क्रिप्टोकरेंसी के फायदे

म्यूचुअल फंडस

म्यूचुअल फंडस
म्यूचुअल फंड में ऑनलाइन इन्वेस्ट करना भी एक बहुत अच्छा तरीका है। इसके लिए आपको म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट कंपनी की साईट द्वारा ऑनलाइन इन्वेस्ट करना होगा। इसके लिए आपको अपना एक खाता और एक यूजर आईडी-पासवर्ड बनाना होगा। इसके बाद आप अपने पसंद से फण्ड का चुनाव करके, कितना फण्ड इन्वेस्ट करना है इसकी जानकारी दे कर अपने म्यूचुअल फंडों के प्रकार से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा एसेट मैनेजमेंट कंपनी में फ़ोन लगा कर भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

मात्र 1500 रूपये लगाकर आप भी बन सकते है करोड़पति , How to be RICH, SIP investment

आपकी उम्र 15 से 20 साल तक म्यूचुअल फंडस है तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है आज हम आपको बताने वाले है की सिर्फ 1500 रुपए लगाकर करोड़पति इंसान कैसे बन सकते हैं, अब बहुत सारे लोग सोचते हैं कि यह कैसे हो सकता है तो आज हम इसी बात को सीखते है । लेकिन यह आर्टिकल आपको आखिरी तक देखना पड़ेगा तब जाकर आप को समझ आएगा कि हम कैसे करोड़पति बन सकते हैं ।

एक इंसान आखिरकार कैसे अमीर हो सकता है?
आज हम बात करेंगे पावर आफ कंपाउंडिंग की इसके बारे में अपने कई बार पढ़ा होगा कहीं बार सुना होगा या नहीं सुना होगा लेकिन यही वह जादू है जो 1500 रुपए लगाकर इस भविष्य में करोड़पति बना सकते है।

इसे समझने से पहले ये तीन चीजें समझना जरूरी है
1) इंकम
2) सेविंग
3) इन्वेस्टमेंट
अगर आपकी उम्र 20 साल है तो मनी से पैसे बचा सकते है या थोड़ा बहोत करके पैसे कमा सकते है। आपकी जो इन्कम है उसका 10% से 15% पैसे बचा सकते है । देखिए इन्कम और सेविंग के बाद सबसे इंपोर्टेंट चीज ही आती है वह है इन्वेस्टमेंट। आपने सही जगह पर इन्वेस्ट कर लिया तो आप समझ जाएगें पावर आफ कंपाउंडिंग को । अगर यही सही चीज अगर आपने कर लिए तो हंड्रेड परसेंट भविष्य में आप करोड़पति बन सकते हैं

यूके सिन्हा बने म्यूचुअल फंडस एएमएफआई के चेयरमैन

यूके सिन्हा बने एएमएफआई के चेयरमैन

म्यूचुअल फंड उद्योगों के संगठन एएमएफआई ने यूके सिन्हा को अपना नया चेयरमैन नियुक्त किया है। सिन्हा यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं।

एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंडस इन इंडिया [एएमएफआई] ने एचडीएफसी एमएफ के प्रबंध निदेशक मिलिंद बारवे को उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। सिन्हा और बारवे अगली सालाना आम बैठक तक पद पर बने रहेंगे। सिन्हा ने एपी कुरियन का स्थान लिया है। कुरियन 1995 से एएमएफआई के गठन से इसके प्रमुख के पद पर थे।

म्यूचुअल फंड या स्टॉक कौन ज़्यादा बेहतर

स्टॉक ओर म्युचुअल फंड के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है, कि स्टॉक एक व्यक्तिगत निवेशक के स्वामित्व(ownership) वाले शेयरों का संग्रह है, जो निगम की संपत्ति और कमाई में उनके स्वामित्व के अनुपात को दर्शाता है। दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड कई छोटे पैमाने के निवेशकों के धन को पूल करते है, जिसे आगे चलकर परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियो में निवेश किया जाता है। इनमें इक्विटी, डेट या अन्य मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हो सकते हैं।

स्टॉक

जब आप शेयर खरीदते हैं, तो आप निगम में एक हिस्से के मालिक होते हैं। आप दो तरीकों से पैसा बनाते हैं। डिविडेंड की पेशकश करने वाले स्टॉक्स से जो आपको हर 3 महीने या वर्ष में कुछ भुगतान करते हैं। या यह कर योग्य आय से जो एक वार्षिक धारा प्रदान करते है।

जब आप इन्हें बेचते हैं, तो आप स्टॉक से भी पैसा कमाते हैं। आपका लाभ विक्रय मूल्य और आपकी खरीद मूल्य का अंतर होता है। स्टॉक लगातार व्यापार करते हैं, और पूरे दिन कीमतें बदलती रहती हैं। यदि बाजार दुर्घटनाग्रस्त (Crash) हो जाता है, तो आप ट्रेडिंग सत्र के दौरान कभी भी बाहर निकल सकते हैं।

SEBI ने दिए म्यूचुअल फंड हाउस को निर्देश, क्या है म्यूचुअल फंड ?

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। आज शायद ही म्यूचुअल फंडस कोई ऐसा होगा जो एक्स्ट्रा इनकम के बारे में नहीं सोचता होगा। हर व्यक्ति अपनी सेविंग्स को कहीं ऐसी जगह इन्वेस्ट करना चाहता है, जिससे उसे अच्छे रिटर्न मिले और एक्स्ट्रा इनकम हो। इसके लिए लोग अलग-अलग जगह इन्वेस्ट करने के बारे में सोचते हैं। कोई अपना पैसा बैंक में रख कर ब्याज द्वारा एक्स्ट्रा इनकम कमाता है तो कोई गोल्ड में इन्वेस्ट करके। कई लोग शेयर बाजार में भी इन्वेस्ट करते हैं तो कई फिक्स्ड डिपोसिट करते हैं। इन्वेस्ट करने के लिए Mutual Fund (म्यूचुअल फंड) भी एक बहुत ही अच्छा उपाय है। जिसको लेकर SEBI ने म्यूचुअल फंड हाउस को नए निर्देश दिए हैं।

Mutual Funds में निवेश के विभिन्न तरीके

Mutual Funds | Types of Mutual Funds investment in hindi

Mutual Funds | Types of Mutual Funds investment in hindi

म्यूचुअल फंड का हिंदी में अर्थ होता है पारस्परिक रकम। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि यह एक तरह का सामूहिक निवेश है, जिसमें लोग निवेश करते हैं तो उन निवेशकों का एक ग्रुप तैयार होता है यही ग्रुप मिलकर स्टॉक मार्केट (Stock Market) या अन्य तरह की प्रतिभूतियों में आपके धन को निवेश करते हैं।

आमतौर पर लोग किसी भी तरह के निवेश के लिए एकमुश्त भुगतान करते हैं लेकिन म्यूचुअल फंड में इसके अलावा भी कई सारे विकल्प हैं। दरअसल म्यूचुअल फंड ( Mutual funds) में आपको विभिन्न ऐसे विकल्प मिलेंगे जो निवेशकों को म्यूचुअल फंडस अनुशासित निवेश रणनीति लागू करने के लिए प्रेरित करते हैं। म्यूचुअल फंडस में निवेश के भी विभिन्न तरीके होते हैं।

ऑटोमैटिक री-इनवेस्टमेंट प्लान (Automatic reinvestment plan)

इन योजनाओं को डिविडेंड रिइनवेस्टमेंट प्लान (Dividend reinvestment plan) भी कहते हैं। म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) स्कीमों की दो योजनाएं होती हैं – ग्रोथ प्लान (Growth plan) और डिविडेंड प्लान (Dividend plan)। ग्रोथ प्लान में आपका निवेश (Investment) बढ़ता (या घटता) चला जाता है जबकि डिविडेंड प्लान में आपको आपके निवेश पर लाभांश की प्राप्ति होगी। हम इन्हीं डिविडेंड प्लान की चर्चा कर रहे हैं।

ऑटोमैटिक री-इनवेस्टमेंट (Automatic reinvestment plan) प्लान के तहत, जब कोई स्कीम डिविडेंड (लाभांश) की घोषणा करती है तो वह उपभोक्ता को अदा नहीं किया जाता है बल्कि वापस स्कीम में निवेश कर दिया जाता है ताकि नई यूनिटें खरीद ली जाए। यहां निवेशक लाभांश के चैक प्राप्त करने और फिर उस चैक से अन्य यूनिट खरीदने के बजाए सीधे सीधे वापस निवेश कर रहे होते हैं। इस प्रकार यह पूरा लेन-देन बगैर नगदी के आदान-प्रदान के हो जाता है।

सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan)

सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान जिसे सिप (SIP) भी कहा जात है, म्यूचुअल फंड (Mutual funds) में निवेश का बेहद लोकप्रिय और आम व्यवहार में आने वाला तरीका है। इसमें निवेशक किस्तों में अपना निवेश करते हैं।

एक सिप (SIP) निवेशकों को सुविधा देता है कि वो नियमित अंतराल पर एक तय म्यूचुअल फंडस रकम से निवेश करें। यह रकम १०० रुपये महीने की भी हो सकती है। हालांकि अधिकांश एमएफ स्कीमों में 500 से 1000 रुपये एसआईपी की न्यूनतम निवेश राशि होती है।

आप जिस दिन यह राशि देते हैं उस दिन जो एनएवी (भाव) होता है उसके अनुसार आपकी यूनिटें खरीद कर आपके खाते में जमा करा दी जाती है। चूंकि एक निश्चित पैसा निवेश किया जा रहा होता है इसलिए फंड हाउस तब यूनिटों की खरीद करते हैं जब कीमतें नीचे हों ताकि अधिक यूनिटों की खरीद की जा सके। यदि भाव अधिक होंगे तो कम यूनिटें निवेशकों म्यूचुअल फंडस की झोली में आएंगी। इस प्रकार सिस्टेमैटिक निवेश से खरीद की औसत लागत कम हो जाती है। इस प्रकार की रणनीति रुपी कॉस्ट एवरेजिंग कहलाती है।

सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (Systematic Transfer Plan)

सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) निवेशकों को एक अंतराल पर एक स्कीम से निवेश (Investment) को निकाल कर दूसरे स्कीम में लगाने की सुविधा देता है। इसके लिए जरूरी है कि दोनों स्कीमें एक ही फंड हाउस की हों। इस ट्रांसफर को एक स्कीम से रिडम्पशन (निकासी), जिस स्कीम से ट्रांसफर हो रहा है (स्रोत स्कीम) और दूसरे स्कीम में निवेश, जिस स्कीम में रिडम्पशन को ट्रांसफर किया जा रहा है (गंतव्य स्कीम) माना जाता है।

इस प्रकार का रिडम्पशन उक्त समय में जो एनएवी निर्धारित होगी उस पर लगेगा। इधर एक्जिट लोड यदि लगना होगा तो वह भी फंड कंपनी की नीति के अनुसार ही लगेगा। निवेशकों द्वारा एसटीपी का इस्तेमाल अपने पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने के लिए किया जाता है ताकि वो अपने लक्ष्य तक पहुंच सकें। अक्सर बदलते ब्याज दरों के माहौल में लोग डेट-इक्विटी स्कीम के बीच इस प्रकार की व्यवस्था करते हैं। जिन निवेशकों को अपने इक्विटी स्कीम में बहुत ज्यादा निवेश नहीं रखना है वो धीरे-धीरे एसटीपी के माध्यम से अपना निवेश डेट में ले जा सकते हैं।

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