क्रिप्टोकरेंसी के फायदे

सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है

सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है
3. तीसरा उपाय है, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं तो आरबीआई भी ब्याज दरें बढ़ाता जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर और 125 बेसिस पॉइंट बढ़ाने का संकेत दिया है। भारत में इस तरह के इजाफे की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इससे इकॉनमिक रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।
Rupee Vs Dollar: डॉलर के आगे दुबला होता जा रहा रुपया! गिरावट का बनाया नया रिकॉर्ड, 83 के आंकड़े को किया पार सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है
लोड न ले आरबीआई
ऐसे में ठीक यही लग रहा है कि रुपये को सहारा देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल न किया जाए। आरबीआई रुपये की चाल में तब तक कोई दखल न दे, जब तक कि इसमें अचानक बहुत तेज गिरावट न आए। बाजार के हिसाब से यह जहां तक गिरता है, गिरने दे। इस रणनीति के फायदे भी हैं।

सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है

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Dollar vs Rupee : गिरते रुपये का आखिर क्या करे सरकार? वेट एंड वॉच की रणनीति से होगा फायदा?

Dollar vs Rupee : महामारी के दौरान एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो एक्सपोर्ट घट भी गया। यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक जा सकता है। इससे रुपये में और गिरावट आ सकती है।

Dollar vs Rupee

Dollar vs Rupee : गिरते रुपये को बचाने के लिए अपनायी जाए यह रणनीति

हाइलाइट्स

  • यूएस डॉलर के मुकाबले बीते हफ्ते 83.26 तक चला गया रुपया
  • यूएड फेड के ब्याज दरें बढ़ाने से मजबूत हो रहा डॉलर
  • व्यापार घाटा बढ़ा तो रुपये में और आएगी गिरावट

- अभी दुनिया में 80 फीसदी से ज्यादा व्यापार डॉलर में हो रहा है।

- तमाम देशों के केंद्रीय बैंक जो विदेशी मुद्रा भंडार रखते हैं, उसका करीब 65 प्रतिशत हिस्सा डॉलर में है।

- रुपया इस साल अब तक 10 प्रतिशत से गिरा है तो जापानी येन में 22 प्रतिशत से ज्यादा नरमी आ चुकी है।

- साउथ कोरियन वॉन और ब्रिटिश पौंड 17-17 प्रतिशत गिरे हैं।

- यूरो भी इस साल अब तक 14 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है।

- चाइनीज रेनमिबी की वैल्यू 12 प्रतिशत घट चुकी है।

क्यों मजबूत हो रहा डॉलर
यूक्रेन युद्ध के चलते पूरा यूरोप बेहाल है। जर्मनी से लेकर फ्रांस, ब्रिटेन और तुर्की तक में महंगाई आसमान छू रही है। दुनिया में एक बार फिर मंदी का खतरा जताया जा रहा है। इकॉनमी से जुड़ा रिस्क जब भी बढ़ता है, निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर की ओर भागते हैं। एक और फैक्टर है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ा रहा है। वह इस साल मार्च से अपना पॉलिसी रेट 3 प्रतिशत बढ़ा चुका है। इससे विदेशी निवेशक दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स और भारत से पैसे निकालने लगे हैं, क्योंकि अमेरिका में उन्हें रिस्क फ्री बेहतर रिटर्न दिख रहा है।

चालू खाता घाटा
रुपये पर दबाव बढ़ने के पीछे एक और फैक्टर है भारत का बढ़ता करंट एकाउंट डेफिसिट। जब निर्यात से होने वाली कमाई के मुकाबले आयात पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, तो करंट एकाउंट डेफिसिट की स्थिति बनती है। कोविड महामारी के दौरान भारत से एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो एक्सपोर्ट घट भी गया। अगर यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का यह घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक भी जा सकता है। यह पिछले 10 वर्षों का सबसे ऊंचा स्तर होगा। क्रूड ऑयल इंपोर्ट के चलते भी चालू खाते का घाटा और बढ़ने का खतरा है। क्रूड ऑयल निर्यात करने वाले देशों ने तय किया है कि वे नवंबर से उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदिन घटाएंगे। इससे दाम और चढ़ेगा।

क्या करे भारत?
अब आते हैं इस सवाल पर कि रुपये के मामले में भारत क्या कर सकता है। विकसित देशों में महंगाई चार दशकों के ऊंचे स्तर पर है। वहां मंदी आने का खतरा बढ़ गया है। लिहाजा वहां भारत की वस्तुओं और सेवाओं की डिमांड घटी है। देश में डिमांड बढ़ाकर इसकी भरपाई हो सकती है, लेकिन कुछ हद तक ही। ऐसे में देखते हैं कि भारत सरकार के सामने क्या विकल्प हैं और वे कितने प्रभावी हो सकते हैं।

1. पहला उपाय है देश में चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ाने के लिए टैक्स घटाया जाए। इससे चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ेगी, इकॉनमी स्टेबल होगी। लेकिन टैक्स घटने से सरकार के रेवेन्यू पर असर पड़ेगा। वैसे भी आम बजट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत के आसपास रहेगा। अभी कर्ज का स्तर भी बहुत बढ़ गया है। सरकारी कर्ज और जीडीपी का रेशियो लगभग 90 प्रतिशत हो चुका है। इन हालात को देखते हुए सरकार के पास राजकोषीय मदद देने की गुंजाइश बहुत कम रह गई है।

2. दूसरा उपाय यह है कि डॉलर की बढ़ती डिमांड का दबाव घटाने के लिए आरबीआई डॉलर बेचे। आरबीआई ने ऐसा किया भी है। लेकिन इससे बात नहीं बनी, उलटे सालभर में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 110 अरब डॉलर घट गया। करंट एकाउंट डेफिसिट अगर मामूली होता तो डॉलर बेचने से कुछ मदद मिल सकती थी। लेकिन मामला ऐसा है नहीं।

3. तीसरा उपाय है, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं तो आरबीआई भी ब्याज दरें बढ़ाता जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर और 125 बेसिस पॉइंट बढ़ाने का संकेत दिया है। भारत में इस तरह के इजाफे की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इससे इकॉनमिक रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।
Rupee Vs Dollar: डॉलर के आगे दुबला होता जा रहा रुपया! गिरावट का बनाया नया रिकॉर्ड, 83 के आंकड़े को किया पार
लोड न ले आरबीआई
ऐसे में ठीक यही लग रहा है कि रुपये को सहारा देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल न किया जाए। आरबीआई रुपये की चाल में तब तक कोई दखल न दे, जब तक कि इसमें अचानक बहुत तेज गिरावट न आए। बाजार के हिसाब से यह जहां तक गिरता है, गिरने दे। इस रणनीति के फायदे भी हैं।

1. एक फायदा तो यही है कि विदेशी मुद्रा भंडार के इतने बड़े इस्तेमाल की जरूरत नहीं रहेगी। फॉरेन एक्सचेंज बचा रहेगा तो अचानक लगने वाले किसी भी बाहरी झटके से इकॉनमी को बचाने में काम आएगा।

2. दूसरी बात, रुपया नरम रहेगा तो भारतीय निर्यात को फायदा मिलेगा।

3. ट्रेड डेफिसिट और करंट एकाउंट डेफिसिट घटाने के लिए आयात घटाने के साथ निर्यात बढ़ाना भी जरूरी है।

4. वैश्विक बाजार में चीन का दबदबा कुछ घटता दिख रहा है। उस जगह को भरने के लिए सरकार को निर्यात पर सब्सिडी देने जैसे कदम उठाने होंगे। लेकिन रुपये में कमजोरी इस मामले में कहीं ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।

कुल मिलाकर इस स्ट्रैटेजी में फायदे ज्यादा हैं, नुकसान कम। अच्छी बात यह है कि आरबीआई अब इसी राह पर आ चुका है। ध्यान केवल इतना रखना होगा कि रुपया इतना कमजोर न हो जाए कि इंपोर्ट बिल बहुत ज्यादा बढ़ जाए।

विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग जरूरी

हम उम्मीद करें कि एक ऐसे समय जब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक स्तर पर है, तब सरकार के द्वारा वर्ष 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार के रणनीतिक उपयोग की उपयुक्त रणनीति बनाई जाएगी। इस परिप्रेक्ष्य में सरकार के द्वारा बुनियादी ढांचा और चिकित्सा ढांचे को मजबूत करने तथा चीन व पाकिस्तान से मिल रही रक्षा चुनौतियों के बीच उपयुक्त मात्रा में आधुनिक रक्षा साजो-सामान की खरीदी के लिए भी विदेशी मुद्रा भंडार का एक उपयुक्त भाग रणनीतिक रूप से व्यय करने की डगर पर आगे बढ़ेगी…

हाल ही में संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। अब विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में पूरी दुनिया में भारत के आगे केवल तीन देश हैं- चीन, जापान और स्विटरलैंड। 7 जनवरी को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 632 अरब डॉलर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है। ऐसे विशाल विदेशी मुद्रा भंडार के आकार के मद्देनजर देश के आर्थिक और वित्तीय जगत में यह विचार मंथन किया जा रहा है कि देश में बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य ढांचे की मजबूती तथा चीन व पाक से मिल रही रक्षा चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्रों की उपयुक्त मात्रा में खरीदी के लिए विदेशी मुद्रा कोष के एक भाग को व्यय करने की डगर पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा जाए। गौरतलब है कि एक ओर जब कोविड-19 के कारण जनवरी 2022 की शुरुआत में भी दुनिया की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं संकट के दौर से गुजर रही हैं, तब देश के विशाल आकार के विदेशी मुद्रा भंडार से जहां भारत की वैश्विक आर्थिक साख बढ़ी है, वहीं इस बड़े विदेशी मुद्रा भंडार से देश की एक वर्ष से भी अधिक की आयात जरूरतों की पूर्ति सरलता से की जा सकती है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार देश की अच्छी आर्थिक स्थिति और आकर्षक अंतरराष्ट्रीय निवेश की स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी बन गया है। वस्तुतः विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में देश का तीन दशक पहले का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। वर्ष 1991 में देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। हमारी अर्थव्यवस्था भुगतान संकट में फंसी हुई थी। उस समय के गंभीर हालात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब दो-तीन हफ्तों की आयात जरूरतों के लिए भी पर्याप्त नहीं था।

उस समय रिजर्व बैंक के द्वारा करीब 47 टन सोना विदेशी बैंकों के पास गिरवी रख कर विभिन्न आयात जरूरतों के लिए कर्ज लिया गया था। फिर देश के द्वारा वर्ष 1991 में नई आर्थिक नीति अपनाई गई जिसका उद्देश्य वैश्वीकरण और निजीकरण को बढ़ाना रहा। इस नई नीति के पश्चात धीरे-धीरे देश के भुगतान संतुलन की स्थिति सुधरने लगी। वर्ष 1994 से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने लगा। 2002 के बाद इसने तेज गति पकड़ी। वर्ष 2004 में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 100 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। फिर इसमें लगातार वृद्धि होती गई और 5 जून 2020 को विदेशी मुद्रा भंडार ने 501 अरब डॉलर के स्तर को प्राप्त किया। इस वर्ष जनवरी 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार का आकार करीब 585 अरब डॉलर को पार कर गया और वर्ष के अंत में यह करीब 635 अरब डॉलर की ऊंचाई पर दिखाई दे रहा है। इस समय देश के विदेशी मुद्रा भंडार के तेजी से बढ़ने के तीन प्रमुख आधार हैं-एक, देश से निर्यात बढ़ना। दो, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तथा विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) बढ़ना। तीन, प्रवासियों के द्वारा बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा स्वदेश भेजना। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021 में भारत के कुल विदेश व्यापार व निर्यात बढ़ने की चमकदार स्थिति बनी है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर 2021 के नौ महीनों के दौरान भारत का निर्यात करीब 303 अरब डॉलर से अधिक रहा है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार को एफडीआई के प्रवाह ने भी तेजी से बढ़ाया है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में देश में एफडीआई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2020-21 सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है में एफडीआई 19 प्रतिशत बढ़कर 59.64 अरब डॉलर हो गया। इस दौरान इक्विटी, पुनर्निवेश आय और पूंजी सहित कुल एफडीआई 10 प्रतिशत बढ़कर 81.72 अरब डॉलर हो गया। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन एजुकेशन तथा वर्क फ्राम होम की प्रवृत्ति, बढ़ते हुए इंटरनेट के उपयोगकर्ता, देशभर में डिजिटल इंडिया के तहत सरकारी सेवाओं के डिजिटल होने से अमेरिकी टेक कंपनियों सहित दुनिया की कई कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार की चमकीली संभावनाओं को मुठ्ठियों में करने के लिए भारत में बड़े पैमाने पर एफडीआई के साथ आगे बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि विदेशी संस्थागत निवेशक अपना निवेश करने के पहले उस देश के शेयर बाजार के परिदृश्य को अच्छी तरह मूल्यांकित करते हैं। ऐसे में इस समय दुनिया के निवेशक भारत के शेयर बाजार की तेजी से बढ़ती हुई ऊंचाई को पूरी तरह महत्व देते हुए दिखाई दे रहे हैं। पिछले वर्ष 23 मार्च 2020 को जो बाम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 25981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह 14 जनवरी को 61223 की ऊंचाई पर बंद हुआ है। यद्यपि पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट रही है, इसके बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशकों के द्वारा भारत को प्राथमिकता दिए जाने के कई कारण हैं। भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न है। भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला बाजार है। भारत के एक ही बाजार में कई तरह के बाजारों की लाभप्रद निवेश विशेषताएं हैं। 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' नीति के तहत देश में कारोबार को गति देने के लिए कई सुधार किए गए हैं। निवेश और विनिवेश के नियमों में परिवर्तन भी किए गए हैं।

भारत का घटता विदेशी मुद्रा भंडार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार के स्वर्ण आरक्षित घटक में बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन विदेशी मुद्रा भण्डार के अन्य घटकों, जैसे- विशेष आहरण अधिकार (SDR), विदेशी परिसंपत्तियों और IMF के पास “रिज़र्व ट्रेंच” आदि में गिरावट दर्ज की गई है।

गिरावट का मुख्य कारण:

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में गिरावट की वजह से मुद्रा भंडार में कमी हुई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुखभाग होती है।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?

  • विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें।
  • यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं। ज्यादातर डॉलर और कुछ सीमा तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होता है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है।
  • पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
  • यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है।
  • इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति,स्वर्ण के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे:

  • मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन हेतु निर्मित नीतियों के प्रति समर्थन और विश्वास बनाए रखना।
  • संकट के समय या जब उधार लेने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है, तो संकट के समाधान के लिये विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखते हुए बाहरी प्रभाव को सीमित करता है।
  • अच्छी विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश, विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है।
  • इससे वैश्विक निवेशक, देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
  • सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है, क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
  • इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार, प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

विदेशी मुद्रा भण्डार में क्या क्या शामिल हैं?

  • विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा में)
  • स्वर्ण भंडार
  • IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच
  • विशेष आहरण अधिकार (SDR)

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ वे हैं जिनका मूल्यांकन उस देश की अपनी मुद्रा के बजाय किसी अन्य देश की मुद्रा में किया जाता है।
  • FCA,विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के संदर्भ में व्यक्त किया जाता है।गैर-अमेरिकी मुद्रा जैसे- यूरो, पाउंड और येन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को FCAमें शामिल किया जाता है।

स्वर्ण भंडार:

  • केंद्रीय बैंकों के विदेशी भंडार में स्वर्ण एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसे मुख्य तौर पर विविधीकरण के उद्देश्य से आरक्षित किया जाता है।
  • उच्च गुणवत्ता और तरलता के साथ स्वर्ण, अन्य पारंपरिक आरक्षित परिसंपत्तियों की तुलना में बेहद अनुकूल होता है, जो केंद्रीय बैंकों को मध्यम और दीर्घकाल में पूंजी संरक्षण, पोर्टफोलियो में विविधता लाने और जोखिमों को कम करने में मदद करता है।
  • स्वर्ण ने अन्य वैकल्पिक वित्तीय परिसंपत्तियों की तुलना में लगातार बेहतर औसत रिटर्न दिया है।

IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच

रिज़र्व ट्रेंच वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को प्रदान किया जाता है। यह एक तरह का आपातकालीन कोष होता है।

कालाबाज़ारी व्यापार रणनीति को कैसे लागू करें

एब्स्ट्रैक्ट:आप एक व्यापारी के रूप में सैकड़ों विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति के संपर्क में हैं। आप संभवतः उन सभी का उपयोग नहीं कर सकते। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप बहुत कम समय में अपना पूरा निवेश खो सकते हैं। कुंजी एक या दो रणनीति पर ध्यान केंद्रित करना और उनमें महारत हासिल करना है

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कालाबाज़ारी एक तेज़-तर्रार व्यापारिक पद्धति है जिसमें व्यापारी दिन भर में अधिक संख्या में अल्पकालिक लाभ उत्पन्न करने सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है का प्रयास करते हैं। यह लेख आपको इस विचार के बारे में सभी मूलभूत तथ्यों की पेशकश करेगा।

कालाबाज़ारी व्यापार रणनीति वास्तव में क्या है?

कालाबाज़ारी व्यापार का एक तरीका है जो कीमतों में छोटे बदलावों का लाभ उठाता है। एक व्यापार लाभदायक होने के बाद लाभ जल्दी लिया जाता है।

कालाबाज़ारी दिन के कारोबार के समान है जिसमें एक ट्रेडर एक पोजीशन खोलेगा और उसे उसी व्यापारसत्र में बंद कर देगा। वे अगले कारोबारी सत्र या रात भर में कभी भी पद धारण नहीं करेंगे। एक दिन का ट्रेडर दिन में एक बार, दो बार या कई बार पोजीशन में आने का प्रयास कर सकता है। दूसरी ओर, कालाबाज़ारी अधिक तेज़ गति वाला है, और व्यापारी एक ही सत्र में कई ट्रेड कर सकते हैं।

क्योंकि, अपेक्षाकृत शांत बाजारों में भी, बड़े लोगों की तुलना में छोटी-मोटी हलचलें अधिक बार होती हैं। इसका तात्पर्य यह है कि एक स्केलर को विभिन्न प्रकार की छोटी चालों से लाभ हो सकता है। मामूली लाभ का पीछा करने के लिए स्कैल्पर्स एक ही दिन में सैकड़ों लेनदेन कर सकते हैं।

कालाबाज़ारी व्यापार रणनीति को कैसे लागू करें

अब जब आपने कालाबाज़ारीके मूल सिद्धांतों को समझ लिया है, तो आइए विस्तार से देखें कि कालाबाज़ारीकैसे सेट करें।

1. कालाबाज़ारीफॉरेक्स ब्रोकर चुनना

कुछ ब्रोकर कालाबाज़ारीकी अनुमति नहीं देते हैं और आपको तीन मिनट से कम समय तक चलने वाले सौदों को बंद करने की अनुमति नहीं देंगे। इसलिए, यदि आप अपनी कालाबाज़ारीपद्धति के लिए सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा दलाल ढूंढना चाहते हैं, तो ऐसा लगता है कि पहला कदम किसी भी दलाल से छुटकारा पाना होगा जो अपने सिस्टम में कालाबाज़ारीकी अनुमति नहीं देते हैं।

इसके अलावा, आपको अपने ब्रोकर द्वारा प्रदान किए गए व्यापारइंटरफेस से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए। क्योंकि आप बाजारों को खत्म करना चाहते हैं, आप अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग कैसे करते हैं, इसमें गलतियों के लिए कोई सहिष्णुता नहीं है।

2. एक समयरेखा चुनना

ट्रेडों को बार-बार करने के लिए, आपको एक ऐसी विधि के साथ आने की आवश्यकता होगी जिसे आप ऑटोपायलट पर लगभग कर सकते हैं। चूंकि कालाबाज़ारीआपको गहराई से अध्ययन करने का समय नहीं देती है, इसलिए आपको एक ऐसी रणनीति की आवश्यकता होती है जिसे आप उचित मात्रा में आत्मविश्वास के साथ फिर से उपयोग कर सकें।

एक बहुत ही कुशल कालाबाज़ारी दृष्टिकोण एक अलग समय अवधि के साथ अपने मुख्य व्यापारिक समय सीमा की तुलना दूसरे चार्ट से करना है। उदाहरण के लिए, यदि आप 1 मिनट की समय सीमा पर मुद्रा युग्मों को स्केल करते हैं, तो आप दिखाई देने वाले किसी भी संकेत की पुष्टि करने के लिए 5 मिनट के चार्ट की समीक्षा कर सकते हैं।

3. सबसे कम स्प्रेड के साथ करेंसी पेयर का चयन

जैसा कि पहले कहा गया है, विदेशी मुद्रा कालाबाज़ारीविधियों का उद्देश्य एक या दो लेनदेन पर बड़ा मुनाफा कमाना नहीं है; इसके बजाय, वे मामूली 5 से 15-पिप लाभ पर ध्यान केंद्रित करते हैं। तो, बड़े ब्रोकर स्प्रेड व्यापारी के मार्जिन को जल्दी से खा सकते हैं और व्यापारी के भुगतान से बहुत सारा पैसा निकाल सकते हैं।

नतीजतन, लोग सोच रहे हैं कि विदेशी मुद्रा को कैसे बढ़ाया जाए, दलालों और मुद्राओं के बारे में वे व्यापार करने का इरादा रखते हैं।

4. सबसे अधिक तरल संयोजन चुनना

क्योंकि उनके पास सबसे बड़ी व्यापारवॉल्यूम है, EUR/USD, GBP/USD, USD/CHF, और USD/JPY जैसे युग्मों का फैलाव सबसे कम है। क्योंकि आप अक्सर बाजार में प्रवेश कर रहे होंगे, आप चाहते हैं कि आपके स्प्रेड जितना संभव हो उतना तंग हो।

5. तकनीकी संकेतक चयन

आप नवीन रणनीतियों का उपयोग करके अपनी ओर से सौदों की निगरानी और निष्पादन कर सकते हैं।

मूविंग एवरेज: सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) या एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) कई कालाबाज़ारीट्रेडर्स के लिए एक बेहद उपयोगी टूल हो सकता है। उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर, व्यापारी 5, 10, 50, या यहां तक कि 100 अवधियों SMA या EMA या उच्चतर को नियोजित कर सकते हैं।

आरएसआई (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स): आरएसआई (रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) एक गति थरथरानवाला है जो समय के साथ मुद्रा बाजार की भविष्य की दिशा का पूर्वानुमान लगाता है। शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स, जैसे डे ट्रेडर्स और स्केलपर्स, आरएसआई की डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स को बदल सकते हैं, इसलिए उन्हें सबसे अच्छा प्रवेश और निकास बिंदु खोजने के लिए केवल कुछ मिनटों के लिए बाजार को देखना होगा।

बोलिंगर बैंड: बोलिंगर बैंड एक अत्यंत उपयोगी विदेशी मुद्रा कालाबाज़ारीसंकेतक हैं। एक फ्लैट बोलिंगर बैंड लाइन इंगित करती है कि बाजार अल्पकालिक व्यापार के लिए व्यवस्थित हो रहा है। मौलिक तकनीक सीधी है: एक व्यापारी एक मुद्रा जोड़ी खरीद सकता है यदि वह निचली सीमा के करीब जाती है और यदि वह ऊपरी सीमा के करीब आती है तो जोड़ी बेचती है।

एसएआर संकेतक: एसएआर “स्टॉप एंड रिवर्स” के लिए एक संक्षिप्त नाम है। इंडिकेटर में डॉट्स का एक क्रम होता है जो प्राइस बार के ऊपर या नीचे रखा जाता है। ऊपर की ओर रुझान के दौरान, SAR कालाबाज़ारीइंडिकेटर कीमत के नीचे चार्ट अंक दिखाता है। एक नकारात्मक प्रवृत्ति के दौरान, संकेतक कीमत के ऊपर चार्ट स्थिति दिखाता है, व्यापारियों को चेतावनी देता है कि कीमतें पीछे हट रही हैं।

क्या कालाबाज़ारी आपके लिए एक अच्छा हेयरस्टाइल है?

कालाबाज़ारी हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। यदि कालाबाज़ारीआपके लिए एक अच्छा व्यापारतरीका है, तो यह ज्यादातर इस बात पर निर्भर करेगा कि आप इस पर कितना समय खर्च करने को तैयार हैं। पूरे सत्र के लिए अपने कंप्यूटर के सामने बैठने और बहुत करीब से ध्यान देने के लिए स्कैल्पर्स को ठीक होना चाहिए। एक बार में पांच पिप्स जैसे मामूली बदलाव को स्केल करते समय, आप गेंद से अपनी नज़र नहीं हटा सकते।

विदेशी मुद्रा कालाबाज़ारीपद्धति के साथ आकर्षक होने के लिए, आपको यह पहचानने में सक्षम होना चाहिए कि बाजार तेजी से कहां आगे बढ़ेगा और फिर कुछ ही सेकंड में पोजीशन खोलें और बंद करें। प्रभावी होने के लिए, आपके पास बहुत ध्यान और तेज सोच होनी चाहिए। इतना तेज और तीव्र व्यापार हर किसी के लिए नहीं है।

यदि आपको लगता है कि विदेशी मुद्रा कालाबाज़ारीआपके लिए सही है, तो शीर्ष विदेशी मुद्रा कालाबाज़ारीरणनीति और दृष्टिकोण के बारे में जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।

मैं व्यापार करने के लिए सर्वश्रेष्ठ एफएक्स ब्रोकर कैसे चुनूं?

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