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ब्रोकर क्या है

ब्रोकर क्या है
Stock Broker Select Karne ke Steps

डीमैट खाता क्या है ? कहाँ और कैसे खोलें | Demat Account क्या है – यहाँ देखे

आज, इस ऑनलाइन इंटरनेट की दुनिया में पैसा कमाना अब और अधिक सरल हो गया है, खासकर, कोरोनावायरस लॉकडाउन के बाद, हम ऑफ़लाइन से ऑनलाइन इंटरनेट की दुनिया में स्विच हो गए हैं। ऑनलाइन पैसे कमाने के कई तरीके हैं, लेकिन इन सबके बीच शेयर बाजार अब सबके बीच मशहूर हो गया है |

एक सरकारी रिपोर्ट से पता चलता है कि, 2020 में, दस लाख से अधिक नए खुदरा निवेशक भारत में उभरे हैं और एक नया डीमैट खाता खोला है। इससे पता चलता है कि लोग शेयर बाजार की ओर कितना आकर्षित होते हैं, खासकर कोरोनावायरस लॉकडाउन सत्र में।

जैसा कि अब हम समझते हैं कि शेयर बाजार ही एकमात्र तरीका है जिसके माध्यम से आप उच्चतम रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। आप धैर्य के साथ लंबी अवधि के लिए मौलिक रूप से विश्लेषण किए गए शेयरों में निवेश करके भी बहुत पैसा कमा सकते हैं।

और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब आपको धोखाधड़ी के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि सेबी (स्टॉक मार्केट पुलिस) ने सुरक्षा सुनिश्चित की है और सब कुछ डिजिटल कर दिया है। तो, आप अपने मोबाइल पर क्लिक करके सब कुछ देख सकते हैं। अब, समझते हैं कि कैसे शेयर बाजार में निवेश करें और शानदार रिटर्न कमाएं।

शेयर बाजार में निवेश करने से पहले आपको एक डीमैट खाता खोलना होगा।

डीमैट खाता क्या है ?

डीमैट खाते को “डीमैटरियलाइज अकाउंट” के रूप में भी जाना जाता है। डीमैट खाता एक बैंक खाते की तरह है जहां हम किसी भी सूचीबद्ध कंपनी के शेयर या स्टॉक को डिजिटल रूप में स्टोर कर सकते हैं।

आप किसी भी कंपनी के शेयरों को अपने डीमैट खाते में आसानी से डिजिटल रूप में जमा कर सकते हैं और बैंक खाते की तरह अपने खाते की शेष राशि भी देख सकते हैं। शेयर बाजार में निवेश करने से पहले किसी भी व्यक्ति को एक नया डीमैट खाता खोलना होगा।

डीमैट खाता कहाँ खोलें ? [ स्टॉक ब्रोकर क्या है ]

अब, आप डीमैट खाते के बारे में पूरी तरह से अवगत हैं। तो, अब आपको यह जानना होगा कि डीमैट खाता कहां खोलना है। यह समझने से पहले कि आपको यह समझना होगा कि नया डीमैट खाता कहां खोलना है।

आमतौर पर स्टॉक ब्रोकर किसी भी व्यक्ति का डीमैट खाता खोलते हैं। भारत में कई स्टॉक ब्रोकर हैं।

स्टॉक ब्रोकर्स क्या है ?

स्टॉक ब्रोकर स्टॉक मार्केट और प्रत्येक व्यक्तिगत निवेशक के बीच का बिचौलिया होता है। स्टॉक ब्रोकर निवेशक द्वारा कंपनी के शेयर के सभी खरीद और बिक्री ऑर्डर के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।

भारत में कई स्टॉक ब्रोकर हैं। भारतीय शेयर बाजार में मूल रूप से दो तरह के स्टॉक ब्रोकर होते हैं।

  • पूर्णकालिक ब्रोकर।
  • डिस्काउंट ब्रोकर।

फुल-टाइम ब्रोकर (Full Time Broker) :- फुल टाइम ब्रोकर वे ब्रोकर होते हैं जो निवेशक को विभिन्न और विशेष सेवा प्रदान करते हैं और उच्च शुल्क भी लेते हैं। कुछ सुविधाएं हैं –

  • कॉलिंग ट्रेड।
  • निवेश संबंधी सलाह।
  • 24X7 कॉल सपोर्ट ।
  • समय पर नवीनतम अपडेट।
  • विशेष ध्यान।

कुछ प्रसिद्ध भारतीय पूर्णकालिक ब्रोकर HDFC Securities, ICICI Securities, Kotak Securities Angel Broker and SBI Securities.

डिस्काउंट ब्रोकर (Discount Brokers) :- डिस्काउंट ब्रोकर वो स्टॉक ब्रोकर होते हैं जो आपको फुल टाइम स्टॉक ब्रोकर की तुलना में कम सुविधाएं प्रदान करते हैं। लेकिन यह सभी के लिए पर्याप्त है और बहुत कम चार्ज भी करता है। डिस्काउंट ब्रोकरों द्वारा प्रदान की जाने वाली कुछ बुनियादी सुविधाएं हैं –

  • डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म
  • सोम-शुक्र कॉल और चैट सहायता
  • नवीनतम अपडेट
  • कम शुल्क (Low Charge)
  • कभी भी होल्डिंग ट्रैकिंग सिस्टम

कुछ भारतीय डिस्काउंट ब्रोकर अपस्टॉक्स , Zerodha , Upstox, Paytm Stock, 5 Paise, Angel One , Groww और आदि हैं ।

डीमैट खाता कैसे खोलें ? [ How To Open Demat Account ]

डीमैट खाता आमतौर पर स्टॉक ब्रोकर और बैंक द्वारा खोला जाता है। और आप पहले से ही जानते होंगे कि भारत में दो प्रकार के स्टॉक ब्रोकर हैं।

आप अपना ब्रोकर क्या है नया डीमैट खाता अपने मोबाइल या लैपटॉप के माध्यम से भी कुछ ही मिनटों में खोल सकते हैं। आपको किसी भी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सभी स्टॉक ब्रोकर सेबी (स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, SEBI) की देखरेख में आते हैं । इसलिए आप आसानी से संपर्क कर सकते हैं और अपने खाते में किसी भी प्रकार की अनियमितता के लिए शिकायत कर सकते हैं।

सेबी का फुल फॉर्म “स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया” है जिसे शेयर मार्केट पुलिस के नाम से भी जाना जाता है। सेबी सरकारी सांविधिक निकाय है जो भारत में शेयर बाजार को विनियमित और पर्यवेक्षण करता है।

नया डीमैट खाता खोलने से पहले, आपके पास अपने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और विवरण होने चाहिए। नया डीमैट खाता खोलने के लिए आपके पास कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज होने चाहिए: –

  1. आधार कार्ड:- ऑनलाइन डीमैट खाता खोलने के लिए आधार कार्ड नंबर होना अनिवार्य है।
  2. पैनकार्ड:- ऑनलाइन डीमैट खाता खोलने के लिए पैनकार्ड नंबर होना भी अनिवार्य है।
  3. आरएमएन (पंजीकृत मोबाइल नंबर):- आपका मोबाइल नंबर आपके आधार कार्ड और पैनकार्ड के साथ पंजीकृत होना चाहिए। आधार कार्ड और पैनकार्ड दोनों के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर समान होना चाहिए। यह आपको ओटीपी के साथ प्रमाणित करने में मदद करता है।
  4. बैंक विवरण:- आपका बैंक विवरण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से आप कंपनी के शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए आसानी से पैसे का लेन-देन कर सकते हैं।
  5. फोटो और हस्ताक्षर:- नए डीमैट खाते के लिए आवेदन करते समय आपको ऑनलाइन फोटो और ई-साइन भी अपलोड करना होगा।

डीमैट खाता कैसे खोलें ?

एक नया डीमैट खाता खोलने के लिए आपको नीचे दिए गए चरणों का पालन करना होगा –

स्टॉक ब्रोकर कैसे सेलेक्ट करें | Stock Broker Select Karne ke 5 Steps.

हालांकि stock broker select करना एक बेहद आसान प्रक्रिया है, लेकिन वह निवेशक की आवश्यकता के अनुरूप भविष्य में निवेशक को Service दे पायेगा या नहीं इसका विश्लेषण करना थोड़ा मुश्किल | इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से अपने पाठकों को stock broker select करने की Information देंगे |

वैसे देखा जाय तो stock broker stock exchange का एक पंजीकृत सदस्य होता है जो stock market में शेयर खरीदने और बेचने के लिए प्राधिकृत होता है | किसी भी व्यक्ति द्वारा बिना Stock broker के Share trading कर पाना संभव नहीं है, इसलिए जब भी कोई व्यक्ति Stock Market में Invest करने की सोचता है तो उसे कोई न कोई stock broker select करना ही पड़ता है |

और जब कोई व्यक्ति broker द्वारा दी जाने वाली service ग्रहण करके Trading करता है, broker को Trading Value पर कमीशन मिलता है जिसे Brokerage कहा जाता है |

क्या होता है स्टॉक ब्रोकर:

Stock broker से आशय उस व्यक्ति या संगठन से है, जिन्हें अपने ग्राहकों की ओर से stock market में participate करने का लाइसेंस मिला हुआ होता है | Stock broker शेयर खरीदने और बेचने वाले व्यक्ति के बीच एक प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहा होता है, और इस प्रतिनिधित्व के बदले ब्रोकर Trading Value का कुछ प्रतिशत कमीशन के तौर पर लेकर अपनी कमाई कर रहा होता है | एक प्रतिनिधि अर्थात एजेंट के तौर पर broker केवल और केवल निवेशकों के लिए शेयरों की खरीद बिक्री कर रहा होता है |

जिसका अभिप्राय है की जो निवेशक अपने शेयर बेचना चाहते हैं उनके लिए वह बेचेगा और जो ग्राहक खरीदना चाहते हैं उनके लिए वह खरीदेगा | इसलिए जरुरी हो जाता है की कोई भी व्यक्ति stock broker select करते वक्त यह पता अवश्य लगाने की कोशिश करे की क्या वह उसके लिए निवेश सम्बन्धी सही निर्णय ले पायेगा | इसके अलावा और भी बहुत सारी बातें है जिनका ध्यान किसी भी निवेशक को stock broker select करते वक्त रखना चाहिए |

Stock Broker Select करने के लिए उठाये जाने वाले कदम:

stock broker select kaise kare

Stock Broker Select Karne ke Steps

1. स्टॉक ब्रोकर रजिस्टर्ड है या नहीं पता करें

निवेशक को stock broker select करने से पहले यह पता करना बेहद आवश्यक है की ब्रोकर पंजीकृत है या नहीं | अर्थात जो सेवा वह लोगो को दे रहा है उस सेवा को देने का लाइसेंस ब्रोकर के पास है या नहीं | यह सब करने के लिए निवेशक चाहे तो Stock broker की वेबसाइट पर जा सकता है, क्योंकि लगभग सभी ब्रोकर अपनी Registration details अपनी website के माध्यम से display करते हैं |

इसके अलावा दूसरा विकल्प यह है की निवेशक Securities and exchange board of India (SEBI) की Website के माध्यम से भी यह पता कर सकता है की ब्रोकर Registered है या नहीं | BSE और NSE की वेबसाइट पर भी Registered stock broker की लिस्ट विद्यमान रहती है |

2. ऐसे व्यक्ति का फीडबैक लें जो पहले से निवेश कर रहा हो

व्यक्ति का स्वभाव है की अक्सर कुछ नया करने से पहले अपनी शंका के समाधान हेतु उस सेवा विशेष या प्रोडक्ट विशेष के बारे में वह अपने आस पास के लोगों से जरुर पूछता है, जो की सही भी है |

लेकिन यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह है की आप ऐसे व्यक्ति से राय बिलकुल मत लें जिसने पहले कभी Stock Market में Invest किया ही न हो, इस क्रिया को अंजाम तक पहुँचाने के लिए निवेशक को चाहिए की वह अपने जानकारों में से किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करे, जिन्होंने Stock market में Invest किया हो या पहले कर चुके हों, उन्ही के Feedback के माध्यम से निवेशक को stock broker select करने में मदद मिल पायेगी |

3. ब्रोकरेज बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए

Indian Market में बहुत सारी Brokerage कंपनिया हैं इनमे से कुछ बहुत कम कमीशन लेकर निवेशक के लिए Trading करने को तैयार भी हैं | लेकिन एक निवेशक को चाहिए की वह सिर्फ Brokerage fee पर ध्यान न देकर कंपनी या व्यक्ति की शाख पर भी ध्यान दे |

क्योंकि एक ब्रोकर में निवेशक की पसंद, नापसंद को समझने के अलावा उसकी risk profile और व्यक्ति की वित्तीय स्थिति के आधार पर उसे व्यक्तिगत सुझाव देने की क्षमता होनी चाहिए | और ब्रोकर को समझना चाहिए की आखिर निवेशक का निवेश करने के पीछे लक्ष्य क्या है | इसलिए निवेशक को stock broker select करते वक्त Brokerage के अलावा उपर्युक्त बातों को ब्रोकर क्या है ब्रोकर क्या है भी ध्यान में रखना चाहिए |

4. स्टॉक ब्रोकर की जानकारी और व्यवहार का आकलन करें

वैसे तो एक मुलाकात में किसी के व्यवहार का जायजा लेना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन यदि निवेश करने की चाह रखने वाला व्यक्ति ब्रोकर पर थोड़ा सा ध्यान दे तो शायद वह यह जान पाने में कामयाब हो पायेगा की सामने बैठे व्यक्ति का व्यवहार अपने ग्राहकों के प्रति कैसा है | इसमें निवेशक को चाहिए की वह Stock market में Investment सम्बन्धी ब्रोकर से ढेर सारे प्रश्न जैसे इसमें निवेश करने के जोखिम क्या क्या हैं? और अभी मार्किट में कौन सा Stock सबसे ज्यादा प्रचलित है?

जो आप मुझे सुझाव दे रहे हैं वह मेरे लिए फायदेमंद कैसे है? मैं अपनी मेहनत से की गई कमाई को इस Stock में क्यों निवेश करूँ? अगर मैं यह Stock खरीदूं तो इसमें लाभ कितनी संभावना है? इत्यादि इस पहली मीटिंग में निवेशक को चाहिए की वह जितने अधिक प्रश्न करेगा Broker का Behavior और Knowledge उसके सामने उतनी अधिक चित्रित होगी |

अब यदि आपके लगातार प्रश्नों को सुनकर Broker के चेहरे या वाणी में झुनझुलाहट का आभास हो रहा है, तो समझ लीजिये की या तो Broker अपने ग्राहक द्वारा पूछे गए प्रश्नों में रूचि नहीं दिखा रहा है, या फिर हो सकता है की उसको पूर्ण जानकारी न हो |

5. व्यक्तिगत अटेंशन बहुत जरुरी है

चूँकि निवेशक अपनी मेहनत से की गई कमाई को Stock Market में ब्रोकर के माध्यम से निवेश करता है, इसलिए ब्रोकर के प्रति निवेशक की अपेक्षाएं यह रहती हैं की जरुरत पड़ने पर Broker उसे Personal attention देकर उसकी मदद करे | इसलिए Stock broker select करते वक्त व्यक्ति चाहे तो इस बारे में ब्रोकर से पहले ही बात कर सकता है, या फिर अपने किसी अनुभवी जानकार से भी इस बारे में पता कर सकता है |

इसमें यह जरुरी नहीं की सिर्फ बड़े ब्रोकर ही बड़े ग्राहक को अधिक अहमियत देते हैं बल्कि हमारा मानना तो यह है की छोटे ब्रोकर को यदि कोई बड़ा ग्राहक मिल जाय तो वह ज्यादा समय उसी के पीछे लगा रहेगा, यही कारण है की इसमें यह कहना मुश्किल है की निवेशक को बड़े Stock broker select करना चाहिए या छोटा, यह निर्णय निवेशक अपने विवेक से खुद ले सकता है, लेकिन हम सिर्फ इतना कहना चाहेंगे की निवेशक को समय समय पर ब्रोकर की ओर से Personal attention की requirement होगी |

उपर्युक्त बातों के अलावा निवेशक को Stock broker select करते वक्त Online निवेशकों द्वारा दिए गए Reviews का भी विश्लेषण करना चाहिए, ताकि निवेशक यह तय कर पाए की क्या वह Broker जिसे वह Select करने जा रहा है अपने वर्तमान ग्राहकों को कैसी सर्विस दे रहा है |

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इनका नाम महेंद्र रावत है। इनकी रूचि बिजनेस, फाइनेंस, करियर जैसे विषयों पर लेख लिखना रही है। इन विषयों पर अब तक ये विभिन्न वेबसाइटो एवं पत्रिकाओं के लिए, पिछले 7 वर्षों में 1000 से ज्यादा लेख लिख चुके हैं। इनके द्वारा लिखे हुए कंटेंट को सपोर्ट करने के लिए इनके सोशल मीडिया हैंडल से अवश्य जुड़ें।

स्टॉक ब्रोकर (stock broker) क्या होता हैं? kaise bane in hindi

शेयर मार्केट , स्टॉक ब्रोकर , स्टॉक एक्सचेंज , सेंसेक्स , निफ़्टी इत्यादि ये सारे नाम आपने जरूर सुना होगा कम टाइम में इन्वेस्टमेंट के द्वारा अच्छी कमाई की चाहत रखने लोग अक्सर स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करते हैं जिसे हम लोग आम भाषा में शेयर मार्केट कहते हैं। इन्वेस्टर और शेयर मार्केट इन दोनों के बीच जो काम करता है उसे हम स्टॉक ब्रोकर कहते हैं।

आज की इस पोस्ट में हम इसी के बारे में आपको शुरू से लेकर अंत तक सारी जानकारी देने वाले हैं यह जानकारी जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें।

Stock broker क्या है

स्टॉक ब्रोकर वह है जो investment karne wala और शेयर मार्केट दोनों के बीच काम करता है बिना stock broker के कोई भी इन्वेस्टर या निवेशक अपना ट्रेड शेयर मार्केट में नहीं डाल सकता है

इसलिए दोस्तों यदि आप स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आपको डिमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है और यह दोनों अकाउंट स्टॉक ब्रोकर द्वारा ही खोला जाता है

किसी भी इन्वेस्टर की buy या sell का आर्डर ब्रोकर ही स्टॉक एक्सचेंज के पास पहुंचाया जाता है

देखा जाए तो शेयर बाजार में दो तरह के स्टॉक ब्रोकर काम करते हैं पहले ब्रोकर को हम full service stock broker कहते हैं दूसरे ब्रोकर को हम discount stock broker तो आइए हम इन दोनों प्रकार के बारे में डिटेल से जानकारी देते हैं कि इनका क्या-क्या काम होता है।

full service stock broker क्या है?

यह स्टॉक ब्रोकर को सबसे बढ़िया ब्रोकर माना जाता है क्योंकि यह ब्रोकर अपने क्लाइंट को तरह-तरह की सुविधाएं प्रदान करते हैं जैसे शेयर कब खरीदे , शेयर कब बेचें मोबाइल , फोन पर ट्रेडिंग करने की सुविधा , आईपीओ में इन्वेस्ट की सुविधा इसके अलावा वह फूल टाइम कस्टमर सर्विस की सुविधा भी प्रदान करते हैं। इसके मद्देनजर देखा जाए तो इन स्टॉक ब्रोकर की फीस भी ज्यादा होती है क्योंकि यह फुल टाइम सर्विस प्रदान करते हैं।

आइए हम आपको कुछ पॉपुलर फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर के बारे में बताते हैं

discount stock broker क्या है?

यह स्टॉक ब्रोकर अपने क्लाइंट से कम फीस में स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने की सुविधा प्रदान कर देते हैं क्योंकि यह अपने क्लाइंट को स्टॉक एडवाइजरी और रिसर्च फैसिलिटी इत्यादि ब्रोकर क्या है जैसी सुविधाएं प्रदान नहीं करते फुल स्टॉक ब्रोकर की तरह इनका ज्यादा से ज्यादा काम ऑनलाइन ही होता है

आइए हम कुछ पॉपुलर डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर के बारे में आपको बताते हैं

  • ZERODHA
  • MASTER CAPITAL SERVICES LTD
  • SOUTH ASIAN STOCK LTD

Stock broker कैसे बने?

दोस्तों यदि आप भी एक स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं तो आपको फाइनेंशियल मार्केट का बहुत ही अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है इसके साथ-साथ आपके पास स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए तरह-तरह के परमिशन लेने पड़ते हैं तब जाकर आप एक स्टॉक ब्रोकर के रूप में लोगो को ट्रेडिंग करने की सुविधा प्रदान कर सकते हैं तथा अपनी कमाई कर सकते हैं।

वैसे देखा जाये तो स्टॉक ब्रोकर बनना आसान काम नहीं है इसके लिए आपको नॉलेज के साथ-साथ आपको तरह-तरह की चीजें होना आवश्यक है।

आईये हम आपको डिटेल में जानकारी देते है कि आप एक स्टॉक ब्रोकर किस प्रकार बन सकते हैं।

#1. स्टॉक ब्रोकर बनने वाले इच्छुक व्यक्ति को सबसे पहले Capital Market , Stock broking और निवेश संबंधित और भी अन्य सुविधाओं के बारे में कोर्स करना पड़ता है। भारत के कुछ प्रशिक्षण संस्थान में यह कोर्स कराए जाते हैं।

#2. जब यह कोर्स पूरा कर लेते हैं तो आपको किसी स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी के साथ जुड़कर कम से कम 2 साल तक इस मार्केट का अनुभव लेना पड़ता है।

इसके बाद आपको स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए सेबी के पास रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है , NSE और BSE का मेंबरशिप लेना पड़ता है , डिपॉजिटरी की मेंबरशिप लेना पड़ता है और भी बहुत सारे काम होते हैं तो आइए इनके बारे में हम आपको डिटेल में बताते हैं

SEBI के साथ रजिस्ट्रेशन करें

स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए आपको सर्वप्रथम SEBI के साथ रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है जब आप SEBI पर रजिस्ट्रेशन करते हैं तो SEBI आपके बारे में पूरा रिसर्च करती है कि आपके पास ऑफिस है या नहीं और यह बिजनेस चलाने के लिए आपके पास जरूरी कागजात है या नहीं जब यह रजिस्ट्रेशन आपका पूरा हो जाता है तो आपको SEBI के द्वारा एक सर्टिफिकेट मिल जाता है।

NSE और BSE का मेंबरशिप लें

SEBI के द्वारा सर्टिफिकेट सर्टिफिकेट लेने के बाद अब बारी आती है आपको NSE और BSE का मेंबरशिप लेने आप मेंबरशिप फीस को देकर इनकी मेंबरशिप ले सकते हैं इसके साथ NSE और BSE के द्वारा सिक्योरिटी डिपॉजिट कराया जाता है तब जाकर आपको इनकी मेंबरशिप मिल जाती है।

इनकी मेंबरशिप लेने के लिए आपकी उम्र 21 वर्ष से ऊपर तक होनी चाहिए तथा आपके पास किसी स्टॉक एक्सचेंज के साथ काम करने का 2 साल का एक्सपीरियंस होना चाहिए।

Depository Membership लें

इसके साथ-साथ दोस्तों आपको डिपॉजिटरी का मेंबरशिप लेना पड़ता है इसका मेंबरशिप लेने के लिए आपको मेंबरशिप फीस तथा सिक्योरिटी फीस देनी होती है तब जाकर आपको डिपॉजिटरी मेंबरशिप मिलती ह

एक अच्छा ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल ऐप बनवाएं

दोस्तों जब आप एक स्टॉकब्रोकर बन जाते हैं तो आपको एक अच्छा ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल ऐप भी बनानी पड़ती है ताकि कस्टमर आपके तरफ अट्रैक्टिव हो तथा आपके सॉफ्टवेयर का मोबाइल है पर आकर ट्रेडिंग करें ताकि आपको फायदा हो इसके अलावा आपको इसकी एडवरटाइजिंग भी करनी होती है ताकि आपके सॉफ्टवेयर तथा मोबाइल ऐप को लोग जानें।

यह पूरा पोस्ट पढ़ने के बाद आप जानते होंगे दोस्तों के स्टॉक ब्रोकर बनने के काफी रजिस्ट्रेशन और बहुत सारे पैसे की आवश्यकता होती हैं

मैं आपको बता दो दोस्तों यदि आप एक स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं तो आपके पास कम से कम 4, 5 करोड़ रूपया होना चाहिए तब जाकर आप एक स्टॉक ब्रोकर बन सकते हैं

स्टॉक ब्रोकर बनने के बाद कमाई

स्टॉक ब्रोकर की कमाई कोई फिक्स कमाई नहीं होती है जितने कस्टमर आप से जुड़ेंगे आपको उतना ही फायदा होता है आपकी पूरी कमाई कस्टमर के ऊपर ही निर्भर करता है क्योंकि कस्टमर की ट्रेडिंग का जो tex लेते हैं वही आपकी कमाई होती हैं।

आशा करता हूं दोस्तों कि हमारे द्वारा लिखी हुई या पोस्ट आपको पसंद आई होगी तथा आपको इसके बारे में शुरू से लेकर अंत तक जानकारी मिली होगी यदि आपको यह पोस्ट पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करें तथा इसके संबंधित आपके पास कोई राय हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं।

रियल एस्टेट में बनाएं करियर

करियर के तौर पर रियल एस्टेट को सिर्फ प्रॉपर्टी डीलर या कमीशन एजेंट्स के रूप में ही देखा जाता है, लेकिन आज इस क्षेत्र में नौकरियों की भरमार है.

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  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2015,
  • (अपडेटेड 09 जनवरी 2015, 4:39 PM IST)

करियर के तौर पर रियल एस्टेट को सिर्फ प्रॉपर्टी डीलर या कमीशन एजेंट्स के रूप में ही देखा जाता है, लेकिन आज इस क्षेत्र में नौकरियों की भरमार है. इस क्षेत्र में घर, ऑफिस, इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी और कॉरपोरेट फार्मलैंड की खरीद और बिक्री करने के अतिरिक्त प्रॉपर्टी प्रबंधन, प्रॉपर्टी मैनेजर, फैसेलिटीज मैनेजर, रिएल एस्टेट इंवेस्टमेंट कंस्लटेंट, भूमि विकास, बैंकों की मॉरगेज सर्विस, शहरी प्लानिंग, रियल एस्टेट काउंसलिंग, प्रॉपर्टी का मूल्य आकलन और रिसर्च भी शामिल हैं.

रियल एस्टेट में करियर ऑप्शंस

रेसिडेंशियल रिएल एस्टेट ब्रोकर: ऐसा ब्रोकर जो रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी को खरीदने और बेचने का काम करता है.

कमर्शियल रियल एस्टेट ब्रोकर: ऐसा ब्रोकर जो होटल, ऑफिस, कमर्शियल बिल्डिंग को खरीदने और बेचने का काम करता हो. यही नहीं, इसके लिए उसे मार्केट की अच्छी नॉलेज होना जरूरी है.

रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट कंस्लटेंट: ये कंस्लटेंट लोगों को उनकी प्रॉपर्टी इंवेस्ट करने में सलाह देते हैं. इन्हें रियल एस्टेट मार्केट की काफी गहरी जानकारी होती है.

प्रॉपर्टी मैनेजर: ये मैनेजर किसी प्रोफेशनल प्रॉपर्टी मैनेजमेंट फर्म के पार्ट होते हैं और किसी की इंवेस्टमेंट प्रॉपर्टी की देखभाल करते हैं. प्रॉपर्टी किराए, लीज पर लेना और कस्टमर्स से डील करना इनका काम होता है. इसके लिए आपको अच्छे से नेगोसिएशन करना आना चाहिए.

फैसेलिटीज मैनेजर: फैसेलिटीज मैनेजर का कॉंसेप्ट बड़े-बड़े रिएल एस्टेट प्रोजेक्ट से जुड़ा है. इनका काम बड़े-बड़े रेसिडेंशिएल टाउनशिप, मॉल्स, ऑफिस बिल्डिंग की बिक्री में ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाना होता है.

रियल एस्टेट एनालिस्ट: रियल एस्टेट एनालिस्ट का काम लोगों को निवेश के लिए बेहतर लोकेशन, जमीन या अन्य प्रॉपर्टी के बारे में सूचनाएं और जानकारियां देना है. इस तरह की जानकारियों को ब्रोकरेज हाउस अपने बड़े क्लाइंट्स को देकर लाभ उठाते हैं.

कौन-कौन से स्किल्स हैं जरूरी
जॉब को लेकर पैशन
आर्गनाइजेशन स्किल्स
रियल एस्टेट सेक्टर की हर छोटी से छोटी जानकारी
नेगोसिएशन

कहां से करें कोर्स
CASS Business School, London
National University of Singapore (NUS)
Cornell University, USA
Indian Institure of Real Estate (IIRE)
Amity University
National Institute of Real Estate

प्रॉपर्टी खरीदने पर 1% से ज्यादा नहीं होगा ब्रोकर कमीशन, इस राज्य में बना नियम

घर खरीदने वालों और घर बेचने वालों के लिए बेहद अच्छी खबर है. उन्हें अब प्रॉपर्टी (Property) खरीदने पर मनमाना ब्रोकर कमीशन (Broker commission) नहीं देना पड़ेगा.

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प्रॉपर्टी खरीदने पर 1% से ज्यादा नहीं होगा ब्रोकर कमीशन, इस राज्य में बना नियम

नई दिल्ली: घर खरीदने वालों और घर बेचने वालों के लिए बेहद अच्छी खबर है. उन्हें अब प्रॉपर्टी (Property) खरीदने पर मनमाना ब्रोकर कमीशन (Broker commission) नहीं देना पड़ेगा. हरियाणा के Real Estate Regulatory Agency (H-RERA) ने प्रॉपर्टी डीलर्स और ब्रोकर्स को आदेश दिया है कि वो प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में 1 परसेंट से ज्यादा कमीशन नहीं वसूल सकेंगे.

क्यों लेना पड़ा फैसला

दरअसल, जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने जाते हैं तो प्रॉपर्टी की कीमत, रजिस्ट्री चार्ज के अलावा ब्रोकर का कमीशन (broker commission) भी देना होता है. इस कमीशन के चलते प्रॉपर्टी काफी महंगी हो जाती है. कई बार तो इस कमीशन के चक्कर में प्रॉपर्टी खरीदने की प्लानिंग तक बिगड़ जाती है. ब्रोकर्स जितना कमीशन घर खरीदने वाले से लेते हैं उतना ही घर बेचने वाले से भी वसूलते हैं. हरियाणा में प्रॉपर्टी डीलर-ब्रोकर संपत्ति की खरीद-फरोख्त में विक्रेता और खरीदार, दोनों से मनमाना कमीशन वसूल रहे हैं. इस कमीशन को लेकर कई बार विवाद भी हुए हैं. मनमाने कमीशन को लेकर हरियाणा रेरा (HARERA) को लगातार शिकायतें भी मिल रही हैं.

क्या है हरियाणा RERA का फैसला

प्रॉपर्टी डीलरों के कमिशन के बारे में हरियाणा की Real Estate Regulatory Agency (H-RERA) ने कई मानक तय कर दिए हैं और इन मानकों का सख्ती से पालन कराया जाएगा. अब बिल्डर हरियाणा प्रॉपर्टी डीलर्स एवं कंसल्टेंट्स विनियामक अधिनियम, 2008 के तहत बनाए गए हरियाणा प्रॉपर्टी डीलर्स एवं कंसल्टेंट्स विनियामक नियम, 2009 में निर्धारित राशि से अधिक कमीशन नहीं ले सकेंगे. जिसके तहत ब्रोकर्स 1 परसेंट से ज्यादा कमीशन नहीं ले सकते, इसमें आधा परसेंट प्रॉपर्टी बेचने वाला देगा और आधा परसेंट प्रॉपर्टी खरीदने वाला देगा.

पहले से ही है नियम

हालांकि जहां तक एक परसेंट कमीशन के नियम की बात है तो यह नियम पहले से ही बना हुआ है, लेकिन इस नियम का कोई भी पालन नहीं करता है. नियम के मुताबिक, वैध रसीद के तहत संपत्ति के लेन-देन का सौदा पूरा होने पर खरीदार और विक्रेता को आधा-आधा फीसदी राशि का भुगतान करना होता है. हरेरा को शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ डीलर और ब्रोकर, प्रमोटर्स के साथ साठगांठ करके विक्रेता और खरीदार, दोनों से मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं. और कहीं-कहीं तो यह कमीशन 5-10 फीसदी वसूलने के मामले भी सामने आए, खास बात ये है कि इस एक्स्ट्रा कमीशन का बोझ खरीदार पर ही डाला जा रहा है.

हरियाणा RERA के इस कदम के बाद उम्मीद की जा रही है कि बाकी राज्यों में भी इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा.

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