50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी

मेटा के सीईओ ने कहा कि सभी को जल्द ही एक ईमेल मिलेगा जिसमें उन्हें बताया जाएगा कि उनके लिए इस छंटनी का क्या मतलब है। उसके बाद प्रत्येक प्रभावित कर्मचारी को अपने सवालों के जवाब पाने के लिए किसी के साथ बात करने का अवसर मिलेगा, उन्होंने कहा।
ठंड में गर्मी ने 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ा: पहली बार 40 डिग्री से ऊपर पहुंचा अधिकतम तापमान; जयपुर-अजमेर सहित कई शहर गर्म
पढ़ने-सुनने में थोड़ा अजीब लगा ना?, लेकिन यह सच है। ये मौसम है गुलाबी ठंड का। हल्की ठंडी हवा में राजस्थान घूमने दुनिया भर से लोग आते हैं, लेकिन इस साल इस मौसम में ऐसी गर्मी पड़ी कि 50 साल का रिकॉर्ड टूट गया। 50 साल में पहली बार सिरोही में अधिकतम तापमान 40 डिग्री के ऊपर चला गया। वहीं जयपुर, अजमेर में भी अधिकतम तापमान ने 12 साल का रिकॉर्ड तोड़।
राजस्थान में इस बार सीजन की शुरुआत में सूरज के तेवर तेज देखने को मिले हैं। जयपुर, अजमेर, उदयपुर समेत 10 से ज्यादा 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी शहरों में नवंबर के शुरुआती दिनों में दिन का पारा 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी गया। सिरोही में तो अधिकतम तापमान ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया।
मौसम केंद्र जयपुर से जारी रिपोर्ट देखें तो अजमेर, जयपुर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, जैसलमेर, जोधपुर, कोटा, गंगानगर और उदयपुर में तापमान इस साल नवंबर के शुरुआती दिनों में जो अधिकतम तापमान दर्ज हुआ है उतना तापमान पिछले 12 साल में नवंबर के महीने में कभी दर्ज नहीं हुआ। इन सभी शहरों में इस बार दिन का पारा 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया।
शेयर बाजार साप्ताहिक समीक्षा : कमजोर जीडीपी से घरेलू बाजार की तेजी पर लगा ब्रेक
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार ( indian stock market ) में इस सप्ताह घरेलू व विदेशी कारकों से भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। इस दौरान प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स ( sensex ) और निफ्टी 50 ( Nifty 50 ) ने नई बुलंदियों को छुआ, लेकिन देश के जीडीपी ( GDP ) के आंकड़े कमजोर आने से सप्ताह के आखिरी सत्र में बाजार की तेजी पर ब्रेक लग गया और सेंसेक्स 41,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 12,000 के ऊपर रहा। हालांकि पिछले साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स और निफ्टी 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी में एक फीसदी से ज्यादा बढ़त दर्ज की गई।
पंजाबी गानों में गन कल्चर, क्या वीरता के गौरव-गान के लिए हिंसा का बखान जरूरी है?
शंभूनाथ शुक्ल | Edited By: अम्बर बाजपेयी
Updated on: Nov 16, 2022 | 6:41 PM
टोरंटो के ब्रैम्पटन इलाके में पील रीजनल पुलिस का एक समारोह था. उसमें भांगड़ा करने आए सिख युवकों की टोली को जब मैंने गुरदास मान के गाने में थिरकने को कहा, तो उन्होंने मना कर दिया. मैंने उनसे गिन्नी माही के गाने डेंजर चमार गाने को कहा, तब भी उन्होंने मेरी अनसुनी कर दी. और जो गया, वह था- मितरां नूं शौक़ हथियारां दा! तथा मितरां नूं शौक़ गोली चलाउन दा! लोगों ने खूब ताली बजाईं और एंजॉय किया. ज़ाहिर है, समाज में अब सूफ़ी गाने पसंद नहीं किए जाते. प्रेम, अनुराग, स्नेह और भक्ति के गानों का युग गया. अब तो ऐसे गाने लोगों की ज़ुबान पर हैं, जिनमें बंदूक़ है, 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी एके-47 है या फिर यो-यो है. ऐसे पंजाब में मुख्यमंत्री गन कल्चर ख़त्म करने की बात कर रहे हैं. प्रश्न यह है, कि जब पंजाब में पहले से ही किसी भी समारोह में ऐसे गानों पर रोक थी तो अब तक उन पर लगाम क्यों नहीं लग सकी.
संजीदगी और सादगी कहाँ गई
पंजाबी के गाने अपनी मिठास, अपनी संजीदगी और अपनी सादगी के लिए जाने जाते रहे हैं. पंजाबी गानों में विद्रोह था और नई चेतना के स्वर थे. पर दलेर मेंहदी, यो-यो हनी सिंह, दलजीत दुसाँझ, गिप्पी ग्रेवाल, मीका सिंह जैसे गायकों ने पंजाब की लोक गायिकी को अचानक अलग तेवर देने शुरू किए. जिसमें रिमिक्स था. जोर का संगीत था, शराब थी, लड़की थी और अंत में बंदूक़ थी. नतीजा पंजाब के युवा पॉप गायिकी के ज़रिये मदहोश होने लगे. ड्रग की लत से पीड़ित पंजाब के युवा वाक़ई उड़ने लगे. पॉप गायिकी के इस नये दौर में गुरदास मान जैसे गायक भी रहे, जिन्हें दो दशक पहले ही पंजाब के युवाओं ने ख़ारिज कर दिया था. क्योंकि गुरदास मान पंजाब की सूफ़ी और भक्ति वाली गायिकी को बस नए अंदाज़ में प्रस्तुत कर रहे थे. पंजाब में आतंकवाद का प्रचंड रूप और फिर उसके दमन का और भी क्रूर रूप, दोनों ने पंजाब के युवकों को दिशाहीन कर दिया था. ऐसे में नशा और मस्ती ही अकेला विकल्प था.
गन कल्चर गाते-गाते सिद्धू मारे गए
दरअसल पंजाबी पॉपगायिकी में गन-कल्चर को हटाने की बात तब उठी जब पॉप गायक शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ़ सिद्धू मूसेवाला की 29 मई 2022 को गोलियों से भून दिया गया था. सिद्धू मूसेवाला अपने गानों में सिख बहादुरी के नाम पर ख्यात था. मृत्यु के पूर्व ग़ुरुपर्व पर वार के नाम से उसका जो गाना रिलीज़ हुआ वह एक मिनट के भीतर ही लाखों प्रशंसकों तक देख लिया गया. उस गाने में उसने सिख इतिहास के नाम पर अपने गानों में हिंसा का भरपूर गौरव-गान किया. परंतु इतिहास में वीरता के आख्यान इतने अधिक हैं, कि अक्सर गन कल्चर गौरव का प्रतीक बन जाती है. अभी हज़ार साल के भीतर के इतिहास में दर्ज आल्हा-ऊदल, पृथ्वीराज चौहान की गौरव-गाथाएँ इतनी अधिक हैं, कि अविश्वसनीय होते हुए भी वे भुजाएँ फड़का देती हैं. एक तरह से वीरता के गौरव-गान के लिए हिंसा का बखान भी आवश्यक है.
यूँ फ़िल्मों ने भी सिख युवकों के बंदूक़-प्रेम को खूब ग्लैमराइज किया है. वर्ष 2008 में प्रदर्शित अक्षय कुमार की फ़िल्म सिख इज किंग हो या 2012 में बनी अजय देवगन की सन ऑफ़ सरदार, इन सब फ़िल्मों में पंजाब के सिखों के हथियार प्रेम की अतिशयोक्ति दिखाती रही हैं. कभी सेंसर बोर्ड ने इन पर अंकुश नहीं लगाया. अर्थात् एक तरह से यह स्वीकार कर लिया गया, कि सिख युवाओं को हथियार पसंद हैं. सिखों की पसंद नापसंद का ऐसा वर्णन किया जाता है, कि ख़ुद सिख भी कंफ़्यूज़ड हो जाते हैं, कि क्या गन कल्चर ही सिख कल्चर है! सिख समाज का इतिहास संतों का है. सादगी और सर्व धर्म-समभाव का 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी है. उन्होंने अपने इतिहास में इतने हमले झेले हैं, कि पूरे पंजाब में एक कहावत ही है- खांदा-पींदा लाहे दा, बाक़ी अहमद शाहे दा! अर्थात् जो खा-पी लिया वही अपना है, बाक़ी तो अहमद शाह अब्दाली ले जाएगा.
बेरोजगारी पर नकेल कसो सीएम साहब!
पंजाब देश का सबसे खुशहाल राज्य है, लेकिन सर्वाधिक बेरोजगारी भी यहाँ है. इसीलिए पंजाब के प्रत्येक परिवार का एक न एक बंदा विदेश में बसा है. खासकर कनाडा उनका सबसे प्रिय देश है. इसके बाद आस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड. कनाडा इसलिए भी उन्हें प्रिय है क्योंकि कनाडा में 19वीं शताब्दी के आख़िरी वर्षों से रह रहे है. वर्ष 1897 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने डायमंड जुबली समारोह में कुछ भारतीय सैनिकों को भी बुलाया था. इनमें से रिसालेदार मेजर केसर सिंह जब ब्रिटिश कोलम्बिया से लौट रहे थे, तब उन्हें कनाडा ऐसा भा गया कि उन्होंने यहीं बसने का फ़ैसला किया. इसके बाद तो केसर सिंह ने लोगों को बुलाना शुरू किया. जल्दी ही यहाँ हज़ारों भारतीय पहुँचे. इनमें से 90 प्रतिशत सिख थे. गोरों ने भारतीयों की आमद का विरोध किया. इस विरोध के चलते तमाम भारतीयों को जबरन कोमागाटा मारू नामक जहाज़ में भर कर कलकत्ता भेज दिया गया. 1914 में यह जहाज़ जब कलकत्ता पहुँचा, तब तक 19 भारतीय दम तोड़ चुके थे.
जुकरबर्ग 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी की कंपनी मेटा में अब तक की सबसे बड़ी छंटनी, 11 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
टेक उद्योग में अब तक की सबसे खराब छंटनी में से एक में मेटा के संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बुधवार को 11,000 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। यह पूरे वर्कफोर्स का लगभग 13 प्रतिशत है। एक बयान में, जुकरबर्ग ने कहा कि कंपनी खर्च में कटौती कर और पहले तिमाही में हायरिंग को फ्रीज कर अधिक कुशल बनने के लिए कई कदम उठा रही है।
जुकरबर्ग ने कहा, आज मैं मेटा के इतिहास में किए गए कुछ सबसे कठिन बदलावों को साझा कर रहा हूं। मैंने अपनी टीम के आकार को लगभग 13 प्रतिशत छोटा कर दिया है और 11,000 से अधिक प्रतिभाशाली कर्मचारियों को जाने देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, मैं इन फैसलों के लिए जवाबदेही लेना चाहता हूं। मुझे पता है कि यह हम सभी के लिए कठिन फैसला है, और मुझे प्रभावित लोगों के लिए विशेष रूप से खेद है।
डिंपल कपाड़िया के साथ नजर आ रही प्यारी बच्ची सोशल मीडिया पर हो 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी रही वायरल, क्या आपने पहचाना?
Viral Photo: आए दिन सोशल मीडिया पर बॉलीवुड 50 के इन शेयरों में दिखी सर्वाधिक तेजी सेलिब्रिटीज (Bollywood celebrities) के बचपन की फोटो वायरल होती रहती है. और फैंस को चैलेंज दिया जाता है कि आप अपने इस फेवरेट सेलिब्रिटी को पहचान सकते हैं या नहीं. इन दिनों सोशल मीडिया पर एक और फोटो खूब वायरल हो रही है, जिसमें एक्ट्रेस डिंपल कपाड़िया (Actress Dimple Kapadia) के साथ एक बच्ची दिख रही है. क्या आप इस बच्ची को पहचान सकते हैं? चलिए हम आपको एक क्लू देते हैं, इस बच्ची के पिता भी बहुत बड़े सुपरस्टार थे.और अब ये बच्ची एक सुपरस्टार की पत्नि हैं. और खुद भी फेमस एक्ट्रेस हैं, अब पहचाना. चलिए हम बताते हैं की ये बच्ची कौन है.