विश्व वित्तीय बाजार

Investors Loss: वैश्विक कारणों से आज भारतीय बाजारों में गिरावट के चलते निवेशकों को हुआ 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान
Market Capitalization: बीएसई में लिस्टेड शेयरों का मार्केट कैप 256 लाख करोड़ रुपये के करीब था जो गुरुवार को बाजार में भारी बिकवाली के चलते घटकर 251 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है.
By: ABP Live | Updated at : 19 May 2022 12:32 PM (IST)
Edited By: manishkumar
Investors Loss: वैश्विक कारणों से भारतीय शेयर बाजार ( Indian Stock Market) में गुरुवार को आए भारी गिरावट के चलते निवेशकों को 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. मुंबई स्टॉक एक्सचेंज ( Mumbai Stock Exchange) का सूचकांक 1000 अंक से ज्यादा नीचे जा लुढ़का तो निफ्टी 300 अंकों की गिरावट के साथ 16,000 के आंकड़ों के नीचे जा फिसला है. शेयर बाजार में इस गिरावट से निवेशकों को करीब 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
अमेरिकी बाजार में गिरावट का असर
बुधवार को बाजार बंद होने पर बीएसई में लिस्टेड शेयरों का मार्केट कैप 256 लाख करोड़ रुपये के करीब था जो गुरुवार को बाजार में भारी बिकवाली के चलते घटकर 251 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है. अमेरिकी शेयर बाजार में बुधवार के ट्रेडिंग सेशन में बारी गिरावट का खामियाजा भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों को उठाना पड़ा है. अमेरिकी कंपनियों के बढ़ती महंगाई के चलते आए खराब वित्तीय नतीजों के चलते अमेरिकी शेयर बाजार के इंडेक्स में 3 से 4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी.
क्यों गिरे भारतीय बाजार
दरअसल अमेरिका ( United States) की रिटेल कंपनियों ने बेहद खराब वित्तीय नतीजे पेश किए हैं. अमेरिकी रिटेल कंपनी टारगेट के खराब कॉरपोरेट नतीजे के चलते उसके शेयर में 25 फीसदी की गिरावट आ गई जिससे अमेरिकी बाजार का सेंटीमेंट खराब हो गया. इससे ये आशंका गहराने लगी है कि इसकी बड़ी वजह बढ़ती महंगाई है. महंगाई से निपटने के लिए अमेरिकी फेड रिजर्व ( Federal Reserve) ब्याज दरों ( Interest Rate) में फिर से बढ़ोतरी कर सकता है. ऐसे हुआ तो विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में और भी बिकवाली कर सकते हैं.
रुपये में गिरावट है जारी
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है. गुरुवार को एक डॉलर के मुकाबले रुपये घटकर 77.67 रुपये तक जा लुढ़का. इससे भी बाजार में बेचैनी है. इसके चलते आयात विश्व वित्तीय बाजार लगातार महंगा होता जा रहा है. इसका नतीजा ये है कि कंपनियां कीमतें बढ़ाने लगी हैं. इसके चलते जिससे घरेलू मांग पर असर पड़ेगा. सरकार का वित्तीय घाटा भी बढ़ सकता है. मई महीने में विदेशी निवेशक अब तक 30,000 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. 2022 में अब तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से 1.57 लाख करोड़ रुपये वापस निकाल चुके हैं.
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Published at : 19 May 2022 11:26 AM (IST) Tags: NSE bse consumer price index Market capitalization Retail inflation data Investors loss Federal Reserve United States Inflation Data Dollar - Rupee Update US Retail Company Target हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
एक वित्तीय प्रणाली क्या है?
उधारकर्ता, निवेशक और ऋणदाता सभी वित्तीय बाजारों में भाग लेते हैं, जिसके लिए विश्व वित्तीय बाजार ऋण पर बातचीत करते हैंनिवेश उद्देश्य उधारकर्ता और ऋणदाता अक्सर भविष्य के बदले में पैसे का आदान-प्रदान करते हैंनिवेश पर प्रतिफल. वित्तीय डेरिवेटिव, जो अनुबंध हैं जो किसी के प्रदर्शन पर निर्भर हैंआधारभूत परिसंपत्ति, वित्तीय बाजारों में भी कारोबार किया जाता है।
योजनाकार, जो व्यवसाय प्रबंधन हो सकता है, वित्त पोषित होने वाली परियोजना पर निर्णय लेता है और वित्तीय प्रणाली के भीतर पूंजी प्राप्त करने के लिए मानकों को परिभाषित करते समय इसका समर्थन कौन करेगा। नतीजतन, वित्तीय प्रणाली को आमतौर पर केंद्रीय योजना का उपयोग करके व्यवस्थित किया जाता है, aमंडी अर्थव्यवस्था, या दोनों का संयोजन।
एकेन्द्रीय रूप विश्व वित्तीय बाजार से नियोजित अर्थव्यवस्था एक केंद्रीकृत प्राधिकरण के आसपास आयोजित किया जाता है, जैसे कि सरकार, जो किसी दिए गए देश के लिए आर्थिक निर्णय लेती हैउत्पादन और माल का वितरण। दूसरी ओर, एक बाजार अर्थव्यवस्था वह है जिसमें उत्पादों और सेवाओं का मूल्य निर्धारण निवासियों और व्यापार मालिकों के सामूहिक निर्णयों द्वारा निर्धारित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर आपूर्ति और मांग के परिणाम होते हैं।
वित्तीय बाजार सरकार द्वारा स्थापित एक नियामक ढांचे के भीतर काम करते हैं जो उस तरह के लेनदेन को सीमित करता है जिसे किया जा सकता है। वास्तविक संपत्तियों के निर्माण को प्रभावित करने और सुविधा प्रदान करने की उनकी क्षमता के कारण वित्तीय प्रणालियों को कसकर नियंत्रित किया जाता है।
भारत में वित्तीय प्रणाली
वित्तीय प्रणाली बैंकों, बीमा फर्मों, पेंशन फंड, और जैसे कई वित्तीय संस्थानों द्वारा किसी व्यक्ति को प्रदान की जाने वाली सेवाओं से बनी है।म्यूचुअल फंड्स. भारतीय वित्तीय प्रणाली की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- यह देश की आर्थिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निवेश और बचत दोनों को प्रोत्साहित करता है।
- यह किसी की बचत को जुटाने और आवंटन में सहायता करता है।
- यह वित्तीय संस्थानों और बाजारों के विकास को आसान बनाता है।
- इसका पूंजी निर्माण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- यह a . के गठन में सहायता करता हैगहरा संबंध के बीचइन्वेस्टर और बचाने वाला।
- इसका संबंध धन के वितरण से भी है।
वित्तीय प्रणाली के घटक
स्तर के आधार पर, वित्तीय प्रणाली विभिन्न घटकों से बनी होती है। एक कंपनी की वित्तीय प्रणाली में ऐसी प्रक्रियाएं होती हैं जो कंपनी के दृष्टिकोण से उसकी वित्तीय गतिविधि को ट्रैक करती हैं। वित्त,लेखांकन,आयखर्च, श्रम और अन्य मुद्दों को कवर किया जाएगा।
जैसा कि पहले कहा गया है, वित्तीय प्रणाली क्षेत्रीय स्तर पर उधारदाताओं और उधारकर्ताओं के बीच धन के प्रवाह को बढ़ावा देती है। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान, जैसे क्लियरिंग हाउस, क्षेत्रीय खिलाड़ी होंगे। वित्तीय प्रणाली में वित्तीय संस्थानों, केंद्रीय बैंकों, निवेशकों, सरकारी अधिकारियों, विश्व के बीच बातचीत शामिल हैबैंक, और अन्य विश्वव्यापी पैमाने पर।
दीपावली से पहले शेयर बाजार में चमक, लगातार तीसरे दिन 549 अंक उछला, निफ्टी भी मजबूत
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 549.62 यानी 0.94 प्रतिशत उछलकर 58,960.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 732.68 अंक तक चढ़ गया था।
निफ्टी 175.15 अंक यानी 1.01 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,486.95 अंक पर बंद हुआ। (file photo)
Highlights निफ्टी 175.15 अंक यानी 1.01 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,486.95 अंक पर बंद हुआ। एनटीपीसी, एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा और सन फार्मा शामिल हैं। चीन का शंघाई कंपोजिट सूचकांक नुकसान में रहा।
मुंबईः घरेलू शेयर बाजारों विश्व वित्तीय बाजार में लगातार तीसरे दिन तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स में 549 अंक से अधिक का उछाल आया। वैश्विक बाजारों में सकारात्मक रुख और सूचकांक में मजबूत हिस्सेदारी रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में लिवाली से बाजार लाभ में विश्व वित्तीय बाजार रहा।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 549.62 यानी 0.94 प्रतिशत उछलकर 58,960.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 732.68 अंक तक चढ़ गया था। इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 175.15 अंक यानी 1.01 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,486.95 अंक पर बंद हुआ।
सेसेक्स शेयरों में 3.41 प्रतिशत की बढ़त के साथ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सर्वाधिक लाभ में रहा। इसके अलावा आईटीसी, नेस्ले इंडिया, भारती एयरटेल, इंडसइंड बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज और लार्सन टुब्रो भी प्रमुख रूप से लाभ में रहे। सेंसेक्स के केवल पांच शेयर. एचडीएफसी लि., एनटीपीसी, एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा और सन फार्मा. नुकसान में रहे।
इनमें 0.72 प्रतिशत तक की गिरावट आई। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘भारतीय बाजार ने अनुकूल वैश्विक और घरेलू संकेतकों से लाभ को बनाये रखा। कच्चे तेल के दाम में नरमी और कंपनियों के दूसरी तिमाही के परिणाम बेहतर रहने की संभावना से घरेलू स्तर पर सकारात्मक धारणा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक ने भी भरोसा जताया है कि सकल मुद्रास्फीति सितंबर में उच्च स्तर पर पहुंच गयी है और आने वाले समय में इसमें कमी आएगी। इससे वित्तीय बाजार में सकारात्मक संकेत गया और बैंक शेयर चढ़े।’’ रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा कि बाजार में हाल की तेजी का प्रमुख कारण वैश्विक बाजारों में सकारात्मक रुख का होना है।
कंपनियों के तिमाही परिणाम अभी तक मिले-जुले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि प्रमुख क्षेत्रों की भागीदारी बारी-बारी होने से बढ़त को समर्थन मिलेगा। कारोबारियों को दैनिक आधार पर जोखिम प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिए।’’ कारोबार के दौरान बीएसई मिडकैप (मझोली कंपनियों के शेयरों का सूचकांक) 1.06 प्रतिशत और स्मॉलकैप (छोटी कंपनियों के शेयरों का सूचकांक) 0.71 प्रतिशत चढ़ा।
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में जबकि चीन का शंघाई कंपोजिट सूचकांक नुकसान में रहा। यूरोप के प्रमुख शेयर बाजारों में शुरुआती कारोबार में सकारात्मक रुख रहा। अमेरिकी शेयर बाजार वाल स्ट्रीट में सोमवार को अच्छी तेजी थी।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ 91.02 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया विश्व वित्तीय बाजार सात पैसे टूटकर 82.37 (अस्थायी) पर बंद हुआ। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार शुद्ध रूप से बिकवाल बने हुए हैं। उन्होंने सोमवार को 372.03 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के बीच शेयर बाजार को घरेलू निवेशकों ने दी राहत
Share Market News: विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के बीच शेयर बाजार को घरेलू निवेशकों से राहत मिली है. मई में भारतीय बाजार गिरावट झेलने वाले बाजारों में शामिल रहा. भारतीय बाजार तीन फीसदी टूटा है.
Updated: June 20, 2022 9:09 AM IST
Share Market News: गत आठ माह से विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार बिकवाल बने हुए हैं, ऐसे में गत 15 माह से लगातार लिवाली करने वाले घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) से शेयर बाजार राहत की सांस ले पा रहा है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुताबिक एफआईआई ने मई में बाजार से 4.9 अरब डॉलर की पूंजी निकाली जबकि डीआईआई ने 6.1 अरब डॉलर का निवेश किया.
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एफआईआई ने गत एक साल में कुल 25 अरब डॉलर की पूंजी निकासी की है. एफआईआई की बिकवाली का यह दौर वैश्विक वित्तीय संकट के बाद का सबसे बड़ा दौर रहा है.
निफ्टी मई में माह दर माह आधार पर तीन प्रतिशत लुढ़ककर 16,585 अंक पर आ गया. यह गिरावट का लगातार दूसरा माह और मार्च 2020 के बाद तीसरा बड़ी मासिक गिरावट थी.
मई में भारतीय बाजार गिरावट झेलने वाले बाजारों में शामिल रहा. भारतीय बाजार तीन फीसदी, रूस सात फीसदी और इंडोनेशिया एक फीसदी लुढ़का. दूसरी तरफ चीन में पांच प्रतिशत, ब्राजील तीन प्रतिशत, जापान दो प्रतिशत और ताइवान तथा ब्रिटेन एक-एक प्रतिशत उछला. गत 12 माह के दौरान एमएससीआई इंडिया सात प्रतिशत की तेजी में रहा जबकि एमएससीआई ईएम 22 प्रतिशत की गिरावट में रहा.
क्षेत्रवार वाहन पांच प्रतिशत और कंज्यूमर एक प्रतिशत की तेजी में रहा. दूसरी तरफ धातु 16 प्रतिशत, यूटिलिटीज 11 प्रतिशत, तेल एवं गैस 10 प्रतिशत और रियल एस्टेट सात प्रतिशत की गिरावट में रहा.
भारत का बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात उतार-चढ़ाव के बीच रहा. वित्त वर्ष 19 में यह 80 प्रतिशत था, जो मार्च 20 में 56 प्रतिशत पर आ गया. इसका दीर्घावधि औसत 79 प्रतिशत है जो मौजूदा समय में 112 प्रतिशत पर आ गया है. यह अनुपात कैलेंडर वर्ष 07 के बाद सर्वाधिक है. वित्त वर्ष 23 के अनुमानित जीडीपी विकास दर के आधार पर यह अनुपात 98 प्रतिशत पर रहेगा.
एक्युइट रेटिंग्स के मुताबिक, विश्व के प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के सख्त करने से वैश्विक पूंजी बाजार में भारी उथलपुथल मची हुई है, जो चिंता की बात है. इसी वजह से एफआईआई लगातार बिकवाल बने हुए हैं, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ रहा है. रुपये पर पहले से ही बढ़ते चालू खाता घाटा का दबाव है.
(With IANS Inputs)
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