॉजिकल ऑपरेशन प्रदान करते है।

स्टोरेज क्षमता, आकार और प्रदर्शन के आधार पर कम्प्यूटरों का वर्गीकरण (Classification Of Computers Based On Storage Capacity, Size And Performance)

कंप्यूटर एक बड़े कमरे, मोबाइल के माइक्रो कंट्रोलर, लैपटॉप और एम्बेडेड सिस्टम के आकार के हो सकते है। इस तरह के चार कम्प्यूटर्स है - सुपर कंप्यूटर, मैनफ्रेम कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर और माइक्रो कंप्यूटर।

सुपर कम्प्यूटर्स डेटा के स्टोरेज क्षमता, प्रदर्शन और डेटा के प्रोसेस के मामले में सबसे शक्तिशाली होते है। पहला सुपर कंप्यूटर 1964 में बनाया गया था जिसका नाम CDC 6600 था। सुपर कंप्यूटर बहुत ही ख़ास कंप्यूटर होते है, इनका उपयोग बड़ी और इम्पोर्टेन्ट खोजों और वैज्ञानिक काम के उद्देश्यों को करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर इनका उपयोग अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने और उनको नियंत्रित करने के लिए और अंतरिक्ष में खोज करने के लिए किया जाता है। सुपर कंप्यूटर को कार्य करने के लिए ज्यादा जगह की जरुरत पड़ती है और ये कंप्यूटर बहुत महँगे होते है।

मौसम की भविष्यवाणी : - सुपर कम्प्यूटरों का इस्तेमाल अनुमान लगाने, मौसम की भविष्यवाणी का, बरसात का, प्रकृति का और इन सब की तीव्रता का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

भूकम्प की जानकारी लेना : - सुपर कम्प्यूटर का इस्तेमाल भूकंप घटना की खोज करने के लिए भी किया जाता है। इनका इस्तेमाल प्राकृतिक गैस, कोयला और पेट्रोलियम जैसे संसाधनों की खोज करने के लिए भी करते है।

➤ दूरभाष : - सुपर कंप्यूटर विभिन्न मशीनों, उपकरणों और खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? व्यक्तियों के बीच संचार व्यवस्था को बढ़ाने में सहायक होतें है। सुपर कंप्यूटर के और भी कही उपयोग है।

कंप्यूटरों का वर्गीकरण | Classification Of Computers - TadkaBright.Com

Computer Ka Vargikaran (Classification Of Computers)

TadkaBright || दोस्तों क्या आपने कभी डिजिटल कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, माइक्रो कंप्यूटर, एनालॉग कंप्यूटर और भी कही वर्गों के कंप्यूटरों का नाम सुना है तो अच्छी बात है अगर नहीं सुना तो कोई बात नही क्योंकि आज हम इस लेख के माध्यम से सभी वर्गो के कंप्यूटरों की जानकारी देने वाले हैं, यानि की "कंप्यूटरों का वर्गीकरण" करने वाले है। तो पोस्ट को आप अंत तक जरुर पढ़े ताकि आपको कंप्यूटर के वर्गीकरण के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सके।

कंप्यूटर का वर्गीकरण डाटा प्रोसेसिंग क्षमता के आधार पर कर सकते है। कंप्यूटर उनके डाटा को सँभालने की क्षमता, उद्देश्य, कार्य करने की क्षमता, आकार, स्टोरेज क्षमता और परफॉरमेंस के हिसाब से वर्गीकरण किये गए है।

ऑपरेटिंग सिद्धांतों के आधार पर कंप्यूटरों का वर्गीकरण (Classification Of Computers Based On Operating Principles)

ऑपरेटिंग सिद्धांतों के आधार पर और डाटा को सँभालने की क्षमता के आधार पर कम्प्यूटरों का वर्गीकरण तीन भागों में किया गया है - एनालॉग कंप्यूटर, डिजिटल कंप्यूटर और हाइब्रिड कंप्यूटर। तो आइये इन तीनो को विस्तार से जानते है -

एनालॉग कंप्यूटर मापन के सिद्धांतों पर काम करता है, और जो भी मापन प्राप्त होता है उसे डेटा में परिवर्तित कर देता है। एनालॉग कंप्यूटर सीधे नंबरों पर ऑपरेट नहीं करते है। एनालॉग कंप्यूटर का उपयोग वॉल्टेज, करंट और तापमान को मापने के लिए किया जाता है।

डिजिटल कम्प्यूटर्स इंफॉर्मेशंस के डिजिटल फॉर्म में कार्य करते है। डिजिटल कंप्यूटर ज्यादा तेज गति से और शुद्धता से ऑपरेट करते है। ये कंप्यूटर गिनती से काम (ऑपरेट) करते है। डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग सामान्य प्रयोजन अनुप्रयोगों और डाटा की विशाल मात्रा को प्रोसेस करने के लिए करते है।

हाइब्रिड कंप्यूटर एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर, दोनों ही कम्प्यूटरों के फीचर को दिखाता (प्रद्रशित) है। हाइब्रिड कंप्यूटर सिस्टम सेटअप एक लागत प्रभावी जटिल सिमुलेशन को प्रद्रशित करने का तरीका प्रदान करता है। हाइब्रिड कंप्यूटर एक कंट्रोलर के समान काम करते है और लॉजिकल ऑपरेशन प्रदान करते है।

स्टोरेज क्षमता, आकार और प्रदर्शन के आधार पर कम्प्यूटरों का वर्गीकरण (Classification Of Computers Based On Storage Capacity, Size And Performance)

कंप्यूटर एक बड़े कमरे, मोबाइल के माइक्रो कंट्रोलर, लैपटॉप और एम्बेडेड सिस्टम के आकार के हो सकते है। इस तरह के चार कम्प्यूटर्स है - सुपर कंप्यूटर, मैनफ्रेम कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर और माइक्रो कंप्यूटर।

सुपर कम्प्यूटर्स डेटा के स्टोरेज क्षमता, प्रदर्शन और डेटा के प्रोसेस के मामले में सबसे शक्तिशाली होते है। पहला सुपर कंप्यूटर 1964 में बनाया गया था जिसका नाम CDC 6600 था। सुपर कंप्यूटर बहुत ही ख़ास कंप्यूटर होते है, इनका उपयोग बड़ी और इम्पोर्टेन्ट खोजों और वैज्ञानिक काम के उद्देश्यों को करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर इनका उपयोग अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने और उनको नियंत्रित करने के लिए और अंतरिक्ष में खोज करने के लिए किया जाता है। सुपर कंप्यूटर को कार्य करने के लिए ज्यादा जगह की जरुरत पड़ती है और ये कंप्यूटर बहुत महँगे होते है।

मौसम की भविष्यवाणी : - सुपर कम्प्यूटरों का इस्तेमाल अनुमान लगाने, मौसम की भविष्यवाणी का, बरसात का, प्रकृति का और इन सब की तीव्रता का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

भूकम्प की जानकारी लेना : - सुपर कम्प्यूटर का इस्तेमाल भूकंप घटना की खोज करने के लिए भी किया जाता है। इनका इस्तेमाल प्राकृतिक गैस, कोयला और पेट्रोलियम जैसे संसाधनों की खोज करने के लिए भी करते है।

➤ दूरभाष : - सुपर कंप्यूटर विभिन्न मशीनों, उपकरणों और व्यक्तियों के बीच संचार व्यवस्था को बढ़ाने में सहायक होतें है। सुपर कंप्यूटर के और भी कही उपयोग है।

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