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हेजिंग क्या है

हेजिंग क्या है
क्या होती है हेजिंग
इसलिए निवेशक और कारोबारी अपना जोखिम कम करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. ऐसा ही एक प्रचलित तरीका ‘हेजिंग’ है. हेजिंग एक ऐसी स्ट्रैटजी है, जो वित्तीय एसेट्स में जोखिम सीमित करने के लिए अपनाई जाती है। असल में जब कोई क्रेता, विक्रेता या निवेशक अपने कारोबार या परिसंपत्ति (असेट) को संभावित मूल्य परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के उपाय करता है तो उसे ‘हेजिंग’ कहते हैं. आमतौर पर हेज में संबंधित सिक्योरिटी में ऑफ सेटिंग पोजिशन लेना शामिल होता है- पॉपुलर हेजिंग तकनीकों में डेरिवेटिव्स में ऑफ सेटिंग पोजिशन लेना शामिल है.

क्या मुझे ETF में निवेश करना चाहिए?

ETF शेयर बाजार का अनुभव पाने के लिए सबसे कम लागत का ज़रिया है। वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्टेड( सूचीबद्ध) हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs कम जोखिम वाले विकल्प हैं क्योंकि वे आपके कुछ पसंदीदा शेयरों में निवेश करने के बजाय स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं और उनमें डाइवर्सिफिकेशन होता है।

ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। कमोडिटीज़ और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश जैसे कई विकल्प ईटीएफ में भी उपलब्ध हैं। आप अपनी पोज़ि‍शनकी हेजिंग(बचाने ) के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर नहीं मिलता है।

हालाँकि, ETFs हर निवेशक के लिए सही नहीं होते हैं। नए निवेशकों के लिए इंडेक्स फंड्स बेहतर विकल्प हैं जो कम रिस्क वाले ऑप्शन को चुनकर लंबी-अवधि के लिए इक्विटी में निवेश करने का फायदा उठाना चाहते हैं। ETFs उन लोगों के लिए भी सही हैं जिनके पास एकमुश्त(लमसम) नगद पैसा है लेकिन अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि नकदी का निवेश कैसे किया जाए। वे कुछ समय के लिए ETF में निवेश कर हेजिंग क्या है सकते हैं और तब तक कुछ रिटर्न कमा सकते हैं जब तक कि नकदी सही जगह पर इस्तेमाल ना हो जाए। सही ETF का चुनने के लिए ज़्यादातर रिटेल निवेशकों के मुकाबले, वित्तीय बाज़ार की अच्छी समझ होना ज़्यादा ज़रूरी होता है। इसलिए, आपके ETF निवेश को संभालने के लिए निवेश में थोड़ी व्यावहारिक कुशलता की भी ज़रूरत होती है।

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HDFC ने ब्याज दरों का जोखिम कम करने लिए लिया हेजिंग का सहारा, जानिए डिटेल

कंपनी ने जोखिम प्रबंधन के लिए अपने टूल्‍स में इजाफा करना चाहती है.

कंपनी ने जोखिम प्रबंधन के लिए अपने टूल्‍स में इजाफा करना चाहती है.

एचडीएफसी (HDFC) ने रेपो रेट में बदलाव से ब्‍याज दरों में हो रही उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने के लिए हेजिंग टूल्‍स का स . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : August 11, 2022, 17:14 IST
एचडीएफसी ने रेपो रेट में बदलाव से ब्‍याज दरों में हो रही उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने के लिए हेजिंग टूल्‍स का सहारा लिया है.
हेजिंग एक ऐसी स्ट्रैटजी है, जो वित्तीय एसेट्स में जोखिम सीमित करने के लिए अपनाई जाती है.
एचडीएफसी ने एक डेट इश्यू पर रेट रिस्क कम करने के लिए पूरी हेजिंग क्या है तरह रिटर्न स्वैप का इस्तेमाल किया है.

नई दिल्‍ली. भारत की सबसे बड़ी मॉर्टगेज फाइनेंसर एचडीएफसी (Housing Development Finance Corp) ने ब्‍याज दरों में हो रहे उतार-चढ़ाव के जोखिम से सुरक्षा के लिए हेजिंग का सहारा लिया है. एचडीएफसी द्वारा उठाए गए इस कदम को बाजार जानकार एक असामान्‍य कदम मान रहे हैं क्‍योंकि एचडीएफसी हेजिंग का सहारा नहीं लेता है. इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने जोखिम प्रबंधन के लिए अपने टूल्‍स में इजाफा करना चाहती है, इसलिए उसने हेजिंग की है.

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हेजिंग से आशय जोखिम से बचाव के लिए किए जाने वाले निवेश से है.

पिछले महीने हेजिंग क्या है सरकारी आंकड़ों में दर्शाया गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में सोने का आयात 33.34 प्रतिशत बढ़कर 837 टन या 46.14 अरब डॉलर हेजिंग क्या है का हो गया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी हेजिंग क्या है के कारण आयात के निचले स्तर से 1.5 गुना अधिक तथा वित्त वर्ष 2016-20 के महामारी-पूर्व के औसत से 12 प्रतिशत अधिक है. इससे चालू खाते का घाटा बढ़ा है और इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है.

महामारी से प्रभावित वित वर्ष 2020-21 में आयात केवल 34.62 अरब डॉलर का था.

वित वर्ष 2012-13 में रिकॉर्ड 54 अरब डॉलर के आयात के बाद सोने की भारत आने वाली खेप कम होती रही है और वित्त वर्ष 2019-20 में यह 28 अरब डॉलर तक गिर गई. लेकिन उसके बाद आयात फिर से बढ़ना शुरू हुआ और वित वर्ष 2020-21 में 25 अरब डॉलर और आगे जाकर वित वर्ष 2021-22 में 46 अरब डॉलर से अधिक का हो गया.

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