एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें

श्रीलंका की आमदनी का करीब 20 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन से आता है. तमिल समस्या को लेकर उपजे गृह युद्ध के कारण श्रीलंका की माली हालत पहले से ही खराब थी. लेकिन कोविड के कारण वह और बुरी तरह से प्रभावित हुआ.
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में बेकाबू हालात, इमरजेंसी के बीच पूरी कैबिनेट ने दिया इस्तीफा, लेकिन PM बने रहेंगे राजपक्षे
By: ABP Live | Updated at : 04 Apr 2022 07:19 AM (IST)
अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. देश के शिक्षा मंत्री और सदन के नेता दिनेश गुणवर्धने ने कहा कि कैबिनेट मंत्रियों ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने सामूहिक इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया.
बहरहाल, राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से सरकार द्वारा कथित रूप से 'गलत तरीके से निपटे जाने' को लेकर मंत्रियों पर जनता का भारी दबाव था. कर्फ्यू के बावजूद शाम को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया, लेकिन PM बने रहेंगे राजपक्षे
Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 04, 2022 11:52 IST
Image Source : AP/PTI A Sri Lankan woman protests holding a placard during a curfew in Colombo, Sri Lanka, Sunday.
Highlights
- श्रीलंका में एक अप्रैल एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की गई है
- लोगों को घंटों तक बिजली कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है
कोलंबो: अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। देश के शिक्षा मंत्री एवं सदन के नेता दिनेश गुणवर्धने ने संवाददाताओं से कहा कि कैबिनेट मंत्रियों ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने सामूहिक इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया। बहरहाल, राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से सरकार द्वारा कथित रूप से ‘‘गलत तरीके से निपटे जाने’’ को लेकर मंत्रियों पर जनता का भारी दबाव था। कर्फ्यू के बावजूद शाम को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
रुपया क्या 80 के पार जाएगा? जानें गिरावट की 5 बड़ी वजहें, आम आदमी पर क्या साइड इफेक्ट
Rupee News : रुपया लगातार दूसरे दिन 78 के पार चल रहा
Rupee Dollar Rate : रुपया रिकॉर्ड गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है. भारतीय मुद्रा बुधवार को अब तक के सबसे निचले स्तर 79 रुपये के पार पहुंच गया. हालांकि विशेषज्ञों द्वारा अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि डॉलर के एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें लगातार मजबूत होने से रुपया 80 तक पहुंच सकता है. रुपया मंगलवार को एक वक्त तो 78.28 तक पहुंच गया था, लेकिन बाद में इसमें थोड़ा सुधार आया. विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार (forex exchange market)में मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निचले स्तर से उभरते हुए महज एक पैसे की तेजी के साथ 78.03 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और आईआईएफएल सिक्योरिटीज (IIFL Securities) के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि घरेलू कारोबार का नीरस माहौल, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी पूंजी की बाजार एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें से लगातार निकासी से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई है. डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को 78.02 पर खुला.कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले महज एक पैसे बढ़कर 78.03 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. सोमवार को रुपया 11 पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 78.04 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
रुपया लुढ़कने की 5 बड़ी वजहें.
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1. अमेरिका में महंगाई 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है. ऐसे में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बुधवार को होने वाली बैठक में ब्याज दरो में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है, जिससे डॉलर को मजबूती मिली है. रुपया ही नहीं जापानी येन और यूरो में भी गिरावट आई है.
2. शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली से भी रुपये पर दबाव बना हुआ है और वो लगातार कमजोर हो रहा है. स्टॉक मार्केट में भी लगातार तीसरे दिन से गिरावट है और बाजार 10 माह के निचले स्तर पर पहुंच गया है. शेयर बाजार 52,693 अंक पर बंद हुआ, जो 30 जुलाई 2021 के बाद सबसे कमजोर स्तर है. एशियाई बाजारों का यही हाल रहा.
3. रिजर्व बैंक ने पूर्वानुमान लगाया है कि महंगाई कच्चे तेल के ऊंचे दामों के कारण इस वित्तीय वर्ष में ऊंचे स्तर पर रहेगी. इस कारण बने बाजार सेंटीमेंट ने भी भारतीय मुद्रा को नुकसान पहुंचाया है.
4. विदेशी मुद्रा भंडार में भी पिछले हफ्ते से लगातार गिरावट आई है, जिससे भी रुपया गोता लगा रहा है.
5. कच्चे तेल के अलावा कमोडिटी बाजार में भी उथल-पुथल रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन महीने बाद भी कायम है. इस कारण लोहा, निकेल, स्टील और अन्य कच्चे माल के दाम आसमान छू रहे हैं. ये संकेत भी
मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है. The post मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है appeared first on The Wire - Hindi.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत 3.5 फीसदी के काफी उच्च स्तर के चालू खाते के घाटे की संभावना से दो-चार है. एक अनुमान के मुताबिक़, भारत का चालू खाते का घाटा 100 अरब अमेरिकी डॉलर एक विदेशी मुद्रा विशेषज्ञ बनें के बराबर हो सकता है. सरकार के सामने इस बढ़ रहे चालू खाते के घाटे की भरपाई पूंजी प्रवाह से करने की चुनौती है.
पिछले कुछ हफ्तों से, जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा लगातार बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा, भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा रुपये की विनिमयय दर को थामने की एक हारी हुई लड़ाई लड़ता दिखा.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुख्य तौर पर भारतीय ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों की बिक्री है और भारतीय बाजार से 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी रकम निकाल ली है. इसने भारतीय रुपये पर और नीचे गिरने का भीषण दबाव बनाने का काम किया है.
विजय दर्डा का ब्लॉग: सोना न होता तो भारत बन जाता श्रीलंका
Highlights तीन दशक पहले भारत जब दिवालिया होने के कगार पर था। हमने 20 टन सोना बेचकर और बाद में तेजी से आर्थिक सुधार करके खुद को बचा लिया था. श्रीलंका पर अभी विदेशी कर्ज का भार 50 अरब डॉलर से ज्यादा का हो गया है.
कहते हैं कि रावण के समय श्रीलंका सोने की थी लेकिन आज श्रीलंका के खजाने में इतना सोना भी नहीं कि उसे बेचकर खुद को दिवालियेपन से बचा ले! . लेकिन कमाल देखिए कि कोई तीन दशक पहले भारत जब दिवालिया होने के कगार पर था तब हमने 20 टन सोना बेचकर और बाद में तेजी से आर्थिक सुधार करके खुद को बचा लिया था.