मार्जिन क्या है?

मार्जिन क्या है?
वीडियो: Markup Vs. Margin Explained For Beginners - Difference Between Margin and Markup
मार्जिन बनाम मार्कअप
मार्जिन और मार्कअप ऐसे शब्द हैं जो आम लोगों को परेशान नहीं करते हैं, लेकिन वे उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं जो खुदरा व्यापार में हैं। मार्कअप और मार्जिन संबंधित अवधारणाएं हैं क्योंकि दोनों को अक्सर बिक्री के लिए मूल्य निर्धारण करते समय उपयोग किया जाता है। यदि स्थापना में लाभ के लिए एक निश्चित प्रतिशत निर्धारित है, तो मार्जिन या मार्कअप हर समय एक ही रहने वाला है। जो लोग किसी व्यवसाय के लिए बाहरी हैं, वे मार्जिन या मार्कअप के दो आंकड़ों में से किसी एक को जानने के द्वारा किसी प्रतिष्ठान के लाभ के माता-पिता के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। यदि कोई मार्कअप जानता है, तो मार्जिन की गणना करना आसान है, और इसके विपरीत। हमें मार्जिन और मार्कअप के बीच का अंतर दिखाई देता है।
मार्कअप और मार्जिन दोनों इस बात पर निर्भर करते हैं कि किसी दुकानदार को लगता है कि किसी वस्तु की उचित कीमत क्या है, या बाजार किस कीमत पर आसानी से मिल सकता है। एक बार एक दुकानदार को पता चलता है कि उसकी दुकान और कर्मचारियों की कीमत क्या है, वह लाभ का मार्जिन जानता है जो वह ग्राहकों से प्राप्त कर सकता है। यदि आप मन का कुल टुकड़ा चाहते हैं, और वैट और अन्य आवश्यक खर्चों जैसे अन्य कारकों का सामना नहीं करना चाहते हैं, तो आपको कुछ गणित करना होगा और यह पता लगाना होगा कि आपकी दुकान में उत्पादों पर लाभ का वास्तविक मार्जिन क्या होना चाहिए। यह मार्जिन आपके शुद्ध लाभ को प्रतिबिंबित नहीं करता है क्योंकि आपको शुद्ध लाभ में कमी आने से पहले अन्य खर्चों के लिए करना पड़ता है।
मार्कअप या मार्जिन, दोनों एक ही बात को व्यक्त करते हैं, और वह लाभ का प्रतिशत है जो एक दुकानदार अपने ग्राहकों से वसूल रहा है। वास्तव में, वे एक ही चीज को देखने के दो अलग-अलग तरीके हैं। मार्कअप लागत मूल्य का प्रतिशत है जो एक MRP के साथ आने वाले लागत मूल्य में जोड़ा जाता है जिसमें आपका लाभ शामिल होता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने 50% के लाभ पर निर्णय लिया है और किसी वस्तु की लागत मूल्य $ 10 है, तो आपको MRP $ 10 + $ 5 = $ 15 के रूप में मिलेगा, क्योंकि आपका मार्कअप 50% है। लेकिन अगर किसी के पास 50% मार्जिन है, तो इसका मतलब है कि बिक्री मूल्य का आधा हिस्सा दुकानदार का लाभ है। अब दुकानदार को $ 15 की हर बिक्री से $ 5 का लाभ मिल रहा है, जो उसे 33.33% का मार्जिन देता है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो दुकानदार, जब उसने सभी स्टॉक को बेच दिया है, बिक्री का एक तिहाई रख सकता है, और शेष बिक्री को थोक व्यापारी या उस स्रोत के लिए रख सकता है जहां से उसने अपने स्टॉक की व्यवस्था की है। किसी ने जो अभी-अभी एक दुकानदार के रूप में शुरू किया है, उसे यह सोचकर बिक्री का आधा हिस्सा रखने के लिए लुभाया जा सकता है कि वह आधी राशि का हकदार है क्योंकि उसने लागत मूल्य से 50% मार्कअप रखा था और अंततः उसकी पूंजी खा जाएगी। इस प्रकार, यह महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है कि मार्जिन हमेशा मार्कअप से कम होता है। कुछ संस्कृतियों में, इस मार्जिन को मार्क अप से अलग करने के लिए मार्क डाउन के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। मार्क डाउन हमेशा मार्कअप से कम होता है।
मार्जिन और मार्कअप के बीच अंतर क्या है?
• एक व्यवसाय में लाभ को देखने के लिए मार्क अप और मार्जिन दो अलग-अलग तरीके हैं
• मार्क अप वह प्रतिशत है जो लागत मूल्य में जोड़ा जाता है और एमआरपी बनाता है
• मार्जिन एक दुकानदार को अपने निवेश पर मिलने वाले लाभ के प्रतिशत को संदर्भित करता है
• किसी व्यवसाय में स्ट्रीट स्मार्ट होने के लिए मार्कअप और मार्जिन दोनों का ज्ञान आवश्यक है
शेयर बाजार के नए नियम: जानिए क्या है पीक मार्जिन और उसका क्या होगा निवेशकों पर असर
शेयर बाजार पर निगरानी रखने वाली संस्था सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board of India) ने पीक मार्जिन्स के नए नियम लागू कर दिए है. आइए जानें इससे जुड़े सभी सवालों मार्जिन क्या है? के जवाब.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: Jun 01, 2021 | 5:22 PM
आमतौर पर शेयर बाजार में शेयर खरीदते और बेचते वक्त ब्रोकर्स मार्जिन्स देते है. अगर आसान शब्दों में समझें तो 10 हजार रुपये आपने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में डाले. तो आसानी से 10 गुना मार्जिन्स के साथ 1 लाख रुपये तक के शेयर ग्राहक खरीद लेते थे. लेकिन अब ये निमय पूरी तरह से बदल गए है. उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 75000 रुपये होने चाहिए. बाकी पैसा वह टी+1 या टी+2 दिन में या ब्रोकर के निर्देश के मुताबिक चुका सकता है. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.
अब जानते हैं पीक मार्जिन्स क्या होते है?
इसका मतलब यह हुआ कि आपके दिनभर के जो ट्रेड्स (शेयर खरीदे और बेचे) किए हैं क्लीयरिगं कॉर्पोरेशन उसके चार स्नैप शॉर्ट लेगा.
इसका मतलब साफ है कि चार बार यह देखेगा कि दिन में जो ट्रेड हुए उसमें मार्जिन कितने हैं. उसके आधार पर दो सबसे ज्यादा मार्जिन होगा उसका कैलकुलेशन करेगा.
फिलहाल आपको उसका कम मार्जिन क्या है? से मार्जिन क्या है? कम 75 प्रतिशत मार्जिन रखना होगा. अगर आपने नहीं रखा तो आपको इसके एवज में पेनाल्टी लगेगी. यह नियम 1 जून 2021 से शुरू हो गया. अगस्त में ये 100 फीसदी हो जाएगा.
क्यों लागू किया ये नियम
बीते कुछ महीनों में कार्वी जैसे कई मामले सामने आए है. जिसमें आम निवेशकों के शेयर बिना बताए बेच दिए गए. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. उदाहरण के तौर पर समझें तो मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं.
ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा.
ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.
सितंबर से लागू होगा 100 फीसदी का नियम
यह पीक मार्जिन का तीसरा फेज है. पहला फेज दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था, तब 25 प्रतिशत के पीक मार्जिन लगाए गए थे. मार्च से पीक मार्जिन दोगुना बढ़कर 50 फीसदी कर दिया गया. 1 जून से 75 फीसदी हो गया है. अब सितंबर में बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया जाएगा.
एक्सपर्ट के मुताबिक, दिसंबर से पहले मार्जिन कैलकुलेशन दिन के आखिर में करते थे. इसके बाद कार्वी और दूसरे कई मामले हुए थे. मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने इसके बाद पीक मार्जिन को बाहर निकाला था.
कहां कहां लागू होंगे पीक मार्जिन्स के नियम
पीक मार्जिन के नए नियम इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव (Intraday, delivery and derivatives) जैसे सभी सेगमेंट में लागू होंगे. चार में से सबसे ज्यादा मार्जिन को पीक मार्जिन क्या है? मार्जिन माना जाएगा. सेबी ने इसके नियमों में बदलाव कर दिया है.
Sebi New leverage or Margin Rule in Hindi 2022 [ For Delivery, Intraday, Delivery, Future and Option, BTST ]
सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने 1 सप्टेंबर से मार्जिन नियम में काफी बदलाव किये वह आज हम Sebi New Margin Rule in Hindi 2021 में देखेंगे। इस नये रुल से Retailer और Investors के ट्रेडिंग और डिलिवरी में क्या असर पड़ेगा यही आज हम पुरी डिटेल्स इस आर्टिकल में देखेंगे तो यह आर्टिकल पुरा पढिय़े।
मार्जिन क्या है ?
आपने अक्सर शेअर मार्केट के Advertising में अलग अलग ब्रोकर्स द्वारा कहते सुना होगा 15%, 20% , 30% क्या आपको मार्जिन चाहिये ? तो यही होता है मार्जिन (Margin) अथवा लिवरेज (Leavarage) का अर्थ।
आसान भाषा में मार्जिन का अर्थ समजा जाये तो कम पैसों में ज्यादा किंमत कि चींज खरिदना इसको हि Levarage अथवा Margin कहते हैं।
लिवरेज अथवा मार्जिन कैसे काम करता हैं?
चलिये जानते हैं इसे विस्तार से, अगर कोई शेअर कि किंमत है मान लिजीये 100 रुपयें है और अगर आपको उसपर आपके ब्रोकर के यहां से 10% Margin मिलता है तो वह शेअर को आप Margin लेकर 10 रुपयों में भी खरिद सकते हों।
पहले कई सारे ब्रोकर 1% से लेकर 20% तक भी ब्रोकरेज देते थे लेकिन अभी Sebi के नये नियम अनुसार इसका गणित पुरा बदल दिया गया हैं। पहले आपके पास 5000 रुपयें भी है तो आप Levarage कि मदत से 50 हजार रुपयों के भी शेअर खरिदी कर सकते थे लेकिन इसमें Sebi ने अंकुश लगा दिया है लेकिन एक्सपर्ट कि माने तो इससे हमारे ऊपर यानी Retailer को ज्यादा असर देखने को नहीं मिलेगा, जो लोग ज्यादा मार्जिन लेके पहले ट्रेंड करते थे उनपर इसका असर जरुर देखने को मिलेगा।
Sebi New Margin Rule Effects in Hindi
अब हम देखेंगे कि अलग अलग प्रोडक्ट यानी Delivery, Intraday, Future & Options ( F&O) पर इसका क्या क्या असर पड़ेगा? वैसे तो बहुत सारे लोग इस मार्जिन के नियमों से काफी कंफ्यूज हैं अभी भी यह क्लियर नहीं हो रहा है कि क्या-क्या और किस मे बदलाव आया हैं तो आज आपको इसमें पुरे विस्तार से हर एक Product Margin Rule हम बचायेंगे।
डिलीवरी के लिये मार्जिन रुल (Delivery):
अगर आप Long Term या Short Swing Term ट्रेडिंग करते हैं या अभी करना चाहते हैं तो आपको इसमें पहले जैसा ही कोई मार्जिन नहीं मिलने वाला है यानी अगर आपको Reliance Share खरिदना हैं और अभी Reliance Share Price 2388.5 रुपयें चल रही है तो आपको Delivery के लिये एक शेअर के लिये 2388.5 रुपयें ही लगेंगे यानी 100% राशी आपको Long term यानी CNC में लगेगी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है पहले भी इसपर कोई मार्जिन नहीं दिया जाता था और अभी भी आपको जितने Share Buy करने हैं उतनी ही राशी आपको लगेगी।
इंट्रा-डे के लिये मार्जिन रुल (Intraday):
अगर New Sebi Margin Rule से सबसे ज्यादा बदल किसी प्रोडक्ट में होनेवाले होंगे तो यह Intraday होगा क्योंकि ज्यादातर Levarage का ज्यादा इस्तमाल इसके लिये हि होता हैं।
पहले ब्रोकर्स Intraday मे 5 से 10X तक Levarage देते थे जादा से ज्यादा 20X मार्जिन देते थे और जो Full Service Brokers 50% तक मार्जिन देते थे लेकिन अब नये Sebi Margin Rule मार्जिन क्या है? मार्जिन क्या है? के हिसाब से अब आपको Intraday में ज्यादा से ज्यादा 5X यानी 5% तक हि मार्जिन दे सकेंगे।
अगर हम IRCTC Share Price का इसमें उदाहरण ले तो आज के समय में इसकी किमत है 2869.9 रुपये / शेअर, तो अगर हम इसे Intraday में खरिदने जायेंगे तो आपको इसी किंमत में 1 Share के बदले 5 Share Buy कर सकेंगें।
BTST में Leverage Rule क्या हैं?
बिटीएसटी ( Buy Today Sell Tomorrow) इसमें थोड़ा बहुत चेंज हमको देखने को मिलेंगा।
अगर आप आज किसी कंपनी के 10 शेअर 10000 रुपयों में खरिदते हो और दुसरे दिन उसे उसी प्राइस में यानी ना Profit ना Loss में बेच देते तो आपकी करिले हुये 80% राशी तुरंत आपको मिलेंगी और 20% राशी आपको उसके दुसरे दिन मिलेगी या T+1 होने पर मिलेंगी।
अगर आप आज 10 हजार रुपयों के शेअर आज खरिदकर उसी प्राइस में कल बेचते हो तो आपको उसमें से 8 हजार रुपयें ही उस दिन के लिये दुसरे शेअर खरिदने के लिये इस्तमाल कर सकते मार्जिन क्या है? हों और 2 हजार रुपयें आपको उसके दुसरे दिन अकांउट में मिलेंगे।
Derivatives में New Margin Rule में क्या? (Future & Option)
अगर आप Nifty Index और Bank Nifty को Future में ट्रेंड करना चाहोंगे तो आपको पुरी राशी देनी होगी यहां पर आपको कोई मार्जिन नहीं मिलेगा।
अगर हम इसका उदाहरण लेते हैं तो आप इमेज में देख सकते हों कि अगर आप Bank Nifty को Future में खरिदते हो या बेचते हो तो आपको पुरी रक्कम जरुरी है।
यहां पर हम Bank Nifty Future का एक Lot खरिदने जाते हैं तो आपको 1,61,542,15 रुपयें लगेंगे यानी पुरी राशी देनी पड़ेगी और पहले के Rule अनुसार आप इसे खरिदने जाते तो आप इसे 50 या 60 हजार के राशी में खरिद सकते थें।
अगर हम Nifty और Bank Nifty को Option में खरिदने जाते यानी Call और Put को Buy करने जाते हैं तो इसमें आपको पहले जैसे हि उतने हि पैसे लगेंगे जितने पहले लगते थे। इसमे ज्यादा बदलाव नहीं देखने को मिलता अगर हम New Sebi Leverage Rule के नियमों कि बात करें।
New Sebi Leverage Rule से किसका फायदा और नुकसान होगा ?
इससे फायदा देखें तो नये लोग जो भी इन्वेस्टमेंट्स या ट्रेडिंग करने आयेंगे उन्हें इसका काफी फायदा होगा। मतलब नये लोग ज्यादातर बिना शेअर मार्केट का गणित, रणनिती, रिसर्च किये बिना हि ट्रेडिंग करना चालु कर देते हैं और फ्युचर एंड ऑप्शन जैसी चीजों में लालच के कारण ज्यादातर लोग पैसा गवा देते हैं तो यह कम देखने को मिलेगा।
सबसे ज्यादा नुकसान अगर इससे किसी का होगा हो वह ब्रोकर कंपनीयों का होगा क्योंकि वह ज्यादा से ज्यादा मार्जिन देने के कारण ट्रेडिंग भी काफी ज्यादा लोग करते थे और इसकी वजह से उसमें उन्हें ज्यादा ब्रोकरेज अथवा कमिशन मिल जाता था इसलिये बहुत से ब्रोकर लोग इसके खिलाफ बहुत-से कैंपेन चला रहे हैं लेकिन यह रिटेलर्स के लिये देखा जाये तो यह निर्णय बहुत अच्छा हैं।
हर एक ट्रांजेक्शन पर बहुत से चार्ज और सर टैक्स जैसे कई प्रकार के चार्जेस सरकार को कम मिलेंगे इसलिये इसे सरकार के लिये नुकसान दायक ही कहना होगा।
Stock Exchange को भी हर अमाऊंट का थोड़ा प्रतिशत चार्जेस के रुप में मिलता था वह भी कम मिलेगा।
गवर्मेंट को भी इसमें से जो टॅक्सेस जाते थे या चार्जेस जाते थे वो अब कम मिलेंगे क्योंकि मार्जिन कम अथवा बंद होने के कारण पुरी राशी कम होगी और लोग अब कम ट्रेंड करेंगे।
इस आर्टिकल में हमने देखा New Margin Rule Sebi in Hindi 2021, इसमें हमने देखा मार्जिन अथवा लिवरेज होता क्या हैं और Sebi के नये Rule मुताबिक इसका किस प्रोडक्ट पर कितना इसका इफेक्ट पड़ेगा।
अगर थोड़ी गौर से इसे समझा जाये तो यह नये लोग जो मार्केट में आते हैं और जल्दी प्रोफिट के चक्कर में नुकसान कर बैठते हैं उसका प्रमान थोड़ा बहुत कम हो जायेगा।कुछ सालों में पेट्रोल इतना बढ़ेगा यह किसिने सोचा था क्या नहीं ना, सरकार बदलकर दुसरी आई कुछ बड़ा हुआ क्या नहीं ना वैसे हि इस New Sebi Margin Rule से इतना असर नहीं पड़ेगा, हो सकता है एक प्रोडक्ट को छोड़के लोग दुसरे प्रोडक्ट में ट्रेडिंग या निवेश करेंगे लेकिन इसका जादा असर लाॅग टर्म में पड़ेगा ऐसा नहीं लगता।
आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताईये और अगर पसंद आते तो इसे अपने मार्केट रिलेटेड जानकारी रखने वाले मित्रों से जरुर साझा करें।
Q: सेबी न्यु मार्जिन नियम के अनुसार इंट्रा-डे इक्विटी में कितना मार्जिन मिलेगा?
Margin Rule To Change From Today: आज से 100 फीसदी मार्जिन रूल लागू, जानिए- सेबी ने क्यों किया बदलाव?
Margin Rule To Change From Today: शेयर बाजार में इंट्रा डे ट्रेडिंग और फ्यूचर एंड ऑप्शन में ट्रेडिंग करने के लिए आज से 100 फीसदी मार्जिन रूल लागू हो गया है.
Published: September 1, 2021 9:54 AM IST
Margin Rule To Change From Today: सेबी ने 1 सितंबर यानी आज से पीक मार्जिन के नियमों में बदलाव कर दिया है. आज से ट्रेडिंग के लिए 100 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट रखने की जरूरत होगी. पहले यह सिर्फ 75 फीसदी था. यानी शेयर खरीदने या बेचने के लिए 75 फीसदी अपफ्रंट मार्जिन की जरूरत थी. आज से इंट्राडे पोजीशन में भी 100 फीसदी मार्जिन की जरूरत होगी.
Also Read:
जानिए – 100 फीसदी मार्जिन रूल का ट्रेडर्स पर क्या होगा असर?
फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) में ट्रेडिंग करने वालों को अब मार्जिन के तौर पर ज्यादा फंड रखना होगा. अब पीक मार्जिन के तौर पर 100 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट रखना होगा. एक ही दिन में शेयर खरीदकर बेचने वाले यानी इंट्राडे करने वालों को भी 100 फीसदी मार्जिन की जरूरत होगी. पहले 75 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट की जरूरत होती थी.
आसान शब्दों में कहें तो अगर कोई ट्रेडर 10 लाख रुपये का निफ्टी कॉन्ट्रैक्ट खरीदना चाहता है तो अब उसे बतौर 20 फीसदी मार्जिन 2 लाख रुपये रखना होगा. लेकिन पहले सिर्फ 1.50 लाख रुपये मार्जिन रखने की जरूरत होती थी.
जानिए- क्या है पीक मार्जिन?
पिछले साल तक कारोबारी सत्र के अंत में मार्जिन वसूला जाता था. उदाहरण के तौर पर अगर आपने कल एक करोड़ रुपये F&O में निवेश किया तो आज के मार्केट सत्र में भी अतिरिक्त 1 करोड़ रुपये का निवेश कर सकते थे. पुराने सिस्टम में एक करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश पर अलग से कोई मार्जिन नहीं चुकाना पड़ता था. यानी कल मार्जिन क्या है? के मार्केट सत्र से लेकर आज के मार्केट सत्र के बीच सिर्फ एक करोड़ रुपये के मार्जिन पर आप 2 करोड़ रुपये F&O में निवेश कर सकते थे. लेकिन नए नियम के मुताबिक, आपको अतिरिक्त एक करोड़ रुपये पर भी मार्जिन देना होगा.
सेबी ने पीक मार्जिन सिस्टम पिछले साल लागू किया था. इसे चार चरणों में लागू किया गया है. पहले चरण में अतिरिक्त एक करोड़ रुपये पर 25% मार्जिन वसूला गया. दूसरे चरण में 50 फीसदी, तीसरे चरण में 75 फीसदी और चौथा चरण 1 सितंबर से लागू हो गया. इसमें 100 फीसदी अपफ्रंट मार्जिन चुकाना होगा.
सेबी ने क्यों किया बदलाव?
बाजार के बदलते पहलुओं को देखते हुए सेबी ने ये रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क बनाया है. इसे फ्रेमवर्क को बनाने के लिए सेबी ने रिस्क मैनेजमेंट रिव्यू कमिटी (RMRC) के साथ मशविरा किया था. हालांकि ब्रोकर्स संगठन ANMI इस बदलाव से खुश नहीं है और इसमें कई बदलाव की मांग कर रहे हैं.
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें व्यापार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें
मार्जिन क्या है?
सभी व्यापारी निवेश पर संभावित रिटर्न को बढ़ाने के लिए एक या दूसरे तरीके से उधार लिए गए धन का उपयोग करते हैं। निवेशक अक्सर मार्जिन खातों का उपयोग तब करते हैं जब वे शेयरों या मुद्राओं में निवेश करना चाहते हैं, न्यूनतम पूंजी से शुरू होने वाली बड़ी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक दलाल से "उधार" लिए गए धन का उपयोग करते हैं।
इसलिए वे अपेक्षाकृत कम जमा का जोखिम उठा सकते हैं, लेकिन बहुत कुछ खरीद सकते हैं, जो अन्यथा उनके लिए सस्ती नहीं होगी। विदेशी मुद्रा पर मार्जिन नौसिखिए व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। इसलिए, हम विदेशी मुद्रा में तल्लीन करने और विस्तार से सब कुछ पता लगाने का प्रस्ताव करते हैं।
सरल शब्दों में विदेशी मुद्रा मार्जिन क्या है?
यदि आप विवरण में नहीं जाते हैं, तो फॉरेक्स मार्जिन केवल बिजली खरीदने की सीमा है जो एक दलाल आपको अपनी जमा राशि के खिलाफ प्रदान करता है।
मार्जिन ट्रेडिंग व्यापारियों को अपनी प्रारंभिक स्थिति का आकार बढ़ाने की अनुमति देती है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह एक दोधारी तलवार है, क्योंकि यह लाभ और हानि दोनों को बढ़ाता है। यदि मूल्य पूर्वानुमान गलत हो जाता है, तो विदेशी मुद्रा खाता पलक झपकते ही खाली हो जाएगा क्योंकि हम एक बड़ी मात्रा में व्यापार कर रहे हैं।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों के लिए मार्जिन क्यों महत्वपूर्ण है?
व्यापारियों को विदेशी मुद्रा में मार्जिन पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें पता चलता है कि उनके पास आगे के पदों को खोलने के लिए पर्याप्त धन है या नहीं।
लीवरेज्ड फॉरेक्स ट्रेडिंग में शामिल होने पर व्यापारियों के लिए मार्जिन की बेहतर समझ वास्तव में महत्वपूर्ण है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि लाभ और हानि दोनों के लिए मार्जिन पर ट्रेडिंग की उच्च क्षमता है। इसलिए, व्यापारियों को मार्जिन कॉल, मार्जिन स्तर, आदि जैसे मार्जिन और इसके साथ जुड़े शब्दों से परिचित होना चाहिए।
मार्जिन स्तर क्या है?
मार्जिन स्तर आपकी जमा राशि का प्रतिशत है जो पहले से ही व्यापार के लिए उपयोग किया जाता है। यह देखने में आपकी मदद करेगा कि कितने पैसे का उपयोग किया जाता है और आगे के कारोबार के लिए कितना बचा है।
विदेशी मुद्रा में मुक्त मार्जिन क्या है?
मुक्त मार्जिन ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध क्रय शक्ति है। मुक्त मार्जिन की गणना कुल मार्जिन से प्रयुक्त मार्जिन को घटाकर की जाती है।
मुक्त मार्जिन उदाहरण
मान लीजिए कि मेरे पास मेरे शेष पर $ 8000 हैं। एक खुले व्यापार में, 2500 डॉलर उधार लिया जाता है। मुक्त मार्जिन $ 8000 - $ 2500 = $ 5500 है। यदि आप एक सौदा खोलने की कोशिश करते हैं जिसके लिए पर्याप्त धन नहीं है, तो आदेश स्वचालित रूप से रद्द हो जाएगा।
लीवरेज और मार्जिन संबंधित कैसे हैं?
उत्तोलन और मार्जिन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि मार्जिन एक लीवरेज्ड ट्रेड को रखने के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि है, तो उत्तोलन एक उपकरण है जो एक व्यापारी मार्जिन क्या है? को बहुत से स्थानांतरित करने की अनुमति देता है जो 1: 1. की लागत पर उसके लिए सस्ती नहीं होगी। उत्तोलन "बढ़ी हुई व्यापारिक शक्ति" है विदेशी मुद्रा मार्जिन खाते का उपयोग करते समय उपलब्ध। यह एक आभासी "प्लेसहोल्डर" है जो हमारे पास है और हम जिस पर काम करना चाहते हैं, उसके बीच अंतर है।
उत्तोलन अक्सर "एक्स: 1" प्रारूप में व्यक्त किया जाता है।
इसलिए, मैं मार्जिन के बिना एक मानक लॉट USD / JPY का व्यापार करना चाहता हूं। मुझे अपने खाते पर $ 100,000 की आवश्यकता है। लेकिन अगर मार्जिन की आवश्यकता केवल 1% है, तो मुझे केवल जमा राशि पर $ 1000 की आवश्यकता है। इस मामले में उत्तोलन 100: 1 है।
- लाभ उठाने
1 के साथ: 1 आपके मार्जिन खाते में प्रत्येक डॉलर का लाभ उठाता है ट्रेडिंग के 1 डॉलर को नियंत्रित करता है
1 के साथ: 50 आपके मार्जिन खाते में प्रत्येक डॉलर का लाभ उठाता है ट्रेडिंग के 50 डॉलर को नियंत्रित करता है
1 के साथ: 100 आपके मार्जिन खाते में प्रत्येक डॉलर का लाभ उठाता है ट्रेडिंग के 100 डॉलर को नियंत्रित करता है
मार्जिन कॉल क्या है, और इससे कैसे बचें?
मार्जिन कॉल तब होता है जब एक व्यापारी मुक्त मार्जिन से बाहर निकलता है। यदि मार्जिन क्या है? उत्तोलन की शर्तों के तहत आवश्यकता से कम राशि जमा की जाती है, तो विदेशी मुद्रा में खुले ट्रेड स्वतः बंद हो जाते हैं। यह एक ऐसा तंत्र है जो नुकसान को सीमित करता है और व्यापारी अपनी जमा राशि से अधिक नहीं खोते हैं। यदि वे मार्जिन का उपयोग बुद्धिमानी से करते हैं तो व्यापारी मार्जिन कॉल से बच सकते हैं। उन्हें अपने खाते के आकार के अनुसार अपनी स्थिति का आकार सीमित करना चाहिए।
MT4 टर्मिनल में मार्जिन कैसे खोजें?
आप खाता टर्मिनल विंडो में मार्जिन, फ्री मार्जिन और मार्जिन स्तर देख सकते हैं। यह वही विंडो है जहां आपका बैलेंस और इक्विटी दिखाया गया है।
मार्जिन ट्रेडिंग के लिए अधिकतम लॉट की गणना
मानक विदेशी मुद्रा लॉट का आकार 100,000 मुद्रा इकाइयाँ हैं। एक 100: 1 उत्तोलन के साथ, एक ट्रेडिंग खाते में प्रत्येक $ 1000 जमा आपको $ 100,000 की शक्ति खरीदने की सुविधा देता है। ब्रोकर व्यापारियों को इस सौ हजार का निपटान करने की अनुमति देता है, जबकि जमा पर एक वास्तविक हजार होता है।
उदाहरण के लिए, यदि हम 10,000: 1.26484 के लाभ के साथ 400 पर 1 मुद्रा इकाइयाँ खरीदेंगे, तो हमें आवश्यक मार्जिन के $ 31 से थोड़ा अधिक मिलेगा। विदेशी मुद्रा में व्यापार खोलने के लिए यह बहुत न्यूनतम "संपार्श्विक" है।
मार्जिन ट्रेडिंग का उदाहरण
मान लीजिए कि एक व्यापारी 1: 100 के लाभ के साथ एक दलाल के साथ खाता खोलता है। वह EUR / USD मुद्रा जोड़ी का व्यापार करने का निर्णय लेता है; वह अमेरिकी डॉलर के लिए यूरो में खरीदता है। कीमत 1.1000 है, और मानक लॉट € 100,000 है। सामान्य व्यापार में, उसे व्यापार खोलने के लिए अपने खाते में 100,000 जमा करना होगा। लेकिन 1: 100 के लाभ के साथ व्यापार करना, वह केवल 1000 डॉलर अपने खाते में जमा करता है।
मूल्य में वृद्धि या गिरावट का अनुमान लगाते हुए, वह एक लंबा या छोटा व्यापार खोलता है। यदि कीमत सही जाती है, तो व्यापारी लाभ कमाएगा। यदि नहीं, तो ड्राडाउन आपकी जमा राशि से अधिक हो सकता है। सौदा बंद हो जाएगा, व्यापारी पैसे खो देगा।
निष्कर्ष
बेशक, मार्जिन ट्रेडिंग उन लोगों के लिए एक उपयोगी उपकरण है जो सीमित स्टार्ट-अप कैपिटल के साथ विदेशी मुद्रा व्यापार करना चाहते हैं। जब सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो लीवरेज्ड ट्रेडिंग तेजी से लाभ वृद्धि को बढ़ावा देता है और पोर्टफोलियो विविधीकरण के लिए अधिक जगह प्रदान करता है।
यह ट्रेडिंग विधि नुकसान को भी बढ़ा सकती है और अतिरिक्त जोखिमों को शामिल कर सकती है। इस प्रकार, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि विदेशी मुद्रा की विशेषताओं को जाने बिना वास्तविक बाजार में प्रवेश करना काफी कठिन है।
सभी पैसे खोने का जोखिम बहुत अधिक है। क्रिप्टोकरेंसी और अन्य अस्थिर उपकरणों, जैसे कि धातु के लिए, केवल अनुभवी व्यापारी जिनके पास एक अच्छा स्तर है और सफल आंकड़े यहां जा सकते हैं।
वैसे, यह जानना दिलचस्प होगा कि क्या आप विदेशी मुद्रा को पसंद करते हैं, अगर आप लीवरेज्ड फंड के साथ व्यापार करना पसंद करते हैं, और आपका पसंदीदा लाभ क्या है।