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विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण

विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण
विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट (प्रतीकात्मक फोटो)

Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, लगातार 8वें हफ्ते आई गिरावट

एक बार फिर विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। इससे एक सप्ताह पहले 5.2 अरब डॉलर से अधिक घटकर 545.54 अरब डॉलर रह गया था। यह लगातार आठवां सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है।

Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, लगातार 8वें हफ्ते आई गिरावट

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी है। बीते 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया। इससे पिछले सप्ताह 5.2 अरब डॉलर से अधिक घटकर 545.54 अरब डॉलर रह गया था। यह लगातार आठवां सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है।

वजह क्या है: विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट के कारण 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है। आरबीआई के मुताबिक इस दौरान एफसीए 7.688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया।

डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है। आंकड़ों के अनुसार, सोने के भंडार का मूल्य 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 अरब डॉलर पर आ गया है।

विनिमय दर में बदलाव से गिरावट: आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी में विनिमय दर में हुए बदलाव का 67 प्रतिशत योगदान है। अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मजबूत होने तथा अमेरिकी बॉन्ड रिटर्न के बढ़ने से बदलाव देखने को मिला। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में तेज गिरावट हुई है।

Forex Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 550 बिलियन डॉलर पहुंचा; जानें गिरावट के पीछे का कारण

Forex Reserve News भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट एफसीए में कमी के कारण आई है। एफसीए को विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक माना जाता है। ताजा आंकड़ों में यह 2.519 बिलियन डॉलर गिरकर 489.58 बिलियन डॉलर रह गया है।

नई दिल्ली, एजेंसी। देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India Forex Reserves) में विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets - FCA) में गिरावट के कारण इस हफ्ते भी कमी देखी गई है। इसके कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 9 सितंबर 2022 तक 550 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में आईएमएफ के पास रिजर्व और सोने को छोड़कर लगभग सभी घटकों में गिरावट आई हैं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले हफ्ते देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.234 विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण बिलियन डॉलर गिरकर 550.871 बिलियन डॉलर रह गया है। इससे पहले 2 सितंबर को जारी आंकड़ों में यह 553.105 बिलियन डॉलर था।

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गिरावट का कारण

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा आस्तियों को सबसे बड़ा घटक माना जाता है। ताजा आंकड़ों में यह 2.519 बिलियन डॉलर गिरकर 489.58 बिलियन डॉलर रह गया है। इससे पहले के हफ्ते में यह 492 बिलियन डॉलर था। जानकार विदेशी मुद्रा आस्तियों में गिरावट की बड़ी वजह डॉलर की मजबूत स्थिति को मान रहे हैं, जिसके चलते रुपये में गिरावट को संभालने के लिए आरबीआई को बड़ी संख्या में डॉलर को बेचना पड़ रहा है।

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सोने और आईएमएफ रिजर्व में बढ़ोतरी

देश का सोने का भंडार 340 मिलियन डॉलर बढ़कर 38.644 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इससे पहले के हफ्ते में सोने के भंडार की कीमत में 1.339 बिलियन डॉलर की कमी आई थी। वहीं, देश का आईएमएफ रिजर्व 8 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.910 बिलियन डॉलर पहुंच गया है।

Apple Amazon start Advertisement on Twitter (Jagran File Photo)

डॉलर में मजबूती

इस साल की शुरुआत से अब तक अमेरिकी डॉलर दुनिया की अन्य मुद्राओं के मुकाबले लगातार मजबूत हो रहा है और डॉलर की मजबूती का पैमाना माने जाने वाला डॉलर इंडेक्स भी 20 सालों के ऊपरी स्तर प् पहुंच चुका है। इसके कारण दुनिया के विकसित और विकासशील देशों की मुद्राओं की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिली है।

एक साल में करीब सौ अरब डॉलर और बीते सात दिन में ही आठ अरब डॉलर घटा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बांड के बढ़ने से विनिमय दर में बदलाव देखने को मिला है।

एक साल में करीब सौ अरब डॉलर और बीते सात दिन में ही आठ अरब डॉलर घटा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट (प्रतीकात्मक फोटो)

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी देखी जा रही है। पिछले 8 दिनों के अंदर विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 8 अरब डॉलर की कमी आई है और यह अगस्त 2020 के बाद न्यूनतम स्तर पर है। वहीं पिछले 1 साल में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 100 अरब डॉलर की कमी आई है। 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह के लिए कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 537.518 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह आंकड़े आरबीआई ने जारी किए हैं। यह लगातार आठवां सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में कमी देखी आई है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का कारण फॉरेन करेंसी एसेट (FCA) में गिरावट है। 23 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में फॉरेन करेंसी एसेट में 7.688 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है और यह घटकर 477.212 बिलीयन डॉलर पर आ गया है। डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली फॉरेन करेंसी एसेट में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा डिप्रीशिएशन के प्रभावों को शामिल किया जाता है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा अमेरिकी बांड यील्ड के बढ़ने से विनिमय दर में बदलाव देखने को मिला है। वर्तमान वित्त वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य में काफी गिरावट हुई है। 2 अप्रैल को विदेशी मुद्रा भंडार 606.475 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 23 सितंबर को विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण यह घटकर 537.5 अमेरिकी डॉलर पर आ गया।

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पिछले वर्ष 3 सितंबर 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण अपने उच्च स्तर पर था। लेकिन 23 सितंबर 2022 को यह घटकर 537.52 बिलियन डॉलर पर आ गया है। इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि पिछले 1 वर्ष में करीब 105 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी विदेशी मुद्रा भंडार में देखी गई है। जबसे रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है उसके बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में 94 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी देखी गई है।

चालू वित्त वर्ष में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में 8.6 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं चालू वित्त वर्ष में 28 सितंबर तक छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 फीसदी की तेजी आई है। विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त 2020 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर है।

जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा

भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।

बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक आठ जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान देश की आईएमएफ की रिजर्व पोजिशन 49 मिलियन डॉलर घटकर 4.966 बिलियन डॉलर रह गई है। एक जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान यह भंडार 5.008 अरब डॉलर कम होकर 588.314 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है जब भारतीय रुपया कमजोर होकर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रुपया फिलहाल फिसलते हुए डॉलर के मुकाबले लगभग 80 रुपये प्रति डॉलर के पास पहुंच गया है।

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की खबरों के विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण बाद यह जान लेना अहम हो जाता है कि आखिर यह विदेशी मुद्रा भंडार है क्या? अगर विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो रही तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ने वाला है? दरअसल, भारत की बात करें तो हमारे देश का विदेशी मुद्रा भंडार केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास रखी गई धनराशि और परिसंपत्तियां हैं। इनमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिजर्व ट्रेंच शामिल होती हैं। अगर देश को जरूरत होती है तो वह विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर अपने विदेशी ऋण का भुगतान कर सकता है।

देश में विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने का असर सबसे पहला असर रुपये की मजबूती पर पड़ता है, जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगता है रुपये की कीमत कम होती जाती है। हमने हाल के दिनों में देखा है कि रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही है। शुक्रवार को भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरकर 79.72 रुपये प्रति डॉलर रह गई है।

आपको बता दें कि देश में जैसे-जैसे रुपये की कीमत कम होती जाती है देश का आयात मूल्य बढ़ने लगता है और निर्यात मूल्य घटने लगता है। ऐसी स्थिति में देश का व्यापार घाटा बढ़ने लगता है। हमारा देश बीते कुछ महीनों से इस स्थिति का सामना कर रहा है। बीते जून महीने में व्यापार घाटा बढ़कर अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 25.6 अरब विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण डॉलर हो गया है।

व्यापार घाटा को कम करने की कवायद के तहत ही रिजर्व बैंक ने बीते सोमवार (11 जुलाई) को विदेश व्यापार रुपये में करने की भी सुविधा दे दी है। इसका इस्तेमाल कर वर्तमान परिस्थितियों में रूस और श्रीलंका जैसे देशों के साथ व्यापार किया जा सकता है, जिससे रुपये को थोड़ी राहत मिल सकती है। आपको बता दें कि भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है और रूस तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अगर दोनों देशों के बीच रुपये में कारोबार शुरू होता है तो इससे रुपये को मजबूत बनाने में काफी मदद मिलेगी।

देश में जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है रुपया मजबूत होता जाता है। इससे देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता जाता और रुपये की कीमत में स्थिरता बनी रहती है। विदेशी रुपया भंडार बढ़ने से रुपये में आई मजबूती का फायदा विदेशों में निवेश करने वाले कारोबारियों पर भी पड़ता है। ऐसा होने से उन्हें अपनी मुद्रा का कम से कम निवेश करना पड़ता है।

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