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कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है

कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है

स्टॉक मार्केट में एक्स-डेट और रिकॉर्ड-डेट क्या मतलब होता है?

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नई दिल्ली. शेयर मार्केट में पैसा केवल शेयरों की बढ़ती या घटती कीमत से ही नहीं कमाया जाता है. बोनस शेयर और डिविडेंड भी कमाई का एक बहुत बड़ा स्रोत होते हैं. हालांकि, ये लाभ हर शेयरधारक को नहीं मिल जाता है. अगर आप बाजार में नई एंट्री कर रहे हैं तो आपको बता दें कि बोनस या डिविडेंड की घोषणा कई दिन बाद ही ये आपके डीमैट अकाउंट में नजर आता है. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपने शेयर कब खरीदे हैं. यहीं 2 नई टर्म्स आपके सामने आती हैं, एक्स-डेट और रिकॉर्ड डेट.

अगर आपने शेयर मार्केट में निवेश करना शुरू ही किया है या करने की योजना बना रहे हैं तो इन 2 टर्म्स से आपका आमना-सामना होना तय. अक्सर आप लोग सुनते होंगे कि किसी कंपनी ने डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट तय कर दी है या बोनस के लिए रिकॉर्ड डेट फिक्स कर दी गई है. अगर आप भी इन शब्दों को पढ़कर सोच में पड़ जाते हैं तो ये लेख आपके लिए ही है. आज कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है हम बताएंगे कि ये क्या होते हैं और निवेशकों के लिए क्यों जरूरी है.

एक्स-डेट

बात सबसे पहले एक्स-डेट की, क्योंकि ये रिकॉर्ड डेट से पहले आती है. डिविडेंड के लिए एक्स-डिविडेंड और बोनस के लिए एक्स-बोनस डेट कहा जाता है. यह वह तारीख होती है जिस दिन तक कंपनी के शेयर खरीदने वाले को डिविडेंड या बोनस का लाभ दिया जाता है. यानी अगर इस तारीख के बाद आप शेयरों की खरीदारी करते हैं तो आप लाभ के हकदार नहीं होंगे. इसे कंपनी द्वारा ही फिक्स किया जाता है.

रिकॉर्ड डेट

ये आमतौर पर एक्स-डिविडेंड के एक दिन बाद वाली तिथि होती है. बशर्ते एक्स-डेट के अगले दिन कोई हॉलीडे न हो. रिकॉर्ड डेट को कंपनी अपने शेयरधारकों की सूची तैयार करती है जिन्हें डिविडेंड या बोनस दिया जाना है. इस सूची में एक्स-डेट तय शेयर खरीदने वाले निवेशकों को शामिल कर लिया जाता है. अक्सर लोग रिकॉर्ड डेट को डिविडेंड का लाभ लेने के लिए शेयर खरीदने की कटऑफ डेट मानकर चलते हैं और डिविडेंड या बोनस का फायदा उठाने से चूक जाते हैं.

निवेशकों के लिए है इसलिए जरूरी

जाहिर तौर पर अब तक आप लोग समझ ही गए होंगे कि एक्स-डेट और रिकॉर्ड डेट क्यों निवेशकों के लिए जरूरी है. अगर उन्हें शेयरों के उतार-चढ़ाव के अलावा बाजार में अन्य तरीकों से भी पैसा कमाना है तो इन दोनों टर्म्स को समझना बेहद जरूरी है. कई दफा निवेशक अपने घाटे की कुछ हद तक भरपाई डिविडेंड के माध्यम से ही कर लेते हैं.

Yes Bank के बनने-बिगड़ने की पूरी कहानी, 400 रुपये तक उड़ान भरने वाला शेयर अब हांफ रहा 20 रुपये तक पहुंचने में

यस बैंक में गड़बड़ी कहां से शुरू हुई और इसके को-फाउंडर राणा कपूर (Rana Kapoor) की इसमें क्या भूमिका है, इसे समझने के लिए सिलसिलेवार नीचे बताया जा रहा है।

यस बैंक (Yes Bank) देश का माना-जाना प्राइवेट बैंक था लेकिन मार्केट में इसकी स्थिति डांवाडोल हुई है। शेयरों की भाषा में बात करें तो इसके भाव कभी 400 रुपये के करीब पहुंच रहे थे लेकिन अब यह 20 रुपये को भी पार करने के लिए हांफ रहा है।

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यस बैंक (Yes Bank) देश का माना-जाना प्राइवेट बैंक था लेकिन मार्केट में इसकी स्थिति डांवाडोल हुई है। शेयरों की भाषा में बात करें तो इसके भाव कभी 400 रुपये (Yes Bank Share Price) के करीब पहुंच रहे थे लेकिन अब यह 20 रुपये को भी पार करने के लिए हांफ रहा है। यह बैंक अभी 20 साल का भी नहीं है और इसमें काफी उतार-चढ़ाव आ चुका है। यस बैंक में गड़बड़ी कहां से शुरू हुई और इसके को-फाउंडर राणा कपूर (Rana Kapoor) की इसमें क्या भूमिका है, इसे समझने के लिए सिलसिलेवार नीचे बताया जा रहा है। यस बैंक के शेयर आज 25 कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है नवंबर को 17.15 रुपये के भाव पर ट्रेड हो रहे हैं।

Yes Bank पर ऐसा हुआ राणा कपूर का एकछत्र नियंत्रण

यस बैंक को 2003-04 में बैंकिंग लाइसेंस मिला। इसके कुछ समय बाद इसके प्रमोटर्स राणा कपूर (Rana Kapoor) और अशोक कपूर (Ashok Kapur) ने अपने पार्टनर हरकीरत सिंह को बैंक से निकाल दिया। Kapoor-Kapur की योजना एक ऐसा निजी बैंक बनाने की थी जो एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) की तरह आक्रामक तरीके से काम कर सके। उन्होंने कम समय में अधिक पैसे बनाने के लिए धीरे-धीरे बढ़ रहे खुदरा कारोबार की बजाय होलसेल बिजनेस पर दांव लगाया।

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यस बैंक अपने समय की बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए नई हवा के तौर पर था क्योंकि इससे पहले बैंकिंग धीमा बिजनेस था। राणा कपूर ने बैंक को स्पांसर करने के लिए मेगा कांफ्रेंस करना शुरू किया। 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में अशोक कपूर की मौत के बाद कपूर ने यस बैंक का मैनेजमेंट संभाल लिया और अब यस बैंक उनके हिसाब से आगे बढ़ने लगा।

सिंपल फंडे से मजबूत हुआ Yes Bank

यस बैंक शुरुआत में बहुत अधिक तेजी से नहीं बढ़ सका और बैंकिंग इंडस्ट्री में स्थिति मजबूत कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है नहीं कर सका। हालांकि एक ही दशक में स्थिति पूरी तरह से बदल गई। राणा कपूर का सिंपल फंडा था- बड़ा दांव, बड़ा खर्च और बड़ी ग्रोथ। ऐसे में बैंक ने सबसे अधिक कर्ज कॉरपोरेट को दिए। राणा की यह स्ट्रेटजी लंबे समय तक कारगर रही।

राणा कपूर खुदरा लोन और छोटी कंपनियों को लोन देने पर अधिक ध्यान नहीं देते थे। मुंबई के एक बैंकिंग एनालिस्ट के मुताबिक बैंक की तेज ग्रोथ पर किसी बैंकिंग कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है एनालिस्ट, रेटिंग एजेंसी या रेगुलेटर ने सवाल नहीं उठाया और सभी यस बैंक के बिजनेस मॉडल की प्रशंसा कर रहे थे। बैंकिंग इंडस्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक अधिकतर लोन प्रस्तावों पर खुद राणा कपूर फैसला लेते थे और क्रेडिट कमेटी को बस औपचारिकता निभानी होती थी। नियम के मुताबिक सभी लोन प्रस्ताव क्रेडिट कमेटी के पास से होकर आगे बढ़ते हैं।

पांच साल में साढ़े चार गुना बढ़ गया लोन बुक

यस बैंक की ग्रोथ की अनुमान ऐसे लगा सकते हैं कि जब अधिकतर बैंकों की लोन बुक सालाना 8-10 फीसदी की दर से बढ़ रही और उनमें से भी अधिकतर को इसमें भी दिक्कत हो रही थी। उसी दौरान वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2019 के बीच यस बैंक का लोन बुक 55 हजार करोड़ रुपये से 2.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसमें से वित्त वर्ष 2017-2019 के बीच तो लोनबुक लगभग दोगुना हो गया यानी कि 38 कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है फीसदी की सीएजीआर जबकि अपने सबसे बेहतर से बेहतर समय में भी किसी भी भारतीय बैंक का लोन बुक ग्रोथ 25 फीसदी के लेवल को पार नहीं कर पाया।

कब शुरू हुई गड़बड़ी

वित्त वर्ष 2017-18 तक सब कुछ ठीक चल रहा था, फिर एकाएक दो बड़े झटके लगे। आरबीआई के ऑडिटिंग में एनपीए के जो आंकड़े सामने आए, वह यस बैंक की रिपोर्ट से मैच नहीं हो रहे थे। वहीं 2018 के आखिरी में आईएलएंडएफएस ढह गया जिससे नगदी की किल्लत बढ़ गई। इसके चलते यस बैंक के लोन बुक पर दबाव बढ़ा क्योंकि कंपनियों ने कर्ज का भुगतान बंद कर दिया था।

कंपनियां एनबीएफसी से कर्ज लेकर रीपेमेंट कर रही थीं लेकिन अधिकतर एनबीएफसी ने उस समय कर्ज देना बंद कर दिया था जिससे दिक्कत बढ़ी। राणा कपूर पर इसी दौरान पैसे लेकर कर्ज बांटने का आरोप है जिससे यस बैंक को भारी नुकसान पहुंचा। इसी को लेकर राणा कपूर को जेल की हवा खानी पड़ी जिससे फिलहाल आज 25 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए जमानत मंजूर कर ली। राणा कपूर और उनका परिवार 101 कंपनियां चलाता था, उनके 168 बैंक खाते थे और 3 होल्डिंग कंपनियां थीं।

Yes Bank के बनने-बिगड़ने की पूरी कहानी, 400 रुपये तक उड़ान भरने वाला शेयर अब हांफ रहा 20 रुपये तक पहुंचने में

यस बैंक में गड़बड़ी कहां से शुरू हुई और इसके को-फाउंडर राणा कपूर (Rana Kapoor) की इसमें क्या भूमिका है, इसे समझने के लिए सिलसिलेवार नीचे बताया जा रहा है।

यस बैंक (Yes Bank) देश का माना-जाना प्राइवेट बैंक था लेकिन मार्केट में इसकी स्थिति डांवाडोल हुई है। शेयरों की भाषा में बात करें तो इसके भाव कभी 400 रुपये के करीब पहुंच रहे थे लेकिन अब यह 20 रुपये को भी पार करने के लिए हांफ रहा है।

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यस बैंक (Yes Bank) देश का माना-जाना प्राइवेट बैंक था लेकिन मार्केट में इसकी स्थिति डांवाडोल हुई है। शेयरों की भाषा में बात करें तो इसके भाव कभी 400 रुपये (Yes Bank Share Price) के करीब पहुंच रहे थे लेकिन अब यह 20 रुपये को भी पार करने के लिए हांफ रहा है। यह बैंक अभी 20 साल का भी नहीं है और इसमें काफी उतार-चढ़ाव आ चुका है। यस बैंक में गड़बड़ी कहां से शुरू हुई और इसके को-फाउंडर राणा कपूर (Rana Kapoor) की इसमें क्या भूमिका है, इसे समझने के लिए सिलसिलेवार नीचे बताया जा रहा है। यस बैंक के शेयर आज 25 नवंबर को 17.15 रुपये के भाव पर ट्रेड हो रहे हैं।

Yes Bank पर ऐसा हुआ राणा कपूर का एकछत्र नियंत्रण

यस बैंक को 2003-04 में बैंकिंग लाइसेंस मिला। इसके कुछ समय बाद इसके प्रमोटर्स राणा कपूर (Rana Kapoor) और अशोक कपूर (Ashok Kapur) ने अपने पार्टनर हरकीरत सिंह को बैंक से निकाल दिया। Kapoor-Kapur की योजना एक ऐसा निजी बैंक बनाने की थी जो एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) की तरह आक्रामक तरीके से काम कर सके। उन्होंने कम समय में अधिक पैसे बनाने के लिए धीरे-धीरे बढ़ रहे खुदरा कारोबार की बजाय होलसेल बिजनेस पर दांव लगाया।

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Budget 2023: आपको बजट में क्या चाहिए? 10 दिसंबर तक दे सकते हैं सुझाव

OYO Hotels का घाटा सितंबर तिमाही में कम होकर ₹333 करोड़ पर आया, IPO लॉन्च होने से पहले रेवेन्यू 24% बढ़ा

यस बैंक अपने समय की बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए नई हवा के तौर पर था क्योंकि इससे पहले बैंकिंग धीमा बिजनेस था। राणा कपूर ने बैंक को स्पांसर करने के लिए मेगा कांफ्रेंस करना शुरू किया। 26/11 के मुंबई आतंकी हमले में अशोक कपूर की मौत के बाद कपूर ने यस बैंक का मैनेजमेंट संभाल लिया और अब यस बैंक उनके हिसाब से आगे बढ़ने लगा।

सिंपल फंडे से मजबूत हुआ Yes Bank

यस बैंक शुरुआत में बहुत अधिक तेजी से नहीं बढ़ सका और बैंकिंग इंडस्ट्री में स्थिति मजबूत नहीं कर सका। हालांकि एक ही दशक में स्थिति पूरी तरह से बदल गई। राणा कपूर का सिंपल फंडा था- बड़ा दांव, बड़ा खर्च और बड़ी ग्रोथ। ऐसे में बैंक ने सबसे अधिक कर्ज कॉरपोरेट को दिए। राणा की यह स्ट्रेटजी लंबे समय तक कारगर रही।

राणा कपूर खुदरा लोन और छोटी कंपनियों को लोन देने पर अधिक ध्यान नहीं देते थे। मुंबई के एक बैंकिंग एनालिस्ट के मुताबिक बैंक की तेज ग्रोथ पर किसी बैंकिंग एनालिस्ट, रेटिंग एजेंसी या रेगुलेटर ने सवाल नहीं उठाया और सभी यस बैंक के बिजनेस मॉडल की प्रशंसा कर रहे थे। बैंकिंग इंडस्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक अधिकतर लोन प्रस्तावों पर खुद राणा कपूर फैसला लेते थे और क्रेडिट कमेटी को बस औपचारिकता निभानी होती थी। नियम के मुताबिक सभी लोन प्रस्ताव क्रेडिट कमेटी के पास से होकर आगे बढ़ते हैं।

पांच साल में साढ़े चार गुना बढ़ गया लोन बुक

यस बैंक की ग्रोथ की अनुमान ऐसे लगा सकते हैं कि जब अधिकतर बैंकों की लोन बुक सालाना 8-10 फीसदी की दर से बढ़ रही और उनमें से भी अधिकतर को इसमें भी दिक्कत हो रही थी। उसी दौरान वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2019 के बीच यस बैंक का लोन बुक 55 हजार करोड़ रुपये से 2.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इसमें से वित्त वर्ष 2017-2019 के बीच तो लोनबुक लगभग दोगुना हो गया यानी कि 38 फीसदी की सीएजीआर जबकि अपने सबसे बेहतर से बेहतर समय में भी किसी भी भारतीय बैंक का लोन बुक ग्रोथ 25 फीसदी के लेवल को पार नहीं कर पाया।

कब शुरू हुई गड़बड़ी

वित्त वर्ष 2017-18 तक सब कुछ ठीक चल रहा था, फिर एकाएक दो बड़े झटके लगे। आरबीआई के ऑडिटिंग में एनपीए के जो आंकड़े सामने आए, वह यस बैंक की रिपोर्ट से मैच नहीं हो रहे थे। वहीं 2018 के आखिरी में आईएलएंडएफएस ढह गया जिससे नगदी की किल्लत कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है बढ़ गई। इसके चलते यस बैंक के लोन बुक पर दबाव बढ़ा क्योंकि कंपनियों ने कर्ज का भुगतान बंद कर दिया था।

कंपनियां एनबीएफसी से कर्ज लेकर रीपेमेंट कर रही थीं लेकिन अधिकतर एनबीएफसी ने उस समय कर्ज देना बंद कर दिया था जिससे दिक्कत बढ़ी। राणा कपूर पर इसी दौरान पैसे लेकर कर्ज बांटने का आरोप है जिससे यस बैंक को भारी नुकसान पहुंचा। इसी को लेकर राणा कपूर को जेल की हवा खानी पड़ी जिससे फिलहाल आज 25 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए जमानत मंजूर कर ली। राणा कपूर और उनका परिवार 101 कंपनियां चलाता था, कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है उनके 168 बैंक खाते थे और 3 होल्डिंग कंपनियां थीं।

भू नक्शा बिहार 2022 चेक एवं डाउनलोड कैसे करें

भू नक्शा बिहार 2022 : इस आर्टिकल में कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है हम जानेंगे कि online bhu naksha bihar check कैसे करें ? राजस्व विभाग ने भू नक्शा बिहार चेक एवं डाउनलोड करने की सुविधा ऑनलाइन कर दिया है। अब कोई भी अपने खेत, प्लाट या जमीन का नक्शा मैप घर बैठे प्राप्त कर पायेगा। पहले अगर हमें अपने जमीन का भू नक्शा चाहिए होता था तो सरकारी दफ्तर के चक्कर काटते है। अधिकारीयों से मिलकर निवेदन करते है कि हमें भू नक्शा उपलब्ध करा दें। लेकिन काफी मशक्कत और चक्कर लगाने के बाद हमें ये डॉक्यूमेंट मिल पाता है। लेकिन अब आपको परेशान होने या ऑफिस के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं है। आप घर बैठे ऑनलाइन अपने कंप्यूटर या मोबाइल फ़ोन से बिहार भूमि नक्शा ऑनलाइन देख सकते है और डाउनलोड भी कर सकेंगे।

आज बहुत सी सरकारी योजनाएं ऑनलाइन होती जा रही है। सभी राज्य भूलेख और भू नक्शा देखने की सुविधा ऑनलाइन प्रदान कर रही है। इसी क्रम में बिहार सरकार ने भी भू नक्शा देखने की वेबसाइट उपलब्ध कराया है। जहाँ बिहार के निवासी घर बैठे अपने जमीन का भू नक्शा प्राप्त कर पाएंगे। लेकिन बहुत से लोगो को इसकी जानकारी नहीं होने के कारण ऑफिस के चक्कर लगाकर परेशान होते रहते है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है आप भी घर बैठे भू नक्शा निकालना सीख जायेंगे। तो चलिए शुरू करते है।

संक्षिप्त जानकारी –

बिहार भूलेख नक्शा ऑनलाइन चेक एवं डाउनलोड करने के लिए सबसे पहले बिहार भू नक्शा की ऑफिसियल वेबसाइट bhunaksha.bih.nic.in में जाना है। इसके बाद अपना जिला, डिवीजन एवं मौजा सेलेक्ट करना है। फिर आपके द्वारा सेलेक्ट किये गए मौजा का मैप स्क्रीन पर दिखाई देगा। इसमें आपको अपने जमीन का खसरा नंबर सेलेक्ट करना है। बिहार भू कमाने के लिए कहां और कब तक जाना है नक्शा डाउनलोड करने के लिए इसमें सबसे नीचे Map Report के विकल्प को सेलेक्ट करना है। इसके बाद bhu naksha bihar चेक या डाउनलोड कर सकेंगे।

बिहार भू नक्शा ऑनलाइन देखने की जानकारी स्क्रीनशॉट और वीडियो के माध्यम से स्टेप by स्टेप पूरी प्रक्रिया नीचे हमने बताया है। आप इसे ध्यान से पढ़िए।

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