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अपने दलाल दर

अपने दलाल दर
एक दलाल एक व्यक्ति के बीच एक मध्यस्थ है जो पैसा खर्च करता है और यह पता लगाता है कि रियल एस्टेट, स्टॉक या बंधक में अपने धन का सर्वोत्तम निवेश कैसे किया जाए। 'एक बंधक दलाल की भूमिका आपको आपकी विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर उपलब्ध सर्वोत्तम बंधक से जोड़ने की है,' रोवन सलाह देते हैं।

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आपको बता दें कि इस अबरार हुसैन की चौक कोतवाली में रुतबा उस समय देखने को मिला जब घरेलू हिंसा की शिकार एक पीड़ित महिला, अपने पति व ससुराल वालों के खिलाफ अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाने कोतवाली पहुंची, तब इस कथित दलाल अबरार हुसैन के दवाब में पुलिस अपने दलाल दर उस पीड़ित महिला की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय उसके भाई को थाने में हिरासत में रखवाकर लगभग छह घण्टे तक बिना वजह बैठाए रखवाया। बाद में चौक कोतवाली पुलिस ने पीड़िता के भाई को छोड़ने के एवज में उससे एक फर्जी समझौते पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिये, तब पीड़िता व उसके निर्दोष भाई को पुलिस ने घर जाने दिया।

जानकारी के मुताबिक लखनऊ की चौक कोतवाली में हुई इस स्थिति की जानकारी और इस बात का खुलासा कर रहा है कि राजधानी की पुलिस थाने पहुंच रहीं पीड़ित महिलाओं के मामलों में कितनी संवेदनहीन हो गयी है ?इलाके के तथाकथित पुलिस दलाल अबरार हुसैन के इशारे पर घटे इस घटना क्रम के बाद से पीड़िता शाहिस्ता को उसके पति व ससुराल वालों ने बीती रात्रि को ही उसे अपने दुधमुंहे बच्ची के साथ घर से निकल दिया है। अब बेचारी शाहिस्ता गोद मे लिये अपनी बच्ची के साथ राजधानी की सड़कों पर न्याय की आस में भटकती घूम रही है।

कौन हैं? क्या हैं अबरार हुसैन का बैक ग्राउंड?

अब जरा राजधानी पुलिस के आला अफसर ये भी जान लें कि ये चौक कोतवाली को अपनी उंगलियों पर नचाने वाले महाशय अबरार हुसैन कौन हैं? क्या हैं इनका बैक ग्राउंड? इतना ही नहीं जानकारी के अनुसार अबरार हुसैन नाम का यह शख्स पूर्व पार्षद का पति है और अपने दलाल दर अपने दलाल दर अपने दलाल दर यह चौक कोतवाली पुलिस के तथाकथित दलाल भी हैं। इनका काम दिन भर सिर्फ यह रहता है कि कोतवाली आने वाले मामलों में पुलिस की जेब गर्म करवाना और इसमे कथित रूप से दलाली खाना।

महिला उत्पीड़न के मामलों में सरकार के यह सख्त आदेश हैं कि महिला उत्पीड़न के खास तौर पर घरेलू हिंसा के मामलों में पुलिस पति व पत्नी को बैठाकर दोनों की बात सुनें और जो न्याय संगत हो वो कार्रवाही करें, लेकिन इस मामले तो चौक थाना पुलिस ने पीड़िता की तो बात अपने दलाल दर ही नहीं सुनी, बल्कि थाने में जहां उसे न्याय की उम्मीद थी उसी थाने में पुलिस अपने मुंह लगे एक कथित दलाल के इशारे पर पीड़िता व उसके भाइयों का मानसिक उत्पीड़न लगभग 6 घण्टे तक करती रही। अब न्याय पाने की आस में पीड़िता राजधानी पुलिस के आला अफसरों मिलेगी और उनसे न्याय की मांग करेगी।

गाजीपुर थाना प्रभारी “आनंदपाल सिंह” दलालों और माफियाओं के हाथों के बने कठपुतली–सूत्र

✍️ फतेहपुर यूपी में योगी बाबा दलाल,माफियाराज और गुंडाराज बिल्कुल जड़ से समाप्त करने की बात करते हैं लेकिन फतेहपुर जनपद के गाजीपुर थाना के थानाध्यक्ष इन सबके हाथों की कठपुतली बने हुए हैं जहां थानाध्यक्ष “आनंद पाल सिंह” जब से गाजीपुर थाना का कार्यभार संभाला है तब से दलाल, माफिया और गुंडों के हौसले बुलंद हो गए हैं जहां पीड़ित महिला थाने से लेकर उच्चाधिकारियों तक की न्याय पाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रही है लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है।वहीं आपको बताते चलें कि जनपद के गाजीपुर थाना के “चुरियानी गांव की रहने वाली महिला ग्राम प्रधान सुनैना पत्नी वीरेंद्र शिवहरे” ने बताया कि बगल के गांव “समियाना” के रहने वाले जिला पंचायत सदस्य मुन्ना सिंह गौतम उर्फ योगेंद्र सिंह पुत्र सूर्यभान सिंह पीड़िता व पीड़िता के पति से ग्राम पंचायत (प्रधान) चुनाव से रंजिश मानते हैं।जहां करीब डेढ़ वर्ष से उक्त मुन्ना सिंह पीड़िता व उसके पति को काफी परेशान करते रहते हैं कि प्रधानी का रूपया मुझको दो नहीं तो तुमको जान से मार देंगे।पीड़िता ने बताया कि दबंगों के द्वारा आए दिन गाली गलौज व जान से मारने की धमकी देते हैं।पीड़िता ने बताया कि दिनांक 08/11/2022 को समय लगभग 06:30 बजे के आस पास शाम को गांव के चौराहे के पास उक्त मुन्ना सिंह मेरे पति को गाली गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी और कहा कि मुझको पैसा दो नहीं तो प्रधानी नहीं करने देंगे।इस बीच पीड़िता के पति वीरेंद्र शिवहरे चौराहे से अपनी जान बचाकर नहीं भाग जाते तो उक्त दबंगों के द्वारा पीड़िता के पति की हत्या कर देते।जहां पीड़ित ग्राम प्रधान पति गाजीपुर थाने पर पहुंचकर उक्त दबंगों के खिलाफ शिकायती पत्र दिया गया जहां पीड़ित ने बताया कि वहां से आरोपियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि कार्यवाही करने के बजाए गाजीपुर थानाध्यक्ष आरोपियों को थाने बुलाकर उनकी आवाभगत कर रहे हैं। बुल्डोजर बाबा की सरकार आपके द्वारा जारी निर्देशानुसार सख्त अनुशासन की जो बात कही जा रही है वह यूपी के फतेहपुर जनपद के गाजीपुर थाना में बहुत अच्छे से देखने को मिल रहा है जहां थानाध्यक्ष एक अपराधी जो कि महिला ग्राम प्रधान पर अत्याचार कर रहा है और उसके साथ उसके सुहाग को भी मिटाना चाह रहा है उसी की आवाभगत में लगे हुए हैं और इसी मामले को दृष्टिगत रखते हुए जब थानाध्यक्ष से दूरभाष के जरिए संपर्क किया गया तो थानाध्यक्ष ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि वे दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं और नए अंदाज में धमकी देते हुए यह कहा कि तुमको जो छापना हो वो छाप दो। वहीं पीड़िता महिला ग्राम प्रधान अपने पति के साथ न्याय की उम्मीद लगाकर पुलिस अधीक्षक की चौखट पर पहुंचकर शिकायती पत्र देते हुए उक्त दबंगों पर कार्यवाही किए जाने की मांग की तथा प्रधान पति ने मीडिया से मुखातिब होते हुए यह बताया कि अगर दबंग जिला पंचायत सदस्य मुन्ना सिंह गौतम उर्फ योगेंद्र सिंह पर अविलंब कार्यवाही नहीं की गई तो उक्त लोगों के माध्यम से मेरे पति या मेरी हत्या भी की जा सकती है??

आपको एक बंधक दलाल के पास कब पहुंचना चाहिए?

रोवन इस बात पर जोर देते हैं कि पहुंचना शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं है, क्योंकि बहुत देर से इंतजार करने से योग्य नहीं होने या किसी एक पर चूकने पर दिल टूट सकता है सपनों की सूची . 'सबसे बड़ी गलती जो मैंने पहली बार होमबॉय करने वालों को देखी है, वह एक बंधक दलाल तक पहुंचने के लिए बहुत लंबा इंतजार कर रही है,' वह कहती हैं। इसके बजाय, ब्रोकर से संपर्क करना होमब्यूइंग में पहला कदम होना चाहिए।

ब्रोकर आपकी फाइल को देख सकते हैं, जिसमें आपका वर्तमान ऋण-से-आय अनुपात, क्रेडिट स्कोर और डाउन पेमेंट शामिल है। वहां से, वे आपको कोई भी वित्तीय परिवर्तन करने के लिए मार्गदर्शन करने में मदद कर सकते हैं और जान सकते हैं कि आपकी फ़ाइल कैसे ढेर हो जाती है। रोवन कहते हैं, 'बंधक दलालों को अंदर के विवरण, बारीकियों और आप जहां रहते हैं उसके संदर्भ और विभिन्न उधारदाताओं से वर्तमान बंधक आवश्यकताओं को जानेंगे।'

आप एक बंधक दलाल कैसे ढूंढते हैं?

ब्रोकर की तलाश करते समय, रोवन एक विश्वसनीय रियल एस्टेट एजेंट, मित्र या परिवार के सदस्य से सिफारिशें प्राप्त करने की सलाह देता है। अगर उनके पास सकारात्मक अनुभव था, तो संभावना है कि आप भी करेंगे। कई क्षेत्रों की तरह, आप रियल एस्टेट एजेंट को खोजने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा ले सकते हैं या गिरवी रखना आपके शहर में दलाल। यह आपको यह देखने के लिए पहले से ही उन्हें बाहर निकालने की अनुमति देता है कि क्या वे एक अच्छे फिट होंगे। रोवन कहते हैं, 'आप आमतौर पर यह पता लगा सकते हैं कि क्या वह व्यक्ति आपकी सामग्री को देखकर आपके वाइब पर फिट बैठता है।'

जहां तक ​​आपको ब्रोकर तक कैसे पहुंचना चाहिए, रोवन का कहना है कि यह आपकी व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर है। 'ईमेल कभी-कभी लोगों को यह महसूस करने की अनुमति देता है कि वे अपनी पूरी कहानी को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं,' वह कहती हैं। रोवन यह भी नोट करता है कि बातचीत आम तौर पर ईमेल पर जाती है जब आप दस्तावेज़ भेजते हैं, जैसे पे स्टब्स और रोजगार का पत्र, ब्रोकर अपने दलाल दर को आपकी फ़ाइल में जोड़ने के लिए।

आपको एक बंधक दलाल के साथ बातचीत कैसे करनी चाहिए?

पहला नियम सच्चा होना है क्योंकि ब्रोकर आपके पक्ष में है। 'सच्चाई यह है कि, आप अपने बंधक दलाल के साथ जितना संभव हो उतना ईमानदार होना चाहते हैं क्योंकि आप जो कुछ भी छिपाते हैं वह बाद में सामने आ सकता है और जब आपका भविष्य घर लाइन पर होता है तो आपको प्रभावित कर सकता है,' रोवन जोर देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप अपनी आय के बारे में झूठ बोलते हैं या अपने क्रेडिट कार्ड ऋण को छिपाते हैं, तो वे इसके बारे में जल्द या बाद में पता लगा लेंगे। इसलिए शुरुआत से ही आगे रहना सबसे अच्छा है।

'एक बंधक दलाल के साथ आपका पहला लक्ष्य यह पता लगाना होना चाहिए कि आपकी फ़ाइल के किन हिस्सों में सुधार की आवश्यकता है,' रोवन अनुशंसा करते हैं। 'आप पूछ सकते हैं कि किन सुधारों के लिए प्रयास करना है, लेकिन यह भी कि किन गलतियों से बचना चाहिए।' उदाहरण के लिए, जब आप अपने बंधक के लिए आवेदन कर रहे हों, तब आप कोई अन्य बड़ी खरीदारी नहीं करना चाहते - जैसे कार या भव्य छुट्टी के लिए। अतिरिक्त ऋण आपकी स्वीकृत बंधक राशि को कम कर सकता है।

मैं कैसे जांच करूं कि एक बंधक दलाल सक्षम है या नहीं?

एक बंधक दलाल के ट्रैक रिकॉर्ड को देखना इस बात का सबसे अच्छा संकेतक है कि वे अपने ग्राहकों को सफलतापूर्वक संभाल सकते हैं या नहीं। रोवन ने उनसे यह पूछने का सुझाव दिया कि उन्होंने पिछले साल कितने बंधक बंद किए और पूर्व ग्राहकों से प्रशंसापत्र भी मांगे। जब संदेह हो, तो उनसे पूछें कि क्या आप उनके पिछले ग्राहकों में से किसी एक के साथ चैट कर सकते हैं।

कई लाल झंडों से संकेत मिलता है कि आपको शर्माना चाहिए। सबसे पहले, दलालों से बचें जो केवल ग्राहकों को एक को संदर्भित करते हैं ऋणदाता , जैसा कि रोवन कहते हैं कि आपको सबसे अच्छा सौदा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कई उधारदाताओं तक पहुंचना चाहिए। इसके अलावा, ऐसे दलालों का उपयोग करने से बचना चाहिए जो यह कहने में जल्दबाजी करते हैं कि वे किसी भी फाइल को निधि देंगे, जिसका आमतौर पर मतलब है कि आप उच्च ब्याज दर का भुगतान कर रहे हैं। अंतिम लेकिन कम से कम, अपनी सहजता के साथ चलें। 'अपने पेट पर भरोसा करें,' रोवन बुद्धिमानी से कहते हैं। 'अगर वे आलसी महसूस करते हैं या आपके लिए फिट नहीं हैं, तो आप शायद सही हैं।'

NSE ने निवेशकों को चेताया, कहा- केवल रजिस्टर्ड शेयर दलालों से ही सौदे करें

नई दिल्लीः देश के प्रमुख शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने शुक्रवार को निवेशकों से कहा कि वे सिर्फ पंजीकृत शेयर दलालों से ही सौदे करें। हाल में अपंजीकृत संस्थाओं द्वारा भोले-भाले निवेशकों को अत्यधिक रिटर्न के झूठे वादे करके फंसाने की घटनाएं सामने आने के बाद यह सलाह दी गई।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने एक बयान में निवेशकों से कहा कि वे किसी भी सुनिश्चित या गारंटी वाले प्रतिफल के समझौते के तहत शेयर दलालों को धन या प्रतिभूति हस्तांतरित न करें। एनएसई ने कहा, ‘‘निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे केवल सेबी में पंजीकृत शेयर दलालों के साथ ही सौदे करें और उक्त इकाई के पंजीकरण विवरण की जांच करें।''

शेयर बाजार ने निवेशकों को आगाह किया कि वे सेबी में पंजीकृत शेयर दलालों के अलावा किसी दलाल के सहयोगी सहित किसी भी अन्य व्यक्ति को कारोबार के लिए धन हस्तांतरित न करें।

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राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार का मामला: रजिस्ट्री पर 2 से 3% लेते हैं कमीशन, पटवारी भी 2 प्रतिशत कमीशन बिना नहीं खोलता नामांतरण

एक सप्ताह पहले बेगूं राजस्व विभाग के अधिकारियों पर एसीबी का छापा पड़ा तो तहसील में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए। यहां पर हर रजिस्ट्री पर 2 से 3 प्रतिशत की कमीशन राशि रिश्वत के तौर पर ली जाती है। रजिस्ट्री के बाद यदि पटवारी को दो प्रतिशत रिश्वत नहीं दी गई तो भूमि का नामांतरण खोलने के लिए लोग चक्कर लगाते थक जाते हैं। तहसील में पंजीयन शाखा का बाबू और दलाल रजिस्ट्री पर कमीशन तय करते हैं। सात दिन पहले चित्तौड़गढ़ एसीबी टीम ने बेगूं तहसील के रजिस्ट्री बाबू असलम कुरैशी को तीन लाख रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया था।

एसडीएम मुकेश कुमार मीणा और तहसील रामधन गुर्जर को भी इस मामले में नामजद किया गया। तहसील और एसडीएम आफिस पर एसीबी की कार्रवाई के बाद दैनिक भास्कर ने इस भ्रष्टाचार के खेल की पड़ताल की तो कई तथ्य सामने आए। भूमि विक्रय का सौदा यदि पांच लाख का हुआ, तो डीएलसी दर के मुताबिक चालान जमा होने और उसकी रसीद कटने के बाद 2 प्रतिशत के हिसाब से 10 हजार और 3 प्रतिशत के हिसाब से 15 हजार की रिश्वत कमीशन के नाम ली जाती है।

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