प्रवृत्ति पर व्यापार

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पैराबोलिक सार और स्टोकेस्टिक ओसिलेटर के संयोजन से प्रवृत्ति और गति का पता लगाएं

हमारे इंट्रोडक्टरी पोस्ट में, हमने आपको उन दिशा निर्देशों पर एक अवलोकन दिया, जिनका आपको चार्ट पर इंडिकेटर का उपयोग करने और कंबाइन करने के लिए पालन करने की आवश्यकता है। यदि आपने पिछला लेख नहीं पढ़ा है, तो आपको शायद इससे समझने से पहले उसका निरक्षण करना होगा।

आज, हम एक ट्रेंड इंडिकेटर (पैराबोलिक सार) और एक गति सूचक ( स्टोकेस्टिक) के साथ हमारी पहली इंडिकेटर कॉम्बिनेशन स्ट्रेटेजी का निर्देशन करेंगे । स्ट्रेटेजी का डिज़ाइन इस तरह से किया गया है की कोई उस दिशा में गति प्राप्त करने के बाद मुख्य प्रवृत्ति की दिशा में प्रवेश कर सके। यह शुद्ध रूप से एक स्वनिर्णयगत स्ट्रैटेजी है जिसे हर घंटे के चार्ट पर सिगनल्स के लिए लगाया जाता है। यह एक शॉर्ट टर्म स्ट्राइटेजी है जो इंट्रा डे ट्रेड के साथ-साथ 5-7 दिनों के स्विंग ट्रेड के लिए बढ़िया होती है।

उपयोग किए जानेवाले इंडिकेटर्स

1. स्टोकेस्टिक ओसिलेटर को तेज़ चलनेवाली लाइन (%K) के लिए 14 के डिफ़ाल्ट पैरामीटर पर सेट किया जाता है उर धीरे चलनेवाली लाइन (%D) के लिए 3 पर। अपनी स्ट्रैटेजी के लिए हम नियमित स्टोकेस्टिक के ओवरबॉट (80) और ओवरसोल्ड (20) के स्तरों के साथ हम 50 पर ओसिलेटर की मध्य-बिन्दु को मॉनिटर करेंगे।

2. हमारी स्ट्रैटेजी के लिए पैराबोलिक सार (0.05, 0.5) पर है। मैंने पैराबोलिक सार की स्टेप और मैक्स एएफ़ लेवल को (0.02,0.2) के डिफ़ाल्ट से बदल दिया है क्योंकि इंडिकेटर की संवेदनशीलता को बढ़ाकर हमें ट्रेंड रिवर्सल के सिग्नल तेज़ी से और लगातार मिलते हैं।क्योंकि हमने 2 इंडिकेटर्स को कम्बाइन किया है तो हम केवल पीएसएआर पर कार्यवाही नहीं कर रहे तो हमें तड़के हुए सिगनल्स मिलने का खतरा नहीं है।

स्ट्रैटेजी
ट्रेड की पुष्टि करने के लिए यह स्ट्रैटेजी स्टोकेस्टिक ओसिलेटर का उपयोग करती है और ट्रेंड का पता लगाने के लिए पीएसएआर इंडिकेटर का। इसका कारण यह है कि 50 का निशान मोमेंटम ऑसिलेटर का मध्य बिन्दु है। ओवरसोल्ड (20) के स्तर और 50 के निशान के बीच बढ़ते स्टोकेस्टिक मूल्य को तेज़ी माना जाता है, जबकि ओवरबॉट (80) के स्तर और 50 के निशान के बीच घटते स्टोकेस्टिक मूल्य को मंदी माना जाता है।

सतर्क व्यापारी कभी-कभी बहुत सारी समय अवधियों का उपयोग बड़े ट्रेंड की दिशा जानने के लिए करते हैं। हालांकि, हम इस स्ट्रैटेजी में इसका उपयोग नहीं करेंगे।

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लॉन्ग एंट्री
निम्न परिस्थितियों में लॉन्ग एंट्री की जानी चाहिए:

हर घंटे का चार्ट

1. तेज़ स्टोकेस्टिक ओसिलेटर लाइन (%K) 20 के ऊपर और 50 के नीचे है।

2. %K, %D से ज़्यादा है, स्टोकेस्टिक बढ़ते हुए ट्रेंड में है।

3. पिछली 5 बार में पैराबोलिक सार इंडिकेटर सिग्नल बुलिश सिग्नल के पार गया हो।

4. अगली कैन्डल खुलने पर लॉन्ग ट्रेड खोलें।

स्टॉप लॉस
स्टॉप लॉस को स्विंग कम या 2% के नीचे, जो भी व्यापार की शुरुआत में मौजूदा बाजार मूल्य से अधिक है, पर रखें । इस स्टॉप लॉस को मार्केट के साथ ट्रैक किया जा सकता है।

टेक प्रॉफ़िट
टीपी बिंदु को आपके प्रवेश मूल्य से 7% तक सेट किया जा सकता है, यह स्थिति व्यापारियों के लिए आदर्श हो सकती है।हालांकि,ओसिलेटर के ओवर बॉट लेवल्स पर पहुँच पलटने का इंतज़ार करने से पहले पूरे या आधे प्रॉफ़िट कमाना भी पहले विशेष रूप से इंट्राडे व्यापारियों के लिए प्रॉफ़िट कमाने का तरीका हो सकता है।

शॉर्ट एंट्री
निम्न परिस्थितियों में शॉर्ट एंट्री की जानी चाहिए-

हर घंटे का चार्ट

1. तेज़ स्टोकेस्टिक ओसिलेटर लाइन (%K) 80 से नीचे और 50 के ऊपर है।

2. %K, %D से कम है। स्टोकेस्टिक कम होते ट्रेंड में है।

3. पिछली 5 बार में पैराबोलिक सार इंडिकेटर सिग्नल बियरिश सिग्नल के पार गया हो।

4. अगली कैन्डल खुलने पर शॉर्ट ट्रेड खोलें।

ऊपर के स्क्रीनशॉट में लाल एरोज से भी शॉर्ट ट्रेड सेटअप दर्शाया गया है।

यहाँ, हम देखते हैं कि ट्रेड एंट्री खुद-ब-खुद अच्छी तरह से सेट है और स्टॉक भी ओवर सोल्ड क्षेत्र में आने से पहले स्टॉक अच्छे से चला। यहाँ ट्रेडर ट्रेड एग्जिट सेट कर सकता है।

स्टॉप लॉस
पोज़िशनल ट्रेडर को अपने एंट्री लेवल से 2% ऊपर या स्विंग हाई से ऊपर, जो भी ज़्यादा हो पर स्टॉप लॉस सेट करना चाहिए।

टेक प्रॉफ़िट
टेक प्रॉफिट को या तो 7% के निश्चित मूल्य पर सेट किया जा सकता है या इंट्राडे ट्रेडर्स प्रॉफ़िट लेने से पहले स्टोकेस्टिक ओसिलेटर के ओवरसोल्ड लेवल पर पहुंचने का इंतजार कर सकते हैं।

बैक टेस्टिंग
हमने जिन शेयरों का परीक्षण किया, उनमें से औसतन, इस स्ट्रैटेजी ने एक कैलेंडर वर्ष में प्रति शेयर लगभग 20 सिग्नल उत्पन्न किए। 3 में से 1 ट्रेड लाभदायक था। हालांकि, 3.5: 1 का रिवार्ड टू रिस्क रेश्यो सुनिश्चित करता है कि स्ट्रैटेजी न केवल लाभदायक रही, बल्कि कई शेयरों में रिटर्न को बेहतर बनाए रखा।

उदाहरण के लिए: बाय एंड होल्ड के लिए 28% की तुलना में इस स्ट्रैटेजी के साथ कैलेंडर वर्ष में एशियन पेंट्स ने 56% का रिटर्न पाया । टाटा स्टील ने बाय एंड होल्ड के -7% की तुलना में 21% रिटर्न पाया।

निष्कर्ष
डे ट्रेडर्स के लिए इस व्यापार की अत्यंत अल्पकालिक प्रकृति का मतलब है कि व्यापारी को इस व्यापार पर शुरू से अंत तक लगातार नज़र रखनी होती है । हालांकि स्थिति व्यापारी अपने स्टॉप लॉस के स्तर और लक्ष्य के स्तर को दिन के आधार पर निर्धारित कर सकते हैं और कभी-कभी व्यापार की निगरानी कर सकते हैं।

इस स्ट्रैटेजी को एक उच्च समय-सीमा (दैनिक) पर एक अतिरिक्त ट्रेंड इंडिकेटर के साथ जोड़कर इस स्ट्रैटेजी के संकेतों की विश्वसनीयता में सुधार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

कोई भी आगे बढ़कर एमपी पर इस स्ट्रैटेजी के अनुरूप अलर्ट सेट कर सकता है और इस स्ट्रैटेजी को खुद टेस्ट कर सकता है।

हमारा सुझाव है कि इस आइडिया को अपने ट्रेडिंग प्लान में फिट करके देखें। पैरामीटर्स सोने में सेट नहीं किए गए हैं, इनके साथ प्रयोग करें। इन्हें अलग-अलग स्टॉक और अलग-अलग समय में बहतर परिणामों के लिए ट्वीक किया जा सकता है।

अगले प्रवृत्ति पर व्यापार सप्ताह में, हम इंडिकेटर्स की अगली जोड़ी को देखेंगे, बोलिंगर बैंड और आरएसआई कैसे सबसे अच्छा तथा एक लाभदायक व्यापार प्रणाली के निर्माण के लिए जोड़ा जा सकता है इसका निर्देशन करेंगे। तब तक के लिए हमारे प्रवृत्ति पर व्यापार साथ जुड़े रहिये।

Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.

Arshad Fahoum

Arshad Fahoum

Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.

भारत में विदेशी व्यापार की विशेषताएँ | आर्थिक विकास में विदेशी व्यापार की भूमिका

भारत में विदेशी व्यापार की विशेषताएँ

भारत में विदेशी व्यापार की विशेषताएँ

भारत में विदेशी व्यापर की विशेषताएँ

(1) निर्यात में वृद्धि

योजनाकाल में देश के निर्यातों में निरन्तर वृद्धि की प्रवृत्ति हो रही हैं। 1950-51 में हमारा निर्यात 608 करोड़ रूपये था जो बढ़कर 1970-71 में 1535 करोड़ रूपये 1997-98 में 126286 करोड़ और 2000-2001 में 203571 करोड़ रूपये हो गया।

(2) निर्यात के नये बाजार

पिछड़े वर्षों में भारत ने अपने निर्यातों में प्रवृत्ति पर व्यापार वृद्धि करने के उद्देश्य से नये-नये बाजारों की तलाश की है। परम्परागत रूप में भारत के निर्यात मुख्य रूप से ब्रिटेन, अमेरिका तथा रूस को होते रहे है परन्तु अब इन राष्ट्रों के साथ-साथ भारत के निर्यात जापान, जर्मनी, हांगकांग तथा एशिया के विकासशील राष्ट्रों ने निरन्तर बढ़ते जा रहे है।

(3) रूपये की परिवर्तनशीलता के कारण निर्यात में वृद्धि

वर्तमान में रूपये को चालू खाते में पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है इससे देश के निर्यातों में काफी वृद्धि हुई है।

(4) निर्यात में विविधता

भारत के निर्यात व्यापार में विविधता की प्रवृत्ति भी निरन्तर बढ़ती जा रही है। पहले जहाँ हम चाय, जूट, चमड़ा निर्यात करते थे वहाँ अब इन परम्परागत वस्तुओं के साथ-साथ इंजीनियरिंग वस्तुएं, रेडीमेड सूती कपड़े, आभूषण, समुद्री उत्पाद आदि का भी निर्यात करने लगे हैं।

(5) आयातों में वृद्धि

पिछले वर्षों में यद्यपि भारत के निर्यात में वृद्धि हुई परन्तु इसकी तुलना में आयातों में और अधिक वृद्धि हुईं 1050-51 में हमारा आयात 608 करोड़ रूपये था जो बढ़कर 1970-71 में 1634 करोड़ रूपये तथा 2000-2001 में 12,30,873 करोड़ रूपये हो गया।

(6) विश्व के आयातों तथा निर्यातों में भारत का अंश

1950 में भारत का विश्व में निर्यातों में अंश 1.85 प्रतिशत था जो घटकर 1995 में 0.6 प्रतिशत रह गया। इसी प्रकार 1050 में भारत का विश्व व्यापार में अंश 1.78 प्रतिशत था जो घटकर 1997-98 में मात्र 0.6 प्रतिशत रह गया।

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Bundi:प्रॉपर्टी व्यवसाय को लेकर व्यापारी पर हमला, आक्रोश में व्यापार मंडल, पुलिस को दी चेतावनी

बूंदी जिले में इन दिनों पुलिस की अनदेखी के कारण अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के हौसले बुलंद है. सोमवार को प्रॉपर्टी व्यवसाई को लेकर आधा दर्जन बदमाशों ने एक व्यापारी की दुकान में घुसकर उसके ऊपर जानलेवा हमला कर उसे घायल कर दिया और फरार हो गए.

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Bundi:प्रॉपर्टी व्यवसाय को लेकर व्यापारी पर हमला, आक्रोश में व्यापार मंडल, पुलिस को दी चेतावनी

Bundi: बूंदी जिले में इन दिनों पुलिस की अनदेखी के कारण अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के हौसले बुलंद है. सोमवार को प्रॉपर्टी व्यवसाई को लेकर आधा दर्जन बदमाशों ने एक व्यापारी की दुकान में घुसकर उसके ऊपर जानलेवा हमला कर उसे घायल कर दिया और फरार हो गए. इससे शहर में चारों ओर हड़कंप मच गया.

बूंदी शहर के रानी जी की बावड़ी के पास गणेश प्लाजा के मालिक कौशल सोमवार को सवेरे जब अपनी दुकान पर आया. इसी दौरान प्रॉपर्टी व्यवसाय से प्रवृत्ति पर व्यापार जुड़े करीब 12 बदमाशों ने लोहे के सरिए सहित दुकान में घुस गए और कौशल सहित उसके कर्मचारी के साथ मारपीट शुरू कर दी. दोनों के ऊपर जानलेवा हमला कर गंभीर रूप से घायल कर फरार हो प्रवृत्ति पर व्यापार प्रवृत्ति पर व्यापार गए. घटना का व्यापारी वर्ग में पता लगने पर शहर के व्यापारियों में हड़कंप मच गया. सूचना के बाद हरकत में आई पुलिस ने कुछ देर बाद चारों आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी. वही व्यापारी की हालत गंभीर होने पर उसे अहमदाबाद रेफर किया गया है.

व्यापारी के साथ हुई मारपीट की घटना को लेकर मंडी व्यवसाय सहित अन्य संगठन के लोग कोतवाली पहुंचे. जहां उन्होंने पुलिस अधिकारियों को साफ तौर पर चेतावनी दी थी कि अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि 10 दिन पूर्व इसे जान से मारने का खतरा बना हुआ था. इस मामले में पुलिस अधीक्षक को परिवाद दिया गया था. उसके बाद यह घटना हुई है.

बता दें बूंदी व्यापारी पर जानलेवा हमले के बाद देर शाम डीएसपी हेमंत नोगिया ने पत्रकार के साथ वार्ता आयोजित कर जानकारी दी और कहा इस तरह की घटना में इसाक मोहम्मद सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी व्यवसाय को लेकर यह प्रवृत्ति पर व्यापार हमला हुआ है.

आपकी बात, युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का कारण क्या है?

फैशन बन गया है नशा
देश का युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। इसका एक कारण है सहनशक्ति की कमी। युवा आजकल बहुत जल्दी अपना हौसला खो देते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हंै और फिर वे नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को हालात से लडऩा सिखाएं और उन्हें मजबूत बनाएं। दूसरा बड़ा कारण ये है कि आजकल नशा फैशन बनता चला जा रहा है। गलत संगत में पड़कर नशे को फैशन मान लेना युवा वर्ग की सबसे बड़ी कमजोरी है। दूसरों की देखा-देखी भी लोग नशा करने लग जाते हैं। अपने आपको आधुनिक बनाने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं, जो कि गलत है। युवा वर्ग की कमजोर सोच प्रवृत्ति पर व्यापार का फायदा उठाते हुए नशे के व्यापार में लगे हुए लोग उन्हें नशे के लिए प्रेरित करने लग जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि युवा अपने आपको मजबूत बनाएं और गलत संगति से बचें। कोई भी परेशानी अपने माता-पिता के साथ में शेयर जरूर करें।
-सोनिका हेडाऊ बैतूल मध्यप्रदेश
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आपकी बात, युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का कारण क्या है?

सरकार ने बढ़ाई शराब की लत
वर्तमान समय में युवा पीढ़ी का नशे में चूर रहना एक फैशन सा बन गया हैं। न केवल युवक, अपितु संभ्रात परिवार की लड़कियां भी इसकी आदी हो रही हैं। नशे की लत का शिकार युवा न केवल अपने परिवार के लिये अभिशाप बन जाता है, अपितु समाज व राष्ट्र के लिए भी कलंक साबित होता है। सबसे शर्मनाक पहलू तो यह हैं की सरकारों ने राजस्व की आड़ मे शराब सेवन को बढ़ावा देकर युवा पीढ़ी के भविष्य से खिलवाड़ ही किया है। ऐसी हालत में नशे के गर्त में डूबे युवाओं को कौन बचाएगा?
-गायत्री चौहान, जोधपुर
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संगत का रहे ध्यान
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति वास्तव में चिंताजनक है। युवा उचित मार्गदर्शन के अभाव में नशा करते हैं। किशोरावस्था के बालकों पर खास ध्यान दिया जाए। उनकी संगत पर निगाह रखी जाए। संगत ठीक हो तो बच्चे नशे के जाल से बच जाते हैं।
-करण राज सोलंकी, तखतगढ़
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नशे तक पहुंच हुई आसान
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति के अनेक कारण हैं। नशे की उपलब्धता एवं पहुंच आसान होने से भी नशे की प्रवृत्ति बढ़ी है। संयुक्त परिवार का विघटन होने से भी युवाओं को अधिक स्वतंत्रता मिली है। मीडिया ने भी नशे के कारोबार को प्रचारित किया है। वर्तमान में बढ़ती बेरोजगारी में मानसिक अवसाद दूर करने के लिए भी युवा नशे का सहारा लेते हैं। अत: इन सब पर ध्यान देकर हमें समस्या का निराकरण करना होगा।
-सत्तार खान कायमखानी, कुचेरा, नागौर
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नशा बना शान का प्रतीक
आजकल खासकर युवा वर्ग में नशे कि प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है, जो चिंताजनक है। इसका मुख्य कारण है कि आजकल समाज में नशे को शान का प्रतीक समझा जाने लगा है। युवा वर्ग भी नशा करने में अपनी शान समझता है और वह अन्य साथियों को भी इस तरह प्रेरित करता है कि उन्हें भी नशा करना प्रतिष्ठा का विषय लगने लगता है। इसके साथ ही नशा माफियाओं के बढ़ते प्रभाव और नेटवर्क से नशीले पदार्थ आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं।
-हनुमान बिश्नोई, बाड़मेर
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परिवार जन ध्यान रखें
खराब संगत, सामाजिक रिश्तों में दूरी व अकेलेपन का अधिक होना युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं। परिवारजन जब अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते। इससे बच्चे नशे के जाल में उलझ जाते हैं।
-आनंद सिंह बीठू, सींथल, बीकानेर
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युवाओं को संभालें
आधुनिक युग में जहां हम तकनीकी रूप से सुविधा संपन्न बनते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की युवा पीढ़ी अवसाद और तनावग्रस्त होती जा रही है। युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, अभिभावकों की अपेक्षाओं का भार और प्रतिस्पर्धा में पिछडऩे का डर उसे अवसाद की तरफ धकेलता है। बढ़ती महत्त्वाकांक्षा, आपसी सहयोग की कमी, अपनों से बड़ों से दूरी समस्या की जड़ है। युवाओं को समय-समय पर परामर्श देकर उनको संभाला जा सकता है।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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अवसाद है मुख्य वजह
बेरोजगारी, आधुनिक दिखने का भ्रम, प्रेम मं हताशा, सद् शिक्षा का अभाव, भ्रामक विचारधाराओं में उलझना, सामाजिक एवं पारिवारिक अनुशासन के प्रति विद्रोह की भावना, हाईप्रोफाइल जीवनशैली की लालसा जैसे अनेक कारण अवसाद की वजह हैं। इससे युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। युवा अपनी क्षमता को पहचानें, दूसरों से अपनी तुलना ना करें। नशे में खो जाना कायरता है। खेलों से जुड़ें। परोपकार के काम करें। इसी से अच्छे समाज का निर्माण होगा।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का अहम कारण पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बदलता कल्चर है। आज समाज में भौतिकता हावी होती जा रही है। दूसरा अहम कारण संयुक्त परिवार का टूटना भी है। आज एकल परिवार की वजह से बच्चों को वह प्यार व संस्कार नहीं मिल पाते, जिनकी अपेक्षा होती है। ऐसे में एकाकीपन को दूर करने के लिए बच्चे मोबाइल, इंटरनेट आदि से जुड़ जाते हैं। साथ ही नशे की लत के शिकार भी हो जाते हैं। युवाओं को माता-पिता के प्रेम व नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को भी मादक पदार्थों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए, तभी युवा पीढ़ी को बचाया जा सकेगा ।
-आजाद कृष्णा राजावत, निहालपुरा
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जागरूकता अभियान की जरूरत
युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार को नशे से संबंधित सामानों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए। सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया व सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए और युवाओं में जो नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है, उसे पूर्णत: खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

भारतीय व्यापार को विश्व स्तर पर इस तरह बढ़ा रहा है एफएमसीजी उत्पादों का उदय

Shahram Warsi

फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर का विस्तार काफी तेजी से हो रहा है, यह भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथा सबसे बड़ा सेक्टर बन गया है और एफएमसीजी (FMCG) की 50 प्रतिशत बिक्री पर्सनल केयर और हाउसहोल्ड से जुड़े उत्पादों की है।

बदलती जीवनशैली, बढ़ती जागरूकता और आसान पहुंच इस क्षेत्र के लिए प्रमुख विकास चालक रहे हैं। भारत में एफएमसीजी (FMCG) सेक्टर द्वारा उत्पन्न कुल राजस्व में लगभग 40 प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के साथ शहरी भाग का सबसे बड़ा योगदान है। लगभग 53 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार आकार के साथ, शहरी और ग्रामीण भारत दोनों के, बाजार की तेज गति से बढ़ने की उम्मीद है।

हाल ही में, प्रत्यक्ष बिक्री करने वाली एफएमसीजी कंपनी एमवे ने साझा किया कि भारत 2025 तक वैश्विक कंपनी के लिए शीर्ष 3 बाजारों में से एक बनने की क्षमता रखता है जिसमें लगभग एक अरब डॉलर का राजस्व है। कंपनी ने हाल ही में लगभग 1,800 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया है और अगले 7 वर्षों में इसके 6,000 करोड़ रुपए तक को छूने की उम्मीद है। एमवे वर्तमान में अपने पोषण, सौंदर्य, और व्यक्तिगत प्रवृत्ति पर व्यापार देखभाल उत्पादों की बिक्री पर चल रहा है। जल्द ही यह एक और नई श्रेणी को लॉन्च करेगा।

एमवे के सीईओ अंशु बुद्धिराजा कहते हैं, 'हमारा लक्ष्य 2025 तक व्यवसाय में तीन गुना वृद्धि करना है, डिजिटलाइजेशन और नवाचारों द्वारा चलते हुए हम अपने मजबूत प्रत्यक्ष विक्रेता के नेटवर्क के साथ डिजिटल रूप से प्रवेश कर रहे हैं और युवा ग्राहकों को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।'

एफएमसीजी वस्तुएं क्या हैं?

एफएमसीजी वस्तुओं को उपभोक्ता पैक माल के रूप में भी जानते हैं। इसमें किराने का सामान/दालों के अलावा सभी उपभोग्य वस्तुएं शामिल हैं।टॉयलेट साबुन, डिटर्जेंट, टूथपेस्ट जैसे आइटम दैनिक उपयोग के लिए हैं जो उच्च रिटर्न का संकेत देते हैं।

बाजार का आकार

भारत में खुदरा बाजार 2020 तक 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है जिसमें आधुनिक व्यापार 20-25 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है। इस वृद्धि से एफएमसीजी कंपनियों के राजस्व को बढ़ावा मिलने की संभावना है। 2017 में, एफएमसीजी क्षेत्र के लिए राजस्व यूएस 49.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया जिसकी वित्त वर्ष 18 में 9 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। अगर सुधार और विनियमन के माध्यम से आवश्यक वातावरण प्रदान किया जाए तो भारत में डायरेक्ट सेलिंग सेक्टर 2021 तक 159 बिलियन के पार जाने की उम्मीद है।

रुझान

शहरी क्षेत्रों में, डिस्पोजेबल आय में वृद्धि के कारण खरीदारी के रुझान आवश्यक उत्पादों के बजाए प्रीमियम उत्पादों तक पहुंच गए हैं। इस प्रवृत्ति पर प्रतिक्रिया करते हुए, फर्मों ने अपने प्रीमियम उत्पादों के पोर्टफोलियो को बढ़ाना शुरू कर दिया है। भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय एफएमसीजी कंपनियां लागत-प्रतिस्पर्धी उत्पाद के लिए रणनीतिक सोर्सिंग हब के रूप में भारत का लाभ उठा रही हैं जिससे की वह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक माल पहुंचा सकें।

ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्धि

एफएमसीजी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के प्रमुख चालक होने की उम्मीद है क्योंकि इन क्षेत्रों में वृद्धि जारी है। उन्होंने 16 प्रतिशत की वृद्धि देखी जिसके कारण कंपनियां प्रत्यक्ष वितरण को बढ़ाकर और बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करके पूंजीकरण कर रही हैं। ब्रांड ग्रामीण बाजार के लिए लक्षित उत्पाद बनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।

भविष्य

ब्रांडों को विकास के लिए अनुसंधान और विकास और नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। वैश्विक और एफएमसीजी ब्रांड स्वास्थ्य और कल्याण में अधिक निवेश कर रहे हैं क्योंकि यह प्रमुख प्रवृत्ति उपभोक्ता की प्राथमिकताओं और खरीदारी की आदतों को आकार दे रही हैं। इस प्रकार, एफएमसीजी ब्रांड स्वास्थ्य और वेलनेस में नए उभरते ब्रांडों को बनाने, प्रवृत्ति को गले लगाने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

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