गति व्यापार रणनीति

एनबीसीसी अपनी क्षमताओं, नवोन्मेषी दृष्टिकोण, गुणवत्ता के उच्चतम मानक के पालन, समय पर डिलीवरी और एक समर्पित कार्यबल के दम पर निर्माण क्षेत्र में निर्विवाद अग्रणी रहा है। इसने भारत और अन्य देशों में परियोजनाओं को सफलतापूर्वक निष्पादित किया है, और नवरत्न केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) का दर्जा हासिल किया है।
Expert Column समाचार
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही या सितंबर तिमाही में सभी बैंकों ने शुद्ध लाभ और फंसे कर्ज (एनपीए) के पैमानों पर शानदार प्रदर्शन किया है। बैंकों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इसके जरिये ही अर्थव्यवस्था को गतिशील और मजबूत .
बीते करीब छह महीने से भारतीय बाजारों का व्यवहार वैश्विक बाजारों से अलग रहा है। खासतौर पर अमेरिकी बाजारों की तुलना में। अमेरिकी बाजारों से तुलना इसलिए भी सही हैं क्योंकि हमारे ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय फंड्स अमेरिका पर फोकस करते .
हाल में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को भारतीय मुद्रा यानी रुपये में करने के लिए सरकार ने विदेश व्यापार नीति में बदलाव किया है। अब सभी तरह के पेमेंट बिलिंग और आयात-निर्यात में लेन-देन का निपटारा रुपये में हो सकता है। रुपये के अंत.
पिछली सदी के अंतिम दशक तक विश्व व्यवस्था की दिशा और दशा को तय करने में रक्षा और विदेश नीति की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। परंतु धीरे-धीरे यह परिदृश्य बदलता गया और इसमें आर्थिकी का योगदान भी महत्वपूर्ण होता गया।
भविष्य की रणनीति विकास की गति बढ़ाने के लिए टिकाऊ और ऊर्जा कुशल बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देने की होनी चाहिए: हरदीप एस. पुरी
भविष्य की रणनीति विकास की गति बढ़ाने के लिए टिकाऊ और ऊर्जा कुशल बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देने की होनी चाहिए। आवासन और शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस. पुरी ने आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के गति व्यापार रणनीति तहत एक नवरत्न सीपीएसई एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के 63वें स्थापना दिवस पर कहा कि सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार विकास माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना का मूल सिद्धांत है। समस्त कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए टिकाऊ प्रौद्योगिकियों और हरित भवन मानदंडों पर आधारित परियोजनाएं विकसित करने के लिए एनबीसीसी की सराहना करते हुए आवास और शहरी कार्य मंत्री ने कहा कि भारत के विकास के इस अमृत काल में भारत @ 100 की माननीय प्रधानमंत्री की परिकल्पना को देखते हुए, यह जरूरी है कि एनबीसीसी जैसे संगठन टिकाऊ और समावेशी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नवीनतम निर्माण मानकों को अपनाएं। .
भविष्य की रणनीति विकास की गति बढ़ाने के लिए टिकाऊ और ऊर्जा कुशल बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देने की होनी चाहिए: हरदीप एस. पुरी
भविष्य की रणनीति विकास की गति बढ़ाने के लिए टिकाऊ और ऊर्जा कुशल बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देने की होनी चाहिए। आवासन और शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस. पुरी ने आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के तहत एक नवरत्न सीपीएसई एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड के 63वें स्थापना दिवस पर कहा कि सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार विकास माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना का मूल सिद्धांत है। समस्त कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए टिकाऊ प्रौद्योगिकियों और हरित भवन मानदंडों पर आधारित परियोजनाएं विकसित करने के लिए एनबीसीसी की सराहना करते हुए आवास और शहरी कार्य मंत्री ने कहा कि भारत गति व्यापार रणनीति के विकास के इस अमृत काल में भारत @ 100 की माननीय प्रधानमंत्री की परिकल्पना को देखते हुए, यह जरूरी है कि एनबीसीसी जैसे संगठन टिकाऊ और समावेशी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए नवीनतम निर्माण मानकों को अपनाएं। .
गति व्यापार रणनीति
दाल का उत्पादन बढ़ाना है तो बदलनी होगी रणनीति
देश में दालों का उत्पादन बढ़ाए जाने की बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन इस संभावनाओं को मूर्त रूप कैसे दिया जा सकता है। बता रही हैं एस. गीता
On: Friday 27 August 2021
किसान दलहन की खेती छोड़ रहे हैं और दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक घाटे में है। इस कारण भारत एक विरोधाभासी स्थिति का सामना कर रहा है। हालांकि देश में इस बात की कोई प्रमाणित रिपोर्ट नहीं है कि किसान दलहन की खेती छोड़ रहे हैं। लेकिन यह सच्चाई है कि हमारे देश का दाल उत्पादन हमारी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है क्योंकि दाल उत्पादन वृद्धि हमारे देश में जनसंख्या की अंधाधुंध वृद्धि से बराबरी करने में सक्षम नहीं है। खासकर इसलिए क्योंकि हमारे देश की अधिकांश जनता शाकाहारी है और वनस्पति प्रोटीन पर निर्भर है। भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ उपभोक्ता भी है क्योंकि भारत में दुनिया में शाकाहारियों का सबसे बड़ा अनुपात है।
मध्ययुगीन यूरोपियनों के मल मूत्र त्यागने की कथा सुन एकदम से उलट देंगे आप
Medieval European society: मानव सभ्यता के इतिहास का विश्लेषण करने की बात आती है तो लोग अपनी-अपनी सभ्यताओं को महान, विकसित और दुनिया गति व्यापार रणनीति की सबसे पुरानी सभ्यताएं बताते हैं। खासकर यूरोपियन तो स्वयं को दुनिया का जनक ही मानते हैं। कहते हैं कि दुनिया में सबसे सभ्य और विश्व में आधुनिकता का प्रसार करने वाले हम ही हैं और बाकी सब तो मानो मूर्ख थे। परंतु आज हम जिस विषय पर बात करने जा रहे हैं वह यूरोपियन लोगों के दावे को न केवल सिरे से नकारता है बल्कि यह भी बताता है कि सभ्यताओं के क्रमिक विकास में यदि सबसे कोई अल्प विकसित था तो वो यूरोपियन थे।
मल त्याग करने की नहीं थी कोई सुविधा
मनुष्य के दैनिक जीवन में मलमूत्र का त्याग करना बेहद ही आवश्यक कार्य है। सोचिए कि आज अगर कोई आपको सामूहिक रूप से एक ही स्थान पर मल त्याग करने के लिए कहे तो क्या होगा? सड़कों पर बड़ी तादाद में कहीं भी मल पड़ा हुआ हो और आप वहां से गुजर रहे हो, तो क्या ऐसी जगह को सभ्य कहा जाएगा? अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कहां होता था तो आपके कौतुक की शांति के लिए बता दें कि यही था मध्ययुगीन यूरोप (medieval european society)। यहां न तो मल त्याग करने की कोई सुविधा थी और न ही कचरे का निस्तारण करने की कोई व्यवस्था। जहां लोगों का मन होता, वहीं पर मल त्याग करते थे और सड़कों पर सड़ा मांस, पशुओं के अपशिष्ट और घरों से निकले हुए कचरे को फेंक देते थे।
मध्ययुगीन यूरोप (medieval european society) पर बनी कोई फिल्म या सीरीज देखते हैं तो हमें बड़े-बड़े महल और राजा-रानी का भोग विलास भरा जीवन ही दिखाया जाता है। परंतु यह कभी नहीं दिखाते कि राजा-रानी मल त्याग करने कहां जाया करते थे? दिखाएंगे तो तब जब कोई व्यवस्थित सुविधा होगी। असल में यूरोप के तथाकथित राजसी महलों में चैम्बर पॉट की सुविधा होती थी, जहां लोग सामूहिक रूप से मल त्याग करते थे और यह मल दो अलग-अलग स्थानों पर एकत्रित होता था, जिसमें से एक गहरा गढ्डा और दूसरा था मोठ। मोठ को आसान भाषा में गति व्यापार रणनीति कहें तो महल के चारों ओर खुदी खाई जिसमें पानी भरा होता था, उसी में मल का विसर्जन किया जाता था। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि कोई महल में मोठ द्वारा प्रवेश करें और उसे राजा-रानी का मल पानी पर तैरता मिल जाए। वहीं जिस गड्ढे में मल एकत्रित होता था, उसे मनुष्यों द्वारा साफ कराया जाता और जहरीली गैसों के कारण लोगों की मौत हो जाती थी।
दुर्गंध से भरी थीं सड़कें
शाही परिवार के लोगों के लिए तो चैम्बर पॉट की सुविधा थी, परंतु आम जनता का क्या? उन्हें भी तो मल त्याग करना होता था। आम जनता के लिए ऐसी गति व्यापार रणनीति कोई सुविधा नहीं थी, वह जहां चाहे मल त्याग कर सकती थी, जिसके परिणामस्वरुप यूरोप के बड़े शहर जो आज अपनी भव्यता के लिए जाने जाते हैं उनकी सड़कें कभी दुर्गंध से भरी होती थी। मल त्याग करने के बाद यूरोपियन अपने पृष्ठभाग को साफ करने के लिए पानी या आज के टॉयलेट पेपर का उपयोग नहीं करते थे बल्कि वह पुराने कपड़े से अपने पृष्ठभाग को साफ करते थे।
यूरोप में धनाढ्य लोगों के लिए ओपेरा हाउस होते थे, उनकी शीट के नीचे एक गढ्डा होता था। उसमें अगर वो चाहें तो सिनेमा या ड्रामा देखने के दैरान मुक्त हो सकते थे। इससे जुड़ी गति व्यापार रणनीति एक कहानी भी है कि दो महिलाएं मुक्त होने के बाद मल को आगे वाली शीटों पर फेंक देती हैं, जिसके बाद लोग उनके पीछे पड़ जाते हैं और मार मारकर अधमरा कर देते हैं।
महीनों तक स्नान नहीं करते थे यूरोपियन
मल त्याग करने के बाद आती है स्नान करने की बात। यूरोपियन फिल्मों में दिखाया जाता है कि पुराने समय के यह लोग बाथटब में नहाते थे। परंतु यह सब झूठ है क्योंकि मध्ययुगीन यूरोप (medieval european society) में नहाने की कोई व्यवस्थित प्रक्रिया नहीं थी। यह लोग 6 महीने या साल में एक बार स्नान करते थे। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता था कि हमारे पास लैनिन कपड़े से बनी शर्ट है जो पसीने को आसानी से सोख लेता है इसलिए स्नान करने की आवश्यकता नहीं है। इटली में जो इत्र की शुरूआत हम देखने को मिलती हैं वो इसी स्नान न करने की देन है।
यूरोप में जितने भी बड़े शहर हैं वे कभी बीमारियों का अड्डा होते थे क्योंकि गंदगी में गति व्यापार रणनीति रहने और साफ-सफाई का ध्यान न रखने के कारण लोगों को कई प्रकार की बीमारियां होती थीं। इससे बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु भी होती थी और महामारी फैलती थीं।